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परमेश्वर की प्रतिज्ञा और स्वर्ग

पुराना वर्ष चला गया है, और एक नया वर्ष शुरू हुआ है। अतीत को देखते हुए, मुझे लगता है कि मेरे सभी दिन इतनी जल्दी बीत गए कि जैसे मैं एक ही रात की नींद से जाग गया हूं। यह मुझे याद दिलाता है कि वह दिन नजदीक आ रहा है जब हम स्वर्ग जाएंगे। हमें बहुत आभारी होना चाहिए कि हमारे लिए स्वर्ग का राज्य है।

जब यीशु 2,000 वर्ष पहले इस पृथ्वी पर आए थे, तो उन्होंने सिखाया कि स्वर्ग और नरक का अस्तित्व वास्तव में है और हमसे उस मार्ग का अनुसरण करने को कहा जो उन्होंने हमारे लिए खोला था, ताकि हम सभी स्वर्ग जा सकें। फिर उन्होंने पृथ्वी पर अपने जीवन के दौरान सत्य की सभी शिक्षाओं को अभ्यास में लाकर हमें नमूना दिखाया। हम, स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को, उनके मार्ग का अनुसरण करना चाहिए, ताकि हम सभी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें। आइए हम बाइबल के द्वारा, उचित जीवन की धारणा को जांचें जिसे परमेश्वर ने हमें सिखाया।

प्रयास जो व्यर्थ नहीं हैं


मानव जीवन काल बहुत छोटा है। लगता है कि कई नायक और धन और शक्ति वाले लोग पूरी दुनिया पर हमेशा के लिए शासन करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, एक ऐसा समय आता है जब उन्हें अपना सब कुछ नीचे रखना पड़ता है और उसे समाप्त करना पड़ता है।

सिकंदर महान जिसने दुनिया पर विजय प्राप्त करने का सपना देखा, 33 वर्ष की आयु में बुखार से मर गया। उसकी मृत्यु से पहले, उसने कहा कि उसके दोनों हाथ ताबूत से बाहर होने चाहिए। इतिहासकारों का कहना है कि उसने लोगों को यह दिखाने के लिए ऐसा किया कि वह दुनिया से खाली हाथ चला गया, भले ही उसने यूनान से भारत तक एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया था।

सुलैमान, जिसे बुद्धि के राजा के रूप में जाना जाता है, उसने भी उस महान धन और सम्मान का आनंद लिया था जिसे दुनिया अब तक जानती है। हालांकि, सभोपदेशक की पुस्तक के अध्याय 1 से लेकर 12 तक जो उसने अपने जीवन के अंत में लिखी थी, वह लगातार कहता है कि जीवन व्यर्थ है।

सभ 1:1-3 यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन। उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है?

सभ 12:8-14 उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है... सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा।


सुलैमान ने संसार के सिद्धांत को समझा और बार-बार जोर देकर कहा, “सब कुछ व्यर्थ है।” आपको क्या लगता है कि परमेश्वर ने सुलैमान से इन शब्दों को क्यों लिखवाया? ऐसा इसलिए नहीं कि परमेश्वर चाहते हैं कि हमारे पास जीवन का निराशावादी और नकारात्मक दृष्टिकोण हो, बल्कि इसलिए है कि हम इस बारे में सोचें कि वास्तव में किस तरह का जीवन मूल्यवान है।

सभोपदेशक के अंत में, सुलैमान कहता है कि केवल एक चीज है जो व्यर्थ नहीं है और हमें इसे करने के लिए प्रयास करने की सलाह देता है। उसकी सलाह है कि परमेश्वर का भय मानें और उनकी आज्ञाओं का पालन करें। यह केवल इसलिए है क्योंकि जो लोग परमेश्वर की शिक्षाओं के अनुसार जीते हैं, वे न्याय से बच सकते हैं और अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।

जब तक हम परमेश्वर को नहीं खोजते और अपने जीवन के लक्ष्यों और दिशा को स्वर्ग की ओर निर्धारित नहीं करते, सब कुछ व्यर्थ है, फिर चाहे हम इसे करने की कितनी भी कोशिश करें। सिर्फ जब हम अनन्त चीजों के लिए परिश्रम करेंगे, तो हमारे प्रयास व्यर्थ नहीं होंगे। इसलिए यीशु ने कठिनाई और अत्याचार में भी हमेशा अपने चेलों के हृदयों में स्वर्ग की आशा बोई।

यूह 14:1-3 तुम्हारा मन व्याकुल न हो; परमेश्वर पर विश्वास रखो और मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुम से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।

