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परमेश्वर की स्तुति करो

하나님을 찬양하라

बाइबल में यह वचन है कि "सर्वदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना करो, प्रत्येक परिस्थिति में धन्यवाद दो क्योंकि मसीह यीशु में तुम्हारे लिए परमेश्वर की यही इच्छा है"। एक बार माता ने ऊपर के बाइबल के वचन पर जोर देकर कहा कि पिता उसे बहुत आशीषित करेगा जो परमेश्वर को बहुत सा धन्यवाद देता है। मैं विश्वास करता हूं कि सिय्योन में भाई और बहनें माता के वचन के अनुसार परमेश्वर को हमेशा धन्यवाद और महिमा देते हैं। सब कुछ परमेश्वर के हाथ में हैं, और परमेश्वर अपनी योजना के अनुसार सुसमाचार का कार्य पूरा करता है। जब हम इस पर विश्वास करते हुए प्रत्येक परिस्थिति में परमेश्वर को धन्यवाद, महिमा और स्तुति देते हैं, तब परमेश्वर खोए हुए स्वर्ग...

परमेश्वर की महिमा प्रकट करने वाले

하나님의 영광을 나타낼 자

हम सुसमाचार का प्रचार करने के द्वारा परमेश्वर के नाम की महिमा कर रहे हैं, और भले काम करने से परमेश्वर को महिमा देने का प्रयास कर रहे हैं। आखिरकार यह हमारी भलाई के लिए है। माता ने शिक्षा दी है कि जब हम परमेश्वर को महिमा देते हैं महिमा हमें वापस मिलती है। परमेश्वर की सन्तान के लिए, परमेश्वर की महिमा प्रकट करना बेहद महत्वपूर्ण सद्गुणों में से एक है। बाइबल की अनेक भविष्यवाणियां प्रमाणित करती हैं कि हम परमेश्वर की महिमा के लिए सृजे गए हैं। आइए हम बाइबल के द्वारा जानें कि हम किसके लिए सृजे गए हैं, और बुद्धि लें कि हमें कैसे मसीही जीवन जीना चाहिए कि परमेश्वर की महिमा सब से अधिक प्रकट कर सकें। मनुष्य यात्री है जो स्वद...

परमेश्वर से नम्रता सीखें

하나님께 온유함을 배우자

बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार, बहुत से लोग सिय्योन में इकट्ठे हो रहे हैं। उनमें से कुछ सदस्य अपने पापी स्वभाव व बुरी आदत को त्याग कर, स्वर्ग का ईश्वरीय स्वभाव धारण किए हुए हैं और अपने जीवन को परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं। और कुछ सदस्य अभी तक अपने पापों की गन्दगी को, जो संसार से जमी हुई थी, नहीं निकाल पाए हैं। इसलिए हमें, जो पहले बुलाए गए हैं, उन सदस्यों के प्रति, जो सत्य में आए हैं लेकिन जिन्हें स्वभाव को सुधारना है, अनुग्रहकारी बात व स्वभाव का अच्छा आदर्श बनना चाहिए। सिय्योन की सन्तान के जो आवश्यक प्रेम के गुण हैं, उनमें से नम्रता के बारे में परमेश्वर के वचन के द्वारा सीखेंगे जो सब से श्रेष्ठ होती है। ...

अनुग्रहपूर्ण वचन, हृदय–स्पर्शी वचन

은혜로운 말, 감동적인 말

कहावत है कि ‘उत्तम को उत्तम मिले, मिले नीच को नीच'। हमारे दूसरों से नम्रता से मधुर और उचित बातचीत करने का कारण दूसरों से अरुचिकर बात न सुनने के लिए है, लेकिन इससे और भी ज्यादा जरूरी कारण मुझे यही लगता है कि हमारे दैनिक जीवन में दूसरों से बेहतर रिश्ता कायम करें। किसी ने कहा है कि जब परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया, उसने एक मुंह बनाया और दो कान बनाए। उसने इस इरादे पर दो कानों को बनाया था कि बात करने से सुनना दो गुणा ज्यादा रहे। परमेश्वर ने बाइबल के अनेक पन्नों में पवित्र लोगों के बातचीत संबंधी शिष्टाचार के बारे में शिक्षाएं दी हैं। हमें पिछले दिनों आवाज उठाने और लालची होने की आदतें थीं, लेकिन अब से आइए हम उन्हें छोड़ द...

