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सुलैमान का न्याय और माता
बाइबल परमेश्वर के बारे में साक्षी देने की पुस्तक है, अर्थात् यह एलोहीम परमेश्वर, यानी पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर की साक्षी देती है। बाइबल की 66 पुस्तकें न केवल पिता परमेश्वर की साक्षी देती है, बल्कि ये माता परमेश्वर के बारे में सत्य की साक्षी, आदम व हव्वा के बीच संबंध, इब्राहीम परिवार का इतिहास, नई यरूशलेम की भविष्यवाणी, आदि के द्वारा देती हैं।
मसीह पिता और माता जानना बाइबल में सब से बड़ा रहस्य है, पर बाइबल कहती है कि लोगों की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर(शैतान) ने अन्धा कर दिया है कि वे मसीह के तेजोमय सुसमाचार की ज्योति को, न देख सकें।(2कुर 4:4) जिन्होंने मसीह के लहू से छुटकारा पाया है, केवल वे ही परमेश्वर से समस्त ज्ञान और समझ पाकर परमेश्वर के रहस्य, मसीह को जान सकते हैं।
सुलैमान का सच्चा न्याय
दाऊद का पुत्र, सुलैमान इस्राएल का तीसरा राजा था और वह संसार में सब से बुद्धिमान व्यक्ति था। सुलैमान की बुद्धि इतनी प्रसिद्ध थी कि पड़ोसी देश के लोग सुलैमान की बुद्धि की बातें सुनने के लिए आते थे।
बाइबल कहती है कि सुलैमान ने परमेश्वर से बुद्धि पाई। उसने परमेश्वर को एक हज़ार होमबलि चढ़ा कर उत्सुकता से प्रार्थना की, जिसके परिणाम-स्वरूप वह स्वप्न में परमेश्वर से मिला। उस समय उसने परमेश्वर से मुकदमा सुनकर न्याय करने के लिए बुद्धि मांगी। प्रजाओं के बीच में हमेशा अधिक मुकदमे चलते थे, इसी कारण न्यायाधीश, राजा सुलैमान ने प्रजाओं के भले-बुरे का भेद करने की बुद्धि मांगी कि कहीं ऐसा न हो कि उसके गलत न्याय के कारण प्रजा अनुचित सजा पाए।
परमेश्वर ने उसे न केवल बुद्धि दी, बल्कि उसे धन और महिमा भी दी जिसे सुलैमान ने नहीं मांगा था। इस तरह संसार में सुलैमान के तुल्य कोई नहीं था जिसने ऐसी बुद्धि, धन और महिमा पाई थी, न तो सुलैमान से पहले कोई हुआ और न ही उसके बाद कोई हुआ। लेकिन सुलैमान के न्यायों में से, जिसमें परमेश्वर की बुद्धि प्रकट होती है, उन में से एक कहानी का वर्णन बाइबल में किया गया है, अर्थात् सच्ची माता को खोजने की बुद्धि।
1रा 3:16-18 “ ... एक स्त्री ने कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं और यह स्त्री दोनों एक ही घर में रहती हैं ... मेरे प्रसव के बाद तीसरे दिन ऐसा हुआ कि इस स्त्री ने भी एक बच्चे को जन्म दिया और हम दोनों साथ थीं। हमारे साथ घर में और कोई दूसरा न था केवल हम दोनों ही उस घर में थीं। और इस स्त्री का बेटा रात में इसके नीचे दब कर मर गया। ... जब कि तेरी दासी सो रही थी, और मेरे बेटे को लेकर इसने अपनी छाती से लगा लिया और अपने मरे हुए पुत्र को मेरी छाती से लगा दिया। भोर को जब मैं अपने बेटे को दूध पिलाने को उठी तो क्या देखा कि वह मरा हुआ था; परन्तु सुबह जब मैंने उसे ध्यान से देखा तो वह मेरा बेटा नहीं था जिसे मैंने जन्म दिया था।” तब दूसरी स्त्री ने कहा, “नहीं, जीवित बेटा तो मेरा है और मरा हुआ बेटा तेरा है।” परन्तु पहली स्त्री ने कहा, “नहीं, मरा हुआ बेटा तेरा है और जीवित बेटा मेरा है।” उन्होंने राजा के सामने इसी प्रकार कहा ... तब राजा ने कहा, “मेरे पास तलवार लाओ।” अत: वे राजा के पास एक तलवार ले आए। और राजा ने कहा, “जीवित बच्चे के दो टुकड़े करो और आधा