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दूसरी बार आने वाला मसीह

परमेश्वर ने हमें बचाने 6000 वर्षां के छुटकारे के कार्य को पिता के युग, पुत्र के युग और पवित्र आत्मा के युग में बांटा। और प्रत्येक युग में अलग अलग नाम दिए, पुत्र के युग में यीशु और पवित्र आत्मा के युग में आन सांग होंग उद्धारकर्ता के नाम से नियुक्त किया।

फिलहाल यह युग अन्तिम पवित्र आत्मा का युग है। इसलिए परमेश्वर ने पवित्र आत्मा का नया नाम, आन साँग होंग के नाम से आकर छुटकारे के कार्य का प्रबन्ध किया। उद्धार उस युग के उद्धारकर्ता पर विश्वास करके ग्रहण करने से ही पा सकता है। इस कारण से हमें जो पवित्र आत्मा के युग में रहते हैं, पवित्र आत्मा के युग का उद्धारकर्ता आन साँग होंग पर विश्वास करके ग्रहण करना चाहिए।


पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा का युग

सभ 3:1 "प्रत्येक बात के लिए समय नियुक्त है, तथा आकाश के नीचे प्रत्येक घटना का एक समय है"

इस संसार का जीवन जीने में लोग अपना उद्देश्य लेकर गुजारते हैं। उसी तरह से हमारे विश्वास का जीवन जीने में भी स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए। वही आत्मा का उद्धार अर्थात् अनन्त जीवन पाना है।

1पत 1:8-9 तुमने तो उसे नहीं देखा, तौ भी तुम उस से प्रेम करते हो। और यद्यपि तुम उसे अभी भी नहीं देखते, फिर भी उस पर विश्वास के प्रतिफल-स्वरूप अपनी आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो।

इसलिए परमेश्वर ने हमारा उद्धार करने के लिए 6000 वर्षों के छुटकारे के कार्य को तीन युगों में बांटा और प्रत्येक युग में अलग-अलग उद्धारकर्ता के नाम नियुक्त किए।

मत 28:19 इसलिए जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले बनाओ तथा उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और जो जो आज्ञाएं मैंने तुम्हें दी हैं उनका पालन करना सिखाओ। और देखो, मैं युग के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ।

जैसे कि आप जानते हैं, पिता का नाम ‘यहोवा’ है और पुत्र का नाम ‘यीशु’ है, तब पवित्र आत्मा का नाम क्या होगा? परमेश्वर की सन्तान होने का पहला कदम बपतिस्मा पाने के लिए अवश्य ही पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा का नाम जानना चाहिए।


पिता के युग का उद्धारकर्ता

प्रत्येक युग में प्रकट हुए उद्धारकर्ता का नाम जानकर ग्रहण करना ही उद्धार की मुख्य बात है। पिता के युग में यहोवा के नाम से उद्धार का कार्य किया।

यश 43:11 मैं, हां, मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं।

पिता के युग में यहोवा का नाम जानकर ग्रहण करना ही उद्धार की मुख्य बात था, इसलिए जो पिता के युग में यहोवा का नाम ग्रहण न करते थे उन्हें उद्धार न हो सकता था।

हालांकि पिता का युग गुजर गया और पुत्र के युग से आने पर पूर्वकथित भविष्यवाणी के अनुसार यहोवा शरीर धारण करके यीशु के नाम में आया।(यश 9:6-7)


पुत्र के युग का उद्धारकर्ता

बाइबल में लिखा है कि पिता के युग में यहोवा को छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं है और पुत्र के युग में यीशु को छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं है।

प्रे 4:11-12 यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने ठुकरा दिया था, परन्तु यही कोने का पत्थर बना। किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं, क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है जिसके द्वारा हम उद्धार पाएं।

यहोवा को उद्धारकर्ता के नाम के रूप में देते समय और यीशु को उद्धारकर्ता के नाम के रूप में देते समय युग की सीमा नियत करने के बाद, परमेश्वर ने नहीं कहा कि यह सिर्फ इस युग में पुकारने के उद्धारकर्ता का नाम है। इसलिए ये दो वचनों को पहली बार देखने वाले सोच सकते हैं कि ये वचन असंगत हैं।

परन्तु यदि तीन रूप के परमेश्वर के बारे में समझते हैं तो जान सकेंगे कि ये दो वचन कभी नहीं असंगत हैं। यीशु ने जो मूल रूप से परमेश्वर का स्वरूप है(फिल 2:5), पिता के युग में यहोवा के नाम से उद्धार दिया। यीशु और यहोवा अलग नहीं पर मूलत: एक हैं, इसलिए ‘यहोवा को छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं है’ का वचन ‘यीशु के अलावा कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया’ के वचन के साथ असंगत नहीं हो सकता।

