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जीवन के जल का सोता
यरूशलेम माता के उद्धार का समाचार पूरे विश्व में प्रसारित होता जा रहा है, जिससे संसार के प्रत्येक महाद्वीप में अनेक आत्माएं परमेश्वर के पास आ रही हैं। माता की सच्चाई आत्मिक मास्टर कुंजी है जो कहीं भी बन्द मनुष्यों के मन को खोल सकती है। यह कितना आश्चर्यजनक है!
लोग, जिन्होंने कई वर्ष तक सुसमाचार को नहीं सुना था, थोड़े समय के अन्दर खुले मन से सत्य को स्वीकार करते हैं। माता परमेश्वर के बारे में सत्य ने ही ऐसे असंभव कार्य को संभव कर दिया है। बाइबल ने भविष्यवाणी की कि जीवन का जल यरूशलेम से बह निकलेगा और जहां जहां यह जल बहता है, वहां वहां सभी प्राणी जीवन पाएंगे।
आइए हम जीवन के जल के सोते के बारे में वचन का अध्ययन करें, और जीवन के जल के सोते की ओर सारे मानव की अगुवाई करने वाले परमेश्वर के प्रेम का दूबारा एहसास करें।
लोग आत्मिक भूख–प्यास से तड़प रहे हैं
आज, दुनिया भर में ईसाई धीरे धीरे पतन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। कोरिया में भी यह पतन 1990 के दशक में चोटी पर पहुंचा, और प्रत्येक वर्ष ईसाइयों की संख्या घटती जा रही है। यूरोप और अमरीका में भी, जो ईसाई धर्म की बहुत ही लंबी परंपरा पर गर्व करते हैं, लोग चर्च–सूची में अपना नाम दर्ज तो करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग चर्च नहीं जाते। आराधनालय बहुत बड़ा है, लेकिन आराधना में आने वाले लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है। इससे हम जान सकते हैं कि वे परमेश्वर की पूजा करने से बहुत ही दूर हो गए हैं।
वे परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, पर उनकी आत्माओं को अतृप्त प्यास लगी है, जो बुझ नहीं रही। संसार आत्मिक भूख–प्यास से व्याकुल हो रहा है।
आम 8:11–13 “प्रभु यहोवा की यह वाणी है: “देखो, ऐसे दिन आनेवाले हैं जबकि मैं इस देश में अकाल भेजूंगा। यह अकाल रोटी या पानी का नहीं वरन् यहोवा के वचन सुनने का होगा। और लोग समुद्र से समुद्र तक और उत्तर से पूर्व तक मारे मारे फिरेंगे। वे इधर–उधर यहोवा का वचन खोजेंगे, परन्तु उसे न पाएंगे। उस दिन सुन्दर कन्याएं और जवान पुरुष प्यास के मारे मूर्छित हो जाएंगे।”
यदि प्यासा अजनबी, जो मरुस्थल में पानी की तलाश में भटकता है, सोते को खोजे, तब चाहे यह मृगजल हो, वह वहां दौड़ जाएगा। लेकिन यदि वह पाए कि यह मृगजल नहीं, पर असली जल है, तो वह बहुत खुश होगा।
उसी रीति से आत्मिक अकाल से भूखी–प्यासी आत्माएं जीवन के जल की तलाश में भटक रही हैं। इसलिए जब सिय्योन के परिवार उसी जीवन के जल को सामरिया और पृथ्वी के छोर तक पहुंचाते हैं, तब पूरे विश्व में बहुतेरे लोग तुरन्त मन को खोलते हैं जो बंद हो गया था, और सत्य को स्वीकार करते हैं। इसके द्वारा हमें पता लगता है कि अब, संसार के लोग किसके प्यासे हैं, और उस प्यास को शांत करने का मुख्य सत्य क्या है।
कोई और सत्य सुनते समय, वे बिल्कुल रुचि नहीं दिखाते थे। परन्तु जब वे माता परमेश्वर के बारे में सत्य सुनते हैं, तब वे तुरन्त मन खोलते हैं। इतना ही नहीं, जैसे ही वे माता को स्वीकार करते हैं, वे पिता को भी स्वीकार करते हैं, और परमेश्वर की आज्ञा के बारे में भी आसानी से समझ कर महसूस करने लगते हैं। अत: मन के द्वार को खोलने की कुंजी, माता परमेश्वर है।
