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भाइयों की सुंदर एकता
जैसा कि परमेश्वर ने कहा है कि, “मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा,” परमेश्वर बिना आराम किये हमारे उद्धार के लिए कार्य कर रहे हैं। इन दिनों में, हमें पवित्र नगर सिय्योन में एक दूसरे से एकता से मिल कर, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार और भी उत्सुकता से प्रचार करना चाहिए।
भाइयों की एकता से परमेश्वर प्रसन्न होते हैं
फिलि 2:1–2 अत: यदि मसीह में कुछ शान्ति, और प्रेम से ढाढ़स, और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करुणा और दया है, तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो, और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
बाइबल बार–बार कहती है कि, “एक तरह से सोचो,” “परस्पर एक जैसा प्रेम करो,” और “आत्मा में एका रखो और एक जैसा ही लक्ष्य रखो।” यह दिखाता है कि हमारे आपस में किसी प्रकार की फूट न होते हुए, एक होना बहुत आवश्यक है।
यह परमेश्वर की इच्छा और शिक्षा है कि हम सुंदर एकता को पूरा करें। हम जो कुछ परमेश्वर ने बनाया है उसके द्वारा उनकी इच्छा को साफ तौर पर समझ सकते हैं। नमक के बारे में सोचिए। वह हमारे प्रतिदिन के जीवन के लिए अत्यावश्यक है। नमक, “NaCl” दो पदार्थ, सोडियम “Na” और क्लोरीन “Cl” का मिश्रण है। नमक को खाया जा सकता है। हालांकि, यदि उसे सोडियम और क्लोरीन में अलग किया जाए, तो वे दोनों ही पदार्थ खाए जाने पर हमारी सेहत के लिए नुकसान कारक हैं।
पानी भी वैसा ही है। जब हाइड्रोजन के दो परमाणु “H” आक्सीजन के एक परमाणु “O” से मिलते हैं, तो पानी “H₂O” बनता है। लेकिन मान लीजिए कि पानी के अणुओं को अलग किया जाए और केवल हाइड्रोजन हमारे शरीर में आए। वह यह हाइड्रोजन ही था जिसे महान अमेरिकी आविष्कारक थोमस एडिसन ने अपने मित्र को यह कहते हुए सूंघाया था कि वह उसे गुब्बारे की तरह हवा में उड़ाएगा, और जिससे उसे पेट दर्द हुआ था। यदि एडिसन ने उसे हाइड्रोजन और आक्सीजन का संयोजन, पानी पिलाया होता, तो वह ठीक–ठाक रहा होता। चूंकि उसने केवल हाइड्रोजन सूंघा था, उसे पेट दर्द की परेशानी हुई थी।
नायलोन, जो पहला कृत्रिम रेशा था, पानी, हवा और कोयले का मिश्रण है। सोचिए कि ये सभी तत्व खुद के स्वरूप में बने रहते हैं। तो क्या पानी के लिए स्वयं ही कपड़े में बदल जाना मुमकिन है? या क्या हम हवा या कोयले से ही कपड़े बना सकते हैं? उन तीनों का मिश्रण एक नए पदार्थ को जन्म देता है, वह नायलोन है।
इस पृथ्वी पर बहुत से पदार्थ हैं जो परमेश्वर ने बनाए हैं; जब वे एक दूसरे से मिल जाते हैं तो वे कुछ मूल्यवान वस्तुओं का निर्माण करते हैं। चाहे मूल पदार्थ जहरीला है, लेकिन यदि वह दूसरे के साथ मिल जाता है, तो वह एक नए पदार्थ में बदल जाता है जो हमारे लिए लाभदायक है। हम परमेश्वर की सन्तान हैं जो सत्य में रहती हैं। हम फूट में रहें और एक दूसरे की ईर्ष्या करें, इसकी अपेक्षा परमेश्वर चाहते हैं कि हम प्रेम में परस्पर मिलकर एकता से रहें।
भज 133:1–3 देखो, यह क्या ही भला और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बहकर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया। यह हेर्मोन की उस ओस के समान है, जो सिय्योन के पहाड़ों पर गिरती है! यहोवा ने तो वहीं सदा के जीवन की आशीष ठहराई है।
परमेश्वर के दृष्टिकोण से, यह अच्छा और सुंदर है कि सिय्योन में भाई आपस में एकता से रहें। जैसे कि हम जानते हैं, हम में से हर कोई केवल पापी है जिसे स्वर्ग में पाप करने के कारण वहां से निकाल दिया गया है। हम सब जानते हैं कि जब 1,44,000 प्रेम में एक हो जाएंगे, नया यरूशलेम मंदिर संपूर्ण हो जाएगा।