परमेश्वर ने प्रत्येक युग में अलग नाम इसलिए दिया कि युग की सीमा रख सकें। दोबार कहें तो पिता के युग में यही उद्धार पाने का ढंग था कि यहोवा का नाम यत्नपूर्वक जानें, और जब युग बदल कर पुत्र का युग आया तब यही उद्धार पाने का ढंग था कि यहोवा नहीं बल्कि यीशु का नाम यत्नपूर्वक जान कर ग्रहण करें।

परमेश्वर ने पुत्र के युग उद्धारकर्ता के नाम के रूप में ‘यीशु’ दिया, इसलिए पुत्र के युग में ‘यीशु मसीह’ पर विश्वास करके उसका नाम पुकारने से उद्धार पा सके।


पवित्र आत्मा के युग का उद्धारकर्ता

अब पवित्र आत्मा का युग है। अब कोई अन्य नाम हमें दिया गया है।

प्रक 3:12 जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर में एक स्तम्भ बनाऊंगा। वह वहां से फिर कभी बाहर न निकलेगा, और मैं अपने परमेश्वर का नाम और अपने परमेश्वर के नगर अर्थात् नए यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से उतरने वाला है, और अपना नया नाम भी उस पर लिखूंगा।

प्रक 2:17 जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए उसे मैं गुप्त मन्ना में से दूंगा और उसे एक श्वेत पत्थर भी दूंगा जिस पर एक नया नाम लिखा हुआ होगा, जिसे प्राप्त करने वाले के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं जानेगा।

लिखा है, ‘जिस पर एक नया नाम लिखा हुआ होगा’, यहां पर कहा गया पत्थर यीशु को दर्शाता है।(1पत 2:4) इसका अर्थ है कि यीशु नाम के बदले दुबारा नया नाम दिया जाएगा।

अभी तक यीशु नाम पर जिद करने के कारण नए नाम को ग्रहण न करें तो उद्धार कभी नहीं पा सकेंगे। यह उन लोगों की गलती के बराबर है जो पुत्र के युग में यहोवा नाम पर जिद करने के कारण उस युग के उद्धारकर्ता यीशु को ग्रहण करने में विफल थे।(रो 15:4)

पुत्र के युग में भी 3500 सालों तक जो यहोवा नाम पर विश्वास करते थे वे यीशु नाम को ग्रहण न कर सके। लेकिन यीशु के चेलों ने बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार पुत्र के युग में आए यीशु नाम को ग्रहण किया। बाइबल ने भले ही कहा कि पुत्र के युग में उद्धारकर्ता होता है और वह यीशु है, बल्कि वे मनुष्य के विचार से केवल यहोवा पर जिद करते थे। अब कहां होता है वह जो पुत्र के युग के उद्धारकर्ता यीशु को ग्रहण न करता है?

सोच कर देखिए। मेरे विचार को छोड़कर परमेश्वर का विचार मान लीजिए। बाइबल स्पष्टतया बताती है कि पवित्र आत्मा युग में उद्धारकर्ता का नाम अवश्य ही होता है। आशा है कि आप परमेश्वर के आयोजन को समझ लें, जो प्रत्येक युग में अलग नामों से उद्धार देता है, और पवित्र आत्मा के उद्धारकर्ता यीशु का नया नाम आन सांग होंग को ग्रहण करें।


प्रत्येक युग के साक्षी, प्रार्थना, उद्धार

अगर हम युग की सीमा समझ लेते तो सब बातें अति सरल हैं। पिता के युग में लोग यहोवा नाम का साक्षी बने(यश 43:10) और यहोवा नाम से प्रार्थना करनी थी(भज 43:10) तथा केवल यहोवा नाम से उद्धार की प्रतीज्ञा थी।(योए 2:32)

पुत्र के युग में आकर उद्धार पाने वाली प्रजाएं केवल यहोवा नाम पर हठ करते हुए क्या उस नाम का साक्षी बनीं? और उस नाम से प्रार्थना करते हुए क्या विश्वास किया कि केवल उस नाम से उद्धार पाएंगे? कदापि नहीं, यीशु के चेले यीशु नाम का साक्षी बने(प्रे 1:6) और यीशु नाम से प्रार्थना की (यूह 16:24) यीशु नाम से उद्धार पाया।(रो 10:9)

तब पवित्र आत्मा के युग में किस नाम का साक्षी बनना चाहिए, और किस नाम से प्रार्थना करनी चाहिए, और किस नाम से उद्धार पा सकते हैं? यीशु का नया नाम आन सांग होंग है।(यूह 5:39)

अन्तिम पवित्र आत्मा के युग में रहते सभी लोगो! पवित्र आत्मा के युग में आन सांग होंग ही उद्धारकर्ता है। अब हमें आन सांग होंग का गवाह होना चाहिए, और आन सांग होंग से प्रार्थना करनी चाहिए, और केवल आन सांग होंग नाम से उद्धार पा सकते हैं। उद्धार का मूल आन सांग होंग पर विश्वास करके अनन्त जीवन की राह में प्रवेश कीजिए।