अगर हम ईसाइयों को पूछते, ‘क्या आप उद्धार पा चुके हैं?’ तो वे तुरन्त कहते, ‘हां, बिल्कुल’ लेकिन अगर हम पूछते, ‘क्या फसह मना रहे हैं?’ तो प्राय: वे सिर हिलाते हैं। वास्तव में हम बिना फसह जाने नहीं बोल सकते कि मैं उद्धार पा चुका हूं। चर्च ऑफ गॉड जो आन सांग होंग को विश्वास करता है जिसने फसह जिसे यीशु ने स्वयं मनाकर नमूना दिया, फिर से पुन: स्थापित किया, सारे विश्व में अनन्यता से(पवित्र कैलंडर शाम 14 जनवरी, लैव 23:4) फसह मनाता है। फसह सबसे महत्वपूर्ण नियमों में से एक है जो मानवजाति को परमेश्वर ने दिया, क्योंकि सारी मानवजाति के पापों की क्षमा और अनन्त जीवन की आशीष की फसह से प्रतिज्ञा की गई हैं।
और फसह हमें विपत्तियों से बचाने का दिन है। पुराने नियम में भी प्रत्येक युग के अनुसार उनका नतीजा बिल्कुल अलग था जिसने फसह मनाया और जिसने फसह न मनाया। दूसरे शब्द में अगर फसह न मनाता तो न पापों की क्षमा और न अनन्त जीवन की आशीष है, इसके सिवाय हम अन्तिम परमेश्वर की निश्चित विपत्ति से भी उद्धार न पाएंगे। चर्च ऑफ गॉड जो बाइबल की भविष्यवाणी को विश्वास करता है, प्रथम चर्च का सत्य फसह का पर्व बहुमूल्यता से मनाता है।
फसह का उद्गम
इस्राएली जो 430 सालों तक मिस्र में दासत्व का जीवन गुजारते थे उन्हें मुक्त करने परमेश्वर ने मूसा को चुना और तैयार प्रयोजन को कार्यान्वित किया।
जब मूसा 80 उम्र का था, परमेश्वर की बुलाहट पर वह फिरौन के सम्मुख जाकर निवेदन किया कि इस्राएली को छोड़ दे। पर मिस्र का फिरौन परमेश्वर का विरोध करके सब इब्रियों को परेशान करने लगा। परमेश्वर क्रोधित हुआ और निर्णय किया कि मिस्र में विपत्ति भेजें। पहली विपत्ति सारे पानी को लहू में बदलना थी। और उसके बाद मेंढक की महामारी, मच्छड़ों की महामारी,... घोर अन्धकार की महामारी तक नौ प्रकार की महामारी भेजी। परन्तु फिरौन का मन दिन प्रतिदिन कठोर होता गया। उसने परमेश्वर की प्रजाओं को मुक्त करने का अस्वीकार किया। इसका कारण था कि परमेश्वर ने मिस्र का न्याय करने फिरौन का मन कठोर बना दिया। परमेश्वर ने दसवीं विपत्ति में तय किया कि मिस्र के सभी पहलौठे और पशुओं के पहलौठों को मार डाले। और 14 जनवरी (बाइबल कैलंडर) को इसे लागू करने के दिन के रूप में नियुक्त किया। लेकिन परमेश्वर ने न चाहा कि मिस्री पहलौठों के साथ इस्राएली पहलौठे मर जाएं। उसने इस्राएलियों को अलंगों तथा चौखट के ऊपरी भाग पर एक साल के मेमने का लहू लगाने की आज्ञा दी।
निर्ग 12:1-14 ... तुम्हारी मेमना निर्दोष और एक वर्ष का नर हो।... उसे इसी महीने के चौदहवें दिन तक रख छोड़ना, तब इस्राएल की मण्डली के सब लोग गोधूलि के समय उसे वध करें।... तुम उसे इस प्रकार खाना: तुम अपनी कमर बान्धे, अपनी जूतियां पांव में पहने, और अपनी लाठी हाथ में लिए हुए उसे फुर्ती से खाना-यह यहोवा का पर्व है।... और जिन घरों में तुम रहते हो उन पर वह लहू तुम्हारे निमित्त चिह्न ठहरेगा, और मैं उस लहू को देखकर तुम्हें छोड़ता जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश को मारूंगा तो वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और न ही तुम नाश होगे। वह दिन तुम्हारे लिए एक स्मृति-दिवस ठहरेगा और तुम उसे यहोवा के लिए पर्व करके मानना। वह दिन तुम्हारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी में सदा की विधि ठहरकर पर्व माना जाए।
