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झूठे भविष्यद्वक्ता की पहचान और सच्चा चर्च
जिस पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में हम रहते हैं, वह इतने नाजुक और उत्कृष्ट रूप से व्यवस्थित किया गया है कि हम असहाय होकर सोचते हैं कि किसी न किसी ने तो इसका निर्माण किया है। क्या होता यदि पृथ्वी वर्तमान आकार से थोड़ी बड़ी या छोटी होती? क्या होता यदि पृथ्वी सूरज से थोड़ा करीब या दूर होती? यदि पृथ्वी का आकार या सूरज तक की दूरी में थोड़ा सा भी परिवर्तन हो जाए और यदि उपग्रह चांद का अस्तित्व न होता, तो पृथ्वी पर जीवन न होता। पृथ्वी को पानी या ऑक्सीजन की कमी होती और इसका तापमान अधिक हद तक गर्म या ठंड होता; तो जैसा अब है वैसा ही पृथ्वी का पर्यावरण मानव निवास के लिए अनुकूल नहीं होगा।
वह परमेश्वर हैं जिन्होंने सारी वस्तुएं और मनुष्य के लिए ऐसी पृथ्वी की सृष्टि की जो मनुष्यों के लिए रहने योग्य है(इब्र 3:4)। परमेश्वर ने पूरे ब्रह्मांड की व्यवस्था का निर्माण किया, और हमारे उद्धार की योजना भी बनाई। बाइबल एक शानदार खाका है जिसे परमेश्वर ने हमारे उद्धार के लिए निर्माण किया है(2तीम 3:15)। आइए हम देखें कि परमेश्वर ने उद्धार के लिए अपने खाके में क्या निहित किया है।
हम परमेश्वर का मंदिर हैं
बाइबल सीखाती है कि जब परमेश्वर का राज्य निकट होगा तब बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, इसलिए परमेश्वर की चुनी हुई संतानों को इस बात को पहचानना और हर समय सत्य में रहना चाहिए(मत 24:3-13)। आइए हम जानें कि हम झूठे भविष्यद्वक्ताओं को कैसे पहचान सकते हैं और सच्चा चर्च कैसे ढूंढ़ सकते हैं।
1कुर 3:16-17 क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नष्ट करेगा तो परमेश्वर उसे नष्ट करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो।
बाइबल हमसे कहती है कि हम परमेश्वर का मंदिर हैं और हमें पवित्र होना चाहिए क्योंकि परमेश्वर का मंदिर पवित्र है। मंदिर में केवल परमेश्वर का आत्मा वास करना चाहिए। परमेश्वर के मंदिर में दुष्ट और व्यभिचारी आत्माएं, लूटने वाली आत्माएं और भरमानेवाली आत्माएं नहीं होनी चाहिए। बाइबल कहती है यदि कोई परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करेगा तो परमेश्वर उसे नष्ट करेगा। सिय्योन के लोगों को यह बात कभी नहीं भूलना चाहिए और परमेश्वर के मंदिर के रूप में पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर पवित्र मन और व्यवहार के साथ परमेश्वटर को महिमा देनी चाहिए।
हमारे विश्वास का प्रतिफल हमारी आत्माओं का उद्धार है(1पत 1:8-9)। लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पहली बार परमेश्वर पर विश्वास करते समय स्वर्ग को अपना लक्ष्य बनाता है, पर समय बीतने पर स्वर्ग से उनका ध्यान भंग हो जाता है और चर्च में सम्मानित और ऊंचे पद हासिल करना चाहते हैं। यह बहुत भयंकर विचार है। चाहे हम किसी भी पद पर हो, हमें हमेशा आत्माओं को बचाने का लक्ष्य रखना चाहिए और यह देखने के लिए स्वयं को प्रतिबिंबित करना चाहिए कि हम परमेश्वर के इच्छानुसार ईमानदार जीवन जी रहे हैं या नहीं।
सही विश्वास रखने से पहले हमने पापमय स्वभाव के अनुसार जिया होगा। लेकिन जब से हमने परमेश्वर को जाना है और नए सिरे से जन्म लिया है, हमें परमेश्वर के पवित्र मंदिर के रूप में बदला जा रहे हैं। आइए हम सिय्योन के लोगों के रूप में परमेश्वर की सारी शिक्षाओं और आज्ञाओं को हमारे मन में स्वीकार करें और परिश्रमपूर्वक इनका पालन करें ताकि हम एक महीने, एक वर्ष और एक दशक के बाद भी विश्वास में अस्थिर रहने के बदले दिन-प्रतिदिन स्वर्गीय सम्पूर्ण प्राणी के रूप में बदल सकें।