यदि किसी भाई के पास अभी भी पापमय स्वभाव हो और बुरा कार्य करता हो, तो हमें उसे अपनी गलतियों को सुधारने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि वह स्वर्ग में प्रवेश करने के लायक बन जाए। तब हम एक संपूर्ण एकता में बंध जाएंगे जिससे परमेश्वर सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं। बाइबल हमें इसका एहसास कराती है।
नई वाचा के द्वारा मसीह के साथ एक होने से अनन्त जीवन दिया जाता है
तब, आइए हम इसके बारे में सोचें कि क्यों हमें सिय्योन में एकता से रहना चाहिए और हम कैसे एक बन सकते हैं।
यूह 6:53–58 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है... वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में। जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा, और मैं पिता के कारण जीवित हूं, वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा...
जब परमेश्वर हम में स्थिर रहें और हम सब परमेश्वर में एक दूसरे के साथ एक हो जाएं, तब अनन्त जीवन हमें दिया जाता है। एक बने बिना, अनन्त जीवन हमें कभी नहीं दिया जा सकता।
इसलिए यूहन्ना के 15 वें अध्याय में यीशु ने कहा कि, “मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो। जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता, और सूख जाता है।” इन शब्दों के द्वारा भी परमेश्वर हमें चेतावनी देते हैं कि हमारे बीच की फूट का परिणाम क्या आएगा। परमेश्वर नहीं चाहते कि हम ऐसा भयंकर अंत पाएं। इसी कारण से वह हमें एकजूट रहने के लिए कहते हैं।
परमेश्वर ने हमें फसह का पर्व दिया है ताकि हम उन में और वह हम में स्थिर बने रह सकें। हम केवल फसह की रोटी और दाखमधु के द्वारा ही, जो परमेश्वर के मांस और लहू को दर्शाता है, परमेश्वर के साथ एक हो सकते हैं।
1कुर 10:16–17 वह धन्यवाद का कटोरा, जिस पर हम धन्यवाद करते हैं; क्या मसीह के लहू की सहभागिता नहीं? वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या मसीह की देह की सहभागिता नहीं? इसलिये कि एक ही रोटी है तो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैं: क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं।
धन्यवाद का वह कटोरा क्या है जो मसीह के लहू की सहभागिता है? वह रोटी क्या है जो मसीह की देह की सहभागिता है? वह फसह के पर्व की रोटी और दाखमधु है। यहां, प्रेरित पौलुस कुरिन्थुस के चर्च ऑफ गॉड के संतों को फसह के पर्व का वह गहरा सत्य समझा रहा है, जिसके द्वारा वे सब एक हो सकते हैं।
हमें अपने उद्धार के लिए परमेश्वर के मार्ग का पालन करना चाहिए। परमेश्वर हमें फसह के पर्व की उस रोटी और दाखमधु में सहभागी होने देते हैं, जिससे हम मसीह के साथ और अपने भाइयों के साथ एक हो सकते हैं, और हमें अनन्त जीवन देते हैं। अनन्त जीवन पाने का एकमात्र मार्ग परमेश्वर के साथ एक हो जाना है। यदि हम अनन्त जीवन पाने के लिए कोई और रास्ता सोचें, तो हम परमेश्वर की इच्छा और योजना की उपेक्षा करेंगे।
यदि यह एक रसायनिक सिद्धांत है कि जब हाइड्रोजन के दो परमाणु आक्सीजन के एक परमाणु से मिलते हैं तो पानी बनता है, तो यह एक आत्मिक सिद्धांत है कि जब हम नई वाचा के फसह के पर्व की रोटी और दाखमधु के द्वारा मसीह के साथ और अपने भाइयों के साथ एक हो जाते हैं, तो हम अनन्त जीवन पाते हैं।
