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आधारभूत सत्य

जब मनुष्य उत्पन्न होता तो उसे एक बार मरना नियुक्त किया जाता है। क्यों हम सदा तक जीने न पाते हैं और ऐसे मनुष्य के जैसा रहते हुए जो सीमित समय तक रहने के बाद मरता है, मृत्यु का दास बनना पड़ते हैं?

अपने पर पाप के बोझ लादते हुए जीवन के मार्ग पर न चल सकते हैं। अनन्त जीवन पाने के लिए किए हुए पाप क्षमा होने चाहिए। पापों को धोने के लिए परमेश्वर के अनुग्रह अर्थात् बपतिस्मा की रीति द्वारा हम पापों की क्षमा पाकर उद्धार की ओर कदम उठा सकते हैं।

इसलिए चर्च ऑफ गॉड द्वितीय मसीह आन सांग होंग की शिक्षा के अनुसार बपतिस्मा देता है।


बपतिस्मा का उद्गम

परमेश्वर ने वादा किया कि वह मसीह के रूप में पृथ्वी पर आने के पहले अपने मार्ग को सुधारने नबी ऐलिय्याह भेजेगा। ऐलिय्याह का पहला कार्य मसीह की साक्षी देना था और साथ में उसे मसीह के मार्ग को सुधारने की भूमिका भी निभानी चाहिए थी।

यश 40:3 किसी की पुकार सुनाई दे रही है: "जंगल में यहोवा के लिए मार्ग सुधारो; हमारे परमेश्वर के लिए मरुस्थल में राजमार्ग चौरस करो।"

ऐलिय्याह ने ऊंची आवाज से पुकार कर पश्चात्ताप का समाचार इस्राएलियों को सुनाया जो परमेश्वर के सत्य का पालन न करते हुए पाखण्डपूर्ण और दिखावटी के विश्वास में लगे रहते थे।

मत 3:7-9 परन्तु जब उसने बहुत से फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा लेने के लिए आते देखा तो उनसे कहा, "हे सांप के बच्चो, तुम्हें किसने सचेत कर दिया कि आने वाले प्रकोप से भागो? इसलिए अपने पश्चात्ताप के योग्य फल भी लाओ; और अपने मन में यह न सोचो, ‘हमारा पिता इब्राहीम है,’ क्योंकि मैं तुम से कहता हूं कि परमेश्वर इन पत्थरों से भी इब्राहीम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है।

मर 1:4-5 यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला पापों की क्षमा के लिए मन-परिवर्तन के बपतिस्मा का प्रचार करता हुआ जंगल में आया। और यहूदिया का सारा प्रदेश और यरूशलेम के समस्त निवासी उसके पास आने, और अपने पापों का अंगीकार कर के यरदन नदी में उस से बपतिस्मा लेने लगे।

यहून्ना का बपतिस्मा देना व्यक्तिगत विचार से नहीं, पर उसे भेजने वाले परमेश्वर की आज्ञा था।

परमेश्वर ने बपतिस्मा द्वारा पापों की क्षमा का सिद्धान्त स्थापित किया। यह उद्धार के लिए स्थापित की गई अनेक धार्मिक परमेश्वर की विधियों में से एक था।(यूह 1:33 संदर्भ) इसलिए यीशु ने स्वयं यूहन्ना से बपतिस्मा पाने द्वारा नमूना दिखाया ताकि बपतिस्मा पवित्र विधि हो जाए।

मत 3:14-15 परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, "मुझे तो तुझ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और क्या तू मेरे पास आया है?" परन्तु यीशु ने उत्तर दिया, "इस समय ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमारे लिए उचित है कि इसी प्रकार सारी धार्मिकता को पूर्ण करें।"

मत 21:32 क्योंकि यूहन्ना तुम्हारे पास धार्मिकता का मार्ग दर्शाने आया और तुमने उसका विश्वास न किया।...

