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संसार में बहुतेरे लोग परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा तो करते हैं, लेकिन यदि वे परमेश्वर के वचन पर सम्पूर्ण रूप से आज्ञाकारी न हों, तो वे सच्चे विश्वासी नहीं हो सकते। हम कभी–कभी मसीहियों में से ऐसे लोग देखते हैं जो परमेश्वर को जानने का दावा करते हैं, परन्तु अपने कार्यों से परमेश्वर का इनकार करते हैं। वे हठ करते हैं कि ‘परमेश्वर का वचन चाहे जैसा हो, तो भी मेरे विचार से ऐसा करना ही बेहतर होगा’। ऐसे लोग परमेश्वर पर विश्वास तो करते हैं, लेकिन परमेश्वर की केवल उस इच्छा का पालन करते हैं जो उन्हें ठीक लगती है, और बाकी परमेश्वर की इच्छाओं को छोड़ देते हैं जो उन्हें ठीक नहीं लगती हैं। वे सिर्फ़ अपनी इच्छा के अनुसार कर्म करते हैं...
“पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से भर जाएगी”(यश 11:9 संदर्भ)। आज, यह आशीषित व महिमामय भविष्यवाणी हर पल सच हो रही है। परमेश्वर की इच्छा यह है कि सभी लोग पश्चाताप करके उद्धार पाएं। इस इच्छा के अनुरूप संसार का उद्धार करने के लिए ‘विश्व उद्धार आंदोलन’ तेज़ किया जा रहा है। तो, आइए हम सोचें कि अब हमें क्या करना चाहिए। बाइबल कहती है कि परमेश्वर के लोग वे हैं जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं।(प्रक 14:12) जब सिय्योन के सदस्य ‘आज्ञा’ शब्द के बारे में सोचते हैं, तो उनके मन में जो पहले आता है वह ‘नई वाचा की व्यवस्था’ है। परमेश्वर की आज्ञाओं में ऐसी व्यवस्थाएं हैं जिनका मसीहियों को नियमित रूप से पालन करना चाहिए, और...
हमें परमेश्वर के पक्ष में होना चाहिए यह लगभग 150 वर्ष पहले हुआ जब अमेरिकी गृहयुद्ध भयंकर हो गया। उस समय, अब्राहम लिंकन ने जिसने दासों की मुक्ति का समर्थन किया, दक्षिणी राज्यों के खिलाफ उत्तरी राज्यों की यूनीयन सेना का संचालन किया। हालांकि, वह आसानी से दक्षिणी राज्यों को हरा नहीं सका जिनका कमाण्डर जनरल राबर्ट ई. ली. था। बल्कि, यूनीयन सेना पर दक्षिणी राज्यों ने जमकर हमला किया। सैनिकों को मरते देखकर लिंकन दुखी हुआ, और उसे तीव्रता से महसूस हुआ कि यह युद्ध मनुष्य की शक्ति से खत्म नहीं होगा, और उसने परमेश्वर से हर दिन तीन घंटे से ज्यादा प्रार्थना की। एक दिन उसके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने उसे आग्रहपूर्वक प्रार्थना करते देखकर उसस...
जो विश्वास के एक सही मार्ग पर चलते हैं, वे निश्चय ही एक विशेष बदलाव पाते हैं। जब लोग परमेश्वर पर विश्वास करना शुरू करते हैं, तब वे कैसे बच सकते हैं और स्वर्ग जा सकते हैं, इसके बारे में सोचते हैं। जैसे–जैसे वे नई वाचा के सत्य में अपने उद्धार के विषय में विश्वस्त हो जाते हैं, वे परमेश्वर के हृदय के सदृश होने लगते हैं जो सारी मानव जाति को बचाना चाहते हैं। यदि पहले हम केवल अपने बारे में चिन्ता करते थे, तो अब हमें पूरे संसार की ओर देखना चाहिए। परमेश्वर ने हमें उद्धार और दूसरे बहुत से आशीर्वाद दिए हैं। यदि हम सत्य में हैं और पिता और माता पर विश्वास करते हैं, तो हमें उन दूसरी भेड़ों की भी देखभाल करनी चाहिए जो अब तक इस भेड़शाला में...