“मेरे पिता का घर” स्वर्ग के राज्य को दर्शाता है। यीशु ने कहा कि वह स्वर्ग में हमारे लिए जगह तैयार कर रहे हैं। अनंत स्वर्ग का राज्य उन लोगों की प्रतीक्षा कर रहा है जो पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की आज्ञाओं को मनाते हैं और परमेश्वर का भय मानते हैं।

1कुर 2:9 परन्तु जैसा लिखा है, “जो बातें आंख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।”

स्वर्ग का राज्य, जिसे परमेश्वर ने अपने प्रेम करने वालों के लिए तैयार किया है, वह एक ऐसी सुन्दर दुनिया है जिसे न किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना और न ही किसी मनुष्य के चित्त में चढ़ा है। जब हम स्वर्ग की ओर मसीह के मार्ग का पालन करते हैं, तो हमारा जीवन कभी व्यर्थ नहीं जाता। हम चाहे जितनी भी तकलीफों से गुजरें, हमें स्वर्ग के राज्य को नहीं छोड़ना चाहिए लेकिन उसमें प्रवेश करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

स्वर्ग और नरक का वास्तव में अस्तित्व है


आज बहुत से लोग आत्मिक दुनिया के बारे में नहीं जानते, जहां वे जाएंगे। वे बस उस बात पर ध्यान केंद्रित करते हुए जो ठीक उनके सामने है, आत्मसंतुष्ट जीवन जीते हैं और नहीं जानते कि वे स्वर्ग या नरक की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन, स्वर्ग और नरक का निश्चित रूप से अस्तित्व है।

यीशु इस पृथ्वी पर मानव जाति को बचाने के लिए आए, और उन्होंने स्वर्ग और नरक के बारे में बहुत सी बातें सिखाईं। उन्होंने लोगों को आने वाले स्वर्ग के राज्य के बारे में बताते हुए मन फिराने का आग्रह किया(मत 4:17), और कहा कि हमारे शरीर के एक अंग को खोना इससे भला है कि हमारा पूरा शरीर नरक में डाल दिया जाए(मर 9:43-49)। धनी मनुष्य और लाजर के दृष्टांत के द्वारा, यीशु ने हमें सिखाया कि स्वर्ग या नरक में हर किसी के लिए किस तरह का जीवन होगा।

लूक 16:19-25 “एक धनवान मनुष्य था जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहिनता और प्रति दिन सुख-विलास और धूम-धाम के साथ रहता था। लाजर नाम का एक कंगाल घावों से भरा हुआ उसकी डेवढ़ी पर छोड़ दिया जाता था, और वह चाहता था कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरे; यहां तक कि कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटते थे। ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर अब्राहम की गोद में पहुंचाया। वह धनवान भी मरा और गाड़ा गया, और अधोलोक में उसने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाईं, और दूर से अब्राहम की गोद में लाजर को देखा। तब उसने पुकार कर कहा, ‘हे पिता अब्राहम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगोकर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं।’ परन्तु अब्राहम ने कहा, ‘हे पुत्र, स्मरण कर कि तू अपने जीवन में अच्छी वस्तुएं ले चुका है, और वैसे ही लाजर बुरी वस्तुएं : परन्तु अब वह यहां शान्ति पा रहा है, और तू तड़प रहा है’।”

धनी मनुष्य हर दिन सुख-विलास में रहता था, जबकि लाजर पीड़ा में रहता था। लेकिन, मृत्यु के बाद, उनमें से प्रत्येक ने एक नया जीवन शुरू किया। लाजर को परमेश्वर की गोद में पहुंचकर स्वर्ग में आराम मिला, लेकिन धनी मनुष्य नरक की आग में इतना तड़प रहा था कि उसने परमेश्वर से भीख मांगी, “लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगोकर मेरी जीभ को ठंडी करे।”

लाजर के विपरीत जो स्वर्ग की ओर मन लगाकर रहा, धनी मनुष्य ने केवल धन संचय पर ध्यान केंद्रित किया था और उसके पास स्वर्ग के बारे में सोचने का समय नहीं था। परिणाम स्वरूप, उसने दिए गए सभी अवसरों को खो दिया। आग में तड़पते हुए, उसने अपने भाइयों को आत्मिक दुनिया के बारे में बताने के लिए परमेश्वर से लाजर को वापस पृथ्वी पर भेजने के लिए आग्रह किया ताकि वे नरक में न आएं। तब परमेश्वर ने कहा कि उन्हें मूसा और नबियों की यानी बाइबल की शिक्षाओं का पालन करना चाहिए, ताकि वे नरक की पीड़ा से बच सकें और स्वर्ग में आ सकें(लूक 16:27-31)।

प्रक 20:10 उन का भरमानेवाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा; और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे।

प्रक 21:1-8 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा... “वह उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।”... “परन्तु डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा जो आग और गन्धक से जलती रहती है : यह दूसरी मृत्यु है।”


