नरसिंगों का पर्व, पतझड़ की अंतिम फसलों को एकत्रित करने की कटनी के पर्व का आरंभ है। नरसिंगे फूंककर प्रायश्चित्त के दिन की तैयारी में पवित्र सभा लगाई। पवित्र साल के अनुसार 1 जुलाई में यह मनाया जाता था। (लैव 23:24) चर्च ऑफ गॉड, जैसा आन सांग होंग जी ने मनाने को कहा, उसके वचन में आज्ञाकारी होकर प्रतिवर्ष नरसिंगों का पर्व पतझड़ का पर्व करके मना रहा है, और मानो तुरही जोर से फूंकता है, द्वितीय मसीह आन सांग होंग और परमेश्वर के पर्व का प्रचार साहसपूर्वक करता है।
नरसिंगों के पर्व की शुरूआत
जिस दिन मूसा ने दूसरी बार दस आज्ञाओं की पटियाएं लिए नीचे उतरा उस प्रायश्चित्त के दिन को प्रतिवर्ष न भूलकर गहराई से पाप का पश्चात्ताप करने के लिए परमेश्वर ने लोगों को पश्चात्ताप के दिन से दस दिन पहले नरसिंगे फूँकने की आज्ञा दी। इस्राएली एक साल तक किए हुए पापों को पश्चात्ताप करते हुए और सब अपवित्र चीजों से परे रहते हुए आत्मा और सच्चाई से प्रायश्चित्त के दिन की तैयारी करते थे।
नरसिंगों के पर्व की विधि
इस्राएली इस दिन नरसिंगे फूंके और परमेश्वर को अग्निबलि चढ़ाते थे।
लैव 23:23-25 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "इस्राएलियों से कह कि सातवें महीने का पहला दिन तुम्हारे लिए विश्राम का विशेष दिन हो। उस दिन तुम परिश्रम का कोई काम न करना, परन्तु यहोवा के लिए अग्निबलि चढ़ाना।"
नरसिंगों के पर्व की भविष्यवाणी और पूर्णता
पुराने नियम की सभी बातें आने वाली चीजों की छाया थीं। इसकी वास्तविकता 1834 ई. से लेकर 1844 ई. तक विलीअम मिलर के ‘मसीह के द्वितीय आगमन का आंदोलन’ है। नरसिंगों के पर्व और पश्चात्ताप के दिन के बीच में दस दिन हैं। भविष्यवाणी में दस दिन दस सालों को दर्शाते हैं।(यहेज 4:6) नरसिंगों के पर्व की भविष्यवाणी यीशु के स्वर्गीय पवित्रस्थान में 1844 ई. 22 अक्तूबर अर्थात् 10 जुलाई, प्रायश्चित्त के दिन प्रवेश करने के द्वारा पूरी हुई। इस तरह तीन बार में सात पर्वों की भविष्यवाणियां, एक भी न छूटे, सब पूरी होती हैं।
जैसे ही नरसिंगों के पर्व में तुरही को तेज स्वर में फूंकते थे वैसे यह भविष्यवाणी पूरी करने हेतु ‘मसीह के द्वितीय आगमन का आंदोलन’ उदय होकर तुरही शब्द जैसी प्रचार की ऊंची आवाज पुकारी। 1844 ई. 1 जुलाई से सभी संतों ने परमेश्वर की ओर उत्सुकता से साथ मिलकर प्रार्थना की। परिणाम स्वरूप यीशु ने उन प्रार्थनाओं को लिए 1844 ई. 22 अक्तूबर अर्थात् पवित्र साल के अनुसार 10 जुलाई, प्रायश्चित्त के दिन स्वर्गीय पवित्रस्थान में प्रवेश किया। उस समय परमेश्वर ने विलीअम मिलर को ‘मसीह के द्वितीय आगमन का आंदोलन’ चलाने दिया ताकि अपनी इच्छा पूरी हो जाए। जब हम परमेश्वर की इच्छा को महसूस न करके पूरा नहीं करते तब परमेश्वर अद्भुत तरीके से अपनी इच्छा पूरी करता है। जैसे कि लिखा है:
लूक 19:37-40 "... मैं तुमसे कहता हूं कि यदि ये चुप रहें तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।"
चाहे उन्होंने उस आंदोलन को अनजाने में चलाए रखा, तोभी नरसिंगों के पर्व की भविष्यवाणी की पूरी हुई थी। इसलिए जब हम साथ मिलकर नरसिंगों का पर्व मनाते हैं और इस पर्व से लेकर प्रायश्चित्त के दिन तक दस दिन परमेश्वर को सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं तब धूप का धुआं, हमारी प्रार्थनाएं परमेश्वर के समक्ष पहुंचेंगी।(प्रक 8:3-4) परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर में हम पर महान आशीष प्रचुरता से उण्डेलेगा।