परमेश्वर जीवन के जल के सोते की ओर अगुवाई करता है
परमेश्वर जीवन के जल के सोते की ओर, प्यासी आत्माओं की अगुवाई कर रहा है। प्रेरित यूहन्ना ने इसे प्रकाशन के द्वारा देख लिया था। आइए हम सब से पहले उसका वर्णन देखें।
प्रक 7:15–17 “ ... वे फिर कभी भूखे और प्यासे न होंगे, उन पर न धूप और न ही तपन होगी, क्योंकि मेमना जो सिंहासन के मध्य है, उनका चरवाहा होगा। और जीवन–जल के सोतों के पास वह उनकी अगुवाई करेगा, और परमेश्वर उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा।”
प्रक 21:2–4 “फिर मैंने पवित्र नगरी, नए यरूशलेम को परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से उतरते देखा; ... “देखो, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उनके मध्य निवास करेगा। वे उसके लोग होंगे तथा परमेश्वर स्वयं उनके मध्य रहेगा, और वह उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा ... ”
प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 में ऐसा लिखा है कि मेमना चरवाहा होकर जीवन–जल के सोतों के पास हमारी अगुवाई करेगा, और हमारी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा। और प्रकाशितवाक्य अध्याय 21 में ऐसा लिखा है कि परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, और वह हमारे मध्य रह कर हमारी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा। तब अवश्य ही, हमें जानना चाहिए कि वह कौन है जो जीवन के जल के सोते के रूप में हमारे साथ है।
जक 14:8 “फिर उस दिन यह भी होगा कि जीवन का जल यरूशलेम से बह निकलेगा। उसका आधा भाग पूर्वी सागर की ओर तथा आधा भाग पश्चिमी सागर की ओर बहेगा। वह ग्रीष्म और शीत दोनों ऋतुओं में बहता रहेगा।”
गल 4:26 “परन्तु ऊपर की यरूशलेम स्वतन्त्र है, और वह हमारी माता है।”
बाइबल ने भविष्यवाणी की कि जीवन का जल यरूशलम से बह निकलेगा। इसलिए यरूशलेम ही मूल सोता है, जहां से जीवन का जल बह निकलता है। और बाइबल ने कहा कि यरूशलेम हमारी माता है। पिता परमेश्वर ने जीवन के जल के सोते, यरूशलेम माता की ओर, सब हमारी प्यासी आत्माओं की अगुवाई की है, जिससे कि हम अनन्त स्वर्ग में जा सकें, जहां हम फिर कभी भूखे–प्यासे न होंगे और हम पर न धूप और न ही तपन होगी।
बाइबल कहती है कि जब मेमना हमारा चरवाहा होकर जीवन–जल के सोतों के पास हमारी अगुवाई करेगा, तब हम कभी आंसू नहीं बहाएंगे। पिछले दिनों में बहे दुख के आंसू, पीड़ा के आंसू, पछतावे के आंसू, धन्यवाद के आंसू, उन सभी आंसुओं को परमेश्वर पोंछ डालेगा, और अनन्त स्वर्ग का उद्धार देगा। विश्वास के मरुस्थल में, हम स्वर्ग की ओर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में मेमने ने जीवन–जल के सोतों के पास हमारी अगुवाई की है, और हमें आत्मिक शक्ति देने के लिए लगातार बहने वाला जीवन का जल दे रहा है, ताकि हम कभी थक कर हार न जाएं।
जीवन का जल देने वाली यरूशलेम माता
बाइबल सिखाती है कि जीवन–जल का सोता स्वर्गीय यरूशलेम हमारी माता है। फिर भी, जो यरूशलेम के पास नहीं जाते, उनके विरुद्ध परमेश्वर ने इस प्रकार चेतावनी दी।
