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परमेश्वर ने सारे मानव को सुसमाचार सुनने और इसे महसूस करके उद्धार पाने का मौका दिया है। उस अनुग्रह के द्वारा ही, विश्व में सुसमाचार का प्रचार करने का कार्य आश्चर्य रूप से सफल हो रहा है, और पूरे विश्व में हर क्षेत्रों से बहुतेरी आत्माएं पश्चात्ताप करते हुए परमेश्वर की गोद में वापस आ रही हैं। लोग जिन्होंने यह सुसमाचार सुना है, उनके लिए सब से ज़्यादा अचंभित करने वाला सत्य स्वर्गीय माता है। यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ओशिनिया, एशिया, अफ्रीका, आदि किसी भी देश में स्वर्गीय माता के सत्य के सामने सुसमाचार सुनाने के लिए द्वार खुल जाता है। इससे हमें पता चलता है कि देश-देश के लोग स्वर्गीय माता के उद्धार के लिए बहुत तरसते ...
बाइबल पुराने नियम और नए नियम से, अर्थात् पुरानी वाचा और नई वाचा से, जो परमेश्वर ने मानव को दीं, बनी है। पुराने नियम, यानी पुरानी वाचा के केंद्र में पवित्रस्थान था। और परम पवित्रस्थान में, जो पवित्रस्थान में सब से महत्वपूर्ण स्थान था, वाचा का सन्दूक था। वाचा के सन्दूक में पत्थर की पटियाएं रखी थीं, जिस पर दस आज्ञाएं लिखी हुई थीं। परमेश्वर की व्यवस्था रखी जाने से यह व्यवस्था का सन्दूक कहलाता था, और परमेश्वर की साक्षी रखी जाने से यह साक्षीपत्र का सन्दूक कहलाता था। सामान्यत: यह पवित्र सन्दूक कहलाया जाता है। पुराने नियम के इतिहास में वाचा के सन्दूक के मुताबिक अनेक घटनाएं लिखी हैं। ये वाचा के सन्दूक के महत्व के बारे में जान...
बाइबल की भविष्यवाणी में से हर एक पिछले समय संपूर्ण रूप से पूरी हुई है, और अब, इस समय भी पूरी होती जा रही है। कुछ भविष्यवाणी भी, जो अब तक पूरी नहीं हुई, थोड़ी ही देरी में परमेश्वर की योजना के अनुसार पूरी हो जाएगी। अब, हमारे सामने बची हुई एक सब से महत्वपूर्ण भविष्यवाणी यह है कि यरूशलेम की महिमा पूरे विश्व में सारे लोगों में फैल जाएगी। यद्यपि यह भविष्यवाणी बाइबल में लिखी है, तो भी यदि कोई यह पूरी होने के लिए परमेश्वर से विनती नहीं करेगा और कोशिश नहीं करेगा, तो भविष्यवाणी के पूरी होने के लिए बहुत देर हो जाएगी, और उसे उस महिमा में, जो हमें देने की प्रतिज्ञा की गई, भाग लेना मुश्किल होगा। आशा है कि सिय्योन की प्रजा, आप स्वर्ग क...
परमेश्वर के मानव जाति को बाइबल देने का मकसद उनके आत्माओं का उद्धार देना है। बाइबल हमें उद्धार पाने के लिए बुद्धि देती है।(1पत 1:9, 2तीम 3:15–17 संदर्भ) परमेश्वर पर पूरी लगन से विश्वास करने पर भी, यदि कोई उद्धार का रास्ता न जानने से उद्धार न पा सके, तो वह बहुत अभागा आदमी होगा। आत्माओं का उद्धार पाने के लिए, बाइबल को, जिसमें परमेश्वर का वचन है, सही रूप से समझना और महसूस करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर ने बाइबल में उद्धार का रास्ता बताया है। यह ही हमारे बाइबल को यत्न सहित पढ़ने का कारण है। मार्ग, सत्य और जीवन परमेश्वर ही है परमेश्वर ने प्रत्येक युग में नबी के द्वारा अपना वचन सुनाया था। मूसा के समय, उसने सीनै पर्वत पर उतर क...
बाइबल परमेश्वर के बारे में साक्षी देने की पुस्तक है, अर्थात् यह एलोहीम परमेश्वर, यानी पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर की साक्षी देती है। बाइबल की 66 पुस्तकें न केवल पिता परमेश्वर की साक्षी देती है, बल्कि ये माता परमेश्वर के बारे में सत्य की साक्षी, आदम व हव्वा के बीच संबंध, इब्राहीम परिवार का इतिहास, नई यरूशलेम की भविष्यवाणी, आदि के द्वारा देती हैं। मसीह पिता और माता जानना बाइबल में सब से बड़ा रहस्य है, पर बाइबल कहती है कि लोगों की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर(शैतान) ने अन्धा कर दिया है कि वे मसीह के तेजोमय सुसमाचार की ज्योति को, न देख सकें।(2कुर 4:4) जिन्होंने मसीह के लहू से छुटकारा पाया है, केवल वे ही परमेश्वर से समस्त ज...
पिछले समय को देखते हुए, हम महसूस कर सकते हैं कि जैसे हम ने शारीरिक माता से प्रचुर प्रेम पाया है, वैसे ही हम ने आत्मिक माता से अगम्य प्रेम पाया है। चाहे हमारी शक्ति कमी हो और हमारे पास कुछ भी नहीं हो, तो भी स्वर्गीय माता हमें चुन कर अनन्त स्वर्ग के राज्य में हमारी अगुवाई करती है। हम इस अनुग्रह के लिए सच्चे दिल से धन्यवाद देते हैं। प्रेम के साथ अनुकूल स्थिति व जरूरी चीजों को देते हुए, माता हमेशा हमारे साथ रहती है। अब इस क्षण भी, माता हम पर, जिन्हें बहुत चीजों में कमी होती है, विश्वास करते हुए और हमें सांत्वना देते हुए, अनन्त स्वर्ग तक हमें ले जा रही है। इस समय, आइए हम फिर से माता के प्रेम को बाइबल के द्वारा समझें। परम...
‘द प्रिन्स ऑफ़ ईजिप्त’ कार्टून में ऐसी बातचीत है, “मरुस्थल में सोने से कहीं अधिक पानी मूल्यवान है, और भटकती भेड़ के लिए राजा से कहीं अधिक चरवाहा मूल्यवान है।” यह बात सच्च है। यदि कोई भेड़ भटकती है, तो उस भेड़ के लिए सब से आवश्यक क्या होगा? चरवाहा है, जो उसका मार्गदर्शन कर सकता है। जब सूखे में एक बूंद पानी भी नहीं रहता, तो सोने की क्या जरूरत है? और अधिकार का क्या मतलब है? सब बेकार है। जीवित प्राणी पानी के बिना नहीं रह सकता। हमारा आत्मिक जीवन भी वैसा ही है। यदि हमें परमेश्वर के सत्य का वचन, यानी जीवन का जल, प्रदान नहीं किया जाए, तो हम आत्मिक सूखे में भूखे-प्यासे होंगे, अत: अनन्त विनाश पाएंगे। आज, पूरा विश्व आत्मिक सूखे में...
जैसा वचन है, ‘विश्वास तो आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय है।’, सिय्योन के परिवार ने, जो भविष्यवाणी पर सम्पूर्ण विश्वास करता और परमेश्वर के राज्य की अभिलाषा करता है, सारे संसार में यरूशलेम माता की महिमा दिखाई है, जिसके परिणाम-स्वरूप अनेक आत्माएं सिय्योन में वापस आ रही हैं। यदि हम पिता और माता पर गर्व महसूस करते और उनकी महिमा प्रकट करते हैं, तब पिता और माता हमें बहुतायत में आशीषित नतीजा देंगे। इस बार हम फसह के बलिदान का अर्थ हमारे दिल को लगाते हुए, परमेश्वर के मांस और लहू के विषय में साथ विचार करने का समय लेंगे। माँ जिसने अपने मांस और लहू से बच्चे को बचाया यह घटना तब हुई जब रूस में बड़े भूकंप से पूरा गांव मिट्टी में गाड़ा ...