इब्र 8:5 वे केवल स्वर्गीय वस्तुओं के प्रतिरूप और छाया की सेवा उसी प्रकार किया करते हैं।
सांसारिक सारी प्रणाली स्वर्गीय वस्तुओं का प्रतिरूप और छाया है। परिवार की प्रणाली भी एक जैसी है। आन सांग होंग ने सांसारिक परिवार की प्रणाली द्वारा स्वर्गीय परिवार की प्रणाली सिखाई। इससे हमें समझाया कि स्वर्गीय माता होती है।
आत्मिक दुनियां में सारी वस्तुएं इस पृथ्वी पर बनी हुई हैं। दूसरे शब्द में सांसारिक सारी चीजें छाया हैं, और स्वर्गीय चीजें उनकी असलियत हैं।
पृथ्वी पर परिवार की प्रणाली हमें यह सिखाने के लिए रखी कि स्वर्ग में भी एक जैसी परिवार की प्रणाली होती है। और परिवार के सदस्य में पिता, माता और संतान को यह सिखाने के लिए होने दिया कि स्वर्ग में भी पिता, माता और संतान हैं। हमें यह बताने परमेश्वर का प्रयोजन था कि स्वर्ग में केवल पिता परमेश्वर नहीं पर माता परमेश्वर भी है।
क्या आप भी स्वर्ग के परिवार का सदस्य होना चाहते हैं?
आइए हम स्वर्ग के परिवार का सदस्य होने का तरीका जानें।
‘घर’
जब आप ‘परिवार’ का शब्द सुनते हैं तो सब पहले आपको क्या विचार आता है? घर है न? यीशु ने भी ‘घर’ का शब्द कई बार बताया।
यूह 14:1-3 तुम्हारा ह्रदय व्याकुल न हो। परमेश्वर पर विश्वास रखो और मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में रहने के बहुत-से स्थान हैं। यदि न होते, तो मैं तुमसे कह देता, क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिए तैयार करूं तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा कि जहां मैं हूं, वहां तुम भी रहो।
यीशु ने स्पष्टतया कहा कि पिता का घर है। अब घर तैयार हुआ है। तब उसका सदस्य कौन होगा? बाइबल में परिवार पैतृक प्रणाली है। जैसे अपने परिवार द्वारा हम समझ सकते हैं, सब से पहले अहम सदस्य पिता है। इसलिए सांसारिक परिवार में पिता होता है तो अवश्य ही स्वर्ग में भी पिता होना चाहिए।
स्वर्गीय पिता आन सांग होंग
आइए हम प्रमाणित करें कि स्वर्ग में हमारा पिता है कि नहीं।
इब्र 12:9 फिर यह कि जब शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना करते थे तो हमने उनका आदर किया, तब क्यों न आत्माओं के पिता के और भी अधिक अधीन रहें, जिससे कि हम जीवित रहें?
मत 6:9 अत: तुम इस प्रकार प्रार्थना करना: ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र माना जाए।’
बाइबल बताती है कि स्वर्गीय परमेश्वर हमारा पिता है। जिस प्रकार इस पृथ्वी पर हमारे शरीर के पिता होते हैं उसी प्रकार स्वर्ग में हमारी आत्माओं के पिता होते हैं।
वही आन सांग होंग जी है।
स्वर्गीय पिता आन सांग होंग की संतान
परिवार में कौन होता है? स्वाभाविक रूप से माता सोचते होंगे।
लेकिन माता के बारे में सोचने से पहले हम पिता होने की परिस्थिति के बारे में विचार करना है।
कोई भी संतान के बिना पिता नहीं कहलाया जाता है।
चाहे कोई आदमी 40 या 50 वर्ष का हो, अगर उसकी संतान है।
इसलिए परिवार में अवश्य ही संतान होना चाहिए। आइए हम प्रमाणित करें कि स्वर्गीय पिता की संतान है कि नहीं।
मत 12:16 जब वह जनसमूह से बातें कर रहा था, तो देखो, उसकी माता और भाई बाहर खड़े थे और उस से बातें करना चाहते थे। और किसी ने यीशु से कहा, "देख, तेरी माता और तेरी भाई बाहर खड़े हैं और तुझ से बातें करना चाहते हैं।" परन्तु उस कहने वाले को उत्तर देते हुए उसने कहा, "देखो, मेरी माता और मेरे भाई! क्योंकि जो कोई मेरे पिता की जो स्वर्ग में है इच्छा पूरी करता है, वही मेरा भाई, मेरी बहिन और मेरी माता है।"
यहां हम भाई-बहिन का शब्द देख सकते हैं। जैसे हमें शारीरिक भाई-बहिन है वैसे ही आत्मिक दशा से भाई-बहिन होते हैं। लोग जो स्वर्गीय परमेश्वर को पिता कहते हैं वे अवश्य स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करते हैं।
