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यहोवा का सन्दूक
बाइबल पुराने नियम और नए नियम से, अर्थात् पुरानी वाचा और नई वाचा से, जो परमेश्वर ने मानव को दीं, बनी है। पुराने नियम, यानी पुरानी वाचा के केंद्र में पवित्रस्थान था। और परम पवित्रस्थान में, जो पवित्रस्थान में सब से महत्वपूर्ण स्थान था, वाचा का सन्दूक था।
वाचा के सन्दूक में पत्थर की पटियाएं रखी थीं, जिस पर दस आज्ञाएं लिखी हुई थीं। परमेश्वर की व्यवस्था रखी जाने से यह व्यवस्था का सन्दूक कहलाता था, और परमेश्वर की साक्षी रखी जाने से यह साक्षीपत्र का सन्दूक कहलाता था। सामान्यत: यह पवित्र सन्दूक कहलाया जाता है।
पुराने नियम के इतिहास में वाचा के सन्दूक के मुताबिक अनेक घटनाएं लिखी हैं। ये वाचा के सन्दूक के महत्व के बारे में जानकारी देती हैं। कोई वाचा के सन्दूक के द्वारा आशीष पाता था, और कोई इसके द्वारा शापित होकर नष्ट होता था। वास्तव में ये बातें हमारे लिए उदाहरण-स्वरूप बनती हैं और ये चेतावनी के लिए लिखी गई हैं।(1कुर 10:11 संदर्भ) बीते इतिहास के द्वारा, हमें वाचा के सन्दूक की वास्तविकता को महसूस करना है और उद्धार की आशीष का भागी होना चाहिए।
जीवन के वृक्ष का फल और वाचा का सन्दूक जिनकी रक्षा करूबों ने की
उत 2:16-17 “फिर यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह कहकर आज्ञा दी: “तू वाटिका के किसी भी पेड़ का फल बेखटके खा सकता है, परन्तु जो भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष है-उस में से कभी न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसमें से खाएगा उसी दिन तू अवश्य मर जाएगा।” ”
हम उत्पत्ति ग्रंथ में लिखित अदन वाटिका का इतिहास जांच करेंगे। परमेश्वर ने आदम और हव्वा को भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाने से मना किया। लेकिन आदम और हव्वा ने निषिद्ध फल खाकर पाप किया, और मृत्यु संसार में लाई गई, जिससे सारे मानव भी मृत्यु में आ गए। जो भी हो, अदन वाटिका में, जहां से मृत्यु का इतिहास शुरू हुआ, अनन्त जीवन का रहस्य था।
उत 3:22-24 “तब यहोवा परमेश्वर ने कहा, “देखो, यह मनुष्य भले और बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है। अब ऐसा न हो कि वह अपना हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़कर खा ले और सदा जीवित रहे” ... अत: उसने आदम को बाहर निकाल दिया तथा जीवन के वृक्ष के मार्ग की रक्षा करने के लिए अदन के बगीचे के पूर्व की ओर करूबों को और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को नियुक्त कर दिया।”
अदन वाटिका में जीवन के वृक्ष का फल था। चाहे पापी हो जिसे मृत्यु की सजा मिली, यदि वह इसे खाता तब वह अनन्त जीवन पा सकता था। लेकिन परमेश्वर ने जीवन के वृक्ष के मार्ग की रक्षा करने के लिए करूबों को और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को नियुक्त कर दिया, ताकि पापी जीवन का फल तोड़ कर न खा सके।