मंदिर में मानी जाती परमेश्वर की आज्ञाएं
मंदिर अर्थात् परमेश्वर का निवास स्थान ऐसी जगह है जहां परमेश्वर की विधि, व्यवस्था और नियम लागू किए जाते हैं। बाइबल, पुराने और नए दोनों नियम में, बार-बार इस बात पर जोर देती है कि हमें परमेश्वर की आज्ञाओं और व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि हम परमेश्वर का मंदिर हैं।
गिन 15:37-40 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएलियों से कह कि अपनी पीढ़ी पीढ़ी में अपने वस्त्रों के छोर पर झालर लगाया करना, और एक एक छोर की झालर पर एक नीला फीता लगाया करना; और वह तुम्हारे लिये ऐसी झालर ठहरे, जिस से जब जब तुम उसे देखो तब तब यहोवा की सारी आज्ञाएं तुम को स्मरण आ जाएं; और तुम उनका पालन करो, और तुम अपने अपने मन और अपनी अपनी दृष्टि के वश में होकर व्यभिचार न करते फिरो जैसे करते आए हो। परन्तु तुम यहोवा की सब आज्ञाओं को स्मरण करके उनका पालन करो, और अपने परमेश्वर के लिये पवित्र बनो।
जब हम परमेश्वर की सभी आज्ञाओं को याद करते और उनका पालन करते हैं, तब हम परमेश्वर के लिए पवित्र हो जाएंगे। मंदिर वही जगह है जहां परमेश्वर की आज्ञाओं का सबसे अधिक बहुमूल्य रूप से पालन किया जाता है। जिस स्थान में परमेश्वर की आज्ञाएं नहीं हैं वह परमेश्वर के मंदिर के रूप में काम नहीं कर सकता।
व्य 7:9-11 इसलिये जान रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है, यह विश्वांसयोग्य ईश्वर है; जो उससे प्रेम रखते और उसकी आज्ञाएं मानते हैं उनके साथ वह हज़ार पीढ़ी तक अपनी वाचा का पालन करता, और उन पर करुणा करता रहता है; और जो उससे बैर रखते हैं वह उनके देखते उनसे बदला लेकर नष्ट कर डालता है; अपने बैरी के विषय वह विलम्ब न करेगा, उसके देखते ही उस से बदला लेगा। इसलिये इन आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को, जो मैं आज तुझे चिताता हूं, मानने में चौकसी करना।
बाइबल यह कहते हुए कि परमेश्वर हज़ार पीढ़ी तक अपनी वाचा का पालन करते हैं, परमेश्वर की आज्ञाओं, विधियों और व्यवस्थाओं का ईमानदारी से पालन करने के लिए हमसे आग्रह करती है। इन वचनों के अनुसार, हमारे पूर्वजों ने जिन्हें परमेश्वर पर सच्चा विश्वास था, परमेश्वर की आज्ञाओं को रखनें में अपना जीवन समर्पित किया।
1रा 2:1-3 जब दाऊद के मरने का समय निकट आया, तब उसने अपने पुत्र सुलैमान से कहा, “मैं संसार की रीति पर कूच करनेवाला हूं इसलिये तू हियाव बांधकर पुरुषार्थ दिखा। और जो कुछ तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे सौंपा है, उसकी रक्षा करके उसके मार्गों पर चला करना और जैसा मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसा ही उसकी विधियों तथा आज्ञाओं, और नियमों, और चितौनियों का पालन करते रहना; जिससे जो कुछ तू करे और जहां कहीं तू जाए, उसमें तू सफल होए।”
1रा 8:61 तो तुम्हारा मन हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर ऐसी पूरी रीति से लगा रहे, कि आज के समान उसकी विधियों पर चलते और उसकी आज्ञाएं मानते रहो।”
