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मसीह के समान
एक समय में, यीशु के जीवन के अंतिम कुछ क्षणों को चित्रित करती फिल्म “द पैशन ऑफ द क्राइस्ट” ने पूरे विश्व में हलचल मचा दी थी। फिल्म फसह के पर्व के बाद की मसीह की वेदना को चित्रित करती है, और उसका अंत उनके पुनरुत्थान के साथ होता है। यदि आसान शब्दों में कहे, तो उस फिल्म ने यीशु के हमारी आत्माओं को उद्धार देने के लिए एक गेहूं का दाना बनने की प्रक्रिया को सजीव ढंग से चित्रित किया था।
मसीह के समान, हमें भी अपने आपको एक गेहूं के दाने की तरह किसी का जीवन बचाने के लिए समर्पित करना चाहिए। अब, आइए हम बाइबल के द्वारा बहुत लोगों के जीवन को बचाने के लिए अपना बलिदान करने वाले मसीह का और उस नई वाचा का गहराई से अध्ययन करें जो उन्होंने अपने लहू से स्थापित की थी।
मसीह ने हमारे पापों के लिए अपना लहू बहाया
1कुर 15:3–4 इसी कारण मैं ने सब से पहले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया, और गाड़ा गया, और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा।
मसीह को बहुत बुरी तरह से मारा और पीटा गया था; उनके हाथों और पैरों को बड़ी ही क्रूरता से कीलों से छेदा गया था; उनके मांस को फाड़ा गया था और भूमि पर उनके लहू के छींटे उड़ाए गए थे।
उस फिल्म में मसीह को दुख उठाते और क्रूस पर मरते हुए देखकर, हमें यह स्मरण हुआ कि हमारे पाप कितने घोर थे कि हमें क्षमा दिलाने के लिए मसीह को इतनी भयंकर कीमत चुकानी पड़ी।
जैसे कि बाइबल में कहा गया है, मसीह ने हमारे पापों के कारण अपना बलिदान किया। वह हम में से एक के समान कमजोर और निर्बल मनुष्य बन कर आए, और उन दिनों के धार्मिक नेताओं के द्वारा उन पर दोष लगाए गए, और वह धिक्कारे गए और अपमानित किए गए; उन्होंने हमें बचाने के लिए सभी अवर्णनीय दुखों और शर्मिंदगी को सहन किया।
हमें बचाने के लिए मसीह ने खुशी के साथ अपने आपको क्रूस की मृत्यु के हवाले कर देने तक प्रयास किया। उन्हीं की तरह, हमें भी मानव जाति को बचाने के लिए कोई भी प्रयास या बलिदान बाकी नहीं रखना चाहिए। क्योंकि मसीह ने कहा है कि, “ मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो।”(यूह 13:15)
“जाओ, सब जातियों के लोगों के जीवन को बचाओ”
हमें जो मसीह के समान जीवन जीना चाहते हैं, परमेश्वर ने एक आज्ञा दी है। आइए हम मत्ती की पुस्तक में देखें कि मसीह की सबसे अंतिम आज्ञा क्या है।
मत 28:18–20 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।”
यीशु के कहने का मतलब था कि, ‘जैसे मैं आत्माओं को बचाने के लिए पृथ्वी पर आया हूं, तुम्हें भी संसार के सभी लोगों के पास जाना चाहिए और उन्हें सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए, ताकि तुम उनके जीवन बचा सको।’ परमेश्वर हमें यह सुअवसर दिया है कि हम मानव जाति के लिए बलिदान के मार्ग पर चले मसीह के जीवन को पूर्ण रूप से समझें और अपने आपको संसार के सभी लोगों के जीवन को बचाने के कार्य में लगाए रखें। परमेश्वर चाहते हैं कि उनकी सन्तान मसीह के समान जीवन जीएं। इसलिए उन्होंने हमें सुसमाचार का प्रचार करने की आज्ञा दी है।
मसीह के लहू के द्वारा स्थापित हुई नई वाचा
मसीह हमारी आत्माओं को बचाने के लिए पृथ्वी पर आए थे, इसलिए हमें भी दूसरे लोगों के जीवन को बचाने के लिए बाहर संसार में जाना चाहिए। उन्हें बचाने के लिए एक दवाई की आवश्यकता है। परमेश्वर हमें बाइबल के द्वारा एक जीवन देनेवाली दवाई के बारे में सिखाते हैं। हमें उस दवाई को लेकर, सामरिया और पृथ्वी की छोर तक जाना चाहिए।
यूह 6:53–58 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है, और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में... वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा...
परमेश्वर ने जो आत्मिक डाक्टर हैं, हमारे लिए इस दवाई को तैयार किया है। परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है कि, “जो कार्इ मेरा मांस खाता है और मैरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है, और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।” उन्होंने हमें आज्ञा दी है कि हम सामरिया और पृथ्वी की छोर तक मर रही सारी मानव जाति के पास जाएं और उन्हें मनुष्य के पुत्र का मांस खिलाकर और उसका लहू पिलाकर बचाएं।
परमेश्वर की नज़र में, सभी लोग अपने पापों के कारण मरे हुए हैं।(मत 8:22; रो 6:23) ऐसे मरणाधीन मनुष्यों को बचाने के लिए, परमेश्वर स्वयं शरीर पहनकर इस पृथ्वी पर आए और हमें अपना मांस खिलाया और अपना लहू पिलाया। इसके लिए, उन्होंने जीवन की व्यवस्था, यानी नई वाचा को स्थापित किया।
मत 26:17–19, 26–28 अखमीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?” उसने कहा, “नगर में अमुक व्यक्ति के पास जाकर उससे कहो, ‘गुरु कहता है कि मेरा समय निकट है। मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहां पर्व मनाऊंगा’।” अत: चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी और फसह तैयार किया... जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”
फसह का पर्व बहुत घनिष्ट रूप से हमारे उद्धार के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए दुख भोगने से पहले, यीशु मसीह ने अपने चेलों से फसह तैयार करने के लिए कहा। और फसह की घड़ी में, उन्होंने रोटी ली और कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है; मेरे स्मरण के लिए यही किया करो।” और उन्होंने दाखमधु का कटोरा लिया और कहा, “इसमें से पीओ। यह मेरा वह लहू है जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”
“जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।” इसका मतलब यह है कि, “जब तक तुम फसह की रोटी न खाओ और फसह का दाखमधु न पीओ, तुम में जीवन नहीं।” दूसरी ओर उन्होंने ऐसा भी कहा कि, “जो कोई मनुष्य के पुत्र का मांस खाता और उसका लहू पीता है, यानी जो नई वाचा के फसह का पर्व मनाता है, अनन्त जीवन उसी का है, और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।”
नई वाचा के द्वारा मसीह ने हमें जीवन दिया है। इसलिए यदि हम भी मसीह के समान जीवन जीना चाहते हैं, तो हमें भी पूरे संसार को नई वाचा का प्रचार करना चाहिए। यह परमेश्वर की इच्छा है कि पूरे संसार के सभी लोग नई वाच मनाकर अनन्त जीवन पाएं।
शैतान ने नई वाचा को बदल दिया, जबकि प्रेरितों ने तो उसका प्रचार किया
परमेश्वर चाहते हैं कि पृथ्वी के सभी लोग नई वाचा के द्वारा जीवन पाएं। लेकिन हमारा शत्रु, शैतान जगत की उत्पत्ति से ही परमेश्वर के कार्य को रोकता आया है।
उसने लोगों को अपने मन परमेश्वर की ओर फिराने से रोकने के लिए एक चतुर युक्ति बनाई। उसकी ऐसी युक्ति थी जिससे वह परमेश्वर के द्वारा स्थापित की गई जीवन की सभी वाचाओं को धीरे–धीरे नष्ट कर दे। यीशु के स्वर्गारोहण के बाद 300 सालों तक शैतान ने सब प्रकार के धूर्त तरीकों का प्रयोग करके सत्य धुंधला बना दिया, और आखिरकार 325 ई. में, उसने फसह के पर्व के अनुपालन को निषिद्ध किया और आगे चलकर इसे एक नियम के रूप में संहिताबद्ध किया।
परमेश्वर ने दानिय्येल नबी के द्वारा पहले से इसके बारे में भविष्यवाणी की थी।
दान 7:25 और वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन् साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे।
उन लोगों ने जो शैतान के अधिकार के तहत परमप्रधान परमेश्वर के विरोध में खड़े थे, परमेश्वर के नियुक्त समय और नियमों को बदल दिय, और एक हजार वर्षों से ज्यादा समय तक परमेश्वर के लोगों को सताया। आज भी, शैतान लगातार परमेश्वर के नियुक्त समय आरै नियमों का पालन करने वाले सत्य के लोगों को रोकता और सताता है।
हालांकि, चाहे बहुत से लोग शैतान के धोखे में आ जाते हैं और बदले गए नियमों का पालन करते हैं, क्या हम परमेश्वर की सन्तानों को परमेश्वर की इच्छा के अनुसार उनके सच्चे नियमों का पालन नहीं करना चाहिए? जब प्रेरित पौलुस ने प्रथम चर्च के संतों को पत्र लिखा, तो उसने इस बात पर बहुत जोर दिया कि मसीह के द्वारा प्रचार किया गया सुसमाचार बदलना नहीं चाहिए।
गल 1:6–8 मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो।
गलातियों के नाम पत्र के लेखक, प्रेरित पौलुस ने यहां ‘उस सुसमाचार को... जो हम ने तुम को सुनाया है,’ कहा है। यह सुसमाचार कौन सा है? आइए हम मसीह के सुसमाचार के एक हिस्से पर दृष्टि करें जिसका प्रचार पौलुस ने किया था।
1कुर 11:23–26 क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया, रोटी ली, और धन्यवाद करके उसे तोड़ी और कहा, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया और कहा, “यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
यहां, प्रेरित पौलुस लूका के 22वें अध्याय में लिखे गए वचनों का प्रयोग करके नई वाचा के फसह की गवाही दे रहा है। उसने कहा कि उसे प्रभु से नई वाचा पहुंची और यह भी कि हमें उसे मनाते हुए प्रभु के आने के दिन तक उनकी मृत्यु का प्रचार करना चाहिए। और उसने यह भी कहा कि यदि कोई उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने उसे सुनाया है, कोई और सुसमाचार सुनाए तो वह शापित होगा।
हम सभी के लिए पाप के कारण सदा मरना नियुक्त किया गया था। हमें जीवन देने के लिए, परमेश्वर स्वयं इस पृथ्वी पर आए। इस नई वाचा में वही जीवन समाया हुआ है। इसलिए जब प्रेरित पौलुस अन्यजातियों के कुरिन्थुस शहर में यात्रा कर रहा था, उसने मसीह से मिली नई वाचा का प्रचार किया।
नई वाचा के सेवक जिनसे परमेश्वर प्रसन्न हैं
परमेश्वर नई वाचा के फसह के पर्व नामक एक पात्र में अनन्त जीवन रखते हैं, और हमें वह पात्र देते हैं। और अब हम पूरे संसार के सभी लोगों को वह जीवन पहुंचाने का परमेश्वर का कार्य कर रहे हैं जो हमने परमेश्वर से प्राप्त किया है। बाइबल हमें, जो संसार को बचाने के लिए नई वाचा का प्रचार करते हैं, “नई वाचा के सेवक” कहती है।
2कुर 3:6 जिसने हमें नई वाचा के सेवक होने के योग्य भी किया, शब्द के सेवक नहीं वरन् आत्मा के; क्योंकि शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है।
नई वाचा के सेवकों के रूप में, हमें सबसे बढ़कर फसह के पर्व को महसूस करना चाहिए। जब हम फसह के पर्व को महसूस करते हैं, हम पूरे संसार के लोगों तक उस अनन्त जीवन को जो हमने मसीह से प्राप्त किया है, पहुंचाने वाली नई वाचा की सन्तान के रूप में नए सिरे से जन्म ले सकते हैं।
संसार के लोग अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ज्यादा प्रयत्न करते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर उन मौकों को गंवा देते हैं जो परमेश्वर ने उन्हें अनन्त जीवन पाने के लिए दिए हैं। हमें उन्हें मसीह का प्रेम और जीवन सिखाना चाहिए। यह नई वाचा के सेवकों के रूप में हमारा कर्त्तव्य है।
चाहे हम काम करें या ऊंघें या सो जाएं, वह सब कुछ जिसकी परमेश्वर ने योजना की है और इच्छा की है, एक क्षण के लिए भी न रुकते हुए लगातार पूरा किया जा रहा है। हालांकि, परमेश्वर कहते हैं कि न्याय के दिन वह हमारे कार्यों के अनुसार हमें इनाम देंगे।(प्रक 22:12)
जब हमारे स्वामी वापस आएं और हम से लेखा लें, तो हमें नई वाचा के सेवकों के रूप में उनसे ऐसा कहना चाहिए कि, “हम ने बहुत सी आत्माओं की स्वर्ग की ओर अगुआई करके दस तोड़े और कमाए हैं,” और उन्हें प्रसन्न और संतुष्ट करना चाहिए। तब वे कहेंगे कि, “शाबाश! तुम सच में मेरे बलिदान के लायक हो।” आइए हम सब नई वाचा के ऐसे विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक बनें जिनसे परमेश्वर बहुत प्रसन्न होंगे।
जीवन मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा मूल्यवान है
एक “15 मिनट” नामक नाटक था जो कुछ नाटक–मंडली के द्वारा दिखाया गया था। उसका मुख्य किरदार एक जवान व्यक्ति था जो सफलता के शिखर को छू रहा था। वह ऐसी अवस्था में था कि जिस किसी चीज की इच्छा करता वह पा सकता था। ऐसा लगता था कि उसे एक उज्ज्वल भविष्य की गारंटी दी गई है। एक दिन वह मेडिकल परीक्षण के लिए एक डाक्टर के पास गया। परीक्षण के बाद, डाक्टर ने उससे कहा कि उसके पास जीने के लिए केवल 15 मिनट ही हैं।
उन 15 मिनटों में ही, उस मर रहे जवान व्यक्ति को बहुत से अच्छे समाचार मिले। सबसे पहले, डाकिया ने उसे एक पत्र दिया, जिससे उसे ज्ञात हुआ कि उसने मेडिकल स्कूल की परीक्षा को पास कर लिया है और उसे डाक्टर की उपाधि प्रदान करने के लिए आयोजित समारोह में शामिल होना है। यदि वह सामान्य परिस्थिति में होता, तो उसे चिकित्सा विज्ञान में वह डाक्टर की उपाधि मिलने पर बहुत खुशी हुई होती जिसे हासिल करना बहुत मुश्किल है। हालांकि, हालांकि, उसके पास जीने के लिए केवल 10 मिनट ही थे, इसलिए वह खुशी मनाने के लिए भी समय नहीं निकाल सका।
तब एक और समाचार उस तक पहुंचा। समाचार यह था कि उसके धनवान रिश्तेदार ने, जिसने उसके जीवन को ध्यान से देखा था, अपनी वसीयत में दस करोड़ डालर की संपत्ति उसके नाम कर दी है। जब ऐसे अच्छे समाचार उसके पास लगातार आते थे, उसके बगल में खड़े डाक्टर ने उससे कहा कि अब उसके पास जीने के लिए केवल 5 मिनट ही हैं। तब एक और डाकिया उसके पास आया और उसे उस स्त्री का पत्र दिया जिससे वह प्रेम करता था और विवाह का प्रस्ताव रखा था। उसमें लिखा था कि उसने प्रस्ताव को स्वीकार किया है।
जब उसे सारा समाचार मिल चुका था, तो डाक्टर ने उससे कहा कि अब उसके पास जीने के लिए केवल 1 मिनट ही है। इस बात को जानकर कि इन सब अच्छे समाचारों को पाने पर भी उसके पास उन सब को भोगने के लिए केवल एक ही मिनट है, उसे बहुत दुख हुआ और उसका दिल टूट गया। अंतत: एक मिनट के बाद वह बेचारा मर गया।
इस नाटक का अंत इस संदेश के साथ हुआ: कृपया सोचिए कि उस मनुष्य के जीवन में कौन सी चीज सच में सबसे ज्यादा मूल्यवान थी।
मसीह के समान जिन्होंने हमें जीवन देने के लिए सभी पीड़ाओं को सहन किया
हमारे जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज क्या है? सबसे मूल्यवान चीज “जीवन” है। चाहे हमारे पास सभी अच्छी वस्तुएं हों, लेकिन यदि हमारे पास जीवन नहीं, तो वह कुछ भी नहीं है।
हमें यह मूल्यवान जीवन देने के लिए, मसीह ने अपना लहू बहाते हुए, असहनीय पीड़ाओं को झेल लिया। हमारे जीवन के लिए, उन्होंने गंभीर पीड़ाओं को सहन किया। लहू की प्रत्येक बूंद से जो परमेश्वर ने बड़ी वेदना से गिराई, फसह की रोटी और दाखमधु तैयार हुए हैं।
आइए हम इसके बारे में सोचें कि मसीह ने किसके लिए दुख उठाए और उस भयानक पीड़ा और दुख के मध्य में भी वह क्या चाहते थे। उन्होंने रोमन सैनिकों के द्वारा कोड़े मारे जाने और अपना मांस फाड़े जाने का दुख क्यों और किसके लिए सहन किया? यदि हम इसके बारे में सोचें, तो हम कभी भी उस नई वाचा की उपेक्षा नहीं कर सकेंगे, जिसे मसीह ने अपने बहुमूल्य लहू से स्थापित किया है।
अब से लेकर, हमें मसीह के समान जीवन जीना चाहिए। चाहे मसीह के समान जीवन जीना हम पर दुख और दुर्भाग्य लाए, यही वह रास्ता है जो अंत में हमें महिमा तक ले जाता है। परमेश्वर ने इस सत्य को हमें दिखाया है।
मसीह के लहू की प्रत्येक बूंद अब एक आत्मिक दवाई बन गई है जो बहुत से लोगों को पापों की क्षमा और जीवन देती है। आइए हम इस सत्य को समझकर, संसार के सभी लोगों को नई वाचा का प्रचार करें और उसका पालन करने के लिए उनकी सहायता करें। मैं उत्सुकता से आशा करता हूं कि सिय्योन के हमारे सभी भाई और बहनें मसीह के समान नई वाचा के द्वारा बहुत सी आत्माओं को बचाते हुए परमेश्वर को महिमा दें और स्वर्गीय आशीर्वादों को बहुतायत से पाएं।