दुष्टात्मा शैतान परमेश्वर के इस आत्मिक सिद्धांत को तोड़ना चाहता है। वह लोगों के मनों में घुसपैठ करता है और फुसफुसाता है कि, ‘तुम्हें फसह का पर्व मनाने की आवश्यकता नहीं है,’ या ‘क्या यह तो पुराने नियम के समय का मूसा का नियम नहीं है?’ हमें उस दुष्ट शैतान के सामने दृढ़ता से खड़ा रहना चाहिए जो परमेश्वर के उद्धार के सिद्धांत को नष्ट करना चाहता है, ताकि हम उद्धार के मार्ग का और यत्न से प्रचार कर सकें।
रोम 11:16–24 ... पर यदि कुछ डालियां तोड़ दी गईं, और तू जंगली जैतून होकर उनमें साटा गया, और जैतून की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ है, तो डालियों पर घमण्ड न करना: और यदि तू घमण्ड करे तो जान रख कि तू जड़ को नहीं परन्तु जड़ तुझे सम्भालती है... इसलिये अभिमानी न हो, परन्तु भय मान... क्योंकि यदि तू उस जैतून से, जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरुद्ध अच्छे जैतून में साटा गया, तो ये जो स्वाभाविक डालियां हैं, अपने ही जैतून में क्यों न साटे जाएंगे।
हम सब मरनहार पापी हैं। हालांकि, परमेश्वर ने अपना मांस काट कर हमें अपने में साटा है और हमें उनके साथ एक देह बनाया है, ताकि हमारा पुराना पापमय स्वभाव मिट सके। हम ऐसी डालियां हैं जो पहले तोड़ दी गई थीं, लेकिन जड़ से पोषण पाकर अब हम ने जीवन पाया है।
यदि हमें अकेला छोड़ दिया जाए, तो हम मर जाएंगे। हालांकि, फसह के पर्व के सत्य से, परमेश्वर ने हमें खुद में साटा है, ताकि वह हम में स्थिर बने रह सकें और हम उनमें स्थिर बने रह सकें। इसी कारण से, प्रथम चर्च ने फसह के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण समझा था; विशेषकर पौलुस ने, जो ‘अन्यजातियों का प्रेरित’ कहलाता है, जहां कहीं भी वह गया, वहां फसह के पर्व का प्रचार किया। इस युग में भी, फसह के पर्व का महत्व जरा सा भी कम नहीं हुआ है।
1कुर 11:23–26 क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया, रोटी ली, और धन्यवाद करके उसे तोड़ी और कहा, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया और कहा, “यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
उपर के सभी वचनों के द्वारा, हम इसके बारे में थोड़ा और समझ सकते हैं कि क्यों परमेश्वर ने हमें एक होने के लिए, एक दूसरे से प्रेम रखने के लिए, और संसार के सभी लोगों को नई वाचा के फसह के पर्व का प्रचार करने के लिए कहा है।
जब सिय्योन में हमारे परिवार के सभी सदस्य दूसरों से ईर्ष्या करने के बजाय और विशिष्ट बनने के बजाय, परस्पर प्रेम में बंध जाएं, तो हम अनन्त राज्य में प्रवेश कर सकेंगे, जहां हम अनन्त जीवन को भोगेंगे।
एकता जो परमेश्वर की महिमा के लिए है और एकता जो मनुष्यों के सम्मान के लिए है
जब हम एक होते हैं, तो एक बात है जो हमें ध्यान में रखनी चाहिए; हमारी एकता हमारी खुद की महिमा के लिए नहीं, लेकिन परमेश्वर की महिमा के लिए स्थापित होनी चाहिए।
उत 11:1–9 सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा और एक ही बोली थी। उस समय लोग पूर्व की ओर चलते चलते शिनार देश में एक मैदान पाकर उसमें बस गए। तब वे आपस में कहने लगे... “आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।”... और यहोवा ने कहा, “मैं क्या देखता हूं कि सब एक ही दल के हैं, और भाषा भी उन सब की एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम भी आरम्भ किया; और अब जो कुछ वे करने का यत्न करेंगे, उसमें से कुछ भी उनके लिये अनहोना न होगा। इसलिये आओ, हम उतर के उनकी भाषा में गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें।” इस प्रकार यहोवा ने उनको वहां से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया; और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड़ दिया...