दाऊद ने परमेश्वर की आज्ञाओं को शुद्ध सोने से भी ज्यादा प्रेम किया और अपने पुत्र सुलैमान से परमेश्वर के नियमों के अनुसार जीने और उनकी आज्ञाओं का पालन करने को कहा। उद्धार के लिए परमेश्वर का खाका, बाइबल कई बार जोर देती है कि हमें परमेश्वर की व्यवस्थाओं और आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। बाइबल यह भी कहती है कि परमेश्वर के लोग जो अंत के दिनों में बचाए जाएंगे, ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हैं(प्रक 12:17; 14:12)। यह इसलिए क्योंकि परमेश्वर के लोग मंदिर हैं जहां परमेश्वर की व्यवस्थाओं, नियमों और विधियों का हमेशा पालन किया जाता है।
उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे
आज बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, परन्तु उनमें से अधिकांश लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं मनाते। उनके परमेश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन करने का कारण क्या है? यह इसलिए क्योंकि वे परमेश्वर का मंदिर नहीं हैं।
परमेश्वर के लोग जो बचाए जाएंगे, परमेश्वर का मंदिर हैं। इस महान सिद्धांत के तहत, परमेश्वर की आज्ञाओं और मनुष्य के बनाए हुए नियमों के द्वारा हम आसानी से झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सच्चे भविष्वद्वक्ताओं को और उन चर्चों से जहां उद्धार नहीं है सच्चे चर्च को पहचान सकते हैं।
मत 7:15-20 “झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्तर में वे फाड़नेवाले भेड़िए हैं। उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। क्या लोग झाड़ियों से अंगूर, या ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?... अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। इस प्रकार उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।”
बाइबल हमें सिखाती है कि झूठे भविष्यद्वक्ता होंगे और हमें उन्हें उनके फलों से पहचानकर उनसे सावधान रहना चाहिए। झाड़ियां कांटे उत्पन्न करती हैं, और अंजीर के वृक्ष अंजीर उत्पन्न करते हैं। उसी प्रकार से, यदि हम उनके फलों को देखें, तो हम जान सकते हैं कि उनकी शिक्षाएं परमेश्वर की ओर से हैं या मनुष्य के बनाए हुए नियम हैं।
मत 7:21-27 “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।’...”
यीशु ने सिखाया, “जो मुझ से ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा परन्तु वही जो स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।” फिर उन्होंने कहा, “मैंने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।” यीशु ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वे सच्चे नहीं बल्कि झूठे भविष्यद्वक्ता हैं।
यह देखकर कि वे परमेश्वर की व्यवस्था का पालन न करके कुकर्म करते हैं, यीशु उन्हें झूठे भविष्यद्वक्ता कहते हैं। यीशु के अनुसार परमेश्वर की व्यवस्था का उल्लंघन करनेवाले स्वर्ग नहीं जा सकते, और हम उन्हें उनके फलों से पहचान सकते हैं। इसलिए हमें उन्हें उनके रूप या वाक्पटुता से नहीं बल्कि उनके कर्मों के फल से पहचानना चाहिए।
तब, जब आराधना के दिन की बात आती है तो कुर्कम क्या है - सब्त या रविवार? ऐसा कोई विशिष्ट दिन है जिसे परमेश्वर ने अपने मंदिर में हमारे लिए नियुक्त किया कि हम उसका स्मरण रखें। वह सातवां दिन सब्त है। परमेश्वर ने स्वयं ही दस आज्ञाओं की घोषणा की जिसमें उन्होंने यह आदेश दिया, “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना(निर्ग 20:8)।” नए नियम में भी हम वह दृश्य देख सकते हैं जिसमें यीशु ने अपनी रीति के अनुसार सब्त मनाया(लूक 4:16), और प्रथम चर्च के प्रेरितों ने भी जो यीशु की इच्छा पर चले थे, अपनी रीति के अनुसार सब्त मनाया(प्रे 17, 18)।