जक 14:16–19 “उस समय ऐसा होगा कि यरूशलेम पर चढ़ाई करनेवाली सब जातियों में से जो लोग शेष रह जाएंगे वे वर्ष–प्रतिवर्ष, सेनाओं के यहोवा, राजा को दण्डवत् करने तथा झोपड़ियों का पर्व मनाने यरूशलेम जाया करेंगे। फिर ऐसा होगा कि पृथ्वी के कुलों में से जो लोग सेनाओं के यहोवा राजा को दण्डवत् करने नहीं जाएंगे उन पर मेंह नहीं बरसेगा। ... यह मिस्र तथा उन सब जातियों का दण्ड ठहरेगा जो झोपड़ियों का पर्व मानने नहीं जाएंगी।
कहा गया है कि जो यरूशलेम के पास नहीं जाएंगे उन पर परमेश्वर मेंह नहीं बरसाएगा। इसका अर्थ है कि जो यरूशलेम माता पर विश्वास नहीं करते हैं और माता की गोद में वापस नहीं आते हैं, वे कभी आत्मिक प्यास को नहीं बुझा सकेंगे।
जीवन–जल न केवल आत्मिक प्यास को बुझाता है, पर यह अनन्त जीवन के लिए उमड़ने वाला जल का सोता बन जाता है।(यूह 4:14) हमें स्वर्ग वापस जाने के लिए अनन्त जीवन पाना चाहिए। जब मसीह पहली बार आया, उसने हमें जीवन देने के लिए यह जीवन–जल देना चाहा।
यूह 7:2, 14, 37–39 “यहूदियों का त्यौहार अर्थात् झोपड़ियों का पर्व निकट था। ... जब पर्व के आधे दिन बीत गए.. पर्व के अन्तिम दिन, जो मुख्य दिन था, यीशु खड़ा हुआ, और पुकार कर कहने लगा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करता है, जैसा कि पवित्रशास्त्र में कहा गया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’।” परन्तु यह उसने पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे।”
यीशु ने ‘जो मुझ पर विश्वास करता है’, कह कर जीवन–जल पाने का शर्त बताया, यानी जो विश्वास नहीं करता है, वह जीवन–जल नहीं पी सकता। हमारे अन्दर जीवन–जल की नदी उमड़ने के लिए, सब से पहले हमें जीवन का जल देने वाले पर विश्वास रखना चाहिए। जैसे 2 हज़ार वर्ष पहले, यीशु मसीह ने पुकार कर कहा, वैसे ही आज पवित्र आत्मा के युग में आत्मा और दुल्हिन पुकार कर कह रहे हैं, “आ! जो प्यासा हो वह आए, और जीवन का जल बिना मूल्य ले”
प्रक 22:17 “आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुनने वाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो, वह आए। जो चाहता है, वह जीवन का जल बिना मूल्य ले।”
जैसे यीशु ने कहा, ‘जो मुझ पर विश्वास करता है, उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’, वैसे ही आज भी है, जो पवित्र आत्मा और दुल्हिन, यानी दूसरी बार आने वाले यीशु और उसकी दुल्हिन, स्वर्गीय माता पर विश्वास करता है, उससे जीवन–जल बह निकलेगा। जब तक कोई माता को स्वीकार नहीं करेगा और सिय्योन में नहीं आएगा, जहां माता रहती है, तब तक कोई भी जीवन–जल नहीं पी सकता।
हमें इस पर गर्व महसूस करना है कि जीवन–जल का सोता यरूशलेम माता हमारे साथ रहती है। बेबीलोन जितना भी बड़ा हो, तो भी बाइबल ने भविष्यवाणी की है कि अंत में वह गिर जाएगा। जंगली घास कितनी भी बढ़ती और प्रचुर होती हो, किसान उससे खुश नहीं होता। और समृद्ध जंगली घास को भी पानी के बिना सूख कर मरना ही है। क्यों परमेश्वर ने इसी रीति से बनाया कि सारे जीवित प्राणी पानी के बिना नहीं जी सकते।
परमेश्वर ने भविष्यवाणी की है कि सिय्योन में छोटे से छोटा तो एक गोत्र और सबसे तुच्छ एक महान् जाति बन जाएगा।(यश 60:22) क्योंकि चरवाहा, पिता परमेश्वर और जीवन–जल का सोता, यरूशलेम माता हमारे साथ हैं, और वे हमें वैसा अनुग्रह देते हैं। हम छोटे झुण्ड हैं जो सकरे फाटक से सिय्योन में आए हैं, लेकिन जीवन का मूल, जीवन–जल का सोता, यरूशलेम हमारे साथ रहती है, इसलिए अवश्य ही हमारी बहुत उन्नति होगी।
जीवन–जल सिंहासन से बह निकलता है
परमेश्वर ने प्रेरित यूहन्ना को दिखाया कि परमेश्वर और मेमने के सिंहासन से जीवन–जल की नदी बहती है। और परमेश्वर का सिंहासन यरूशलेम माता को संकेत करता है।
प्रक 22:1–6 “फिर उसने मुझे जीवन के जल की नदी दिखाई, जो स्फटिक के समान स्वच्छ थी और जो परमेश्वर और मेमने के सिंहासन से निकलकर, नगर के मुख्य मार्ग के बीच बहती है। नदी के दोनों किनारों पर जीवन का वृक्ष था, जिसमें बारह प्रकार के फल लगते थे। वह प्रति माह फलता था, और इस वृक्ष की पत्तियां जाति–जाति की चंगाई के लिए थीं। फिर वहां कोई शाप न रहेगा ... वे युगानुयुग राज्य करेंगे।”
यिर्म 3:17 “उस समय वे यरूशलेम को “यहोवा का सिंहासन” कहेंगे, और सब जातियां यहोवा के नाम में यरूशलेम में इकट्ठी की जाएंगी और वे फिर कभी अपने बुरे मन की ढिठाई के अनुसार नहीं चलेंगे।”
बाइबल स्वर्गीय माता के बारे में, दुल्हिन, मेमने की पत्नी, यरूशलेम, परमेश्वर का सिंहासन, इत्यादि विभन्न शब्दों का प्रयोग करती है। इसलिए कभी कहा कि यरूशलेम से जीवन–जल बहता है, और कभी कहा कि परमेश्वर के सिंहासन से जीवन–जल बहता है।
लोग जो मेमने से अगुवाई नहीं पाते हैं, वे ऐसी भविष्यवाणी देखते हुए भी, आत्मिक बातें आत्मिक विचार से न समझ कर, फिलीस्तीन क्षेत्र में यरूशलेम नगर की मुलाकात करने जाते हैं। लेकिन उसमें न तो अनन्त जीवन है और न ही किसी आशीष का वादा है।
सारे देशों से लोग स्वर्गीय यरूशलेम की ओर मुलाकात करने के लिए आते हैं, क्योंकि वे परमेश्वर की अगुवाई से जान गए हैं कि यरूशलेम ही जीवन–जल का सोता है जो प्यासी आत्माओं को पानी से तृप्त करता है। जब हम देखते हैं, जैसे ही वे यरूशलेम माता को महसूस करते हैं, तुरन्त खुशी के साथ माता को स्वीकार कर लेते हैं, तब पता चलता है कि वे जीवन–जल के लिए बहुत प्यासे थे।
परमेश्वर ने कहा कि लोग यरूशलेम में इकट्ठे होंगे और वे फिर कभी अपने बुरे मन की ढिठाई के अनुसार नहीं चलेंगे। इसलिए लोग यरूशलेम माता में उसकी शिक्षा पाने के बाद अपने बुरे चरित्र और हठी व्यवहार को छोड़ते हैं। सोच लीजिए, माता की शिक्षा से हमारा मन कितना बड़ा और कितना शांत होता है, और हमें दयालु प्रेम का एहसास होता है। माता की शिक्षा से, हम प्रेम से भरी स्वर्गीय संतान के रूप में पुनर्जीवित हो सकते हैं। इससे और अच्छी शिक्षा नहीं होगी।
यदि आप स्वभाव से अभी तक, हठी और जिद्दी हों, तो माता की ऐसी शिक्षा के अनुसार, अब से बदल जाना है; जैसे इब्राहीम ने अपने भतीजे लूत को बेहतर चीज दी, हमें भी भाइयों को बेहतर चीज देनी है, और समुद्र के समान, जो सारी गंदगियों को ले लेता है और साफ करता है, चौड़ा मन रखना चाहिए। तब ही हम कह सकते हैं कि हम माता पर विश्वास करते हैं। क्योंकि यदि हम परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हुए उसकी शिक्षा और आज्ञा न मानें तो, हम उसके समान होते हैं जो होंठ से परमेश्वर का आदर तो करता है पर अपने कामों से उसका इनकार करता है। दूसरे शब्द में ऐसा विश्वास व्यर्थ है।
जीवन–जल सारी जाति–जाति को पुनर्जीवित करता है
संसार जीवन–जल की अभिलाषा कर रहा है। यहेजकेल नबी ने इस जीवन–जल को बढ़कर पूरे विश्व में बहते हुए देखा और उसने इस दृश्य का चित्रण इस प्रकार किया।
यहेज 47:1–12 “तब वह मुझे भवन के द्वार पर लौटा ले आया और देखो, भवन की दहली के नीचे से पूर्व की ओर जल बह रहा था ... तब वह मुझे उत्तर के फाटक से बाहर ले गया, और बाहर ही बाहर घुमाकर उस फाटक पर ले आया जो पूर्व की ओर खुलता है, और जल दक्षिण की ओर से टपक रहा था। जब वह पुरुष हाथ में नापने का फीता लेकर पूर्व की ओर निकला तो उसने एक हज़ार हाथ नापा। वह मुझे जल में से ले गया और जल टखने तक था। उसने फिर एक हज़ार हाथ नापा ... उसने फिर से एक हज़ार हाथ नापा ... उसने फिर एक हज़ार हाथ नापा और पानी बढ़कर ऐसी नदी बन गया कि मैं चल न सका, अर्थात् तैरने योग्य पानी, ऐसी नदी जिसे पार नहीं किया जा सकता था। ... समुद्र में मिल जाता है, और समुद्र का जल मीठा हो जाता है। और फिर ऐसा होगा कि जहां जहां यह नदी बहती है, वहां वहां बहुत झुण्ड में रहने वाले हर प्रकार के प्राणी जीवन पाएंगे। वहां अत्यधिक मछलियां पाई जाएंगी, क्योंकि यह जल जहां जहां जाता है वहां का जल मीठा हो जाता है। अत: जहां जहां यह नदी पहुंचेगी वहां वहां सब कुछ जीवित रहेगा। ... नदी के तट पर दोनों ओर खाने के लिए सब प्रकार के वृक्ष उगेंगे। उनके पत्ते मुर्झाएंगे नहीं और उनके फल समाप्त नहीं होंगे। वे हर महीने फलते रहेंगे क्योंकि उनको सींचने वाला पानी पवित्रस्थान से बहता है; उनके फल भोजन के लिए और पत्ते चंगाई के लिए काम आएंगे।”
यहां लिखा है कि भवन(पवित्रस्थान) से जल बहता है, और प्रकाशितवाक्य में लिखा है कि जल परमेश्वर और मेमने के सिंहासन से बहता है। पवित्रस्थान में परमेश्वर का सिंहासन, परम पवित्रस्थान है। उस परम पवित्रस्थान से बहता जल जीवन–जल की नदी बनता है, और जहां जहां यह नदी बहती है, वहां वहां सभी प्राणी जीवन पाते हैं।
बाइबल में परम पवित्रस्थान, स्वर्गीय यरूशलेम माता को संकेत करता है।(2इत 3:8, 1रा 6:19–20, प्रक 21:9–16 तुलना) भविष्यवाणी के अनुसार, जहां जहां माता परमेश्वर का सत्य सुनाया जाता है, वहां वहां सारी जाति–जाति के लोग परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा जीवन पाकर पुनर्जीवित हो रहे हैं।
पूरे विश्व से, जो माता से बह निकलते जीवन और प्रेम की शिक्षा के लिए प्यासे हैं, माता की ओर आकर उद्धार पा रहे हैं।
अब, एलोहीम परमेश्वर सन्तान को जीवन देने के लिए, पृथ्वी के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक इकट्ठा कर रहे हैं। वे अपने नाम पर विश्वास करने वाली सन्तान को जीवन–जल देते हैं कि वे अनन्त जीवन पाएं और कभी प्यासे न हों, और वे सन्तान की मदद करते हैं कि वे सब कुछ कर सकें।
आइए हम, जिन्होंने जीवन–जल पहले प्राप्त किया है, पवित्र आत्मा और दुल्हिन की आवाज़ को यत्न सहित सुनाएं, ताकि जीवन–जल विश्व के हर क्षेत्रों में और तेजी से बह सके, और आइए हम जीवन–जल के सोते के पास, पूरे विश्व के लोगों की अगुवाई करके परमेश्वर के कार्य में शामिल रहें। मैं उत्सुकता से आशा करता हूं कि संसार में बिखरी हुई सभी स्वर्गीय सन्तान जल्द से जल्द यरूशलेम माता को स्वीकार करें और हमारे मनों में माता अनन्त जीवन–जल का सोता हो जो दिन प्रतिदिन बहता है।