तब जीवन के वृक्ष की वास्तविकता क्या है? आदम से लेकर मूसा तक परमेश्वर के नियम अलिखित कानून होकर सौंपे गए थे। लेकिन मूसा के समय में नियमों का फिर से प्रबंध किया गया और इन्हें संहिताबद्ध किया गया। उनमें से पवित्रस्थान के मुताबिक नियम के द्वारा, हम जीवन के वृक्ष की, जिसकी रक्षा करूबों ने की, वास्तविकता का रहस्य खोज सकते हैं।
निर्ग 25:10-22 “बबूल की लकड़ी का एक सन्दूक बनाना ... जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूंगा उसे सन्दूक में रखना। “और तू चोखे सोने का प्रायश्चित्त का ढकना बनाना जो ढाई हाथ लम्बा, और डेढ़ हाथ चौड़ा हो। और तू सोने के दो करूब गढ़कर बनाना, और उन्हें प्रायश्चित्त के ढकने के दोनों सिरों पर लगाना। एक करूब को एक सिरे पर और दूसरे को दूसरे सिरे पर लगाना; करूबों को प्रायश्चित्त के ढकने के साथ एक ही टुकड़े से गढ़कर दोनों सिरों पर लगाना। और करूबों के पंख ऊपर की ओर ऐसे फैले हुए हों जिस से प्रायश्चित्त का ढकना उनसे ढंका हुआ हो, और उनके मुंह आमने-सामने प्रायश्चित्त के ढकने की ओर हों। और तू प्रायश्चित्त के ढकने को सन्दूक के ऊपर लगाना, तथा जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूंगा उसे सन्दूक में रखना। और मैं वहां, अर्थात् प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर और दोनों करूबों के बीच में जो साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर हैं, तुझ से मिला करूंगा और उन सब आज्ञाओं के विषय में, जो मैं तुझे इस्राएलियों के लिए देने पर हूं, बातें करूंगा।”
मूसा को व्यवस्था देते समय, परमेश्वर ने साथ ही पवित्रस्थान का निर्माण करने की आज्ञा दी। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वाचा का सन्दूक, जिसमें वाचा की पटियाएं डाली गईं, पवित्रस्थान के भीतरी भाग, परम पवित्रस्थान में रखें जो सब से पवित्र है, और कहा कि सन्दूक के ऊपरी भाग, प्रायश्चित्त के ढकने पर करूबों को खड़ा करें। और बताया कि दोनों करूबों के बीच में परमेश्वर इस्राएलियों से मिलेगा और वहां आज्ञाओं के विषय में इस्राएलियों के लिए बातें करेगा। वे करूब, जिन्होंने अदन वाटिका में जीवन के वृक्ष की रक्षा की, पवित्रस्थान में वाचा के सन्दूक की रक्षा करते थे। इसका अर्थ है कि वाचा का सन्दूक जीवन के वृक्ष को दर्शाता है।
वाचा के सन्दूक का तिरस्कार करने वालों का विनाश
जंगल में तम्बू स्थापित होने के बाद, वाचा के सन्दूक का स्थानांतरण इधर-उधर किया जाता था। उस समय जो परमेश्वर का आदर करते हुए वाचा के सन्दूक को पूजते थे, वे आशीष पाते थे। लेकिन जिन्होंने इसका तिरस्कार किया, वे नष्ट किए गए।
1शम 2:30 “इसलिए इस्राएल का यहोवा परमेश्वर यों कहता है: मैंने कहा तो था कि तेरे और तेरे पिता के घराने सर्वदा मेरे सम्मुख चला करेंगे, परन्तु यहोवा अब यह कहता है, ‘यह मुझ से दूर हो, क्योंकि जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मेरा तिरस्कार करते हैं वे छोटे समझे जाएंगे।”
परमेश्वर ने इस्राएल के न्यायी, ऐली के परिवार की ओर यह चेतावनी दी। ऐली के दोनों पुत्र, होप्नी और पीनहास बदतमीज थे। वे हमेशा परमेश्वर के नियत नियमों को भंग कर देते थे, और परमेश्वर को चढ़ाए गए बलिदान का तिरस्कार करते हुए ज़्यादा दुष्कर्म करते थे। परमेश्वर की चेतावनी के बावजूद वे निरंतर दुष्कर्म करते थे। अंतत: वे पलिश्तियों के युद्ध में हार गए और वाचा का सन्दूक उनसे छीन लिया गया।
1शम 4:4-11 “अत: उन्होंने लोगों को शीलो भेजा। वे वहां से करूबों पर विराजमान सेनाओं के यहोवा की वाचा का सन्दूक उठा लाए, और एली के दोनों पुत्र, होप्नी और पीनहास भी परमेश्वर की वाचा के सन्दूक के साथ वहां थे। ... पलिश्ती इस से भयभीत हो गए क्योंकि उन्होंने कहा, “परमेश्वर शिविर में आ गया है।” फिर उन्होंने कहा, “हम पर हाय! क्योंकि ऐसी बात पहले कभी नहीं हुई। हम पर हाय! हम को ऐसे महाप्रतापी देवताओं के हाथ से कौन छुड़ाएगा? ये तो वही देवता हैं जिन्होंने मरुभूमि में मिस्रियों को सब प्रकार की महामारियों से मार डाला था। हे पलिश्तियो, हियाव बांधो, और पुरुषार्थ करो। ... अत: पुरुषार्थ के साथ युद्ध करो।” पलिश्तियों ने इसी प्रकार युद्ध किया जिस से इस्राएल पराजित हुआ, और प्रत्येक मनुष्य अपने तम्बू को भाग गया। उस दिन महा संहार हुआ जिसमें इस्राएल के तीस हज़ार पैदल-सैनिक मार डाले गए। साथ ही परमेश्वर का सन्दूक भी छीन लिया गया, तथा एली के पुत्र होप्नी और पीनहास, दोनों मारे गए।”
इस्राएल के जंगल में 40 वर्ष का इतिहास देखा जाए, तब हम जान सकते हैं कि इस्राएलियों के सभी मार्गों के आगे हमेशा वाचा का सन्दूक चलता था, जिससे मुश्किल और कठिनाई आने पर, वाचा का सन्दूक उनके लिए ढाल बनता था। इसका कारण था कि वाचा के सन्दूक के बीच में विराजमान परमेश्वर ही इस्राएल के लिए लड़ाई करता था।
इस्राएलियों ने इसे महसूस किया था, इसलिए पलिश्तियों से युद्ध करने से पहले, वे शीलो में से वाचा का सन्दूक उठा लाए थे। इसे देखकर इस्राएलियों ने इतना जयजयकार किया था कि पृथ्वी कांप उठी, और पलिश्ती इस से भयभीत हो गए थे। लेकिन जैसा कि परमेश्वर ने ऐली के परिवार की ओर यह चेतावनी दी, इस्राएल युद्ध में पराजित हुआ, और होप्नी और पीनहास मारे गए।
1शम 4:17-22 “समाचार लाने वाले ने उत्तर दिया, “इस्राएल पलिश्तियों के सामने से भाग गया है, और सेना के लोगों का भयानक संहार हुआ है, होप्नी और पीनहास, तेरे दोनों पुत्र भी मर गए हैं, तथा परमेश्वर का सन्दूक छीन लिया गया है।” जैसे ही उसने परमेश्वर के सन्दूक का नाम लिया, एली अपने आसन से पीठ के बल द्वार के पास गिर पड़ा जिससे उसकी गर्दन टूट गई, और वह मर गया ... इस समय उसकी बहू, पीनहास की पत्नी गर्भवती थी ... उसे प्रसव-पीड़ा उठी जिस से वह दुहर गई ... उसने लड़के का नाम यह कहकर ईकाबोद रखा, “इस्राएल से महिमा उठ गई,” क्योंकि परमेश्वर का सन्दूक छीन लिया गया था, तथा उसके ससुर और पति नहीं रहे। उसने कहा, “इस्राएल से महिमा उठ गई है, क्योंकि परमेश्वर का सन्दूक छीन लिया गया है।”
इस तरह से, इस्राएल के भाग्य का फैसला करने का सब से खास मर्म और मुख्य कुंजी परमेश्वर का सन्दूक था। जब इस्राएली वाचा के सन्दूक के साथ थे, तब इस्राएल समृद्ध होता था। लेकिन जब सन्दूक छीन लिया गया, तब इस्राएल पर विपत्ति आई, और इस्राएल से महिमा उठ गई।
इसके पश्चात् बाइबल में लगातार लिखा गया कि जिन्होंने वाचा के सन्दूक का अनादर किया, उन पर विपत्ति लाई गई।
1शम 6:19-7:2 “और उसने बेतशेमेश के कुछ मनुष्यों को मार डाला क्योंकि उन्होंने यहोवा के सन्दूक के भीतर झांका था। उसने नगर की प्रजा में से पचास हज़ार सत्तर मनुष्यों को मार डाला। इस कारण लोगों ने बड़ा विलाप किया क्योंकि यहोवा ने लोगों का बड़ा संहार किया था। बेतशेमेश के लोगों ने कहा, “इस पवित्र परमेश्वर, यहोवा के सामने कौन खड़ा रह सकता है? और हमारे पास से वह किसके पास चला जाए?” इसलिए, उन्होंने किर्वत-यारीम के निवासियों के पास यह कहने को दूत भेजे, “पलिश्तियों ने यहोवा के सन्दूक को लौटा दिया है। आकर उसे अपने यहां ले जाओ।” तब किर्यत-यारीम के लोग आए और यहोवा के सन्दूक को ले गए, और उसे अबीनादाब के घर में जो पहाड़ी पर था लाकर रख दिया। ... जिस दिन से सन्दूक किर्यत-यारीम में रखा गया था बहुत समय अर्थात् बीस वर्ष बीत गए थे। इधर इस्राएल का सम्पूर्ण घराना यहोवा के लिए विलाप करता रहा।”
बेतशेमेश के कुछ मनुष्यों ने नियम के विरुद्ध ऐसी बदतमीज़ी की कि परमेश्वर के सन्दूक के भीतर झांका था। इसलिए परमेश्वर ने पचास हज़ार सत्तर मनुष्यों को मार डाला। सुलैमान के मंदिर का निर्माण करके वहां वाचा का सन्दूक रखने तक वाचा के सन्दूक के साथ बहुत ही ज़्यादा घटनाएं घटित हुई थीं।
वाचा के सन्दूक को पूजने से ओबेद–एदोम के परिवार ने आशीष पाई
1इत 13:6-14 “तब दाऊद और समस्त इस्राएली बाला को, अर्थात् किर्यत–यारीम को जो यहूदा में है, गए कि करूबों पर विराजमान यहोवा परमेश्वर के सन्दूक को जो उसी के नाम से कहलाता है वहां से ले आएं। और वे परमेश्वर के सन्दूक को एक नई गाड़ी पर रख कर अबीनादाब के घर से निकाल ले आए ... जब वे कीदोन के खलिहान पर पहुंचे तो उज्जा ने सन्दूक को थामने को अपना हाथ बढ़ाया, क्योंकि बैलों ने ठोकर खाई थी। तब यहोवा का क्रोध उज्जा पर भड़क उठा, और उसने उसे मार डाला, क्योंकि उसने अपना हाथ सन्दूक पर लगाया था; और वह वहीं परमेश्वर के सामने मर गया। ... दाऊद उस दिन परमेश्वर से डर गया और कहने लगा, “मैं परमेश्वर के सन्दूक को अपने यहां कैसे ला सकता हूं?” अत: दाऊद सन्दूक को अपने यहां दाऊदनगर नहीं लाया, परन्तु उसे अलगगत-वासी ओबेद-एदोम के घर ले गया। इस प्रकार परमेश्वर का सन्दूक ओबेद–एदोम के यहां उसके घराने के पास तीन महीने तक रहा, और यहोवा ने ओबेद-एदोम के घराने पर और जो कूछ उसका था सब पर आशिष दी।”
जब सन्दूक दाऊदनगर ले जाया जा रहा था, उज्जा ने सन्दूक को अपने हाथ से थाम लिया था। तब वह वहीं मार डाला गया। दाऊद यह देखकर बहुत डर गया, और उसने वाचा के सन्दूक को दाऊदनगर नहीं, पर ओबेद–एदोम के घराने के पास रखा। ओबेद–एदोम के घराने ने सन्दूक को पूजने से प्रचुर आशीष पाई।
परमेश्वर ने उन्हें क्षमा नहीं किया जिन्होंने नियम के विरुद्ध वाचा के सन्दूक का अनादर किया और उन्हें नष्ट किया। लेकिन जो वाचा के सन्दूक को बहुमूल्य रूप से मानते थे, उन्हें परमेश्वर प्रचुर आशीष से भरता था। दाऊद ने, जो उज्जा की मृत्यु को देख कर पहले डर गया था, आखिर में वाचा के सन्दूक के द्वारा परमेश्वर की आशीष को महसूस किया और उसे दाऊदनगर ले आया।
1इत 15:25-29 “और दाऊद और इस्राएलियों के पुरनिए और सहस्रपति, सब मिलकर यहोवा की वाचा का सन्दूक ओबेदेदोम के घर से आनन्द मनाते हुए लाने को गए ... दाऊद मलमल का एपोद भी पहने था। इस प्रकार समस्त इस्राएली यहोवा की वाचा के सन्दूक को जयजयकार के नारे लगाते नरसिंगे तुरहियां और झांझ और सारंगियां और वीणा बजाते हुए ले चले। और ऐसा हुआ कि जब यहोवा की वाचा का सन्दूक दाऊदनगर में पहुंचा तो शाऊल की पुत्री मीकल ने खिड़की में से झांककर दाऊद राजा को खूब कूदते और आनन्द मनाते देखा; और उसने मन ही मन उसे तुच्छ जाना।”
जब दाऊद ने परमेश्वर के सन्दूक को दाऊदनगर आते देखा, वह बच्चे की तरह आनन्द मनाते हुए खूब कूदा। लेकिन मीकल को सन्दूक के द्वारा आशीष का एहसास नहीं हुआ और उसने दाऊद को तुच्छ जाना। इस कारण से परमेश्वर ने मीकल को जीवन भर सन्तान नहीं दी।
इसके पश्चात् दाऊद ने परमेश्वर के आगे होमबलि और मेलबलि चढ़ाए, और लेवियों में से कुछ को सन्दूक के आगे सेवा-टहल करने, और परमेश्वर का धन्यवाद और उसकी स्तुति करने के लिए नियुक्त किया।(1इत 16:1-4) दाऊद के पुत्र, सुलैमान के समय में मन्दिर का निर्माण किया गया। इसके साथ ही, वाचा का सन्दूक, जो उस समय तक इधर से उधर घूमता था, मन्दिर में बस सका। बाइबल में लिखा है कि जब सुलैमान ने मन्दिर का निर्माण करने के बाद उसमें वाचा का सन्दूक और सब पात्र रखे, तब परमेश्वर का तेज मन्दिर में भर गया।(1रा 8:1–11)
स्वर्गीय माता जो वाचा का सन्दूक है
इस तरह से पुराने नियम के समय में, परमेश्वर वाचा के सन्दूक के द्वारा अपनी प्रजाओं के साथ रहता था और आशीष देता था। तब आइए हम देखें कि इस ज़माने में परमेश्वर वाचा के सन्दूक के द्वारा हमें क्या सिखाता है, और वाचा के सन्दूक की असलियत क्या है।
यिर्म 3:14-18 “ ... यहोवा की वाणी है, ‘उन दिनों जब तुम देश में फूलो-फलोगे और बढ़ जाओगे, तब लोग फिर न कहेंगे, “यहोवा की वाचा का सन्दूक” और वह मन में भी नहीं आएगा, न वे उसे स्मरण करेंगे; न उसका अभाव अनुभव करेंगे और न वह फिर से बनाया जाएगा। उस समय वे यरूशलेम को “यहोवा का सिंहासन” कहेंगे, और सब जातियां यहोवा के नाम में यरूशलेम में इकट्ठी की जाएंगी और वे फिर कभी अपने बुरे मन की ढिठाई के अनुसार नहीं चलेंगे। उन दिनों यहूदा का घराना इस्राएल के घराने के साथ चलेगा और वे दोनों मिल कर उत्तर के देश से इस देश में आएंगे जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मीरास में दिया था।”
बाइबल ने कहा है कि ऐसा दिन आएगा जब लोग फिर न कहेंगे, ‘यहोवा की वाचा के सन्दूक’, और कहा है कि यरूशलेम को ‘यहोवा का सिंहासन’ कहेंगे। प्रेरित पौलुस ने साक्षी दी है कि यरूशलेम हमारी माता है।
गल 4:26 “परन्तु ऊपर की यरूशलेम स्वतन्त्र है, और वह हमारी माता है।”
इसका अर्थ है कि पवित्र वाचा के सन्दूक की, जहां परमेश्वर करूबों के बीच में विराजमान होता था और जहां परमेश्वर का तेज भरपूर था, असलियत यरूशलेम हमारी माता है। इसलिए जो यरूशलेम को भूल जाता है और जिसके हृदय में माता नहीं है, उससे परमेश्वर की महिमा चली जाती है। वाचा के सन्दूक का अनादर करने से नष्ट हुए बेतशेमेश के लोग और उज्जा का इतिहास, और वाचा के सन्दूक को पूजने से आशीषित हुए ओबेद-एदोम के घराने का इतिहास हमें शिक्षा देते हैं कि माता हमारे लिए कितनी बहुमूल्य है।
जैसे सुलैमान का मन्दिर ही वह जगह था जिसमें वाचा का सन्दूक आखिर में रखा गया था, वैसे ही हम ही मन्दिर हैं जिसमें इस ज़माने में वाचा का सन्दूक रखा जाता है।
1कुर 3:16-17 “क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नष्ट करे तो परमेश्वर उसे नष्ट करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो।”
आज, हम परमेश्वर के मन्दिर के रूप में सृजे गए हैं, इसलिए हमें माता को, जो करूबों के द्वारा सुरक्षित किए गए वाचा के सन्दूक और जीवन के वृक्ष की असलियत है, अपने हृदय में लगाना चाहिए। यदि कोई माता को स्वीकार न करे, तो वह साथ ही वाचा के सन्दूक का आदर नहीं कर सकेगा। और यदि कोई माता पर विश्वास न करे, तब परमेश्वर की महिमा उससे चली जाती है।
चाहे मन्दिर बहुत चमकीला और विलासी हो, यदि उस मन्दिर से परमेश्वर की महिमा चली जाए, तो वह मन्दिर व्यर्थ है। परमेश्वर ने कहा, “जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मेरा तिरस्कार करते हैं वे छोटे समझे जाएंगे।” हमें यह वचन मन से लगा कर माता का आदर करना चाहिए, जिससे कि हम परमेश्वर का मन्दिर हो सकें जहां वाचा के सन्दूक का आदर किया जाता है। आशा है कि आप होप्नी और पीनहास जैसे लोग न बनें जिनके दुष्कर्म से वाचा का सन्दूक छीन लिया गया था, लेकिन ओबेद–एदोम की तरह आत्मिक वाचा का सन्दूक, माता का पूरे दिल से आदर-सत्कार करें और इससे हमेशा परमेश्वर की आशीष पाएं। और आशा है कि आप खूबसूरत सिय्योन की सन्तान बनें जो परमेश्वर की महिमा से भरपूर हुए मन्दिर बन कर माता को सारे विश्व में प्रकट करते हैं और उसकी साक्षी देते हैं।