धार्मिकता का मार्ग दर्शाने का बपतिस्मा सिर्फ यीशु की साक्षी देने के लिए नहीं वरन् नई वाचा रूप में ठहर गया क्योंकि यीशु स्वयं लोगों को बपतिस्मा देता था, और उसने पानी से बपतिस्मा देने का तरीका भी विस्तृत रूप से दिखाया।(मत 4:16 संदर्भ)

यूह 3:22-23 इन बातों के पश्चात् यीशु और उसके चेले यहूदियों प्रदेश में आए, और वहां उनके साथ रहकर बपतिस्मा देता था। यूहन्ना भी शालेम के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था, क्योंकि वहां पानी अधिक था, और लोग बपतिस्मा लेते थे।


बपतिस्मा लेने का उपयुक्त समय

बपतिस्मा पापों की क्षमा पाकर परमेश्वर के अनुग्रह की ओर निकट जाने का पहला कदम है। अगर मनुष्य से दृष्टान्त करें तो यह गर्भ से बालक के जन्म होने के जैसा है।

बालक का शरीर बढ़ने के क्रम में भी पहले मां के गर्भकोश में उपन्न होकर एक एक करके सांसारिक रीति सीखता हुआ बढ़ता है, उसी प्रकार आत्मा भी पहले बपतिस्मा द्वारा पाप और अपराध उतार कर परमेश्वर की संतान रूप में नया जीवन पाती है, और परमेश्वर का प्रयोजन और स्वर्गीय इच्छा सीखती है।

इफ 1:7-9 हमें, उसमें, उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् हमारे अपराधों की क्षमा, उसके अनुग्रह के धन के अनुसार मिली है, जिसे उसने समस्त ज्ञान और समझ से हमें बहुतायत से दिया है। उसने हमें अपनी इच्छा का रहस्य अपने भले अभिप्राय के अनुसार जिसे उसने स्वयं निर्धारित किया था, बताया।

बिना पापों की क्षमा पाए परमेश्वर को जानने की बुद्धि नहीं दी जाती है। इसलिए यह आग्रह कि परमेश्वर को जानने के बाद बपतिस्मा पाना है, उस रीति से विपरित बात है जिसे परमेश्वर ने स्थापित किया। यदि किसी को परमेश्वर पर विश्वास करने का मन होता तब यही सही क्रम होगा कि वह पहले बपतिस्मा पाए और विश्वास का जीवन द्वारा ईश्वरीय स्वभाव से मिले-झुले।

बाइबल में कई कहानियां होती हैं कि जैसे ही लोगों ने यीशु को महसूस किया, तुरन्त बपतिस्मा पाकर परमेश्वर की धार्मिकता में सम्मिलित थे।

एक खोजा ने जो इथियोपिया देश की रानी कन्दाके का मन्त्री और कोषाध्यक्ष था, फिलिप्पुस से बाइबल में लिखी मसीह की साक्षी सुन कर तुरन्त बपतिस्मा पाया।(प्रे 8:27-38) लुदिया नाम स्त्री ने जो बैंजनी वस्त्र बेचने वाली थी, प्रेरितों के प्रचार से तुरन्त उसके सब घरानेवालों के साथ बपतिस्मा पाया।(प्रे 16:13-15) इसके अलावा, दारोगा ने जिसने बन्दीगृह के द्वार की रक्षा की, जहां पौलुस और सीलास बंध गए, जैसा ही यीशु को महसूस किया, उसी रात अपने घरानेवालों के साथ बपतिस्मा पाकर यीशु को विश्वास करने लगा।(प्रे 16:25-33)

इस तरह से बपतिस्मा परमेश्वर को विश्वास करने के लिए पहली शुरूआत है और आत्मिक बालक रूप में उत्पन्न होने को दर्शाता है। बपतिस्मा में परमेश्वर से यह प्रतिज्ञा करते हैं कि पिछले दिनों को पाप पछताता हूं और अब से परमेश्वर के इच्छानुसार रहूंगा तो न्याय के दिन मेरा स्मरण कर।

पूरी तरह से विश्वास करने के बाद अन्त में बपतिस्मा पाने का कोई यह कहता हुआ दावा करता है कि 6 महिने या 1 साल तक बाइबल की पढ़ाई करके बपतिस्मा पाओ, मान लीजिए, यदि वह परमेश्वर की प्रतिज्ञा पाने के बिना पढ़ते समय किसी दुर्घटना से मर गया हो तो उसकी आत्मा जो न्याय का इन्तजार करती है किससे अन्याय की शिकायत कर सकेगी?