एक को और आधा दूसरी को दे दो।” तब जीवित बच्चे की माता के मन में ममता उमड़ पड़ी। अत: उसने राजा से कहा, “हे मेरे प्रभु, जीवित बच्चा उसी को दे दे और उसे किसी भी भांति न मार।” परन्तु दूसरी स्त्री ने कहा, “वह न तो मेरा ओर न तेरा रहे; उसके टुकड़े करो!” तब राजा ने उत्तर दिया, “बच्चे को किसी भांति न मारो, उसे पहली स्त्री को दे दो; वही उसकी माता है।” जब समस्त इस्राएल ने इस न्याय के बारे में जिसे राजा ने चुकाया था सुना तो उन्होंने राजा का भय माना। क्योंकि उन्होंने देखा कि न्याय करने के लिए उसमें परमेश्वर की बुद्धि है।”
राजा के सामने, दो स्त्रियां एक बच्चे पर ऐसा दावा करते हुए झगड़ रही थीं कि मैं ही सच्ची माता हूं, वह जीवित बच्चा मेरा है, लेकिन कोई गवाह नहीं था। उस समय सुलैमान ने मातृत्व वृत्ति के द्वारा, जो बच्चे के जीवन को सब से महत्वपूर्ण मानता है, सच्ची माता को खोज लिया, और जीवित बच्चा उसे वापस दिया।
इस न्याय में हम जान सकते हैं कि सुलैमान ने परमेश्वर की बुद्धि पाकर सच्ची माता को पहचान लिया था। बाइबल परमेश्वर की साक्षी देने की पुस्तक है और यह हमारी शिक्षा के लिए लिखी गई है।(यूह 5:39, रो 15:4) इसलिए हम समझ सकते हैं कि सुलैमान के न्याय में सच्ची माता को खोजने की बात सिर्फ सुलैमान की बुद्धि की प्रशंसा करने के लिए नहीं लिखी गई, पर यह परमेश्वर की साक्षी देने के लिए और हमें आत्मिक शिक्षा देने के लिए लिखी गई।
न्याय में प्रकट होती परमेश्वर की बुद्धि
जैसे परमेश्वर की बुद्धि के द्वारा, सुलैमान ने बच्चे को सच्ची माता से मिलाया, वैसे ही परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों को सच्ची स्वर्गीय माता से मिलाया है, जिससे हम स्वर्गीय माता को स्वीकार कर सकें। इसलिए इस युग के सुलैमान की तरह, हम भी दरिद्र आत्माओं को, जो संसार में भटक रही हैं, माता के अस्तित्व को पहचानने में मदद करेंगे।
गल 4:26-31 “परन्तु ऊपर की यरूशलेम स्वतन्त्र है, और वह हमारी माता है। क्योंकि लिखा है, “हे बांझ, तू जो नहीं जनती, प्रभु में आनन्द मना। तू जो प्रसव पीड़ा नहीं जानती, हर्षनाद कर, क्योंकि त्यागी हुई की सन्तान, सुहागिन की सन्तान से अधिक हैं।” और हे भाइयो, तुम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हो। परन्तु जैसा उस समय शरीर के अनुसार जन्मा हुआ तो आत्मा के अनुसार जन्मे हुए को सताता था, वैसा ही अब भी होता है। परन्तु पवित्रशास्त्र में क्या लिखा है? “दासी और उसके पुत्र को निकाल दे, क्योंकि दासी का पुत्र तो स्वतन्त्र स्त्री के पुत्र के साथ उत्तराधिकारी नहीं होगा।” इसलिए हे भाइयो, हम दासी की नहीं परन्तु स्वतन्त्र स्त्री की सन्तान हैं।”
बाइबल स्पष्ट रूप से सिखाती है कि ऊपर(स्वर्ग में) हमारी आत्मिक माता है। हम स्वर्गदूत थे, लेकिन स्वर्ग में पाप करने के कारण, हम माता से अलग होकर इस धरती पर गिरा दिए गए हैं। पाप के कारण, हम स्वर्ग की याद को भूल गए और अपनी माता को याद नहीं कर सके।
हमारे पापों के कारण, माता स्वर्ग से इस धरती पर आई है।(यश 50:1) प्रेरित यूहन्ना ने इस दृश्य को प्रकाशन के द्वारा देख कर लिखा कि मेमने की दुल्हिन, नई यरूशलेम स्वर्ग से नीचे उतरती है। बाइबल में भविष्यवाणी की गई है, ‘त्यागी हुई की सन्तान, सुहागिन की सन्तान से अधिक हैं’, इसका अर्थ है कि पिता के स्वर्ग जाने के बाद, शारीरिक तौर पर माता अकेले-अकेले ही सन्तानों का पालन-पोषण करती है, लेकिन माता की सन्तान किसी और पति सहित स्त्री की सन्तान से ज़्यादा होगी।
दुष्टों की शिक्षा जो माता के अस्तित्व से इनकार करती है
आत्मिक माता का अस्तित्व बाइबल में स्पष्ट रूप से प्रकट होता है, लेकिन दुश्मन शैतान माता के अस्तित्व का इनकार करवाने के लिए, हज़ारों वर्षों से अब तक संसार के सारे लोंगों को भरमाता आया है, जिससे लोग शैतान की झूठी शिक्षा पर दृढ़ता से विश्वास कर रहे हैं। आइए हम प्रकाशितवाक्य में उनके मूर्ख कार्य को देखें।
प्रक 13:6-15 “उसने परमेश्वर के विरुद्ध निन्दा करने के लिए अपना मुंह खोला कि उसके नाम, उसके तम्बू अर्थात् उनके विरुद्ध जो स्वर्ग में निवास करते हैं निन्दा करे। उसे पवित्र लोगों के साथ युद्ध करने और उन पर विजय पाने का अधिकार दिया गया ... इन चमत्कारों के द्वारा जिन्हें उस पशु के समक्ष दिखाने की शक्ति उसे प्राप्त थी, वह पृथ्वी के निवासियों को धोखा देता ... ”
शैतान तो धोखा देने में प्रधान है। अदन वाटिका में हव्वा को धोखा देते समय भी, शैतान ने परमेश्वर की शिक्षा को चतुराई से तोड़ मरोड़ कर उससे अपनी इच्छा का पालन करवाया। उसी तरह से, वह अब भी, फांसी का फंदा बना कर धरती पर रहनेवालों को धोखा दे रहा है कि वे माता को इनकार करें। बाइबल में स्पष्ट रूप से लिखा है ‘हमारी माता’, ताकि सभी समझ सकें। फिर भी लोग इसे इनकार करते हैं, क्योंकि उन्होंने दुष्टात्माओं से धोखा खाया है, इसलिए स्पष्ट साक्षी दिखाने पर भी वे विश्वास नहीं करते।
1यूह 5:18-19 “हम जानते हैं कि जो कोई परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है वह पाप नहीं करता; परन्तु वह जो परमेश्वर से उत्पन्न हुआ, उसकी रक्षा करता है और वह दुष्ट उसे छूने नहीं पाता। हम जानते हैं कि हम परमेश्वर से हैं, और सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।”
बाइबल कहती है कि हम परमेश्वर से हैं, लेकिन सारा संसार दुष्ट के नियंत्रण में है। संसार का नियंत्रण करने के समय, दुष्ट शैतान ने बहुत सारी झूठी शिक्षाएं बनाई हैं। उनमें से एक यह है कि माता परमेश्वर नहीं है। उस झूठी शिक्षा के द्वारा संसार धोखा खा रहा है।
मनुष्य भले-बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाने से, वास्तव में मर सकता था, लेकिन शैतान से भरमाए जाने के बाद, उसे लगा कि वह खाने के लिए अच्छा, आखों के लिए लुभावना, तथा बुद्धिमान बनाने के लिए चाहने योग्य है। शैतान से भरमाए जाने के बाद वे आंखों से पहचानने की क्षमता खो दी।
बाइबल स्वर्गीय माता की साक्षी देती है
आइए हम आत्मिक सुलैमान बनें, जिसने परमेश्वर से बुद्धि पाई, और आइए हम माता के अस्तित्व को ढूंढ़ें। 6 दिनों की सृष्टि के कार्य में, सृष्टिकर्ता पिता और माता की छवि स्पष्ट रूप से प्रकट होती है।
उत 1:26-27 “फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं। और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर तथा घरेलू पशुओं और सारी पृथ्वी और हर एक रेंगनेवाले जन्तु पर जो पृथ्वी पर रेंगता है, प्रभुता करें।” और परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में सृजा। अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने उसको सृजा। उसने नर और नारी करके उनकी सृष्टि की।”
परमेश्वर ने अपने स्वरूप के अनुसार मनुष्य की सृष्टि की, जिसके द्वारा नर और नारी सृजे गए। तो हम जान सकते हैं कि परमेश्वर के स्वरूप में नर स्वरूप और नारी स्वरूप अवश्य हैं। हम नर स्वरूप के परमेश्वर को पिता कहते हैं, तब हमें नारी स्वरूप के परमेश्वर को क्या कहना चाहिए?
परमेश्वर ने यह कहते हुए मनुष्य की सृष्टि की, “हम मनुष्य को बनाएं”, यहां पर ‘हम’ पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर हैं।
शैतान अच्छी तरह से जानता है कि यदि हम, संतान, माता पर विश्वास करते हैं, तो हमारी आत्मिक आखें खुलेंगी जिससे शैतान का संसार नष्ट होगा। इसलिए शैतान माता की महिमा के प्रकट होने से सब से ज़्यादा डरता है। सर्प और हव्वा के बीच का रिश्ता बैर का है जो उत्पति में लिखा है।
उत 3:14-15 “तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, “इसलिए कि तू ने यह किया है, तू सब घरेलू पशुओं और प्रत्येक वन-पशु से अधिक शापित है: तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटा करेगा। और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, तथा तेरे वंश और इसके वंश के बीच में, बैर उत्पन्न करूंगा: वह तेरे सिर को कुचलेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”
सर्प और स्त्री, यानी शैतान और माता के बीच बैर का रिश्ता है। परमेश्वर ने सर्प के और स्त्री के बीच में बैर उत्पन्न किया। इसमें पिता का मकसद है कि स्वर्गीय माता का अस्तित्व हम पर प्रकट करे।
शुरू से, पुराना सर्प हमारी माता का शत्रु है, इसलिए वह हमारा भी शत्रु है। जब माता के पक्ष में शक्ति बढ़ जाएगी, तब शैतान के पक्ष में शक्ति कम हो जाएगी। पर यह निश्चित है कि शैतान हमारी एड़ी को डसेगा, लेकिन हम शैतान के सिर को कुचलने में विजय पाएंगे। एड़ी पर लगे घाव से मनुष्य तो बच सकता है, पर सिर पर लगा घाव घातक है।
पुरानी व्यवस्था में यदि कोई अपने पिता या अपनी माता की आज्ञा न मानता, तो उसे दुष्ट समझकर मार दिया जाता था।(व्य 21:18–21) पुरानी व्यवस्था और नियम, जो परमेश्वर ने पृथ्वी पर दिया, छाया के रूप में स्वर्ग की चीजों को दिखलाते हैं। इसलिए यह दिखाता है कि यदि कोई आत्मिक पिता और माता की आज्ञा न माने, वह अनन्त जीवन नहीं पा सकेगा और वह नष्ट होगा।
यदि हम आत्मिक माता को न ढूंढ़ पाएं, तो हम अनाथ और भटकते हुए बच्चे बनेंगे। शैतान इसे अच्छी तरह से जानता है, इसलिए वह संसार को धोखा देता है कि हम माता को न पहचान पाएं। इसी कारण से, लोग पिता परमेश्वर को बहुत बार पुकारते हुए भी, माता परमेश्वर के बारे में सोचते ही नहीं हैं। लेकिन पिता ने हमें परमेश्वर की संतान होने दिया और स्वर्गीय माता को महसूस करके माता की गोद में आने दिया। जब हम इस बात को सोचते हैं, तब हम पिता को सहृदय धन्यवाद देते हैं।
सूर्य, चन्द्रमा और तारों से प्रकट होती परमेश्वर की योजना
प्रकृति में, जिसे परमेश्वर ने बनाया, सूर्य, चन्द्रमा और तारों के द्वारा भी हम स्वर्गीय माता के अस्तित्व को देख सकते हैं।
उत 37:9-10 “फिर उसने एक और स्वप्न देखा और अपने भाइयों से उसका भी वर्णन किया: “मैंने एक और स्वप्न देखा है। देखो, सूर्य और चन्द्रमा, और ग्यारह तारे मुझे दण्डवत् कर रहे हैं।” उसने इस स्वप्न का वर्णन अपने पिता और अपने भाइयों से किया और उसके पिता ने झिड़क कर उस से कहा, “तू ने यह कैसा स्वप्न देखा है? क्या मैं और तेरी माता और तेरे भाई सचमुच तेरे आगे भूमि पर झुककर तुझे दण्डवत् करेंगे?”
याकूब के ग्यारहवें बेटे, यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि सूर्य और चन्द्रमा, और ग्यारह तारे उसे दण्डवत् कर रहे हैं, और उसने अपने पिता से उसका वर्णन किया। इस पर पिता ने उसे झिड़का। क्योंकि पिता ने स्वप्न में सूर्य, चन्द्रमा और तारों का दण्डवत् करने की व्याख्या ऐसे की थी कि यूसुफ के पिता, माता और भाई बाद में यूसुफ को दण्डवत् करेंगे। तब क्यों उसने स्वप्न की ऐसी व्याख्या की थी?
बाइबल में यह वचन मात्र स्वप्न की कहानी नहीं है, बल्कि यूसुफ के स्वप्न और इसकी व्याख्या के द्वारा परमेश्वर हमें सिखाता है कि सूर्य स्वर्गीय पिता को, चन्द्रमा स्वर्गीय माता को, और तारे हम, सन्तान को दर्शाते हैं। इससे संबंधित, पौलुस ने कुरिन्थुस में भक्तों को कहा कि सूर्य का तेज, चांद का तेज और तारों का तेज अलग हैं।
1कुर 15:38-41 “परन्तु परमेश्वर अपने इच्छानुसार उसे देह देता है, और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। सब शरीर एक समान नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर एक प्रकार का है, पशुओं का दूसरे प्रकार का। पक्षियों का शरीर अन्य है तो मछलियों का भिन्न प्रकार का। स्वर्गीय देह हैं और पार्थिव देह भी हैं, परन्तु स्वर्गीय देह का तेज और है तो पार्थिव देह का और। सूर्य का तेज और है, चांद का तेज और, फिर तारों का तेज भी और है, वरन् एक तारे का तेज दूसरे से भिन्न है।”
विशेष रूप से तारों के लिए, परमेश्वर ने कहा कि एक तारे का तेज दूसरे से भिन्न है, जिसके द्वारा यह तथ्य समझा जा सकता है कि तारे बहुत होते हैं। जैसे कि लिखा है, “जो बहुतों को धार्मिकता की ओर बढ़ाते हैं, वे सदा सर्वदा तारों के समान चमकेंगे”,(दान 12:3) परमेश्वर की सन्तान की तुलना तारों से की जाती है। इसलिए सूर्य स्वर्गीय पिता को, चन्द्रमा स्वर्गीय माता को, और तारे सन्तान को संकेत करते हैं।
परमेश्वर के अदृश्य गुण और अनन्त सामर्थ्य सारी रचनाओं के द्वारा स्पष्ट दिखाई देते हैं।(रो 1:20) प्रकृति एक पाठयपुस्तक की भूमिका निभाती है, जिससे कि हम परमेश्वर के बारे में समझ सकें।
जब दिन में सूर्य का प्रकाश पड़ता है, तब चन्द्रमा और तारे दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन जब सूर्य पश्चिम में डूब जाता है, तब चन्द्रमा तारों के समूह को लेकर प्रकट होता है।
जैसे परमेश्वर ने भविष्यवाणी की है कि अंतिम दिन में परमेश्वर की सन्तान सारी पृथ्वी पर कीर्ति व प्रशंसा पाएंगी(सपन 3:18-20), इसके लिए, यह आवश्यक था कि पिता के सुसमाचार का कार्य पहले खत्म हो जाए। क्योंकि सूर्य पिता को दर्शाया गया है, और सूर्य के डूब जाते ही, चन्द्रमा, जो माता को दर्शाता है, प्रकट हो सकता है। इसलिए राजा दाऊद के सिंहासन की भविष्यवाणी के अनुसार पिता ने 37 वर्षों तक पहले उद्धार का कार्य किया, और उसके बाद माता की और हम, सन्तान की महिमा प्रकट हुई है। हम माता के द्वारा ही, अनन्त उद्धार की ओर बढ़ सकते हैं, और हम माता के साथ होने के द्वारा ही, स्वर्गीय महिमा में शामिल हो सकते हैं। इस सच्चाई को महसूस न करने के लिए, शैतान लोगों की आंखों व कानों को बंद कर देता है और लोगों की बुद्धि को अन्धा कर देता है।
आइए हम आत्मिक सुलैमान बनें
यीशु ने भविष्यवाणी-संबंधी यह दृष्टान्त बताया कि मुर्गी बच्चों को अपने पखों के नीचे इकट्ठा करती है। जैसे मुर्गा की आवाज़ से नहीं, पर मुर्गी की आवाज़ से बच्चे इकट्ठे होते हैं, वैसे ही पूरे संसार में बिखरी पड़ी स्वर्गीय सन्तान, माता के प्रेम की आवाज़ सुनते ही, इकट्ठी हो सकती हैं।
अब भी बच्चों के लिए, जो शैतान से भरमाए जा रहे हैं, माता का दिल दर्द से कराह उठता है और माता की चीख-पुकार मचती है, ‘मेरे बच्चों के जीवन पर हाथ न लगा!” माता की ऐसी पुकार ही, जीवन का सन्देश होगा जो बच्चों की सोई हुई आत्माओं को हिला कर जगा देता है।
हमें इस पर हमेशा खुश रहना चाहिए कि हमारे पास अनन्त स्वर्गीय माता रहती है, और अपने मन में माता के अस्तित्व को रखना चाहिए, ताकि हम बुद्धि को अन्धा करने वाले शैतान को दूर कर सकें। आइए हम सब आत्मिक सुलैमान बन कर, अपने भाई-बहनों को जल्दी से जल्दी ढूंढ़ें जो माता को न जानते हुए, अनाथ बच्चों की तरह संसार में भटक रहे हैं, और जल्दी से जल्दी उन्हें स्वर्गीय माता से मिलाएं।
कुल 3:1 “इसलिए यदि तुम मसीह के साथ जीवित किए गए तो उन वस्तुओं की खोज में लगे रहो जो स्वर्ग की हैं, जहां मसीह विद्यमान है और परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान है।”
परमेश्वर की सन्तान को अवश्य ही, ऊपर की यरूशलेम, स्वर्गीय माता को ढूंढ़ना चाहिए। दुश्मन शैतान इधर-उधर फिरते हुए लोगों को भरमाता है और माता पर दोष लगाता है कि हम माता पर विश्वास न करें। परन्तु हम, जो परमेश्वर से हैं, पिता और माता में बने रहेंगे।
आइए हम सिय्योन की सन्तान बनें जो हमारे उद्धार के लिए इस धरती पर आए स्वर्गीय पिता और माता के प्रेम व अनुग्रह को नहीं भूलती और सामरिया व पृथ्वी के छोर तक, दूर दूर उनकी साक्षी देती हैं। आज भी, माता सन्तान के जीवन की चिंता करती है। आशा है कि आप आत्मिक सुलैमान बनें जो माता की बेसब्री से सन्तान को बचाने के लिए पुकारती आवाज को सुनाकर, पूरे संसार में तितर-बितर हुए भाई–बहनों को जीवन की माता की गोद में पहुंचाते हैं।