पुराने और नए नियम के समयों में परमेश्वर के वचन के अनुसार हमेशा सब्त के दिन पर परमेश्वर के मंदिर में बलि(आराधना) चढ़ाई जाती थी; रविवार की आराधना का संचालन कभी नहीं किया जाता था। जैसा कि अब तक परमेश्वर के मंदिर में परमेश्वर की पवित्र आज्ञाएं रखी जाती थीं, हम परमेश्वर के लोगों को जो परमेश्वर का मंदिर हैं, सब्त, फसह, अखमीरी रोटी का पर्व और झोपड़ियों का पर्व सहित परमेश्वर के पर्वों को पवित्र रखना चाहिए। यही कारण है कि हम सब्त और प्रत्येक पर्व पर आराधना करते हैं।
झूठे भविष्यद्वक्ताओं को पहचानने की बुद्धि
निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है और अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है। लेकिन, यदि हम उद्धार के लिए परमेश्वर के खाके, बाइबल के वचन को ध्यान से न देखें तो हम सच्चे और झूठे भविष्यद्वक्ताओं में सही तरह से फर्क नहीं कर सकेंगे और झूठे भविष्यद्वक्ताओं की मीठी बातों से धोखा खा जाएंगे। यह कितना दयनीय है!
परमेश्वर का वचन पवित्र और सच्चा है। स्वर्ग के लोगों को बचाने के लिए परमेश्वर ने जो बनाया है उसमें से लोग कुछ बढ़ाने या निकालने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं? यह परमेश्वर की इच्छा है: यदि कोई उद्धार के लिए परमेश्वर की खाके, बाइबल में कुछ बढ़ाए तो परमेश्वर उस पर विपत्तियां बढ़ा देंगे, और यदि कोई उसमें से कुछ निकाल डाले तो परमेश्वर उससे स्वर्ग जाने के विशेषाधिकार को ले लेंगे(प्रक 22:18-19)। बाइबल के वचनों के माध्यम से, हममें झूठे भविष्यद्वक्ताओं को पहचानने और सच्चे चर्च को खोजने की बुद्धि और विवेक होना चाहिए।
यहेज 22:23-26 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा: “हे मनुष्य के सन्तान, उस देश से कह, तू ऐसा देश है जो शुद्ध नहीं हुआ, और जलजलाहट के दिन में तुझ पर वर्षा नहीं हुई। तेरे भविष्यद्वक्ताओं ने तुझ में राजद्रोह की गोष्ठी की, उन्होंने गरजनेवाले सिंह के समान अहेर पकड़ा और प्राणियों को खा डाला है; वे रखे हुए अनमोल धन को छीन लेते हैं, और तुझ में बहुत स्त्रियों को विधवा कर दिया है। उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खांचकर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है; उन्होंने पवित्र-अपवित्र का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध-अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिन्त रहते हैं, जिस से मैं उनके बीच अपवित्र ठहरता हूं।”
परमेश्वर ने कहा वह अपने सब्त के विषय में निश्चिन्त रहनेवालों के बीच अपवित्र ठहरते हैं। यह झूठे भविष्यद्वक्ताओं की पहली विशेषता है। सब्त को न मनानेवाले लोग कितनी भी मेहनत से लोगों को मीठी बातों से भरमाने की कोशिश क्यों न करें, पर वे परमेश्वर का मंदिर या सच्चे भविष्यद्वक्ता नहीं हो सकते। ऐसा लगता है कि वे “हे प्रभु! हे प्रभु!” कहते हुए परमेश्वर की महिमा करते हैं, लेकिन वास्तव में वे आत्मिक दुनिया में परमेश्वर को अपवित्र कर रहे हैं।
यहेज 22:27-28 उसके प्रधान भेड़ियों के समान अहेर पकड़ते, और अन्याय से लाभ उठाने के लिये हत्या करते हैं और प्राण घात करने को तत्पर रहते हैं। उसके भविष्यद्वक्ता उनके लिए कच्ची लेसाई करते हैं, उनका दर्शन पाना मिथ्या है; यहोवा के बिना कुछ कहे भी वे यह कहकर झूठी भावी बताते हैं कि ‘प्रभु यहोवा यों कहता है।’
