चर्च ऑफ गॉड बाइबल की साक्षी को बहुमूल्य सोचते हुए दूसरी बार आने वाले मसीह आन सांग होंग के साथ यरूशलेम माता को परमेश्वर के रूप में ग्रहण करता है।
बाइबल ने सिखाया कि परमेश्वर बहुवचन है, औऱ पुरुष और स्त्री का रूप है। इसलिए परमेश्वर में नर परमेश्वर और नारी परमेश्वर होते हैं।
क्या कभी आपने सोचा कि क्यों परमेश्वर को पिता कहता है?
पिता हो सकता है जिसके पास माता नहीं है?
और सारी सृष्टियों में परमेश्वर का ईश्वरीय स्वभाव रखा है(रो 1:20) तो, प्राणियों में से माता के बिना क्या पिता अकेले संतान पैदा करता है?
हम इस विष्य के बारे में विस्तार से जानें।
प्रतिज्ञा की संतान
बाइबल हमें प्रतिज्ञा की संतान कह रही है.
गल 4:28 हे भाइयो, तुम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की संतान हो।
तब प्रतिज्ञा की संतान हम से परमेश्वर ने क्या प्रतिज्ञा की? वही अनन्त जीवन है।
1यूह 2:25 जो प्रतिज्ञा स्वयं उसने हम से की है, वह यह है, अर्थात् अनन्त जीवन।
तब यह अनन्त जीवन किस तरीके से दिया जाता है? बाइबल कहती है कि सब वस्तुएं परमेश्वर की इच्छा से हुई हैं।(प्रक 4:11) आइए हम माता के अस्तित्व को सोचें। जैसा कि परमेश्वर ने कहा कि सब वस्तुएं परमेश्वर की इच्छा से हुईं, सृष्टि में स्पष्ट परमेश्वर की इच्छा रखी होती है। जैसा कि आप जानते हैं, सारे प्राणियों के पास माता होती है। माता के बिना जीवन होता ही नहीं।
हमारे शारीरिक जीवन शारीरिक माता से दिया जाता है। 280 दिनों तक माता गर्भ में संतान के हाथ आंख, कान बनाती है। और जब निश्चित दिन आता है तो, लहू बहकर संतान को पैदा करती है। माता के प्रसव की पीड़ा तथा दुखों द्वारा हम जीवन पाते हैं। तब हमारा आत्मिक जीवन कैसे दिया जाएगा? जैसा शारीरिक जीवन शारीरिक माता से दिया जाता है वैसा ही आत्मिक जीवन आत्मिक माता से दिया जाना है।
बाइबल स्पष्ट बता रही है कि स्वर्गीय माता होती है और उससे प्रतिज्ञा किया हुआ अनन्त जीवन दिया जाता है।
परमेश्वर के दो स्वरूप
बाइबल द्वारा आइए हम आत्मिक माता के अस्तित्व के बारे में जानें।
उत 1:26-27 फिर परमेश्वर ने कहा, "हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं" ... अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने उसको सृजा। उसने नर और नारी करके उनकी सृष्टि की।
ऊपर के वचन से हम जान सकते हैं कि परमेश्वर के पास दो स्वरूप हैं, अर्थात् नर का स्वरूप और नारी का स्वरूप हैं। अभी तक हम नर स्वरूप के परमेश्वर को पिता कहकर बुलाते आए हैं।
तब नारी स्वरूप के परमेश्वर को हमें क्या कहना चाहिए? निश्चय ही माता कहना चाहिए। इसलिए परमेश्वर ने कहा, "हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं।"
यहां ‘हम’ बहुवचन है और यह इब्री भाषा में ‘ऐलोहीम’ से लिखा है। ऐलोहीम का अर्थ बहुवचन के परमेश्वर है, जो कि पिता और माता हैं।
कोई कहता है कि ‘हम’ कहलाए परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा परमेश्वर हैं।
अगर उनकी बात सही होती तो इस संसार में तीन प्रकार के लोग होने चाहिए। अर्थात् पिता परमेश्वर से मिलते-जुलते लोग, पुत्र परमेश्वर से मिलते-जुलते लोग, और पवित्र आत्मा से मिलते-जुलते लोग।
परन्तु इस पृथ्वी पर केवल दो प्रकार के स्वरूप लिए मनुष्य हैं, अर्थात् नर और नारी हैं।
इसलिए उत्पत्ति 1:26 में प्रकट हुए परमेश्वर नर का रूप और नारी का रूप हैं, अर्थात् पिता और माता परमेश्वर हैं।
आदम की पत्नी हव्वा की सृष्टि में परमेश्वर की इच्छा
तब रोमियों में प्रकट हुए आदम के अस्तित्व द्वारा स्वर्गीय माता के बारे में सत्य का अध्ययन और अधिक करें।
रो 5:14 आदम उसका प्रतीक था जो आने वाला था।
रोमियों की किताब स्वर्गारोहण के बाद लिखी हुई पुस्तक है। यहां दूसरी बार आने वाले यीशु को दर्शाता है। आदम दूसरी बार आने वाले यीशु को बताने परमेश्वर की इच्छा में सृजा गया था। तब, परमेश्वर के आदम की पत्नी, हव्वा की सृष्टि करने में कौन-सी इच्छा होगी?