बाइबल भय को दो तरह से वर्णन करती है: “परमेश्वर का भय मान” और “भयभीत न हो।” बाइबल हमें परमेश्वर का भय मानने के लिए इसलिए नहीं कहती है कि परमेश्वर डरावने हैं, बल्कि इसलिए कहती है कि परमेश्वर हमारे सृजनहार और उद्धारकर्ता हैं। और दूसरी तरफ बाइबल हमें भयभीत न होने के लिए भी कहती है। इसका मतलब है कि हमें परमेश्वर के अलावा किसी भी चीज या व्यक्ति से भयभीत नहीं होना चाहिए। यीशु के द्वारा दिए गए तोड़ों के दृष्टान्त में, वह जिसने एक तोड़ा पाया था, डर गया था, और उसने अपना एक तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया था। परमेश्वर ने हम से कहा है कि हमारे पास ऐसा डर नहीं, लेकिन एक निडर विश्वास होना चाहिए। भयभीत जीवन लोग जीवन में बहुत से डरों का ...
हम कैसे एक योग्य और मूल्यवान जीवन जी सकते हैं? बहुत से दार्शनिकों ने स्वार्थ केन्द्रित और अहं केन्द्रित जीवन जीने के बजाय, मानवजाति की भलाई के लिए सहकारी जीवन जीने के बारे में ज्यादा सोचा है। मोंटेसक्यू नामक 18वीं सदी के एक फ्रांसीसी दार्शनिक ने ये मशहूर शब्द कहे: “यदि मैं ऐसी किसी चीज को जानता जो मेरे लिए लाभकारी है लेकिन मेरे परिवार के लिए हानिकारक है, तो मैं अपने विचार से उसे निकालता। यदि मैं ऐसी किसी चीज को जानता जो मेरे परिवार के लिए फायदेमंद है लेकिन मेरे देश के लिए नुकसानदेह है, तो मैं उसे भूल जाने की कोशिश करता। और यदि मैं ऐसी किसी चीज को जानता जो मेरे देश के लिए फलप्रद है लेकिन मानवजाति के लिए हानिप्रद है, तो मैं ...
मैंने सुना है कि लोग अपने जीवन भर में शिकायतों के शब्दों को सबसे अधिक बार बोलते हैं। हालांकि, जब तक हमें विश्वास है कि परमेश्वर हमारे साथ हैं और हमसे पे्रम करते हैं, कुड़कुड़ाने के लिए कुछ भी नहीं है। इस समय, आइए हम बाइबल में कुड़कुड़ाने वालों के अंत को देखकर, हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा को जानें। हर बात में धन्यवाद करो 1थिस 5:16–18 सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है। हम सभी ऊपर के वचन को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, यह परमेश्वर की एक बहुत ही बहुमूल्य शिक्षा है। हमें अनन्त स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए परमेश्वर क...
ग्रीक भाषा के शब्द ‘ (फिलो से)’ का अर्थ होता है, “मैं आपसे प्रेम करता हूं।” यह पतरस का उत्तर था जब यीशु ने उसे तीन बार पूछा था कि “क्या तू मुझ से प्रेम रखता है?” क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? आज, इस संसार के सभी कोनों में बहुत से अपराध हो रहे हैं। विगत समय की तुलना में आज अपराध और भी क्रूर और भयंकर हो गए हैं। लोगों ने इंसानियत को खो दिया है, और यहां तक कि वे अपनी मूलभूत नैतिकता को भी भूल गए हैं। इसका कारण यह है कि उनका खुद के प्रति और दूसरों के प्रति प्रेम ठण्डा पड़ गया है। यहां तक कि बहुत से ईसाई परमेश्वर का पालन नहीं करते। वे परमेश्वर के वचन से नहीं बदलते, बल्कि उन्होंने परमेश्वर के प्रेम से मुंह फेर लिया है। हमारे ह...