जब लोगों ने बाबुल का गुम्मट बनाया था, तो वे परमेश्वर की नहीं, लेकिन अपनी खुद की महिमा प्रकट करना और खुद को विशिष्ट करना चाहते थे। तब परमेश्वर ने उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दी, कि वे अपना कार्य जो वे कर रहे थे जारी न रख सकें। चाहे वे मन से एक हो गए थे, लेकिन उन्होंने अपनी महिमा प्रकट करने और प्रसिद्ध बनने की कोशिश की, और परमेश्वर ने उन्हें काम करने से रोक दिया। इस इतिहास के द्वारा, हमें फिर सोचना चाहिए कि हमें किस बात के लिए एक होना चाहिए।
यदि हम अपनी खुद की धार्मिकता को प्रकट करने के लिए एक हो जाएं, तो परमेश्वर हमें हम जो कर रहे हैं उस में रोक देंगे। हालांकि, यदि हम परमेश्वर की महिमा के लिए एक जैसा मन और लक्ष्य रखें, तो हम परमेश्वर की ऐसी कृपालु सहायता पाएंगे जिसकी हमने कभी अपेक्षा भी नहीं की थी।
प्रे 1:12–14 ... जब वे वहां पहुंचे तो उस अटारी पर गए, जहां पतरस और यूहन्ना और याकूब और अन्द्रियास और फिलिप्पुस और थोमा और बरतुल्मै और मत्ती और हलफई का पुत्र याकूब और शमौन जेलोतेस और याकूब का पुत्र यहूदा रहते थे। ये सब कई स्त्रियों और यीशु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित्त होकर प्रार्थना में लगे रहे।
प्रे 2:1–12 जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे... वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे... और वे सब चकित और अचम्भित होकर कहने लगे, “देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं? तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी अपनी जन्म भूमि की भाषा सुनता है? हम जो पारथी और मेदी और एलामी और मेसोपोटामिया और यहूदिया और कप्पदूकिया और पुन्तुस और आसिया, और फ्रूगिया और पंफूलिया और मिस्र और लीबिया देश जो कुरेने के आस पास है, इन सब देशों के रहनेवाले और रोमी प्रवासी, अर्थात् यहूदी और यहूदी मत धारण करनेवाले, क्रेती और अरबी भी हैं, परन्तु अपनी–अपनी भाषा में उनसे परमेश्वर के बड़े–बड़े कामों की चर्चा सुनते हैं।”...
