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बोओ, तो काटोगे

आत्मिक रूप से यह समय पतझड़ का मौसम है, और सिय्योन में फसल की कटनी अपने चरम पर है। परमेश्वर ने अपनी प्यारी संतानों को सुसमाचार–लवनेवालों का मिशन सौंपा है, जो जीवन के वचनों का प्रचार करके आत्माओं को बचाते हैं, और हम में से हर एक को एक चोखा हंसुआ भी दिया है।(मर 4:29; योए 3:13)

प्रचुर मात्रा में फसल काटने के लिए बोने का प्रयास पहले होना चाहिए। अगर हम बोने और काटने के प्रयास के बिना सिर्फ फल की इच्छा करेंगे, हम कुछ भी नहीं पा सकते। जब हम मेहनत से सुसमाचार का बीज लोगों के मनों में बोते हैं, तब वह बढ़ता है और फल फलता है, है न?

बीज की सृष्टि करते समय परमेश्वर ने उसमें पहले से ऐसा प्रोग्राम डाला: जैसे परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा,” एक बार जब बीज बोया जाता है, तब वह अवश्य ही बढ़कर फल फलता है। सुसमाचार के सेवकों के रूप में, हमें ईमानदारी से सुसमाचार का बीज बोना चाहिए और बहुतायत से फल प्राप्त करना चाहिए, ताकि हम खेत के स्वामी को प्रसन्न कर सकें।(लूक 10:2)

सिर्फ वही व्यक्ति जो प्रयास करता है, फल पाएगा



मैं आपको कोरिया में एक विश्वविद्यालय में घटी एक दिलचस्प कहानी बताना चाहूंगा। अंग्रेजी की मध्यावधि परीक्षा के लिए छात्र एक लेक्चर कक्ष में एकत्र हुए थे। छात्रों ने हमेशा की तरह लिखित परीक्षा देने की प्रत्याशा की थी, लेकिन उनके प्रोफेसर ने अचानक कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि लिखित परीक्षा के बदले मौखिक परीक्षा होगी। तब सभी छात्र तनावपूर्ण और परेशान हो गए।

फिर प्रोफेसर ने छात्रों से कहा कि उन्हें पहले दूसरे के साथ जोड़ी बनाना है और परीक्षा में एक स्थिति की कल्पना करते हुए जो विदेशी यात्रा के दौरान हो सकती है, अंग्रेजी में एक दूसरे से बातचीत करनी चाहिए। जब परीक्षा का समय आया, प्रोफेसर ने पहली टीम से कहा कि वे अंग्रेजी में एक दूसरे से बात करें और उनमें से एक को यात्री की भूमिका और दूसरे को अमेरिकी की भूमिका निभाएं। इस अनपेक्षित स्थिति में, वे घबरा गए और कुछ कह न पाए। लेकिन उनकी बातचीत सीधे उनकी ग्रेड से जुड़ी थी, इसलिए उन्हें पता था कि उन्हें कुछ तो कहना ही है।
एक लंबी चुप्पी के बाद, जिस छात्र को यात्री की भूमिका सौंपी गई थी, उसने दूसरे छात्र से कहा,

“Excuse me(क्षमा करें)।”
“What(क्या बात है)?”
“Can you speak Korean(क्या आप कोरियाई भाषा बोल सकते हैं)?”
“Yes, I can(हां, मैं बोल सकता हूं)।”

उस समय से, उन्होंने कोरियाई भाषा में जी भरकर बात करना शुरू किया। “मैं यहां पर स्टैचू ऑफ लिबर्टी देखने आया हूं। मैं कैसे वहां जा सकता हूं?” “हरे रंग की बस में चढ़कर चौथे बस स्टाप पर उतर जाना।” वे इसी तरह कोरियाई भाषा में बातचीत करते रहे। तब लेक्चर कक्ष में, जिसमें तनावपूर्ण वातावरण रहा, अचानक हंसी का फव्वारा फूट पड़ा।

वह एक हास्यास्पद स्थिति थी, पर दूसरी तरफ देखा जाए तो उनकी बातचीत परीक्षा के नियम या निर्देश के खिलाफ नहीं थी, क्योंकि अमेरिका में कोरियाई भाषा बोलने वाले व्यक्ति से मिलना संभव है। प्रोफेसर ने “कापीराइट संरक्षण” के तहत बाकी दूसरे छात्रों को सख्त चेतावनी दी कि अगर कोई पहली टीम की नकल करेगा, तो उसे एफ ग्रेड(फेल) दिया जाएगा। और जिस छात्र ने कोरियाई यात्री की भूमिका निभाई थी, उसे ए–प्लस ग्रेड दिया और उस छात्र को जिसने अमेरिकी की भूमिका निभाई थी, यह कहते हुए ए ग्रेड दिया, “कोरियाई व्यक्ति के लिए कोरियाई भाषा में अच्छे से बात करना स्वाभाविक है, लेकिन यह असाधारण बात है कि एक अमेरिकी व्यक्ति अच्छे से कोरियाई भाषा बोलता है, है न? इसलिए मैंने ए–प्लस ग्रेड के बदले तुम्हें ए ग्रेड दिया।”

हालांकि यह एक हास्यास्पद कहानी है जो दो छात्रों की बुद्धि और प्रोफेसर की उदारता दिखाती है, लेकिन हम इसमें इस सिद्धांत को खोज सकते हैं: सिर्फ वही व्यक्ति जो बोता है, काट सकता है। अगर छात्र सिर्फ अंग्रेजी भाषा में अपनी कमजोरी होने की वजह से हिचकिचाए होते, तो वे अच्छे ग्रेड प्राप्त नहीं कर पाते। हमारे साथ भी वैसा ही है। हालांकि हम अच्छे से सुसमाचार का प्रचार करने में अक्षम होते हैं, अगर हम उन छात्रों की तरह कड़ी मेहनत से कोशिश करेंगे, तो हम अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

जैसे तुम बोओगे, वैसे ही तुम काटोगे


सिय्योन में हमारे भाइयों और बहनों में, हम अक्सर कुछ सदस्यों को देखते हैं, जिनके पास बाइबल के ज्ञान की कमी है और जो बोलने में चतुर नहीं हैं, लेकिन परमेश्वर के कहे अनुसार कड़ी मेहनत से कोशिश करके बहुतायत से सुसमाचार के फल उत्पन्न करते हैं। भले ही हम कई मायनों में कमजोर हैं, अगर हम परमेश्वर के वचन पर निर्भर करेंगे और प्रचार करने की कोशिश करेंगे, तो हमारे स्वर्गीय पिता और माता हमारी कोशिश से प्रभावित होंगे और हमारी मदद करेंगे।

हमें बहुतायत से बोना चाहिए, ताकि हम जब स्वर्ग लौटेंगे, तब सदा चमकने वाले जीवन के मुकुट को और परमेश्वर के अपरम्पार प्यार और आशीष को प्राप्त कर सकें।

2कुर 9:6 परन्तु बात यह है: जो थोड़ा बोता है, वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा।

हम सभी बहुतायत से सुसमाचार के फल पैदा करना चाहते हैं। हालांकि, थोड़ा बोने पर भी बहुत फल पाने की अपेक्षा करना हमारे लिए सही नहीं है। परमेश्वर ने निश्चित किया है कि हम जितना बोएंगे उतना ही काटेंगे।

तोड़ों के दृष्टान्त में, जिस मनुष्य ने नहीं बोया, वह काट नहीं सका। जिसे पांच तोड़े मिले थे, उसने ईमानदारी से उन्हें काम में लगा दिया और पांच तोड़े और कमाए। और जिसे दो तोड़े मिले थे, उसने भी ऐसा ही करके दो तोडे. और कमाए। लेकिन जिस मनुष्य को एक तोड़ा मिला था, उसने उसे मिट्टी में छिपा दिया और कुछ भी नहीं कमाया।(मत 25:14–30)

अगर कोई सुसमाचार का बीज मिलने पर भी उस मनुष्य के समान, जिसे एक तोड़ा मिला था, हिचकिचाए और उसे छिपाए, तो वह फल पैदा नहीं कर सकता। लेकिन जो बोएगा, वह निश्चय ही फल उत्पन्न करेगा। एक बार जब हम बीज बोएं, तो वह बढ़ेगा और तीस गुणा, साठ गुणा और सौ गुणा सुन्दर फल पैदा करेगा। परमेश्वर ने हमारे लिए सब कुछ तैयार किया है।

गल 6:7–9 धोखा न खाओ; परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।

बाइबल कहती है कि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। अगर कोई शारीरिक चीजें बोता है, वह कभी भी आत्मिक चीजें नहीं काट सकता। वह उस मनुष्य के समान है जो अंगूर का बीज बोने के बाद सेब की प्रत्याशा करता है।

हमें परमेश्वर ने सुसमाचार सौंपा है। इसलिए हमें पवित्र आत्मा का बीज, यानी सुसमाचार का बीज बोना चाहिए। इस दुनिया में विभिन्न प्रकार के बीज हैं, लेकिन हमें जो बीज बोना चाहिए, वह सुसमाचार का बीज है, जिसे परमेश्वर ने हमें सौंपा है।(1पत 1:23–25) जैसे हम बोएंगे, वैसे हम निश्चय काटेंगे। जो थोड़ा बोता है, वह थोड़ा काटेगा, और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। चाहे हम बहुत बोएं या थोड़ा, फल फलना हमारी व्यक्तिगत क्षमता पर निर्भर नहीं करता, पर इस पर निर्भर करता है कि हम कितनी ईमानदारी और मेहनत से बोते हैं।

उपर्युक्त कहानी में दो छात्रों के बारे में सोचें। यद्यपि वे अंग्रेजी अच्छे से नहीं बोल सकते थे, प्रोफेसर ने उन्हें अच्छे ग्रेड दिए। हमारे परमेश्वर का हृदय बिल्कुल उस प्रोफेसर के जैसा ही है। परमेश्वर यह देखकर प्रभावित होते हैं कि हम उनके लिए कुछ भी करने का प्रयास करके सुसमाचार का बीज बोते हैं, और वह हमें सुन्दर फल उत्पन्न करने की अनुमति देते हैं।

तू वचन का प्रचार कर, समय और असमय तैयार रह



बाइबल कहती है कि जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। भले ही हम अभी फल उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं, हमें न तो थकना चाहिए और न ही निराश होना चाहिए। परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते हुए मेहनत से बोते रहना चाहिए। तब हम निश्चय फलेंगे।

अभी भी हमारे आसपास ऐसे बहुत सारे क्षेत्र बाकी हैं जहां अभी तक सुसमाचार का बीज बोया नहीं गया है। हमें अपने आसपास के लोगों से शुरू करना चाहिए। सुसमाचार का बीज बोने के लिए, हम चौराहों पर, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जा सकते हैं(मत 22:9; लूक 14:23), और हम अपने परिवार वालों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के पास जा सकते हैं। चूंकि बाइबल कहती है कि जो थोड़ा बोता है, वह थोड़ा काटेगा, और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा, इसलिए हमें थोड़ा बोने के बाद भी ज्यादा फलों की प्रत्याशा नहीं करनी चाहिए। जब हम बहुत फल नहीं फलते, तो हमें हताश होने के बजाय लगन और मेहनत से बोना चाहिए।

2तीम 4:1–8 परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, और उसके प्रगट होने और राज्य की सुधि दिलाकर मैं तुझे आदेश देता हूं कि तू वचन का प्रचार कर, समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता और शिक्षा के साथ उलाहना दे और डांट और समझा। क्योंकि ऐसा समय आएगा जब लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे, पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुत से उपदेशक बटोर लेंगे, और अपने कान सत्य से फेरकर कथा–कहानियों पर लगाएंगे। पर तू सब बातों में सावधान रह, दु:ख उठा, सुसमाचार का प्रचार का काम कर, और अपनी सेवा को पूरा कर। क्योंकि अब मैं अर्घ के समान उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं, मैंने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैंने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा, और मुझे ही नहीं वरन् उन सब को भी जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।

बाइबल हमें वचन का प्रचार करने के लिए कहती है, और व्यर्थ चीजों की परवाह न करते हुए, समय या असमय तैयार रहकर, सुसमाचार का बीज बोने के लिए कहती है। परमेश्वर ने जो सेवा हमें सौंपी है, वह सुसमाचार का बीज बोना है, यानी प्रचार करना। बाइबल कहती है कि इस सेवा को जब हम पूरा करेंगे, हम धर्म का मुकुट पाएंगे, जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है। इसलिए हमें सुसमाचार का बीज बोने के लिए पूरी तरह अपने आपको समर्पित करना चाहिए।

यह सत्य है कि जैसा हम बोएंगे, वैसा हम काटेंगे। सिर्फ वही जो सत्य को अमल में लाते हैं, आशीष पाएंगे। हमें एक तोड़ा पाने वाले मनुष्य की तरह, चुपचाप नहीं देखना चाहिए या इंतजार नहीं करना चाहिए, लेकिन जहां भी संभव हो और जब कभी संभव हो, हमें मेहनत से बीज बोना चाहिए।

प्रथम चर्च के प्रेरितों ने सुसमाचार का बीज मेहनत से बोया



जहां भी संभव हो और जब कभी संभव हो, प्रथम चर्च के संतों ने दुनिया के हर भाग में लगन और मेहनत से सुसमाचार का बीज बोया। उनका कार्य ईसाई इतिहास में सबसे गौरवपूर्ण और प्रशंसनीय कार्य के रूप में दर्ज किया गया है और याद किया जाता है। प्रेरितों की पुस्तक में यह दर्ज किया गया है कि सिर्फ एक दिन में लगभग तीन या पांच हजार लोगों ने मसीह को ग्रहण किया, और जो उद्धार पाते थे, उनको परमेश्वर प्रतिदिन चर्च में मिला देते थे। यह सुसमाचार के सेवकों के उत्सुकता से बीज बोने के परिश्रम का परिणाम था।

प्रे 16:11–15 ... हम उस नगर में कुछ दिन तक रहे। सब्त के दिन हम नगर के फाटक के बाहर नदी के किनारे यह समझकर गए कि वहां प्रार्थना करने का स्थान होगा, और बैठकर उन स्त्रियों से जो इकट्ठी हुई थीं, बातें करने लगे। लुदिया नामक थुआथीरा नगर की बैंजनी कपड़े बेचनेवाली एक भक्त स्त्री सुन रही थी। प्रभु ने उसका मन खोला कि वह पौलुस की बातों पर चित्त लगाए। जब उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया, तो उसने हम से विनती की, “यदि तुम मुझे प्रभु की विश्वासिनी समझते हो, तो चलकर मेरे घर में रहो,” और वह हमें मनाकर ले गई।

यह पौलुस की कुशल वाक्पटुता के कारण नहीं था कि लुदिया का मन खुला, पर पौलुस के सुसमाचार का बीज बोने की लगन को देखकर परमेश्वर ने उसका मन खोला। और यह भी पवित्र आत्मा का कार्य था कि दारोगा और उसके परिवार ने मसीह को ग्रहण करके उद्धार पाया।(प्रे 16:25–34) जब प्रथम चर्च के संतों ने परमेश्वर के वचन पर निर्भर होकार बड़े उत्साह के साथ सुसमाचार के बीज को बोया, परमेश्वर ने उस बीज को बढ़ाया और पवित्र आत्मा के सुंदर फल उत्पन्न कराए।(1कुर 3:5–8)

प्रे 18:5–10 जब सीलास और तीमुथियुस मकिदुनिया से आए, तो पौलुस वचन सुनाने की धुन में यहूदियों को गवाही देने लगा कि यीशु ही मसीह है। परन्तु जब वे विरोध और निन्दा करने लगे, तो उसने अपने कपड़े झाड़कर... वहां से चलकर वह तितुस युस्तुस नामक परमेश्वर के एक भक्त के घर में आया; जिसका घर आराधनालय से लगा हुआ था। तब आराधनालय के सरदार क्रिसपुस ने अपने सारे घराने समेत प्रभु पर विश्वास किया; और बहुत से कुरिन्थवासी सुनकर विश्वास लाए और बपतिस्मा लिया। प्रभु ने एक रात दर्शन के द्वारा पौलुस से कहा, “मत डर, वरन् कहे जा और चुप मत रह; क्योंकि मैं तेरे साथ हूं, और कोई तुझ पर चढ़ाई करके तेरी हानि न करेगा; क्योंकि इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं।”

प्रेरितों ने स्पष्ट रूप से उन लोगों को गवाही दी, जो यीशु को सिर्फ नासरी बढ़ई मानते थे, कि वह यीशु मसीह थे, और पुत्र परमेश्वर और परमेश्वर का स्वरूप था। इसलिए जहां कहीं भी वे गए, बहुत लोगों ने उन्हें सताया। यहूदियों के झुंड ने उनके खिलाफ बार बार निंदात्मक बातें कीं, और धार्मिक नेताओं ने उनके विरुद्ध अनेक मिथ्या तर्क दिए। हालांकि, “मैं तुम्हारे साथ हूं, और इस नगर में मेरे बहुत लोग हैं।” ऐसा कहते हुए परमेश्वर ने उनसे न डरकर और चुप न रहकर लगातार सुसमाचार के बीज बोने के लिए कहा।

परमेश्वर सुसमाचार के बीज बोने वालों को प्रोत्साहित और मदद करते हैं



आज की आत्मिक स्थिति ठीक 2,000 वर्ष पहले पुत्र के युग की स्थिति के समान है। आज भी, जब हम एलोहीम परमेश्वर का प्रचार करते हैं, जो पवित्र आत्मा के युग में उद्धारकर्ता हैं, बहुत से ईसाई हमारा विरोध करने और हमें सताने की कोशिश करते हैं। हालांकि, परमेश्वर उनके साथ नहीं हैं, पर हमारे साथ हैं जो मसीह के साथ खड़े हैं। भले ही हम धाराप्रवाह बोल नहीं सकते, अगर हम इस दृढ़ विश्वास के साथ कि उद्धार सिर्फ उन्हें दिया जाएगा जो पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर पर विश्वास करके सिय्योन में वापस आते हैं, ईमानदारी से प्रचार करेंगे, तब परमेश्वर उन सब लोगों के मनों को खोलेंगे जो हमारा प्रचार सुनते हैं।

भले ही अभी भी आपके पास प्रचार करने में कमियां हैं, कृपया कहानी में उन दो छात्रों की तरह हिम्मत बांधिए। अगर आप बाइबल के सिर्फ एक वचन के द्वारा आत्मा और दुल्हिन के बारे में, जो पवित्र आत्मा के युग में मसीह हैं, सही तरीके से गवाही दें, तो परमेश्वर आपको सबसे उत्तम ग्रेड देंगे, है न? “मत डरो, चुप मत रहो! वे सत्य को इसलिए महसूस नहीं कर सके, क्योंकि कोई भी उनके पास सुसमाचार का बीज बोने नहीं आया। अगर तुम सुसमाचार का बीज बोओगे, तो तुम निश्चय फल पाओगे।” ऐसा कहते हुए, पवित्र आत्मा हमें प्रोत्साहित और मदद करते हैं।

इसका सिद्धान्त आसान है: जैसे हम बोते हैं, वैसे ही हम निश्चय काटेंगे। क्या आप 1,000 फल पैदा करना चाहते हैं? तब 1,000 लोगों के मनों में सुसमाचार का बीज बोइए। क्या आप 10,000 फल पैदा करना चाहते हैं? तब 10,000 लोगों के मनों में सुसमाचार का बीज बोइए। अगर आप चाहते हैं कि दुनिया भर के लोगों की अगुवाई परमेश्वर की बांहों में हो, तब सभी लोगों के मनों में सुसमाचार का बीज बोइए। आप उतना ज्यादा काटेंगे जितना ज्यादा आपने बोया है। हालांकि, बाइबल कहती है कि जो व्यक्ति अपने शरीर के लिए बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा। इसलिए हमें पवित्र आत्मा के बीज को बोना चाहिए, जो सुसमाचार का बीज है।

चाहे हमारे पड़ोसी हों या हमारे पास से गुजरनेवाले लोग हों, अगर उन्होंने अभी तक सुसमाचार नहीं सुना है, तो आइए हम सुसमाचार के बीज को उनके मनों में बोएं। परमेश्वर हमसे कहते हैं कि जहां भी संभव हो और जब कभी संभव हो, हमें सुसमाचार का बीज बोना चाहिए। कुछ लोगों के मनों में वह बीज नहीं उग सकता, पर परमेश्वर निश्चय ही जितना हमने बोया है उतना काटने की अनुमति हमें देते हैं। मैं आशा करता हूं कि आप सब उस जीवन के मार्ग को खोलें, जिससे दुनिया भर के लोग पिता और माता की बांहों में वापस आ सकते हैं।

अगर हम सिर्फ शारीरिक चीजों में व्यस्त रहने के कारण आत्मिक चीजें बोने का समय नहीं निकालते, तो स्वर्ग के राज्य में वापस जाते समय हमारे पास परमेश्वर के पास ले जाने के लिए कोई फल नहीं होगा। इसे मन में रखते हुए कि हम उतना ही काटेंगे जितना हम बोते हैं, आइए हम इस युग में विश्वासयोग्य नबी के रूप में सुसमाचार के बीज मेहनत से बोएं, ताकि हम बहुतायत से फल पैदा करके स्वर्गीय पिता और माता की महिमा कर सकें।