मेमने का लहू परमेश्वर की प्रजा का चिन्ह था। विपत्ति भेजने वाले स्वर्गदूत देखते तो उस घर को छोड़ते गए। इसलिए वह दिन फसह(Passover :विपत्ति पार होती है) कहलाया। उस दिन इस्राएलियों ने सब यात्रा की तैयारी करके फसह मेमने का मांस आग में भून कर खाते और उस लहू को लगाते इन्तजार किया। हर कहीं विलाप की आवाज सुनाई दी। मिस्र के सभी पहलौठे मर गए और फिरौन का पहलौठा भी मर गया। फिरौन ने रात को मूसा और हारून को बुलाया और चाहा कि वे मिस्र से चले जाएं। मिस्र बहुत दिनों विभिन्न विपत्तियों से परेशान थे, इसलिए उन्होंने अपनों के पास सोने, चांदी, कपड़ें भी इस्राएलियों को देते जल्द से जल्द उनका निकल जाना चाहा। फसह उस दिन है जिस दिन परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्र के बन्दी से छुड़ाया। यह दिन परछाई है जो दिखाती है कि नए नियम के समय भी विपत्ति से बचाए जाने के लिए केवल फसह का पर्व मनाना है जिस दिन पापों से छुड़ाए गए थे।
फसह से अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा
अनन्त जीवन जिसकी अभिलाषा सभी मानव जाति करता है वह कोई न दे सकता। मिस्र से निकलते समय जैसे परमेश्वर ने इस्राएलियों को उद्धार दिया वैसे हमें जीवन का वृक्ष, उद्धार देने वाला केवल परमेश्वर है।
1यूह 5:20 हम जानते हैं कि परमेश्वर का पुत्र आ चुका है, कि हम उसे जो सत्य है जान सकें, और हम उसमें हैं जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में। यही सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन है।
तब परमेश्वर हमें किस तरीके से जीवन देगा? मिस्र से निकलने समय वह तरीक फसह के पर्व के मेमने से दर्शाए गए मसीह के लहू द्वारा दिया गया।
यूह 6:53 यीशु ने उनसे कहा, "मैं तुमसे सच सच कहता हूं, जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ और उसका लहू न पियो, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसका है, और मैं अन्तिम दिन में उसे जिला उठाऊंगा। मेरा मांस तो सच्चा भोजन है और मेरा लहू सच्ची पीने की वस्तु है।"
यीशु ने प्रतिज्ञा की कि फसह की रोटी यीशु का मांस है और फसह का दाखमधु यीशु का लहू है।
मत 26:17-28 तब यीशु की आज्ञा के अनुसार चेलों ने फसह की तैयारी की।... जब वे भोजन कर रहे थे, यीशु ने रोटी ली और आशिष मांगकर तोड़ी और चेलों को देकर कहा, "लो, खाओ; यह वाचा का मेरा वह लहू है जो बहुत लोगों के निमित्त पापों की क्षमा के लिए बहाया जाने को है।"
फसह के द्वारा हम यीशु का मांस और लहू इस कारण से लेते हैं कि यीशु जो जीवन है उसने फसह पर वचन से वादा दिया कि जो खाते और पीते वे अनन्त जीवन पाएंगे। यीशु ने कहा, "मैं तुमसे सच सच कहता हूं, जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ और उसका लहू न पियो, तुम में जीवन नहीं।" (यूह 6:53) यदि फसह न मनाता तो कैसे अनन्त जीवन जिसकी प्रतिज्ञा की गई पा सकता? और यीशु ने फसह को संकेत करके कहा कि यह नई वाचा है।
लूक 22:7-20 तब अख़मीरी रोटी के पर्व का वह दिन आया जिसमें फसह का मेमना बलि करना पड़ता था।... जब समय हुआ तो यीशु भोजन करने बैठा और प्रेरित भी उसके साथ बैठे। उसने उनसे कहा, "अपने दुख उठाने से पूर्व मेरी बड़ी अभिलाषा थी कि मैं तुम्हारे साथ फसह खाऊं... " फिर रोटी लेकर जब उसने धन्यवाद दिया तो उसे तोड़कर उनको दिया और कहा, "यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है; मेरी स्मृति में ऐसा ही किया करो।" जब वे खा चुके तो उसी प्रकार उसने प्याला लेकर कहा, "यह प्याला जो तुम्हारे लिए उण्डेला गया है मेरे लहू में एक नई वाचा है।"
यीशु ने नई वाचा फसह द्वारा हम से अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा की।
फसह से पाप से छुटकारा
पाप से खोए हुए स्वर्ग की आशीष फिर पाने के लिए अवश्य ही ‘पाप की क्षमा’ की आशीष साथ साथ पानी है। फसह परमेश्वर का सत्य है जिससे हम पाप की क्षमा पाकर स्वर्ग वापस जा सकते हैं।
लूक 4:17-21 यशायाह नबी की पुस्तक उसे दी गई।... उसने मुझे भेजा है कि मैं बन्दियों को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का संदेश दूं ... वह उनसे कहने लगा, "आज यह लेख तुम्हारे सुनते हुए पूरा हुआ।"
कोई पूछता है कि यहां किस से बन्दी हो गया है? यीशु ने अपने पवित्र लहू, अर्थात् फसह मेमने के लहू द्वारा पाप से और शैतान के अधिकार से अपनी प्रजाओं को छुड़ा लिया और स्वतन्त्रता दी।
रो 6:22 परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम्हें यह फल मिला जिसका परिणाम पवित्रता और जिसका अंत अनन्त जीवन है।
निर्गमन के समय 1 वर्ष के मेमने के लहू द्वारा इस्राएलियों ने मिस्र से छुटकारा पाकर जंगल में प्रवेश किया। यह घटना बताती है कि नए नियम के युग में जो फसह के मेमने यीशु का मांस खाता और उसका लहू पीता है वह पाप के दलदल से छुड़ाया जाकर विश्वास के जीवन के जंगल में प्रवेश करेगा।(1कुर 10:1-12 संदर्भ)
अन्तिम विपत्ति और फसह
मत 24:37-39 मनुष्य के पुत्र का आना ठीक नूह के दिनों के समय होगा। क्योंकि जलप्रलय के पूर्व के दिनों में जिस प्रकार नूह के जहाज़ में प्रवेश करने के दिन तक लोग खाते-पीते रहे, और उनमें ब्याह-शादियां हुआ करती थीं, और जब तक जलप्रलय उनको बहा न ले गया वे इसे समझ न सके, उसी प्रकार मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा।
1थिस 5:1-3 अब हे भाइयो, इस बात की आवश्यकता नहीं कि समयों या कालों के विषय में तुम्हें कुछ लिखा जाए। क्योंकि तुम स्वयं भली-भांति जानते हो कि जैसे रात्रि में चोर आता है, वैसे ही प्रभु का दिन भी आएगा। जब लोग कह रहे होंगे, "शान्ति और सुरक्षा है," तब जैसे गर्भवती स्त्री पर सहसा प्रसव पीड़ा आ पड़ती है, वैसे ही उन पर भी विनाश आ पड़ेगा, और वे बच न सकेंगे।
इस समय अत्यावश्यक यह है कि हम उद्धार के समाचार को सुनें। कोई उद्धार के समाचार पर विश्वास न करके धन खर्च करते हुए अपने लिए तलघर बनाता या रॉकेट के द्वारा दूसरे ग्रह पर चला जाता या परमाणु पनडुब्बी के द्वारा उत्तरध्रुवीय सागर के नीचे छिप जाता हो, ताकि वो अपने विचार से बच सके, तो भी उसके लिए नबी का लेख है कि इन सबके द्वारा वह थोड़े समय तक विपत्ति से बच तो सकता है, परन्तु सदा के लिए उसका जीवन नहीं बच पाएगा।
आम 9:2-4 चाहे वे खोदकर अधोलोक में घुस जाएं, वहां से भी मेरा हाथ उन्हें खींच लाएगा, और चाहे वे आकाश पर चढ़ जाएं, वहां से मैं उन्हें उतार लाऊंगा। चाहे वे कर्मेल की चोटी पर छिप जाएं, मैं उन्हें वहां से ढूंढ़ कर ले आऊंगा; चाहे वे मेरी दृष्टि से समुद्रतल में अपने आपको छिपा लें, वहां मैं सर्प को आज्ञा दूंगा और वह उन्हें डस लेगा। चाहे वे शत्रुओं के आगे आगे बन्धुवाई में ले जाए जाएं, वहां मैं तलवार को आज्ञा दूंगा कि उन्हें घात करे। भलाई के लिए नहीं, परन्तु बुराई ही के लिए मैं उन पर दृष्टि करूंगा।"