चर्च ऑफ गॉड में हम आन सांग होंग की शिक्षा से अनुसार स्वर्गीय पिता की इच्छा, सब्त, फसह, इत्यादि मनाने वाली संतान हैं। और हम एक दूसरे से भाई-बहिन हैं।
स्वर्गीय माता यरूशलेम
अब तक हमने परिवार के सदस्य में पिता और परमेश्वर की संतान के बारे में देखा।
तो, अब कौन बाकि रही है? हां, माता है।
गल 4:25-26 और हजिरा मानो अरब का सीनै पर्वत है, जो वर्तमान यरूशलेम के समान है, क्योंकि वह अपनी संतानों सहित दासत्व में है। परन्तु ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है।
गलातियों अध्याय 4 में हम यह शब्द देख सकते हैं, ‘हमारी माता’। यहां ‘माता’ हमारी माता है। तब ‘हम’ कौन हैं? वे परमेश्वर पर विश्वास करने वाले हैं। अर्थात् बाइबल सिखाती है कि स्वर्गीय माता होती है।
अब हम परिवार के सारे सदस्य को देख चुके हैं और यह भी पुष्ट किया कि हमें स्वर्ग में आत्मिक परिवार है। हमें विश्वास करना है, जैसे शारीरिक परिवार में पिता, भाई, बहिन और माता हैं वैसे ही स्वर्ग में भी आत्मिक पिता, भाई, बहिन और आत्मिक माता हैं।
लहू से संबंधित हुए परिवार के सदस्य
परिवार परस्पर किससे संबंधित होता है? वह लहू है। परिवार परस्पर लहू से संबंधित हुआ है। जैसे शारीरिक संतान शारीरिक पिता और माता के मांस और लहू विरासत में पाती है। यदि शारीरिक परिवार लहू से जुड़ा हुआ है तो स्वर्गीय परिवार भी स्वर्गीय लहू से जुड़ा हुआ है। क्योंकि पृथ्वी की वस्तु स्वर्गीय वस्तु की छाया और प्रतिरूप है।
यूह 6:53-55 यीशु ने उनसे कहा, "मैं तुमसे सच सच कहता हूं, जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ और उसका लहू न पियो, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसका है, और मैं अन्तिम दिन में उसे जिला उठाऊंगा। मेरा मांस तो सच्चा भोजन है और मेरा लहू सच्ची पीने की वस्तु है।"
यीशु ने हमें अपना मांस खिलाया और अपना लहू पिलाया, जिससे स्वर्गीय पिता और माता के मांस और लहू हमारी देह में बने रहे हैं। केवल परमेश्वर के पास ही अनन्त जीवन है। अब अनन्त जीवन देने वाले परमेश्वर के मांस और लहू हमें प्रदान किए गए हैं, जिससे हम सदा प्राणी बने और परमेश्वर को हम ‘हे अब्बा! हे पिता!’ कह कर पुकार सकते हैं।
पिता आन सांग होंग की संतान होने का अधिकार
तब किस सच्चाई द्वारा हम परमेश्वर की संतान होने का अधिकार पा सकते हैं?
आइए हम देखें, किस तरीके से हम स्वर्गीय पिता के मांस और लहू पा सकते हैं।
मत 26:17-19 फिर चेले अख़मीरी रोटी के पर्व के पहिले दिन, यीशु के पास आकर पूछने लगे, "तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिए फसह खाने की तैयारी करें?" उसने कहा, "नगर में अमुक व्यक्ति के पास जाकर उस से कहो, ‘गुरु कहता है, "मेरा समय निकट है। मुझे अपने चलों के साथ तेरे यहां फसह का पर्व मनाना है"’।" तब यीशु की आज्ञा के अनुसार चेलों ने फसह की तैयारी की।
आयत 26 को जाएं।
मत 26:26-28 जब वे भोजन कर रहे थे, यीशु ने रोटी ली और आशिष मांगकर तोड़ी और चेलों का देकर कहा, "लो, खाओ; यह मेरी देह है।" फिर उसने प्याला लेकर धन्यवाद दिया और उन्हें देते हुए कहा, "तुम सब इसमें से पियो, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है जो बहुत लोगों के निमित्त पापों की क्षमा के लिए बहाया जाने को है।"
इस प्रकार, फसह की रोटी यीशु की देह(मांस) है, और फसह का दाखमधु यीशु का लहू है। फसह खाने और लहू पीने से हम परमेश्वर का मांस और लहू पाकर परमेश्वर की संतान होंगे।
अन्तिम युग में जो फसह लिए आए हैं आन सांग होंग जी हैं। आन सांग होंग जी ने आत्मिक रूप से लहू-सन्बध करने के लिए फसह लेकर आए। वो हमारे आत्मिक पिता है, और आत्मिक माता सच्ची परमेश्वर है जिसने हमें जन्म दिया और पालती है।
आप लोगो! क्या स्वर्गीय परिवार होना चाहते हैं? हमें आशा है कि आप नई वाचा फसह द्वारा स्वर्गीय पिता आन सांग होंग और माता का मांस और लहू पाकर स्वर्ग के राज्य को उत्तराधिकार में पाने वाले हों।