जब निर्बल है तभी सामर्थी है

약할 때 강함

परमेश्वर की पूर्व योजना के अनुसार, पूरे विश्व में सुसमाचार प्रचार करने का कार्य बहुत तेजी से पूरा हो रहा है। इसी समय में, हमें इस पर विचार करना चाहिए कि वह विश्वास कैसा होगा जो परमेश्वर हम से चाहता है। प्राय: हर इंसान, चाहे नास्तिक हो, किन्तु अपनी सहज प्रवृत्ति से परमेश्वर को ढूंढ़ता और उस पर भरोसा करता है जब वह स्वयं को निर्बल व असहाय महसूस करता है। लेकिन जब वह स्वयं को बलवान महसूस करता है, तब वह परमेश्वर को नहीं ढूंढ़ता, बल्कि अपनी शक्ति एंव योग्यता पर भरोसा करता है। ‘जब निर्बल है तभी सामर्थी है’, इस वाक्य का प्रयोग करना अनुचित लगता है। लेकिन विश्वास के जीवन में, जब हम स्वयं को निर्बल महसूस करते हैं, तब ही हम परमेश्वर...

गहरा विश्वास

깊은 믿음

संसार में रहते हुए अच्छे शिक्षक से मिलना, सच में बड़ी आशीष की बात है। उसी तौर पर, हम सब से अधिक आशीषित लोग कहलाए जाएंगे, क्योंकि हम एलोहीम परमेश्वर से मिले हैं जो हमारे जीवन के सच्चे शिक्षक हैं और अनन्त स्वर्ग की ओर हमें ले जाते हैं। हमारे सच्चे शिक्षक, परमेश्वर केवल सन्तान की आत्माओं का उद्धार करने के लिए इस धरती तक भी आए और उन्होंने दुखमय जीवन जिया है। वे सताए गए हैं और उन्हें दुख दिया गया है, फिर भी उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला और मनुष्यों के ठट्ठे, अपमान और निन्दा चुपचाप सहे हैं। परमेश्वर के धैर्य और बलिदान के कारण हमारी आत्माएं चंगी हुईं और हम ने उद्धार पाया है। हम परमेश्वर के इस अनुग्रह के लिए आभारी हैं। आइए ...

मसीही का जीवन

그리스도인의 생활

मसीहियों के लिए, जो स्वर्ग की आशा करते हुए विश्वास जीवन जी रहे हैं, सिर्फ परमेश्वर का वचन जानना ही नहीं, बल्कि उसका अनुकरण करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि संसार के लोग मसीहियों के प्रति सकारात्मक विचार लेकर पूर्वानुमान लगाते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने वाला दूसरों से कुछ तो भिन्न होगा। लेकिन जब वे मसीही होने का दावा करने वालों को दुष्ट काम करते देखते हैं, तब वे यह कह कर, "मसीही भी कोई अलग नहीं है" जल्दी निराश हो जाते हैं और ईसाई धर्म के खिलाफ अविश्वास में बातें करते रहते हैं। यदि सच्चा मसीही हो, तो उसके हर एक शब्द पर और उसके हर एक कर्म पर अधिक ध्यान देना और सावधान होना चाहिए। आपकी छोटी बात या हल्का व्यवहार आसपा...

परमेश्वर का शरीर में आने का कारण

육체로 오신 이유

आजकल यीशु के पवित्र चित्र में, जो यीशु का चित्रण करता है, यीशु की आकृति, जिसकी कल्पना लोग करते हैं, अति पवित्र और ईश्वरीय दिखती है। लेकिन जब यीशु आया, उस समय के लोग ‘यीशु को कैसा समझते थे?’, ‘जिस चर्च को यीशु ने स्थापित किया उसे कैसे देखते थे?”, और “स्वर्ग के सुसमाचार को जिसे यीशु ने सुनाया उसे कैसे सोचते थे?” जब तक हम इसे न जाने तब तक हम मसीह को नहीं जान सकते। मसीह मूल रूप से परमेश्वर का स्वरूप था, और वह बालक रूप में पैदा होने से पहले सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर था।(फिलि 2:5, यश 9:6 संदर्भ) लेकिन जब यीशु ने कहा, “मैं और पिता एक हैं।”, यहूदियों ने उस पर पथराव करने के लिए पत्थर उठाए। व्यवस्था के अनुसार परमेश्वर के विरोध म...

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