सप्ताहों का पर्व नए नियम में ‘पिन्तेकुस्त’ कहलाता है, जो पहली फसल को हिलाई जाने वाली भेंटों के रूप में यहोवा को चढ़ाने के दिन(प्रथम फल का पर्व) के बाद पचासवें दिन में मनाया जाता है। सप्ताहों का पर्व कहे जाने का कारण यह है कि प्रथम फल के पर्व और पिन्तेकुस्त के बीच में सात सब्त थे। (लैव 23:15-16) परमेश्वर के पर्व पिन्तेकुस्त के दिन को मनाने वाला चर्च संसार में केवल चर्च ऑफ गॉड को छोड़ जिसे आन सांग होंग जी ने स्थापित किया, कोई नहीं है। धर्म के अन्धकार युग में लापता हुए परमेश्वर के पर्व की स्थापना केवल परमेश्वर ही कर सकता है। इसलिए बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार तीन बार में सात पर्वों को पुन:स्थापित करने आए दूसरी बार आने वाले मसीह आन सांग होंग को ग्रहण न करें तो न कोई परमेश्वर का पर्व जान सकता और न ही उसे मना सकता है।
सप्ताहों के पर्व की शुरूआत
लाल समुद्र को पार करने के बाद चालीसवें दिन मूसा पहली बार सीनै पर्वत पर चढ़ा। वहां उसने परमेश्वर की सभी शिक्षाएं सुनीं, और पर्वत से उतरा। उसने परमेश्वर की इच्छाएं लोगों को बताया। दस दिनों के बाद, अर्थात् लाल समुद्र से पार होने के बाद पचासवें दिन मूसा फिर दस आज्ञाएं प्राप्त करने के लिए सीनै पर्वत पर चढ़ा। जिस दिन दस आज्ञाओं को प्राप्त करने सीनै पर्वत पर चढ़ा उस दिन की याद करने के लिए परमेश्वर ने आज्ञा दी कि यह दिन स्मृति-दिवस ठहरे। यही सप्ताहों के पर्व का उद्गम है। (निर्ग 24:1-18)
सप्ताहों के पर्व की भविष्यवाणी और पूर्णता
सप्ताहों का पर्व, अर्थात् पिन्तेकुस्त वह दिन था जिस दिन यीशु के 40 दिनों में स्वर्ग को उठा लिए जाने के बाद, दसवें दिन पवित्र आत्मा बहाया गया, जो पहले चर्च के सुसमाचार के विकास में मूल शक्ति था। (प्रे 2:1-47)
लेकिन, चर्च लौकिक होते ही पवित्र आत्मा का आग ठंडा पड़ गया, अंतत: छीन लिया गया। पहले से पर्व की भविष्यवाणी में यह दिखाई दिया गया। जब मूसा दस आज्ञाओं की दो पटियाएं लिए पर्वत से नीचे उतरा, उसने देखा कि लोग सोने के बछड़े की पूजा करते हैं तब मूसा का क्रोध भड़क उठा और पटियाओं को अपने हाथों से फेंक दिया और पर्वत से नीचे पटक कर टुकड़े टुकड़े कर दिया। यह भविष्यवाणी है कि पिन्तेकुस्त में प्रेरितों को दिया गया पवित्र आत्मा चर्च की भ्रष्टता और लौकिकता के कारण वापस से ले लिया जाएगा।