उत 2:21 अत: यहोवा परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और जब वह सो रहा था तो उसने उसकी एक पसली निकालकर उसके स्थान में मांस भर दिया।
उत 3:20 आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा, क्योंकि पृथ्वी पर जीवित सब मनुष्यों की आदिमाता वही हुई।
हव्वा शब्द का अर्थ जीवन है। और हव्वा जीवित सब मनुष्यों की आदिमाता कहलाती है। आदम द्वारा परमेश्वर ने दूसरी बार आने वाले यीशु अर्थात् हमारे स्वर्गीय पिता के बारे में सिखाया, और हव्वा द्वारा उस यीशु की पत्नी अर्थात् हमारी स्वर्गीय माता के बारे में सिखाया।
दूसरे शब्द में हव्वा हमारी स्वर्गीय माता को दर्शाती है। जैसा कि हव्वा सब जीवित प्राणियों की आदिमाता कहलाती है, हम इस स्वर्गीय माता द्वारा जीवन अर्थात् अनन्त जीवन पा सकते हैं।
‘अन्तिम दिन में जिला उठाऊंगा’
1900 साल पहले यीशु ने बार बार कहा कि जो उसके पास आता है उसे अन्तिम दिन में जिला उठाएगा।(यूह 6:39,40,44,54)
अपनी प्रजाओं को बचाने के लिए यीशु को क्यों अन्तिम दिन तक इन्तजार करना पड़ा? और किसका इन्तजार किया?
उत्पत्ति अध्याय 1 में 6 दिन की सृष्टि 6 हजा़र साल की आत्मिक सृष्टि को दर्शाती है। जिस प्रकार 6 दिन की सृष्टि हव्वा के प्रकट होने से खत्म हुई उसी प्रकार आत्मिक सृष्टि भी आत्मिक माता के प्रकट होने द्वारा खत्म हो जाएगी। उस समय यीशु उद्धार पाने वालों को बचा सका,
लेकिन जीवन माता द्वारा दिया जाना है। इस कारण से स्वर्गीय माता के प्रकट होने तक इन्तजार किया।
मेमने का विवाह
इस बार प्रकाशितवाक्य में माता के बारे में साक्षी को खोजें।
प्रक 19:7 आओ, हम आनन्दित और हर्षित हों और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेमने का विवाह आ पहुंचा है और उस की दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।
ऊपर के वचन में "मेमने का विवाह आ पहुंचा है और उस की दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।" यहां मेमना यीशु, अर्थात् दूसरी बार आने वाला यीशु आन सांग होंग जी है।
क्योंकि यह प्रकाशितवाक्य यीशु के स्वर्गारोहण के पश्चात् लिखी हुई पुस्तक है जिसमें अन्तिम दिन में घटित होने वाली बातों का विषय होता है।
इस तरह दुल्हिन अर्थात् मेमने की पत्नी को अन्तिम दिन में प्रकट होना है।
प्रकाशितवाक्य अध्याय 21 में यह दुल्हिन अर्थात् मेमने की पत्नी यरूशलेम से अभिव्यक्त की गई।
प्रक 21:9-10 ... उनमें से एक ने मेरे पास आकर कहा, "यहां आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेमने की पत्नी दिखाऊंगा"... उसने पवित्र नगरी यरूशलेम को स्वर्ग में से परमेश्वर के पास से नीचे उतरते हुए दिखाया।
और प्रेरित पौलुस साक्षी देता है कि पवित्र नगरी यरूशलेम जो स्वर्ग से नीचे उतरती है वह हमारी माता है।
गल 4:26 परन्तु ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है।
स्वतंत्र स्त्री की संतान
और प्रेरित पौलुस साक्षी देता है कि हम ने स्वर्गीय माता द्वारा अनन्त जीवन पाया है, इसलिए हम प्रतिज्ञा की संतान, स्वतंत्र स्त्री की संतान हैं।
गल 4:28 और हे भाइयो, तुम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की संतान हो।
गल 4:31 इसलिए हे भाइयो, हम दासी की नहीं परन्तु स्वतंत्र स्त्री की संतान हैं।
अगर हम स्वतंत्र स्त्री की संतान हैं तो उस स्वतंत्र स्त्री को हमें क्या कहना चाहिए? निश्चय ही माता कहना न चाहिए?
स्वर्गीय माता को ग्रहण करने के बिना हम अनन्त जीवन नहीं ले सकते हैं। दूसरे शब्द में अनन्त जीवन जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने हम से की है वह स्वर्गीय माता द्वारा दिया जाता है।
अन्तिम दिन में रहते हमें जो सबसे पहले जरूरी है वह यरूशलेम माता है जिसे द्वितीय यीशु आन सांग होंग ने स्थापित किया। हमें आशा है कि पवित्र आत्मा आन सांग होंग और दुल्हिन यरूशलेम माता पर जिसकी साक्षी बाइबल देती है विश्वास करें और सब उद्धार पाएं।