यदि नरक है जहां न बचाए जाने वाले लोग आग और गन्धक की झील में सदा के लिए तड़पते हैं, तो निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य का अस्तित्व भी है जहां न कोई मृत्यु, शोक और पीड़ा है। हम जिस स्वर्ग में जा रहे हैं वह एक ऐसी जगह है जहां अनंत जीवन, आनंद और खुशी है। ऐसी अद्भुत दुनिया में जाने से इनकार करने का कोई कारण नहीं है। लाजर की तरह, भले ही हम इस पृथ्वी पर एक कठिन जीवन जीते हैं, हम सभी को हमेशा हर्षित रहते हुए स्वर्ग की ओर दौड़ना चाहिए।

स्वर्ग जाने का मार्ग


यदि कोई स्वर्ग या नरक को चुन सकता है, तो हर कोई स्वर्ग जाना चाहेगा। इसलिए, हमें विश्वास की सही दिशा तय करनी चाहिए। यदि हम बस आंख बंद करके दौड़ते हैं, तो हम गंतव्य तक नहीं पहुंच सकते। जब हम स्वर्ग की ओर विश्वास के पथ पर चलते हैं, तब ही हम अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।

यूह 14:6 यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।”

उन मनुष्यों के लिए जो स्वर्ग जाने का मार्ग जाने बिना भटक रहे थे, यीशु मसीह 2,000 वर्ष पहले इस पृथ्वी पर आए, और स्वर्ग की ओर हमारी अगुवाई करनेवाले एक मार्गदर्शक बने। इसलिए हमें मसीह की शिक्षाओं का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।

प्रक 22:11-15 “जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है; वह पवित्र बना रहे। देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूं; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है। मैं अल्फा और ओमेगा, पहला और अन्तिम, आदि और अन्त हूं। धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे। पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहनेवाला और गढ़नेवाला बाहर रहेगा।”

परमेश्वर कहते हैं कि वह हर एक का उनके कामों के अनुसार न्याय करेंगे(प्रक 20:13)। हर एक दिन हमारे लिए स्वर्ग जाने की तैयारी करने का एक अवसर है। कुछ लोग इस अवसर को दुनिया में व्यर्थ चीजों में बदल देते हैं, जबकि कुछ लोग स्वर्ग न खोने की कोशिश करते हैं, भले ही यह उनके लिए मुश्किल हो। संसार में इतनी मूल्यवान चीज नहीं है जिसके लिए हमें स्वर्ग को छोड़ना पड़ता है। अनन्त प्रतिफल या न्याय हमारे विश्वास और कार्य पर निर्भर करता है। इसलिए, हमें अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने तक, हर क्षण को मूल्यवान मानना और परमेश्वर की इच्छा का पालन करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।

2पत 3:11-14 ... तो तुम्हें पवित्र चाल-चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए, और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए, जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे। पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी। इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो, तो यत्न करो कि तुम शान्ति से उसके सामने निष्कलंक और निर्दोष ठहरो।

जो लोग नई वाचा मनाते हैं, वे परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार नए आकाश और नई पृथ्वी में प्रवेश करेंगे। फिर, क्या हमारे लिए कुछ दुष्टता करना ठीक होगा क्योंकि हमने पहले ही परमेश्वर की प्रतिज्ञा प्राप्त की है? बिलकुल नहीं! परमेश्वर की संतानों के रूप में, हमें सत्य में अधिक पवित्र और ईमानदार जीवन जीना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर परिपूर्ण हैं।

भले ही आप सत्य ग्रहण करने से पहले, सांसारिक मानकों द्वारा चीजों का न्याय करते हुए इस दुनिया के लिए जीते थे, लेकिन आपको अभी से स्वर्ग की ओर बढ़ना चाहिए। जो कोई स्वर्ग जाना चाहता है उसे पश्चाताप करना चाहिए। परमेश्वर के अनुग्रह के लिए आभारी होकर, हमें पश्चाताप करना चाहिए ताकि हम स्वर्ग के राज्य को प्राप्त कर सकें।

परमेश्वर की प्रतिज्ञा, नई वाचा


जब हम अपने जीवन पर नजर डालते हैं, तो हमें महसूस होता है कि परमेश्वर के सामने हमारी कई कमजोरियां हैं। बाइबल कहती है कि परमेश्वर की दृष्टि में कोई धर्मी नहीं है, एक भी नहीं(रो 3:10)। पाप से शुद्ध हुए बिना, कोई भी परमेश्वर के सामने निर्दोष या निष्कलंक नहीं हो सकता। इसलिए परमेश्वर ने हमें पापों की क्षमा दी है।

