पुनरुत्थान का दिन जिस दिन यीशु मृत्यु से जी उठा, परमेश्वर की महासामर्थ्य की स्मृति करने का दिन है। पुराने समय यह दिन प्रथम फल का पर्व कहलाता था। यह परमेश्वर का पवित्र पर्व है जो अख़मीरी रोटी के पर्व के बाद पहले सब्त के अगले दिन (रविवार) में मनाया जाता है। (लैव 23:9-14) चर्च ऑफ गॉड जो बाइबल की शिक्षा का एक भी हटाए बिना पालन करता है, इस दिन अन्य चर्चों के समान उबला हुआ अंडा नहीं खाता की जो गैर-ईसाई की परम्परा है और बाइबल की शिक्षा नहीं है, परन्तु बाइबल में लिखे ठीक समय पर पुनरुत्थान का दिन रोटी बांटते हुए, जो आत्मिक आंखों को खोलती है, मनाता है।
बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार आए मसीह आन सांग होंग ने जैसा सिखाया वैसा ही पुनरुत्थान का दिन बाइबल द्वारा ठीक समझते हुए मनाता है।
प्रथम फल के पर्व की शुरूआत
इस्राएली मिस्री सैनिकों से पीछा किए जाते हुए बहुत घबराए और डरे रहे, लेकिन परमेश्वर की सुरक्षा में इस्राएली लाल समुद्र से होकर गए। किंतु मिस्री सैनिक जो उनका पीछा करते हुए चले आ रहे थे, विभाजित किया गया समुद्र ज्यों का व्यों होते ही वे सब लाल समुद्र में डूब गए। इस आश्चर्य महासामर्थ्य की स्मृति करने के लिए परमेश्वर ने उन्हें आज्ञा दी कि जिस दिन वे लाल समुद्र से उतरे वो दिन प्रतिवर्ष एक स्मृति-दिवस ठहरे। यही प्रथम फल के पर्व की शुरूआत है। (निर्ग 14:26-31)
प्रथम फल के पर्व की विधियां
प्रथम फल का शब्द स्वयं हमें पर्व का अर्थ बताता है। इस दिन इस्राएलियों ने फसल के पहले फलों का एक पूला याजक के पास लाया, और याजक ने इसे परमेश्वर की ओर ग्रहण किए जाने के लिए सब्त के अगले दिन (रविवार) हिलाया। (लैव 23:9-11)
नए नियम में इसी दिन हम्माऊस को जाते दो चेलों को यीशु ने धन्यवाद देकर रोटी दी, तभी उनकी आत्मिक आंखें खुल गईं और उन्होंने उसे पहिचान किया। (लूक 24:13-35)
प्रथम फल के पर्व की भविष्यवाणी और पूर्णता
यहोवा ने याजक को आज्ञा दी कि फसल के पहले फलों का एक पूला उसके समक्ष ग्रहण किए जाने के लिए सब्त के अगले दिन (रविवार) हिलाए।
लैव 23:10-12 इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में जिसे मैं तुम्हें देने पर हूं प्रवेश करो और उसमें की फसल काटो, तो तुम अपनी फसल के पहले फलों का एक पूला याजक के पास लाना। और वह उस पूले को यहोवा के सामने हिलाए कि वह तुम्हारे लिए ग्रहण किया जाए। याजक उसे सब्त के अगले दिन हिलाए।
यहां पहली फसल (प्रथम फल) यीशु मसीह को दर्शाता है। जो सोए हुए थे उनमें यीशु पहले फल के रूप में जिलाया गया। इससे उसने प्रथम फल के पर्व की भविष्यवाणी को पूरी की।
1कुर 15:20 पर अब मसीह तो मृतकों में से जिलाया गया है, और जो सोए हुए हैं उनमें वह पहला फल है।
प्रथम फल के पर्व की भेंट, पहली फसल का एक पूला सब्त के अगले दिन यानी रविवार में परमेश्वर के सामने चढ़ाया जाता था। पहला फल मसीह को दर्शाता है। इसलिए यह अवश्य है कि जिस दिन यीशु मृत्यु से जी उठा उस दिन रविवार (सब्त का अगला दिन) होना चाहिए।
मर 16:2-6 और सप्ताह के पहिले दिन सुबह सुबह सूर्योदय होते ही वे कब्र पर आईं। वे आपस में कह रही थीं, "कौन हमारे लिए कब्र के द्वार से पत्थर हटाएगा?" तब उन्होंने आंखें उठाकर देखा कि पत्थर बहुत बड़ा होने पर भी दूर लुढ़का हुआ है। कब्र में प्रवेश करने पर उन्होंने एक युवक को श्वेत वस्त्र पहिने दाहिनी ओर बैठे देखा; और वे चकित हुईं। उसने कहा, "चकित मत हो। तुम यीशु नासरी को जो क्रूस पर चढ़ाया गया था, ढूंढ़ रही हो। वह जी उठा है, यहां नहीं है। देखो, यही वह स्थान है जहां उन्होंने उसे रखा था।"
प्रथम फल का पर्व पुनरुत्थान के दिन की छाया है। जिस प्रकार प्रथम फल का पर्व सब्त के अगले दिन(रविवार) मनाया जाता था उसी प्रकार पुनरुत्थान का दिन जिस दिन यीशु जी उठा, भविष्यवाणी की पूर्णता के परिणाम में रविवार को मनाया जाना है। इसलिए प्रथम फल का पर्व अर्थात् पुनरुत्थान का दिन प्रत्येक साल रविवार को मनाया जाता है। यीशु प्रथम फल के पर्व की भेंट बना जो सदा की वाचा, तीन बार में सात पर्वों का है। इसलिए सोए हुओं में से वह पहले फल के रूप में जी उठा।
मत 27:52-53 तथा कब्रें खुल गईं, और सोए हुए बहुत-से पवित्र लोगों के शव जीवित हो उठे। और उसके पुनरुत्थान के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए और बहुतों को दिखाई दिए।
पवित्र लोग जो उन दिनों में सुसमाचार के द्वारा बचाए गए वे कटनी गेहूं की पकी हुई फसल बने थे, और आजकल हम पतझड़ की अंतिम कटनी की पकी होती फसल बनते हैं।(निर्ग 23:16)