मूसा के समय में परमपवित्रस्थान की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई एक समान थी और स्वर्ग से उतरने वाली यरूशलेम की लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई बराबर है। इसमें परमेश्वर की इच्छा क्या है? यीशु के मरने के बाद मंदिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो...
धनी मनुष्य और निर्धन लाजर के दृष्टांत में‚ परमेश्वर ने हमसे कहा है कि हमें मूसा और भविष्यद्वक्ताओं से जीने का मार्ग सीखना चाहिए। हालांकि‚ संसार के लोग परमेश्वर द्वारा भेजे गए भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते। इसके परिणामस्वरूप अधर्मी लोग नर...
आज, सभी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, ज्ञान की कमी के कारण वे परमेश्वर को जो उद्धार देने आए हैं, प्राप्त नहीं कर पाते, और वे नष्ट हो जाएंगे. चूंकि कहा गया है, 'मेरी प्रजा मेरा नाम जान लेगी.' इसलिए श्वेत पत्थर पर लिख...
‘WATV Media Cast’ इस्राएल में शरणनगर की व्यवस्था पुराने नियम की व्यवस्थाओं में से एक थी। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सत्य है क्य...
पछतावा हमारे मसीही जीवन में अति आवश्यक कर्म है, जो सबसे जरूरी माना जाना चाहिए और किसी से भी पहले आना चाहिए। पश्चाताप का मतलब है, इस दुनिया की ओर मुड़ते पापमय मन को पूरी तरह से परमेश्वर के अनुग्रह की दुनिया की ओर मोड़ना। (योना नबी और उड़ाऊ पु...
इस संसार की सभी वस्तुएं एक दूसरे को आकर्षित करती हैं। परमेश्वर और हमारे बीच की दूरी जितनी बढ़ती है, हमारा आत्मिक बल उतना ही कम होता जाता है और विश्वास कमजोर हो जाता है. और यदि हम परमेश्वर के समीप आते हैं, पवित्र आत्मा का आत्मिक बल मज़बूत ह...
यह परमेश्वर के दिव्यसंरक्षण के द्वारा संभव हुआ जो इतिहास का नेतृत्व और भविष्यवाणियों को पूरा करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण चिन्ह है जो हमें यीशु मसीह का दूसरी बार आना बताता है। - अंजीर के पेड़ की भविष्यवाणी के अनुसार उन्होने 1948 ई. में ब...
"क्या आने वाला तू ही है?" यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने जो एलिय्याह के मिशन के साथ परमेश्वर द्वारा भेजा गया था, यीशु पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया. उसी तरह आज भी, बहुत से लोग पवित्र आत्मा और दुल्हिन पर विश्वास नहीं करते जो प्रेरित यूहन्...