यश 33:20-24 हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशलेम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूंटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी। वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा... कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लोग उसमें बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा।

परमेश्वर ने सिय्योन में रहने वाले लोगों के पापों को क्षमा करने की प्रतिज्ञा की है, जहां परमेश्वर के पर्व मनाए जाते हैं। सिय्योन में लोगों के पास प्रतिज्ञा है जो उन्हें परमेश्वर के सामने निर्दोष या निष्कलंक रहने और अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए सक्षम बनाती है।

मत 26:26-28 जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”

केवल परमेश्वर के पास पापों को क्षमा करने का अधिकार है(मर 2:7; लूक 5:20-21)। मानव जाति के सभी पापों को क्षमा करने के लिए, पुत्र के युग में यीशु उद्धारकर्ता के रूप में इस पृथ्वी पर आए। उन्होंने परमेश्वर के नियत पर्वों का नगर सिय्योन को स्थापित किया, और स्वर्ग का मार्ग खोल दिया, ताकि जो कोई भी नई वाचा का फसह मनाए वह पापों की क्षमा पा सके।

इस पवित्र आत्मा के युग में, आत्मा और दुल्हिन ने नई वाचा के सत्य को पुन:स्थापित किया है और हमें जो उनकी संतान हैं, पापों की क्षमा और अनंत स्वर्ग के राज्य के मार्ग पर अगुवाई करते हैं(प्रक 22:17)। हमें उस मार्ग का पालन करना चाहिए, ताकि हम स्वर्ग में प्रवेश कर सकें।

आत्मिक दुनिया के लिए तैयारी करें


जिस क्षण शारीरिक जीवन समाप्त होता है, वह अनंत जीवन का शुरुआती क्षण है। परमेश्वर ने अपनी प्यारी संतानों के लिए स्वर्ग का राज्य तैयार किया है जहां वे जो चाहें, प्राप्त कर सकते हैं और अनंत जीवन और खुशी पा सकते हैं।

प्रक 22:1-5 फिर उसने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। नदी के इस पार और उस पार जीवन का वृक्ष था; उसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस वृक्ष के पत्तों से जाति-जाति के लोग चंगे होते थे। फिर स्राप न होगा, और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा और उसके दास उसकी सेवा करेंगे। वे उसका मुंह देखेंगे, और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा। फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले की अवश्यकता न होगी, क्योंकि प्रभु परमेश्वर उन्हें उजियाला देगा, और वे युगानुयुग राज्य करेंगे।

एक कहावत है कि “इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है।” जब वे पृथ्वी पर पैदा हुए तो हर कोई खाली हाथ आया था। लेकिन, जब परमेश्वर की संतान अपनी जीवन यात्रा समाप्त करके अपने स्वर्गीय घर वापस जाते हैं, तो वे बहुत से उपहारों के साथ लौटेंगे जैसे कि परमेश्वर की आशीष, प्रेम और प्रतिज्ञाएं। परमेश्व र ने हमारे लिए शानदार दुनिया तैयार की है और सदा के लिए वहां राज्य करने की महिमा और आशीष हमारा इंतजार कर रहे हैं।

अब स्वर्ग के राज्य की तैयारी का समय है। क्या होगा यदि लोग इसे महसूस करने में नाकाम हों और परमेश्वर या स्वर्ग के राज्य को भी न जानते हुए, अपने सांसारिक जीवन को समाप्त करें? वे अंत में बहुत दयनीय होंगे। इसीलिए परमेश्वर ने इस तथ्य को सबसे पहले हमें जानने दिया है और हमसे इसे उन लोगों को सिखाने के लिए कहा जो अभी तक इसे नहीं जानते। आइए हम सभी लोगों को बताएं कि स्वर्ग का अस्तित्व है और यह कि केवल प्रतिज्ञा की संतान, जो नई वाचा के सत्य में रहती हैं, उसमें प्रवेश कर सकती हैं।

हम सिय्योन में निवास करते हैं और हमारे पास स्वर्ग की आशा है, और स्वर्गीय पिता और माता हमारे साथ हैं जो हमें स्वर्ग की ओर ले जाते हैं। इससे बड़ा कोई आनंद नहीं हो सकता, है न? हमारे जीवन में परमेश्वर की निश्चित प्रतिज्ञा है। मैं आग्रहपूर्वक आप सभी, हमारे सिय्योन के परिवार के सदस्यों से कहता हूं कि परमेश्वर का भय मानें और उनकी आज्ञाओं का पालन करते हुए मसीह के मार्ग पर चलें ताकि आप सभी अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें। हमें यह अनुग्रहपूर्ण और सुंदर आशा देने के लिए मैं एलोहीम परमेश्वर को अनंत धन्यवाद और महिमा देता हूं!