झूठे भविष्यद्वक्ताओं की दूसरी विशेषता यह है कि वे अंत में आत्माओं को फाड़ खाते और नष्ट कर देते हैं। उद्धार के लिए परमेश्वर का खाका, बाइबल चेतावनी देती है कि अंतिम दिनों में बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता और झूठे मसीह उठ खड़े होंगे और यहां तक की चुने हुओं को भी भरमा देंगे(मत 24:24)। भेड़ों के भेस में वे सच्चे भविष्यद्वक्ताओं के समान दिखते हैं, लेकिन अन्तर में वे फाड़नेवाले भेड़िए हैं क्योंकि वे कुकर्म करते हैं। कृपया इस बात को याद रखें।
बाइबल कहती है कि सच्चे भविष्यद्वक्ता सिय्योन में हैं जहां परमेश्वर के पर्व मनाए जाते हैं(यिर्म 3:14-15)। मैं सिय्योन में आप सभी, भाइयों और बहनों से कहना चाहूंगा कि झूठे भविष्यद्वक्ताओं को पहचानें और सच्चे चर्च को खोजें ताकि आप सभी विश्वास के जंगल की यात्रा में बिना छुटे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें।
पवित्र चालचलन और भक्ति में रहना
परमेश्वर का मंदिर वह जगह है जहां परमेश्वर की इच्छा और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन किया जाता है। परमेश्वर पवित्र हैं। इसलिए हमें भी जो परमेश्वर का मंदिर हैं, अपने सारे चाल-चलन में पवित्र बनना चाहिए(1पत 1:14-16)।
2पत 3:6-12 ... हे प्रियो, यह बात तुम से छिपी न रहे कि प्रभु के यहां एक दिन हज़ार वर्ष के बराबर है, और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर है। प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कुछ लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता कि कोई नष्ट हो, वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। परन्तु प्रभु का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे। जबकि ये सब वस्तुएं इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल-चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए, और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए, जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे।
यदि मंदिर गंदा और प्रदूषित है तो परमेश्वर वहां कैसे निवास कर सकते हैं? जैसा कि अनंत स्वर्ग का राज्य निकट आ रहा है, आइए हम परमेश्वर के दिन की बाट जाहते हुए और उनके जल्द आने के लिए यत्न करते हुए परमेश्वर के लोगों के रूप में और अधिक पवित्र चाल-चलन और भक्ति में रहें ताकि जब परमेश्वर आएंगे हम उनसे पवित्रता में मिल सकें। तब, हम, परमेश्वर के लोग, क्षण भर में पलक मारते ही बदल जाएंगे और अनंत स्वर्ग के राज्य में अनंत जीवन और खुश का आनंद लेंगे।
आज हम सिय्योन में निवास कर रहे हैं जहां मसीह आन सांग होंग ने अपने दूसरे आगमन पर नई वाचा के नियम को पुन:स्थापित और घोषित किया है। सिय्योन में आए बिना, हम सत्य की व्यवस्था और सच्चे भविष्यद्वक्ताओं से नहीं मिल सकते; उनसे सिय्योन को छोड़कर संसार में कहीं नहीं मिल सकते। इसलिए, स्वर्गीय पिता और माता सभी देशों के लोगों को सिय्योन की ओर आने के लिए बुला रहे हैं, जहां नई वाचा के सब्त और तीन बार में सात पर्व मनाए जाते हैं।
परमेश्वर की संतान के रूप में जो पहले ही सारी आशीष प्राप्त कर चुकी हैं, आइए हम सिय्योन में धन्यवादी मन से निवास करें और बहुत से लोगों का सिय्योन की ओर नेतृत्व करें। सिय्योन के भाइयो और बहनो! मैं ईमानदारी से आपसे कहता हूं कि आप अपनी विश्वास की शेष यात्रा में भी पिता और माता की आज्ञाओं का पालन करें, ताकि आप सब अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें।