한국어 English 日本語 中文简体 Deutsch Español Tiếng Việt Português Русский लॉग इनरजिस्टर

लॉग इन

आपका स्वागत है

Thank you for visiting the World Mission Society Church of God website.

You can log on to access the Members Only area of the website.
लॉग इन
आईडी
पासवर्ड

क्या पासवर्ड भूल गए है? / रजिस्टर

टेक्स्ट उपदेशों को प्रिंट करना या उसका प्रेषण करना निषेध है। कृपया जो भी आपने एहसास प्राप्त किया, उसे आपके मन में रखिए और उसकी सिय्योन की सुगंध दूसरों के साथ बांटिए।

बिना मेरे द्वारा

परमेश्वर के मानव जाति को बाइबल देने का मकसद उनके आत्माओं का उद्धार देना है। बाइबल हमें उद्धार पाने के लिए बुद्धि देती है।(1पत 1:9, 2तीम 3:15–17 संदर्भ)

परमेश्वर पर पूरी लगन से विश्वास करने पर भी, यदि कोई उद्धार का रास्ता न जानने से उद्धार न पा सके, तो वह बहुत अभागा आदमी होगा। आत्माओं का उद्धार पाने के लिए, बाइबल को, जिसमें परमेश्वर का वचन है, सही रूप से समझना और महसूस करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर ने बाइबल में उद्धार का रास्ता बताया है। यह ही हमारे बाइबल को यत्न सहित पढ़ने का कारण है।

मार्ग, सत्य और जीवन परमेश्वर ही है


परमेश्वर ने प्रत्येक युग में नबी के द्वारा अपना वचन सुनाया था। मूसा के समय, उसने सीनै पर्वत पर उतर कर मूसा के द्वारा व्यवस्था देकर प्रजाओं को सिखाया। और 2 हज़ार वर्ष पहले, उसने स्वयं शरीर पहने इस धरती पर आकर उद्धार पाने की बुद्धि सिखाई। बाइबल में ये सभी वर्णन लिखे गए हैं। तब आइए हम उद्धार का रास्ता ढूंढ़ें जो बाइबल हमें प्रस्तुत करती है।

यूह 14:6 “यीशु ने उस से कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूं। बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।”

यीशु ने कहा कि मैं ही मार्ग हूं, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता, जिसका अर्थ है कि बिना यीशु के द्वारा कोई उद्धार नहीं पा सकता। क्योंकि परमेश्वर ही मार्ग, सत्य और जीवन है। इसलिए सत्य ढूंढ़ने का अर्थ यह होगा, परमेश्वर को ढूंढ़ना जो हमारी आत्माओं के उद्धार की ओर अगुवाई करता है।

लेकिन विश्वास का जीवन जीने के दौरान, हम वचन को महसूस न करते हुए ऐसा मूर्ख काम करने लग जाते हैं कि परमेश्वर के वचन का पालन करने की अपेक्षा दूसरी चीजों का पीछा करते हैं या उन्हें उत्तम समझते हैं। लेकिन जो भी हम परमेश्वर से दूर होकर करते हैं, वह व्यर्थ और निष्फल है। चाहे प्रसिद्ध पादरी हो, वह परमेश्वर से दूर होकर कोई अर्थ का नहीं। न तो पतरस और न ही पौलुस हमें उद्धार दे सकते हैं। हम उनके विश्वास का अनुकरण तो कर सकते हैं, पर वे हमारी उपासना पाने का पात्र बिल्कुल नहीं हो सकते। जो उद्धार की ओर हमारी अगुवाई करता है, वह केवल परमेश्वर ही है।

यूह 5:39-40 “तुम पवित्रशास्त्रों में ढूंढ़ते हो क्योंकि तुम सोचते हो कि उनमें अनन्त जीवन मिलता है, और ये वे ही हैं जो मेरे विषय में साक्षी देते हैं, और तुम मेरे पास आना नहीं चाहते कि जीवन पाओ।”

उद्धार तक पहुंचाने वाला एकमात्र रास्ता है, परमेश्वर पर विश्वास करना, लेकिन जब परमेश्वर मनुष्य के रूप में आया, किसी ने भी न उसे ढूंढ़ा और न ही उसे सही रूप से पहचाना।

परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हुए भी, यदि वे परमेश्वर पर, जो शरीर पहने प्रकट हुआ, विश्वास न करें और उसके समीप न जाएं, तो कैसे उद्धार पा सकेंगे? यीशु ने स्पष्ट कहा, “बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।”, जिसका अर्थ है, “बिना परमेश्वर के द्वारा कोई परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।”

उद्धार पाने के लिए बुद्धि जो बाइबल बताती है


बिना परमेश्वर के द्वारा हम उद्धार नहीं पा सकते, इसलिए हमें परमेश्वर को यत्न से ढूंढ़ना चाहिए। परमेश्वर ने पहले से हमें उत्पत्ति ग्रंथ के द्वारा यह तथ्य सिखाया है कि हमारे पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर हैं।

उत 1:26-27 “फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं। और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर तथा घरेलू पशुओं और सारी पृथ्वी और हर एक रेंगनेवाले जन्तु पर जो पृथ्वी पर रेंगता है, प्रभुता करें।” और परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में सृजा। अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने उसको सृजा। उसने नर और नारी करके उनकी सृष्टि की।”

परमेश्वर ने अपने स्वरूप के अनुसार मनुष्य की सृष्टि की, जिसके द्वारा नर और नारी सृजे गए। इस बात के द्वारा, हम जान सकते हैं कि नर स्वरूप का परमेश्वर और नारी स्वरूप की परमेश्वर हैं। सभी ईसाई नर स्वरूप के परमेश्वर को पिता कह कर बुलाते हैं, तो नारी स्वरूप की परमेश्वर को अवश्य ही माता कह कर बुलाना चाहिए, है न?

इब्राहीम के परिवार की कहानी के द्वारा, आइए हम यह पुष्ट करें कि बिना पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर के द्वारा कोई स्वर्ग का उत्तराधिकार नहीं पा सकता।

लूक 16:19-24 “एक धनी पुरुष था जो सदा बैंजनी वस्त्र व मलमल पहिना करता था और प्रतिदिन धूमधाम व बड़े सुख-विलास से रहता था। और लाजर नाम का एक कंगाल व्यक्ति घावों से भरा हुआ उसके फाटक पर छोड़ दिया जाता था, उस धनवान पुरुष की मेज़ से जो टुकड़े गिरते थे, उनसे वह पेट भरने को तरसता था। इसके अतिरिक्त कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटा करते थे। ऐसा हुआ कि कंगाल पुरुष मर गया और स्वर्गदूतों ने आकर उसे इब्राहीम की गोद में पहुंचा दिया। वह धनी पुरुष भी मरा और दफ़ना दिया गया। तब अधोलोक में अत्यन्त पीड़ा में पड़े हुए उसने अपनी आंखें उठाईं और दूर से इब्राहीम को देखा जिसकी गोद में लाजर था। तब उसने पुकारकर कहा, ‘हे पिता इब्राहीम, मुझ पर दया कर। ... ”

ऊपर के धनी पुरुष और कंगाल लाजर के दृष्टान्त के द्वारा, परमेश्वर हमें स्वर्ग और नरक के बारे में सिखाता है। यहां, कंगाल लाजर के स्वर्ग जाने पर ऐसा व्यक्त किया गया है कि वह इब्राहीम की गोद में पहुंच गया। इससे हम जान सकते हैं कि दृष्टान्त में ‘पिता इब्राहीम’ परमेश्वर को दर्शाता है, क्योंकि परमेश्वर पृथ्वी की सृष्टि के समय से हमारा पिता है, यानी वह हमारी आत्माओं का सच्चा पिता है जिसने हमें जीवन दिया।(मत 23:9) इब्राहीम का परिवार स्वर्गीय परिवार का एक नमूना है, यानी इब्राहीम के परिवार में उत्तराधिकारी चुनने की कहानी हमें यह बताती है कि परमेश्वर के राज्य में कौन उत्तराधिकारी होगा और वह किसके द्वारा उत्तराधिकारी हो सकेगा।

इब्राहीम का परिवार और माता


उत 15:1-6 “इन बातों के पश्चात् यहोवा का यह वचन दर्शन में अब्राम के पास पहुंचा: “अब्राम, मत डर, मैं तेरी ढाल हूं; तेरा प्रतिफल अति महान् होगा।” अब्राम ने कहा, “हे प्रभु यहोवा, तू मुझे क्या देगा? मैं तो निर्वंश हूं और मेरे घर का उत्तराधिकारी दमिश्क का एलीएजेर होगा।” और अब्राम ने कहा, “इसलिए कि तू ने मुझे कोई सन्तान नहीं दी है, मेरे घर में उत्पन्न एक जन मेरा उत्तराधिकारी होगा।” तब देखो, यहोवा का वचन उसके पास पहुंचा, “यह मनुष्य तेरा उत्तराधिकारी न होगा; परन्तु जो तुझ से उत्पन्न होगा वही तेरा उत्तराधिकारी होगा।” ... ”

इब्राहीम की उम्र ज़्यादा होने के कारण, वह घर का उत्तराधिकारी चुनने को मजबूर हो गया था। उस समय, इब्राहीम का कोई पुत्र नहीं था, इसलिए उसने अपने घर के दास, एलीएजेर को उत्तराधिकार देने का निर्णय किया। लेकिन परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा, “यह मनुष्य तेरा उत्तराधिकारी न होगा; परन्तु जो तुझ से उत्पन्न होगा वही तेरा उत्तराधिकारी होगा।”

उत 16:1-3, 15-16 “अब्राम की पत्नी सारै से कोई सन्तान नहीं थी, और उसके पास हाजिरा नाम की एक मिस्री दासी थी। अत: सारै ने अब्राम से कहा, “देख, यहोवा ने मुझे सन्तान उत्पन्न करने से वंचित रखा है। तू मेरी दासी के पास जा; सम्भव है उस से तुझे सन्तान प्राप्त हो।” और अब्राम ने सारै की बात मान ली। ... अत: हाजिरा से अब्राम के एक पुत्र हुआ। अब्राम ने अपने इस पुत्र का नाम जो हाजिरा से जन्मा था, इश्माएल रखा। जिस समय हाजिरा से अब्राम का पुत्र इश्माएल उत्पन्न हुआ, उस समय अब्राम छियासी वर्ष का था।”

इब्राहीम की पत्नी, सारा भी बहुत वृद्ध होने के कारण पुत्र उत्पन्न नहीं कर सकी थी। इसलिए उसने इब्राहीम को अपनी मिस्री दासी, हाजिरा दी, और हाजिरा ने इब्राहीम का पुत्र, इश्माएल उत्पन्न किया। इश्माएल इब्राहीम से उत्पन्न हुआ था, इसलिए परमेश्वर के इस वादे के अनुसार, ‘जो इब्राहीम से उत्पन्न होगा वही उसका उत्तराधिकारी होगा’ वह इब्राहीम का उत्तराधिकारी होने के योग्य था। परन्तु परमेश्वर ने एक और शर्त बताई।

उत 17:15-21 “फिर यहोवा ने इब्राहीम से कहा, “तू अपनी पत्नी सारै को, सारै कहकर न पुकारना, वरन् उसका नाम सारा होगा। और मैं उसे आशिष दूंगा, और निश्चय तुझे उसके द्वारा एक पुत्र दूंगा। और मैं उसे आशिष दूंगा और वह जाति जाति की जननी होगी; और उस से राज्य राज्य के राजा उत्पन्न होंगे।” ... इब्राहीम ने परमेश्वर से कहा, “इश्माएल तेरी दृष्टि में बना रहे, यही बहुत है।” परन्तु परमेश्वर ने कहा, “नहीं, तेरी पत्नी सारा ही तेरे लिए पुत्र उत्पन्न करेगी, और तू उसका नाम इसहाक रखना; और मैं उसके साथ ऐसी वाचा बांधूंगा जो उसके पश्चात् उसके वंश के लिए युग युग तक रहेगी। ... ”

इब्राहीम ने सारा की दासी से उत्पन्न हुए इश्माएल को उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त करना चाहा, लेकिन परमेश्वर ने इससे इनकार करके कहा, “सारा ही तेरे लिए पुत्र, इसहाक उत्पन्न करेगी, और मैं उसके साथ वाचा बांधूंगा” परमेश्वर के इस वादे पर सारा ने, जब वह 90 उम्र की थी, इब्राहीम का पुत्र, इसहाक उत्पन्न किया। अंतत: इसहाक इब्राहीम का उत्तराधिकारी बना।

उत्तराधिकारी होने के लिए माता निर्णायक कारक है


इब्राहीम के परिवार में उत्तराधिकारी का निर्णय करने की कहानी, बाइबल के अनेक पृष्ठ में लिखी है। यदि यह हमारे उद्धार से सम्बंधित न होता तो, परमेश्वर ने इसके विषय में इतना ज़्यादा न लिखा होता। बाइबल हमें उद्धार पाने की बुद्धि देती है। बाइबल में लिखित इब्राहीम के परिवार की कहानी एक बहुत महत्वपूर्ण भविष्यवाणी के रूप में हमें इसकी समझ देती है कि हम किसके द्वारा अनन्त स्वर्ग के उत्तराधिकारी हो सकेंगे।

आइए हम इब्राहीम के परिवार में, उत्तराधिकारी के उम्मीदवारों पर गौर करें। पहला उम्मीदवार एलीएजेर था जो इब्राहीम के घर में दास था। पुराने समय में इस्राएल में ऐसी परम्परा थी, यदि माता-पिता दास हो, तो उनकी सन्तान भी स्वाभाविक रूप से दास बन कर स्वामी के घर में रहा करती थी, जिससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि एलीएजेर के माता-पिता दास थे। इसी कारण से, परमेश्वर ने एलीएजेर को खारिज किया।

दूसरा उम्मीदवार इश्माएल था। इश्माएल स्वतंत्र पिता, इब्राहीम से तो उत्पन्न हुआ था, लेकिन उसकी माता मिस्री स्त्री, सारा की दासी थी। इसी कारण से, परमेश्वर ने इश्माएल को खारिज किया। अन्त में परमेश्वर ने इब्राहीम से यह वादा किया कि जो सारा से उत्पन्न होगा वही उत्तराधिकारी होगा। इस वादे के अनुसार, सारा से उत्पन्न हुआ इसहाक उत्तराधिकारी हो सका। उस वादे में उत्तराधिकारी होने के लिए एक और शर्त बताई गई है कि वह स्वतंत्र स्त्री, सारा से उत्पन्न हो।

उस समय, इस्राएल में पहलौठे को उत्तराधिकार देने की परम्परा थी। यदि केवल पिता के वंश के अनुसार देखें, तो उत्तराधिकारी इश्माएल को, जो पहलौठा था, होना चाहिए था। लेकिन वह नहीं, पर माता के वंश के अनुसार, इसहाक ही उत्तराधिकारी बना।

इसहाक माता के द्वारा इब्राहीम का उत्तराधिकारी हुआ, यह हमें सिखाता है कि हम भी माता के द्वारा स्वर्ग के राज्य में परमेश्वर के उत्तराधिकारी बनेंगे। स्वर्गीय उत्तराधिकार पाने का अर्थ यह है, स्वर्ग की सभी आशीष, अनन्त जीवन व उद्धार पाना। जिन्होंने यह कह कर मनुष्य को बनाया, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं।”, वे एलोहीम, पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर हैं। यदि हम केवल पिता परमेश्वर के द्वारा स्वर्ग जा सकते, तो इब्राहीम के परिवार में भी, इश्माएल ने उत्तराधिकार पाया होता। लेकिन यह परमेश्वर की इच्छा नहीं थी कि वह पिता के द्वारा उत्तराधिकारी बन जाए। परमेश्वर की इच्छा यह थी कि स्वतंत्र स्त्री, सारा के द्वारा इसहाक इब्राहीम का उत्तराधिकारी बने। यह कहानी हमें यह तथ्य सिखाती है कि स्वतंत्र माता परमेश्वर के द्वारा हम स्वर्गीय उत्तराधिकारी बनेंगे।

माता परमेश्वर पर विश्वास करने के द्वारा उद्धार


इसके बारे में, प्रेरित पौलुस ने भी गलातियों अध्याय 4 में इस प्रकार व्याख्या की;

गल 4:26-31 “परन्तु ऊपर की यरूशलेम स्वतन्त्र है, और वह हमारी माता है। ... और हे भाइयो, तुम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हो। परन्तु जैसा उस समय शरीर के अनुसार जन्मा हुआ तो आत्मा के अनुसार जन्मे हुए को सताता था, वैसा ही अब भी होता है। परन्तु पवित्रशास्त्र में क्या लिखा है? “दासी और उसके पुत्र को निकाल दे, क्योंकि दासी का पुत्र तो स्वतन्त्र स्त्री के पुत्र के साथ उत्तराधिकारी नहीं होगा।” इसलिए हे भाइयो, हम दासी की नहीं परन्तु स्वतन्त्र स्त्री की सन्तान हैं।”

बाइबल कहती है कि हम इसहाक के समान सन्तान हैं, और कहती है कि ऊपर की यरूशलेम स्वतन्त्र है और वह हमारी माता है। यदि हम उस स्वतन्त्र स्त्री की सन्तान हों, तब हमें उसे क्या कह कर बुलाना चाहिए? अवश्य ही, हमें उसे ‘माता’ कह कर बुलाना चाहिए।

हमारी आत्माओं का उद्धार पाने के लिए, हमें निश्चय यरूशलेम माता पर विश्वास करना चाहिए। आज पवित्र आत्मा के युग में, माता स्वतंत्र स्त्री, सारा के रूप में इस धरती पर आई, और वह इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान पैदा करके उन्हें अनन्त स्वर्ग की ओर ले जा रही है। इसलिए आज, बिना माता के द्वारा कोई भी स्वर्ग नहीं जा सकता।

इस पर प्रेरित यूहन्ना ने साक्षी दी कि जीवन-जल देने वाली दुल्हिन स्वर्गीय यरूशलेम है, और ज़कर्याह नबी ने भी साक्षी दी कि जीवन के जल का सोता यरूशलेम है।(प्रक 22:17; 21:9, जक 14:8 संदर्भ) इस तरह से बाइबल साक्षी देती है कि माता के द्वारा, हम अनन्त जीवन पाकर स्वर्ग जा सकते हैं। परमेश्वर ने हमें यह कहा कि जहां कहीं भी मैं जाता हूं वहां मेरे पीछे चलें। परमेश्वर ने यह क्यों कहा? क्योंकि वह ही मार्ग है। इब्राहीम के परिवार में, उत्तराधिकारी होने की पहली शर्त यह थी कि वह इब्राहीम से पैदा हो, और दूसरी शर्त यह थी कि वह सारा से पैदा हो। जबकि दोनों पुत्र सब इब्राहीम से पैदा हुए थे, उत्तराधिकारी होने की एकमात्र राह यह थी कि वह माता की सन्तान हो। यह हमें दिखाता है कि केवल पिता परमेश्वर पर नहीं, पर माता परमेश्वर पर भी विश्वास करने के द्वारा ही, हम इसहाक के समान परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी हो सकेंगे।

स्वर्गीय उत्तराधिकारी के लिए उचित जीवन


हम परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी हैं। पवित्र आत्मा साक्षी देता है कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं और हम उत्तराधिकारी हैं।(रो 8:16–18) इसलिए हमें परमेश्वर के उत्तराधिकारी की तरह आचरण करते हुए जीवन जीना चाहिए।

गल 4:6-7 “इसलिए कि तुम पुत्र हो, परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो ‘हे अब्बा! हे पिता!’ कह कर पुकारता है, हृदयों हृदयों में भेजा है। इसलिए अब तू दास नहीं, परन्तु पुत्र है, और जब पुत्र है तो परमेश्वर के द्वारा उत्तराधिकारी भी।”

सांसारिक रीति से सोचें, यदि कोई उत्तराधिकारी हर रोज़ भ्रष्ट जीवन जीता और दूसरों से बुरा आचरण और बुरी बातें करता रहता है, तो यह सिर्फ बच्चे के लिए नहीं, बल्कि माता–पिता के लिए भी बहुत शर्म की बात होगी। चाहे कोई मुंह से कहता हो कि मैं परमेश्वर पर विश्वास करता हूं, यदि वह पिता और माता की शिक्षा के अनुसार नहीं जीता, तो वह स्वर्ग के राज्य का उत्तराधिकारी बिल्कुल नहीं हो सकता।

1कुर 6:9-10 “क्या तुम नहीं जानते कि दुष्ट लोग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी न होंगे? धोखा न खाओ: न व्यभिचारी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न कामातुर, न पुरुषगामी, न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गालियां बकने वाले, और न लुटेरे, परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी होंगे।”

यदि हम परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी हैं, तो हमें उत्तराधिकारी की तरह आचरण करना चाहिए। परमेश्वर जैसा दयालु और बड़े मन के समान, हमें दूसरों को प्रेम करना और उनकी देखरेख करनी चाहिए और भले आचरण व अच्छी बोली से संसार के लोगों पर दया करनी चाहिए, जिससे हम सभी मानव जाति को जीवन के मार्ग की ओर ले जा सकें। मुझे आशा है कि आप परमेश्वर की सन्तान की तरह सद्व्यवहार अनुग्रह से करने के द्वारा, संसार के लोगों के लिए एक आदर्श बनेंगे।

पिता और माता ने बुरी राह पर हमारी एक बार भी अगुवाई नहीं की है। इसलिए जो पिता और माता पर विश्वास करके उनका पालन करते हैं, वे कभी कुकर्म में नहीं पड़ेंगे। इसके विपरीत, जो अपने सुख और अनुकूलता के लिए कुकर्म करते हुए बुरी राह पर चलते हैं, वे उत्तराधिकारी के पद से हटाए जाएंगे।

आइए हम केवल पिता और माता की शिक्षा के अनुसार चलते हुए अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर बढ़ें। 2 हज़ार वर्ष पहले, यीशु के चेलों ने यीशु के वचन को पूरे दिल से बहुमूल्य माना और पूर्ण रूप से उसका पालन किया। क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से विश्वास किया कि यीशु भले ही शरीर पहने इस धरती पर आया, तो भी वह परमेश्वर है जो अनन्त जीवन का वचन देता है,(यूह 6:68) और बिना उसके द्वारा कोई स्वर्ग नहीं जा सकता। आज, हमें भी वैसा विश्वास करना आवश्यक है।

हमारा उद्धार मात्र परमेश्वर पर निर्भर है जो मार्ग, सत्य और जीवन है। आशा करता हूं कि आप लोग इसहाक के समान माता के द्वारा स्वर्गीय उत्तराधिकारी बनने के लिए माता परमेश्वर पर विश्वास करें और हमेशा उसके वचन के आज्ञाकारी रहें।