बपतिस्मा और नया जीवन

संसार में सब लोगों को पाप के कारण मरना पड़ता है। इसलिए जब तक नए रूप से जन्म न ले तब तक मृत्यु की जंजीर से मुक्त न होता। स्वर्ग पापी देह से नहीं जा सकता। इस कारण से चाहे शरीर मृत्यु का दास बने मरता हो तो भी बपतिस्मा द्वारा आत्मा पुनर्जीवित होने से अनन्त स्वर्ग जा सकेगी।

यूह 3:3-5 यीशु ने उत्तर देते हुए उस से कहा, "मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि जब तक कोई नया जन्म न ले, वह परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता।" नीकुदेमुस ने उस से कहा, "बूढा़ आदमी कैसे जन्म न ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है?" यीशु ने उत्तर दिया, मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि जब तक कोई जल और आत्मा से न जन्मे, वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।

नए जीवन का अनुग्रह पाने के लिए पापमय शरीर मरना है जिससे पाप को चुकाता है, तब नए रूप से जीवित होता है। इस इच्छा को समझाने यीशु लहू बहाकर मर गया और पाप को क्षमा करने बाद पुनर्जीवित हुआ।

दूसरे शब्द में जैसा यीशु क्रूस से मरा वैसा पापमय शरीर भी बपतिस्मा से मर कर दफ़नाया जाता है। और जैसा यीशु फिर से पुनर्जीवित हुआ वैसा ही वह मनुष्य जो बपतिस्मा द्वारा पाप को धोता है धार्मिक होकर मसीह के अनुग्रह से पुनर्जीवित होता है।

1पत 3:21 यह पूर्व संकेत बपतिस्मा का है, जिसका अर्थ शरीर की गन्दगी दूर करना नहीं, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के अधीन होना है। अब तो बपतिस्मा तुम्हें यीशु मसीह के पुनरुत्थान द्वारा बचाता है।

रो 6:3-11 क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जो बपतिस्मा के द्वारा मसीह यीशु के साथ एक हुए, बपतिस्मा द्वारा उसकी मृत्यु में भी सहभागी हुए? इसलिए हम बपतिस्मा द्वारा उसकी मृत्यु में सहभागी होकर उसके साथ गाड़े गए हैं, जिससे कि पिता की महिमा के द्वारा जैसे मसीह जिलाया गया था, वैसे हम भी जीवन की नई चाल चलें। ... अब यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हम विश्वास करते हैं कि उसके साथ जीवित भी रहेंगे। ... इसी प्रकार तुम भी अपने आप को पाप के लिए मृतक परन्तु मसीह यीशु में परमेश्वर के लिए जीवित समझो।

बपतिस्मा द्वारा पानी से शरीर को धोने की विधि सिर्फ औपचारिक और नीच स्तर का कार्य नहीं वरन् पवित्र विधि है जिस से पाप से गंदी हुई हमारी आत्मा नए रूप से पुनर्जीवित होती है।


जीवन की पुस्तक में नाम लिखा जाता है

यीशु ने कहा कि जब तक कोई जल और आत्मा से न जन्मे, वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। जन्म लेने का अर्थ दो हैः शरीर रूप में जन्म होना और पवित्र आत्मा से जन्म होना है।(यूह 3:1-8 संदर्भ) शारीरिक रीति से जब जन्म होता है तब परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करता है। उसी प्रकार जब पवित्र आत्मा से जन्म होता है तब स्वर्ग में जीवन की पुस्तक में नाम लिखता है, इसलिए बपतिस्मा पाते ही जब चर्च में जीवन की पुस्तक में नाम लिखता है तब एक जैसा स्वर्ग में जीवन की पुस्तक में भी नाम लिखा जाता है।

