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जब हम इस्राएलियों की जंगल की यात्रा को देखें, तब हम परीक्षा पर विजयी होने की बुद्धि पा सकते हैं। इस्राएलियों ने मिस्र के अधीन 430 वर्षों तक गुलामी का जीवन काटने के दौरान हर प्रकार के कष्टों को सहन किया और परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा मिस्र से आजाद होकर कनान देश की ओर कदम बढ़ाए जहां दूध और मधु की धाराएं बहती थीं। वे परमेश्वर की चुनी हुई प्रजाएं थीं, और उन्होंने फसह का पर्व मनाया और परमेश्वर से वाचा के वचन अर्थात् दस आज्ञाएं और व्यवस्थाएं, विधियां व नियम प्राप्त किए। मगर उनमें से अधिकतर कनान देश में नहीं पहुंच पाए और जंगल में नष्ट किए गए। इसका कारण यह था कि वे परीक्षा पर विजयी नहीं हुए। आज हम परमेश्वर की वाचा की प्रजाएं...
स्वर्ग का राज्य जहां हम जा रहे हैं, वह जगह कितने आनंद और उल्लास से भरी रहेगी! बाइबल हमें कहती है कि इस पृथ्वी की वस्तुएं स्वर्ग की वस्तुओं का प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब है(इब्र 8:5)। इसलिए अगर हम ध्यान से आनन्द की भावनाओं को जांचेंगे जो परमेश्वर ने हम मनुष्यों को दी हैं, तो हम सच्चे आनन्द को महसूस कर सकते हैं जो हम स्वर्ग में भोगेंगे। आनन्द और खुशी जो हम महसूस करते हैं, वह मुस्कान और हंसी के द्वारा व्यक्त होते हैं। हर दिन की बातचीत में जब हम भारी विषयों या नकारात्मक चीजों के बारे में बातें करते हैं, तब हम असहज महसूस करते हैं और हमारे चेहरे सख्त हो जाते हैं। इसके विपरीत, जब हम कुछ मजाकिया या दिल बहलाने वाली बातें करते हैं, ...
जब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो,” उजियाला हो गया, और जब परमेश्वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया, वैसा ही हो गया। वे परमेश्वर की दृष्टि में अच्छे थे। हालांकि, इस युग में जो पवित्र आत्मा और दुल्हिन की आवाज का पालन करते हैं और उनके बुलाने पर उनके पास आते हैं, वे लोग परमेश्वर की दृष्टि में सबसे सुंदर हैं। हम अनन्त स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लक्ष्य की दिशा में विश्वास के मार्ग की ओर जा रहे हैं। इस विश्वास के जंगल की यात्रा में कुछ लोग मनुष्यों को प्रसन्न करने के लिए विश्वास के मार्ग पर चल रहे हैं, और दूसरे परमेश्वर को प्रसन्न करने के मार्ग पर विश्वास का जीवन जी रहे हैं। प्रथम ...
हम एक दिन में भी बहुत सी बातचीत करते हैं; हम अपने व्यवसाय के लिए बातचीत करते हैं और घर में अपने परिवार वालों के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत करते हैं और चर्च में सदस्यों के हाथ थामकर “परमेश्वर आपको आशीष दें” कहते हुए अभिवादन करते हैं। मुझे लगता है कि मानव जीवन में बातचीत का बड़ा महत्व है। बातचीत के बिना दूसरों को समझना और अपने विचारों एवं भावनाओं का आदान–प्रदान करना मुश्किल है। इस तरह बातचीत करना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन हम बातचीत करने के दौरान व्यर्थ और निकम्मी बातें भी करते हैं।(मत 12:34–37) इसलिए परमेश्वर ने हमें सुन्दर बातचीत करने का ढंग सिखाया है। वही प्रचार है। प्रचार एक बातचीत है, जिसे हम परमेश्वर के वचनों को विषय बनाक...
जब मनुष्य मरता है, तब वह न्याय का सामना करता है।(इब्र 9:27) एक व्यक्ति अपराधी है या नहीं, और यदि वह अपराधी है तो उसका अपराध कितना बड़ा है, इसका आखिरी निर्णय करने की प्रक्रिया ही न्याय है। आत्मिक दुनिया में भी ऐसा ही होता है। लोग जो नहीं जानते कि नरक का दुख कितना भयंकर है, वे इस पृथ्वी पर अपना कीमती समय बर्बाद करते हैं। वे अपने जीवन के अन्त में उस हालत का सामना करेंगे, जिसमें उन्हें अपने किए पर अफसोस होगा। चूंकि परमेश्वर जानते हैं कि मनुष्य के जीवन के अन्त में क्या होगा, इसलिए वह इस पृथ्वी पर शरीर धारण करके आए। उन्होंने हमारे पापों के लिए क्रूस पर एक पापबलि के रूप में अपना बलिदान करने के द्वारा नई वाचा को स्थापित किया ...
बाइबल में लिखा है कि, “मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल के समान फूलता है।”(भज 103:15) इससे यह प्रतीत होता है कि मनुष्य का जीवन कितना छोटा और व्यर्थ है। इस पृथ्वी पर जीवन सब कुछ नहीं है; इस पृथ्वी पर के हमारे जीवन के बाद एक नया जीवन है; हम जिस स्थान से आए हैं, वहां वापस जाएंगे। इस जीवन के समाप्त होने के बाद, हम सभी को मरणोत्तर जीवन में प्रवेश करना चाहिए। तब आइए हम यह सोचने के लिए कुछ समय लें कि जिस स्वर्ग के राज्य में हम जा रहे हैं, हम उस स्थान के लिए कितना समय या प्रयास लगा रहे हैं। एक सेवक की सलाह पुराने समय में एक शाही सेवक था जिसने राजा का विश्वास प्राप्त किया था। सेवक अच्छा और विश्वासयोग्य था...
जब हम सुबह उठकर न्यूज चैनल देखते हैं, बहुत सारी विपत्तियों और तबाहियों की खबरें हम सुनते हैं। विभिन्न प्रकार की विपत्तियों में से सबसे बड़ी विपत्ति क्या है? परमेश्वर ने किस विपत्ति से हमें बचाने के लिए फसह का पर्व निर्धारित किया है? चाहे संसार में घटित होने वाली विपत्तियां कितने ही लंबे समय तक क्यों न जारी रहें, लेकिन वे मनुष्य के जीवनकाल से भी अधिक समय तक नहीं घट सकतीं। लेकिन बाइबल में एक विपत्ति है, जो युगानुयुग जारी रहेगी। बाइबल कहती है कि लोग उस विपत्ति की पीड़ा अत्यधिक होने के कारण मरने की लालसा करेंगे, लेकिन मृत्यु उनसे भागेगी। हमें नई वाचा का फसह देने के पीछे परमेश्वर की यह इच्छा है कि वह हमें उस अत्यंत भयानक विपत...
परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं। उन्होंने संसार की सृष्टि से पहले प्रेम से हमें चुन लिया, और जब क्रूस पर उनकी सांस थम गई थी, उस अंतिम क्षण तक हमारी सुरक्षा के लिए चिंता की, और इस क्षण भी, वह लगातार हमसे प्रेम करते हैं। क्या सच में हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं? चाहे अब हम परमेश्वर में विश्वास के मार्ग पर चल रहे हैं, आइए हम यह सोचने के लिए कुछ समय लें कि क्या सच में हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं। बाइबल कहती है कि, “तेरेइयरूशलेमउ प्रेमी कुशल से रहें,”(भज 122:6) और “जो बातें आंख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिए तैयार की हैं...