मनुष्य के तरीके का प्रयोग करने के बजाए अब समय आ गया है कि परमेश्वर के अनुशासन के अनुसार, बाइबल की भविष्यवाणियों के आधार पर उद्धार के तरीके का अध्ययन करके उसी मार्ग पर चलें। जो भविष्यवाणी पर विश्वास करते हैं उन्हें बचाने के लिए परमेश्वर ने पुराने इतिहास को एक छाया के रूप में दिखाया है। यह इस प्रकार है।
निर्ग 12:12-14 "क्योंकि उस रात्रि को मैं मिस्र देश में से होकर निकलूंगा और मिस्र देश के क्या मनुष्य और क्या पशु दोनों के पहलौठों को मारूंगा तथा मिस्र के सब देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा-मैं यहोवा हूं। और जिन घरों में तुम रहते हो उन पर वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और न ही तुम नाश होगे, वह दिन तुम्हारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी में सदा की विधि ठहरकर पर्व माना जाए।"
इब्रानियों 11:28 में लिखा है, "विश्वास ही से उसने फसह के पर्व और लहू छिड़कने की विधि को माना, जिससे कि वह जिसने पहिलौठों का नाश किया, उन्हें छूने न पाए।" इस शब्द का अर्थ है, कोई भी विपत्ति उन पर न आई जिन्होंने फसह के पर्व का पालन किया, क्योंकि फसह के मेमने का लहू उनके लिए एक चिह्न बना। अब अन्तिम दिन में इस पापमय संसार में अन्तिम विपत्ति उड़ेली जाएगी। उस समय कौन इस विपत्ति से बच सकेगा ? वही है जिसने फसह मनाकर यीशु का लहू लगाया है। फसह की सामर्थ्य तब प्रकट होगा जब अन्तिम विपत्ति आएगी। अन्तिम विपत्ति आते समय जिसने फसह नहीं मनाया उसे परमेश्वर का महान् क्रोध और सजा मिलेगी और फसह न मनाने को बहुत पछताएगा।
जिसने नई वाचा फसह को पुन: स्थापित किया, आन सांग होंग जी
इतना महत्त्वपूर्ण और मूल्यवान नई वाचा फसह 325 ई. में निकेया धर्म-परिष्द में मिटा गया। इसके पश्चात् इस संसार में फसह लापता हुआ। फसह के मिट जाने पर कौन संसार में उद्धार पा सकेगा? इसलिए परमेश्वर ने वादा दिया कि मिटा गया फसह फिर स्थापित करने यीशु दूसरी बार आएगा।
इब्र 9:28 वैसे ही मसीह भी, बहुतों के पापों को उठाने के लिए एक बार बलिदान होकर, दूसरी बार प्रकट होगा। पाप उठाने के लिए नहीं, परन्तु उनके उद्धार के लिए जो उत्सुकता से उसके आने की प्रतीक्षा करते हैं।
यश 25:6-9 सेनाओं का यहोवा इस पर्वत पर समस्त जातियों के लिए विशाल भोज का प्रबन्ध करेगा; इस भोज में पुरानी मदिरा, उत्तम से उत्तम चिकना भोजन तथा निथरी हुई पुरानी मदिरा होगी। और वह इसी पर्वत पर सब जातियों के लोगों पर पड़े पर्दे को, हां, सब देशों पर डाले गए घूंघट को हटा देगा। वह मृत्यु को सदा के लिए निगल लेगा,... उस दिन उसके लोग इस प्रकार कहा जाएगा, "देखो, यह हमारा परमेश्वर है जिसकी बाट हम जोहते आए हैं कि वह हमारा उद्धार करे। यही यहोवा है जिसकी हम बाट जोहते आए हैं: आओ, हम उसके किए हुए उद्धार के कारण आनन्द मनाएं और मग्न हों"
आन सांग होंग जी जिसने नई वाचा फसह को पुन:स्थापित किया वह भविष्यवाणी के अनुसार आया दूसरी बार आने वाला मसीह अर्थात् परमेश्वर है। नई वाचा फसह जिसे प्रथम चर्च के संतों ने मूल्यवान रूप से मनाया उसे आन सांग होंग ने दूसरी बार आकर हमारे लिए पुन:स्थापित किया जो अपनी आंखों के सामने आई अन्तिम विपत्ति का इन्तजार करते हैं। सचमुच फसह अति मूल्यवान और पवित्र रीति से मनाना चाहिए।