मत 16:19 मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा, और जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा वह स्वर्ग में बंधेगा, और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा वह स्वर्ग में खुलेगा।

इसका अर्थ है कि जब संसार पर जीवन की पुस्तक में नाम लिखता है तब वह स्वर्ग में जीवन की पुस्तक में भी लिखा जाता है। और प्रेरित पौलुस ने कहाः

फिल 3:20 परन्तु हमारी नागरिकता स्वर्ग की है।

फिल 4:3 हे मेरे सच्चे सहकर्मी, मैं तुझ से भी निवेदन करता हूं कि तू इन महिलाओं की सहायता कर जिन्होंने मेरे साथ और क्लेमेन्स तथा मेरे अन्य सहकर्मियों सहित जिनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हैं, सुसमाचार के लिए संघर्ष किया है।

यीशु ने कहाः
लूक 10:20 फिर भी इस बात पर आनन्दित मत होओ कि आत्माएं तुम्हारे वश में हैं, परन्तु इस बात से आनन्दित होओ कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं।

भज 69:27-28 तू उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा, और वे तेरी धार्मिकता में प्रवेश न करने पाएं। उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काट दिया जाए और धर्मियों के साथ लिखा न जाए।

यद्यपि हम अच्छी तरह से परमेश्वर पर विश्वास करते हैं तो भी हमारे नाम स्वर्ग में जीवन की पुस्तक में न लिख पाते तो हम स्वर्ग न जा सकते। जैसा कि लिखा हैः

प्रक 20:15 जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में फेंक दिया गया।

प्रक 21:27 परन्तु कोई भी अपवित्र वस्तु या कोई घृणित कार्य अथवा झूठ पर आचरण करने वाला उसमें प्रवेश न करेगा, परन्तु केवल वे जिनके नाम मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।

यश 4:3-4 ऐसा होगा कि जो सिय्योन में बचा रहेगा और यरूशलेम में ही रहेगा अर्थात् प्रत्येक जिसका नाम यरूशलेम के जीवित लोगों की सूची में लिखा होगा-वह पवित्र कहलाएगा। जब यहोवा अपने न्याय के आत्मा तथा भस्म करने वाले आत्मा से सिय्योन की स्त्रियों की गन्दगी को धो चुकेगा तथा यरूशलेम में बहाए गए लहू को दूर कर चुकेगा।

दान 12:1 उस समय मीकाएल नाम बड़ा प्रधान जो तेरे लोगों का संरक्षक है, उठेगा, और वह ऐसी विपत्ति का समय होगा जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से अब तक कभी न हुआ होगा, और उस समय तेरे लोगों में से जितनों के नाम उस पुस्तक में लिखे होंगे, वे बचा लिए जाएंगे।



और भजन संहिता का लेखक दाऊद ने लिखाः

भज 69:27-28 तू उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा, और वे तेरी धार्मिकता में प्रवेश न करने पाएं। उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काट दिया जाए और धर्मियों के साथ लिखा न जाए।

यद्यपि जीवन की पुस्तक में नाम लिखा है तो भी यदि पाप करे जो क्षमा न हो सकेगा तब जीवन की पुस्तक में उसका नाम मिट जा सकेगा। जैसा कि लिखा हैः

प्रक 3:5-6 वह जो जय पाए, उसे इसी प्रकार श्वेत वस्त्र पहिनाया जाएगा। मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से न मिटाऊंगा, वरन् अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के समक्ष उसका नाम मान लूंगा।


हमारे बपतिस्मा पाने का उद्देश्य है कि पाप क्षमा पाएं और पुनर्जीवित हुए यीशु के समान नए जीवन का पुनरुत्थान पाकर स्वर्ग में जीवन की पुस्तक में हमारे नाम लिख जाएं। बिना बपतिस्मा लिए न फसह मना सकते और न ही फसह मनाने के बिना जीवन की पुस्तक में नाम लिख सकते। फसह मनाने से विपत्ति से बच निकल कर अनन्त स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकेंगे।