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मेरी खोज करो

परमेश्वर ने मानव जाति से कहा, “मेरी खोज करो।” परमेश्वर की खोज करने के लिए, हमें उनका ज्ञान रखना चाहिए। बाइबल में दिए गए सारे संकेतों के द्वारा हमें यह जानना चाहिए कि परमेश्वर कहां निवास करते हैं और यह कि जब परमेश्वर इस पृथ्वी पर आएंगे तो क्या ले आएंगे। केवल तब ही हम परमेश्वर को खोजकर सही तरह से ग्रहण कर सकेंगे।

परमेश्वर इस पृथ्वी पर आ चुके हैं, लेकिन अब तक भी दुनिया में बहुत से चर्च परमेश्वर को न तो जानते और न ही उनकी खोज करते। यदि बाइबल कहती है कि परमेश्वर सिय्योन में निवास करते हैं, तो हमें जानना चाहिए कि सिय्योन किसे संकेत करता है, और यदि बाइबल कहती है कि परमेश्वर सिय्योन में नई वाचा के सत्य की घोषणा करते हैं तो हमें उन्हें खोजना चाहिए जो नई वाचा स्थापित करते हैं(यश 33:20-22; मी 4:1-2)। यदि बाइबल कहती है कि मेमना अपनी दुल्हिन के साथ प्रकट होगा, तो हमें उस सच्चे चर्च को खोजना चाहिए जो मेमना अर्थात् पिता परमेश्वर के साथ-साथ दुल्हिन अर्थात् माता परमेश्वर का भी प्रचार करता है(प्रक 19:7-9; 21:9-10)। आइए हम एक एक करके बाइबल के वचनों की जांच करके परमेश्वर को खोजें।

परमेश्वर की खोज करो



यश 55:6-9 “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा। क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं हैं, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।”

बाइबल हमसे परमेश्वर की खोज करने और उनके पास आने का आग्रह करते हुए कहती है कि परमेश्वर के विचार मानव विचारों से अलग हैं। इसलिए, हमें परमेश्वर के विचारों का अनुसरण करके परमेश्वर को खोजना चाहिए। परमेश्वर के उद्धार देने का तरीका भी लोगों की सोच से अलग है। यह गिदोन के इतिहास से साबित होता है जिसने 300 पुरुषों को लेकर 1,35,000 दुश्मन सैनिकों को पराजित किया।

1,35,000 मिद्यानी सैनिकों की गिनती गिदोन की 32,000 सैनिकों से भी ज्यादा थी। लेकिन, परमेश्वर ने उसे डर से कांपनेवालों को घर भेजने को कहकर गिदोन की सैनिकों की गिनती 10,000 तक कम कर दी। तब परमेश्वर ने कहा कि पुरुष अभी भी बहुत हैं, और केवल 300 पुरुषों को चुनकर उनकी गिनती और कम कर दी। परमेश्वर की आज्ञा के प्रति आज्ञाकारी होकर, गिदोन और उसके 300 योद्धाओं में से हर एक रात को घड़ों में छिपी हुई मशाल और नरसिंगा लेकर मिद्यानियों की छावनी में गया। जब वे शत्रु की छावनी में पहुंचे तो उन्होंने नरसिंगे फूंके और घड़ों को तोड़ने के बाद मशालें लिए हुए चिल्ला उठे, “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार!” मिद्यानी सैनिक इतने हैरान हो गए कि उन्होंने अपने सहपाठियों को गलती से अपने शत्रु समझकर एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिया। यह मानवीय रूप से असंभव था, लेकिन परमेश्वर के विचारों का अनुसरण करने के परिणामस्वरूप, गिदोन की 300 सैनिकों ने मिद्यानियों की बड़ी सैनिकों को पराजित कर दिया और एक भी घायल हुए बिना शानदार जीत हासिल की(न्यायियों 7)।

निर्गमन की घटना भी परमेश्वर के विचारों और मानव विचारों के बीच का अंतर दिखाती है। जब इस्राएली मिस्र से मुक्त होने के बाद जंगल में आए, तो उन्हें एक दुविधा का सामना करना पड़ा जहां लाल समुद्र उनके सामने था और मिस्र की सेना उनका पीछा कर रही थी। वे यह न जानकर कि उन्हें क्या करना है कुड़कुड़ाने लगे। उस समय मूसा ने परमेश्वर की दोहाई दी, और परमेश्वर ने उससे कहा, “तू अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा।” जब मूसा ने अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ लाल समुद्र के ऊपर बढ़ाया तो समुद्र दो भागों में विभाजित हुआ और जल उनकी दाहिनी और बाईं ओर दीवार का काम देता था, और उनके लिए एक मार्ग खुल गया। परमेश्वर ने ऐसे महान कार्य को अंजाम दिया जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे, इसलिए वे समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले(निर्गमन 14)।

जब हर तरफ - आगे, पीछे, दाएं और बाएं अवरुद्ध होता है, तो केवल एक ही रास्ता ऊपर की तरफ है, यानी स्वर्ग। यहां तक कि जब आपको लगता है कि आप एक ऐसे कमरे में फंसे हुए हैं जो चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है, तो परमेश्वर के पास आपके लिए एक उत्तर है। इतिहास से सबक लेते हुए, हमें हमेशा परमेश्वर पर भरोसा रखना और ईमानदारी से बाइबल का अनुसरण करना चाहिए जिसमें परमेश्वर के विचारों का अभिलेख है।

परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यत्न करो



परमेश्वर की खोज करने के लिए, हमें परमेश्वर के विचारों का अनुसरण करके परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यत्न करना चाहिए। जब तक हम परमेश्वर को सही रूप से नहीं समझते, तब तक हम अनन्त जीवन और उद्धार की अपेक्षा नहीं कर सकते।

हो 6:3-6 “आओ, हम ज्ञान ढूंढ़ें, वरन् यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिये यत्न भी करें; क्योंकि यहोवा का प्रगट होना भोर का सा निश्चित है; वह वर्षा के समान हमारे ऊपर आएगा, वरन् बरसात के अन्त की वर्षा के समान जिस से भूमि सिंचती है।”... क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, स्थिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूं, और होमबलियों से अधिक यह चाहता हूं कि लोग परमेश्वर का ज्ञान रखें।

परमेश्वर चाहते हैं कि सारे लोग उद्धार पाएं और सबसे अधिक यह चाहते हैं कि हम उनका अर्थात् उद्धारकर्ता का ज्ञान रखें। परमेश्वर का ज्ञान रखना इतना आसान नहीं, जितना लगता है। इसीलिए परमेश्वर ने लोगों को बाइबल दी जो उनका ज्ञान रखने और उन्हें समझने में सक्षम बनाती है।

यूह 5:39-40 तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो,क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।

जब हम बाइबल का अध्ययन करते हैं तब हम परमेश्वर के विचारों को जान सकते हैं। यह इसीलिए क्योंकि बाइबल में परमेश्वर के विचार और मानव जाति के लिए उनके उद्धार की योजना निहित है। इसलिए, परमेश्वर ने हमें आज्ञा दी कि हम इस पुस्तक की भविष्यवाणी के वचनों में न तो कुछ बढ़ाएं और न ही इनमें से कुछ निकालें। जो लोग बाइबल की भविष्यवाणियों को नहीं मानते और अपने विचारों को जोड़ते हैं, उनके लिए परमेश्वर को ग्रहण करना मुश्किल होगा। हमें अपने विचारों को त्यागकर बाइबल के वचनों को मानना और उनका पालन करना चाहिए जिसमें परमेश्वर के विचार निहित हैं। केवल तब ही हम परमेश्वर के विचार रखकर परमेश्वर को खोज सकते हैं।

यीशु लोगों की अपेक्षाओं के विपरीत आए



परमेश्वर ने कहा, “मैं इस पृथ्वी पर शरीर में होकर आऊंगा और तुम्हारे साथ निवास करूंगा। इसलिए मेरी खोज करो।” बाइबल ने परमेश्वर के देहधारण के विषय में निम्नलिखित रूप से भविष्यवाणी की थी:

यश 9:6 क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।

बाइबल कहती है कि पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल के पिता बालक के रूप में जन्म होंगे। यह भविष्यवाणी दिखाती है कि परमेश्वर शरीर में होकर आएंगे। इस भविष्यवाणी के अनुसार, 700 वर्ष बाद परमेश्वर ने यीशु के नाम से इस पृथ्वी पर जन्म लिया। प्रेरित जिन्होंने भविष्यवाणी पर विश्वास किया था, यीशु को परमेश्वर के रूप में ग्रहण करके उनके पीछे पीछे चले।

फिलि 2:5-6 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो; जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी...

प्रेरितों ने यीशु को परमेश्वर के रूप में पहिचाना, लेकिन दुर्भाग्य से परमेश्वर पर विश्वास रखनेवाले अधिकांश यहूदी मनुष्य के रूप में आए यीशु को ग्रहण नहीं कर सके और उनका इनकार किया। बाइबल में परमेश्वर के विचारों का अभिलेख है। इसलिए, यदि उन्होंने बाइबल का अध्ययन करके उन वचनों का पालन किया होता, तो वे उनके उद्धार के लिए आए हुए परमेश्वर से मिलने में सक्षम होते। लेकिन, उन्होंने परमेश्वर को अपने विचारों और निर्णयों के साथ देखा, इसलिए वे परमेश्वर की असली पहचान को देख नहीं सके।

वे निर्बल मनुष्य के रूप में आए हुए मसीह को जिनकी कोई सुंदरता नहीं थी कि लोग उन्हें चाहे, पहचानने में विफल हो गए(यश 53:1-2)। यदि उन्होंने एक आलीशान महल में या एक शाही परिवार में जन्म लिया होता, तो वे शायद उन पर विश्वास करते। लेकिन उनकी अपेक्षाओं के विपरीत, यीशु का जन्म बैतलहम में एक अस्तबल में हुआ और वह नासरत नामक एक गरीब गांव में एक बढ़ई के पुत्र के रूप में बढ़े हुए। जन्मस्थान, परिवार, शिक्षा, और नौकरी जैसी यीशु के आसपास की सारी शारीरिक परिस्थितियां उनके लिए ठोकर का कारण बनीं।

यूह 10:30-38 “मैं और पिता एक हैं।” यहूदियों ने उस पर पथराव करने को फिर पत्थर उठाए। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैं ने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं; उन में से किस काम के लिये तुम मुझ पर पथराव करते हो?” यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझ पर पथराव नहीं करते परन्तु परमेश्वर की निन्दा करने के कारण; और इसलिये कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया... “यदि मैं अपने पिता के काम नहीं करता, तो मेरा विश्वास न करो। परन्तु यदि मैं करता हूं, तो चाहे मेरा विश्वास न भी करो, परन्तु उन कामों का तो विश्वास करो, ताकि तुम जानो और समझो कि पिता मुझ में है और मैं पिता में हूं।”

यीशु ने उन्हें बताया कि वह पिता परमेश्वर हैं, लेकिन उन्होंने उन पर पथराव करने की कोशिश करते हुए कहा, “तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।” पवित्र और महान परमेश्वर स्वर्ग की महिमा पीछे छोड़कर हमारी आत्माओं का उद्धार करने इस पृथ्वी पर आए। लेकिन, लोग परमेश्वर से बहुत अनभिज्ञ थे। यदि उन्होंने परमेश्वर के विचारों का अनुसरण करते हुए भविष्यवाणियों पर ध्यान दिया होता तो वे अपने उद्धारकर्ता, परमेश्वर से मिल पाते। इसलिए यीशु ने कहा, “चाहे मेरा विश्वास न भी करो, परन्तु उन कामों(भविष्यवाणी) का तो विश्वास करो जिन्हें मैं पूरा कर रहा हूं।”

पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर



बाइबल कहती है कि परमेश्वर उनके उद्धार के लिए जो उनकी बाट जोहते हैं दूसरी बार दिखाई देंगे(इब्र 9:28)। परमेश्वर ने फिर कहा, “मेरी खोज करो।” तो परमेश्वर से ईमानदारी से प्रेम करनेवालों को परमेश्वर की खोज करना चाहिए, है न? इस युग में फिर से आने वाले परमेश्वर को खोजे बिना कोई भी उद्धार नहीं पा सकता।

हमें यह जानना चाहिए कि परमेश्वर कब, कहां, किस रूप में, क्या लेकर और क्यों दुबारा आएंगे। तब ही हम परमेश्वर को खोज सकते हैं। बाइबल ने भविष्यवाणी की है कि अंत के दिनों में परमेश्वर इस पृथ्वी पर अकेले नहीं आएंगे, लेकिन पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर एक साथ आएंगे।

प्रक 22:17 आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।

कुछ लोग दावा करते हैं कि आत्मा परमेश्वर को दर्शाता है और दुल्हिन परमेश्वर के लोगों को दर्शाती है। लेकिन, वास्तव में परमेश्वर के लोग पापी हैं जो परमेश्वर के उद्धार के लिए तरसते हैं। एक पापी दूसरे पापी का उद्धार नहीं कर सकता और उसे जीवन नहीं दे सकता। इसलिए, आत्मा और दुल्हिन जो जीवन का जल देते हैं, परमेश्वर हैं(प्रक 21:6-7)।

जीवन का जल पाने के लिए, हमें आत्मा और दुल्हिन अर्थात् पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को खोजकर उनसे मिलना चाहिए। यदि परमेश्वर एक अनोखे स्वरूप में आकर पूरी दुनिया के लोगों से ऐसी शक्तिशाली आवाज में बात करें कि उन्हें परमेश्वर की आवाज सुनाई दे, तो हर कोई आसानी से परमेश्वर को ढूंढ़ पाएगा। लेकिन, 2,000 वर्ष पहले परमेश्वर प्रभावशाली चर्च में नहीं आए जिसे दुनिया ने स्वीकार किया, लेकिन मरकुस की अटारी जैसी जीर्ण जगह में आए और उन्होंने लोगों की अपेक्षाओं के विपरीत एक साधारण रूप में अपने लोगों के साथ निवास किया, और इस युग में भी उन्होंने वैसा किया। इसलिए, बाइबल कहती है कि परमेश्वर के उद्धार का तरीका मनुष्य के तरीके से अलग है।

बाइबल स्पष्ट रूप से पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर के अस्तित्व की गवाही देती है।

मत 6:8-9 “इसलिये तुम उन के समान न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहले ही जानता है कि तुम्हारी क्या-क्या आवश्यकताएं हैं। अत: तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो : ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।’ ”

गल 4:26 पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है।


हमारे पास पिता परमेश्वर के साथ साथ माता परमेश्वर भी हैं। पिता और माता हमसे कहते हैं, “आ!” उन्होंने हमें बुलाया है और हमें नई वाचा के द्वारा अपना मांस और लहू देकर अपनी संतान बनाई है, ताकि हम अनंत जीवन पा सकें।

क्षणभंगुर मक्खियां केवल एक दिन के लिए जीती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी माता का ऐसा जीन विरासत में पाया हैं जो उनके केवल एक दिन के जीवनकाल को निर्धारित करता है। कुत्तों का औसत जीवनकाल 15 वर्ष का होता है क्योंकि उन्हें अपनी माता का ऐसा जीन विरासत में मिला है जो उनके केवल 15 वर्ष के सीमित जीवनकाल को प्रभावित करता है। मनुष्यों के साथ भी ऐसा ही है। भले ही वे अनंत काल तक जीना चाहें पर उनका जीवनकाल जो उन्होंने अपनी माताओं से विरासत में पाया है, सीमित ही रहेगा।

हमें अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा मिली है। इसका अर्थ है कि माता परमेश्वर हैं जो सदा के लिए जीती हैं, है न? यदि हमारी माता परमेश्वर नहीं हैं जो सदा के लिए जीती हैं, तो हम कभी अनन्त जीवन पाने की अपेक्षा नहीं कर सकते। लेकिन, दुनिया में बहुत से चर्च माता परमेश्वर की खोज नहीं करते, और वे केवल ऐसा कहते हैं कि माता का अस्तित्व नहीं है। जो माता को खोजने में नाकाम होते हैं, वे कभी उनसे अनन्त जीवन नहीं पा सकते। जो नई वाचा फसह के द्वारा स्वर्गीय पिता और माता का मांस और लहू पाते हैं वे अनन्त जीवन पाकर स्वर्ग में सदा के लिए जी सकते हैं(यूह 6:53-55; लूक 22:7-20)। हमें अनन्त दुनिया में ले जाने के लिए जहां न मृत्यु, न शोक और न ही दर्द है, परमेश्वर हम से माता परमेश्वर की खोज करने को कहते हैं।

आत्मा आप ही गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं



रो 8:16-18 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं; और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएं तो उसके साथ महिमा भी पाएं। क्योंकि मैं समझता हूं कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं।

बाइबल कहती है कि आत्मा आप ही गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की संतान हैं। आत्मा क्यों गवाही देता है कि हम परमेश्वर की संतान हैं?

तानछन नामक एक धारा है, जो हानगांग नदी की ओर बहती है। मैं आपको इस धारा के बारे में एक पौराणिक कथा सुनाऊंगा। प्राचीन कोरिया में, साम्छनगाब्जा(तीन हजार गाब्जा) डोंग बांग साक नामक एक व्यक्ति रहता था। एक गब्जा 60 वर्ष है, और तीन हजार गाब्जा 180,000 वर्ष हैं। एक स्वर्गीय दूत को डोंग बांग साक को स्वर्ग ले आने की आज्ञा दी गई थी। दूत ने उसे यहां-वहां पूछकर ढूंढ़ा और यह सुना कि वह मछली पकड़ने के लिए अक्सर एक धारा के पास जाता है। तब उस दूत ने उसे पकड़ने के लिए एक जाल तैयार किया। वह दूत हर दिन परिश्रमपूर्वक जली हुई लकड़ी, कोयले को धारा में धोने लगा। डोंग बांग साक ने इसे जिज्ञासुपूर्वक देखा, और एक दिन उसने उस दूत के पास आकर पूछा कि वह कोयले को इतनी मेहनत से क्यों धो रहा है। दूत ने कहा कि वह कोयले को सफेद बनाने के लिए धो रहा है क्योंकि वह बहुत काला है। तब डोंग बांग साक यह कहकर खूब हंसा, “मैं 1,80,000 वर्षों तक जीवित रहा, लेकिन मैंने कभी भी तुम्हारे जैसे व्यक्ति को नहीं देखा।” दूत ने डोंग बांग साक को पहचानकर उसी समय स्वर्ग ले गया। तब से, जिस धारा में वह दूत कोयला धोता था उस धारा का नाम तानछन पड़ा(कोयले का धारा)।

डोंग बांग साक को केवल बाहरी दिखावे से पहचानकर ढूंढ़ना मुश्किल था, लेकिन उसने जो शब्द कहा, “मैं 1,80,000 वर्षों तक जीवित रहा,” उसे पहचानने का सुराग बना। परमेश्वर की संतानों के पास एक गवाही है। वह अनन्त जीवन है जो उन्हें माता परमेश्वर से विरासत में मिला है। भले ही लोग परमेश्वर के नाम से कितनी मेहनत से भविष्यवाणी करते हैं और कितने चमत्कार करते हैं, पर जिन लोगों में माता परमेश्वर से पाए हुए अनन्त जीवन का जीन नहीं है, तो वे न तो परमेश्वर की संतान होने की स्वीकृति पा सकते और न ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते(मत 7:21-23)।

आज बहुत से ईसाई हैं, लेकिन वे परमेश्वर की खोज नहीं करते। उन्हें बाइबल की भविष्यवाणियों के द्वारा आत्मा और दुल्हिन को ढूंढ़ना चाहिए। लेकिन, जैसे 2,000 वर्ष पहले यहूदियों ने किया था, वे भी यह कहते हुए परमेश्वर का इनकार करते हैं, “परमेश्वर कैसे मनुष्य के रूप में आ सकते हैं?” पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को ढूंढ़ने के लिए हमें कहां जाना चाहिए? बाइबल कहती है कि परमेश्वर सिय्योन में निवास करते हैं(भज 132:13-14)। सिय्योन ऐसी जगह है जहां परमेश्वर के लोग बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार आए पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, और उनका प्रचार करते हैं। अब हम चर्च ऑफ गॉड में हैं जो दुनिया में पिता परमेश्वर के साथ-साथ माता परमेश्वर का प्रचार करनेवाला एक मात्र चर्च है और नई वाचा का फसह मनाता है जिससे हम परमेश्वर का मांस और लहू पाकर परमेश्वर की संतान बन सकते हैं। बाइबल गवाही देती है कि सिय्योन में निवास करनेवाले लोग पापों की क्षमा और अनन्त जीवन की आशीष पाते हैं(यश 33:20-24; भज 133:1-3)।

उत्पत्ति से प्रकाशितवाक्य तक, स्वर्गीय पिता और माता अपनी संतानों को यह संदेश देते हैं, “हमारी खोज करो।” केवल वे जो उत्सुकता से परमेश्वर की खोज करते हैं, परमेश्वर से मिल सकेंगे। शैतान माता परमेश्वर के अस्तित्व को नकारने की कोशिश करता है और स्वर्ग की संतानों को मानव-निर्मित नियमों से भरमाता है। बहुत सी बाधाओं के बावजूद, हम पिता और माता के अनुग्रह से सुरक्षित रूप से सिय्योन में आकर परमेश्वर से मिले हैं। और हमने सारे लोगों को सुसमाचार प्रचार करने का मिशन पाया है। मैं आप सिय्योन के हमारे परिवार के सदस्यों से इस बहुमूल्य मिशन को ईमानदारी से अंजाम देने के लिए कहता हूं ताकि बहुत से लोग पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को खोजकर आत्मिक घर, स्वर्ग वापस जा सकें।