पिन्तेकुस्त के दिन की तैयारी करते हुए, सभी चेले परमेश्वर की महिमा के लिए एक चित्त होकर प्रार्थना में लगे रहे। जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो स्वर्ग से पवित्र आत्मा की महान सामर्थ्य और सहायता उन सब पर उतरी।
जब वे सब परमेश्वर की महिमा के लिए एक मन से एकजुट हुए थे, तो परमेश्वर ने सब अलग–अलग भाषाओं को एकीकृत कर दिया। चाहे चेले इब्रानी भाषा में बात करते थे, जैसा कि परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया था, पारथी, मेदी और मेसोपोटामिया के सभी लोग उन्हें अपनी अपनी भाषा में सुन सकते थे।
प्रेरितों के काम और उत्पत्ति दोनों में, हम एक समान बात को देख सकते हैं कि, वे सब एक चित्त थे। हालांकि, उन्होंने बिल्कुल विभिन्न परिणाम पाया। एक पक्ष के लिए, परमेश्वर ने उनकी बिखरी भाषाओं को एक कर दिया ताकि वे अपना कार्य कर सकें, जबकि दूसरे पक्ष के लिए, परमेश्वर ने उनकी भाषा को गड़बड़ा दिया कि वे अपना कार्य न कर सकें। वे एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत थे।
अब, हम अंतिम दिनों में जी रहे हैं। सुसमाचार का कार्य करते समय, हमें खुद के लिए नाम नहीं कमाना चाहिए। सिय्योन में सभी भाइयों और बहनों के लिए अच्छा है कि वे एक ही मन और हृदय होकर मिले रहें। ऐसा करने के पीछे, परमेश्वर की सहायता पाने के योग्य कोई उद्देश्य होना ही चाहिए।
आइए हम परमेश्वर की महिमा के लिए एक हो जाएं
जिसकी परमेश्वर सहायता करते हैं वह अजेय है। संसार का कोई भी हथियार उसके लिए निरर्थक है यदि परमेश्वर उसकी सहायता करते हैं। याद कीजिए कि एक लाख पैंतीस हजार सैनिकों की मिद्यानियों की सेना, केवल तीन सौ गिदोन के योद्धाओं के द्वारा पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। उन्होंने विजय कैसे पाई? क्योंकि वे स्वयं की नहीं, लेकिन परमेश्वर की महिमा के लिए परस्पर एकजुट हुए थे।
‘हम यह लड़ाई हमारे परमेश्वर के लिए लड़ रहे हैं।’ इस विचार के साथ, वे सब के सब एक मन थे। परिणाम स्वरूप, सभी इस्राएली जो लम्बे समय से मिद्यानियों के द्वारा सताए जाते थे, खुशी के साथ उनसे छूट सके। केवल तीन सौ सैनिकों की छोटी सी संख्या ने एक लाख पैंतीस हजार सैनिकों को हराया था। क्योंकि वे परमेश्वर की महिमा के लिए लड़ रहे थे। हालांकि, जब लोगों ने बाबुल का गुम्मट बनाया, उस समय चाहे बहुत बड़ी संख्या में लोगों को मजदूरी करने के लिए बुलाया गया था, वह गिर पड़ा। क्योंकि उन्होंने कहा था कि, “आओ हम अपना नाम करें।”
हमें ऐसे शब्दों को अपने मनों में नहीं लाना चाहिए और उन्हें अपने मुंह में भी नहीं लाना चाहिए। इसके बदले, हमें परमेश्वर की इच्छा का और उनकी सब आज्ञाओं का पालन करते हुए, परमेश्वर को केवल धन्यवाद देना चाहिए, जिन्होंने हमें हमारे पापों से छुड़ाया है और हमें अनन्त स्वर्ग का रास्ता दिखाया है। ऐसा करने से हम जहां कहीं भी मेमना जाता है वहां उनका पालन कर सकेंगे, है न?
हमें हर बार में परस्पर एकजुट रहना चाहिए, फिर चाहे वह छोटी सी बात क्यों न हो। जब हम अपना कर्तव्य केवल परमेश्वर की महिमा के लिए एक मन से पूरा करें, तो अंतिम धर्म सुधार पूरा हो जाएगा। हमें सौंपा गया कार्य केवल चिल्लाना है: हमारा कार्य है कि हम पवित्र आत्मा के युग के नए नाम की घोषणा करते हुए जिन्होंने नई वाचा को पुनस्र्थापित किया है, और यह चिल्लाते हुए कि, “यही हमारा परमेश्वर है,” पृथ्वी के छोर तक सुसमाचार का प्रचार करें। इसके लिए हमें एक ही मन होकर एकजुट रहना चाहिए। जब हम सब परमेश्वर की महिमा के लिए एक हो जाएंगे, तो परमेश्वर अवश्य ही हमारी सहायता करेंगे।
यिर्म 13:15–17 देखो, और कान लगाओ, गर्व मत करो, क्योंकि यहोवा ने यों कहा है। अपने परमेश्वर यहोवा की बड़ाई करो, इससे पहले कि... जब तुम प्रकाश का आसरा देखो, तब वह उसको मृत्यु की छाया से बदल दे और उसे घोर अन्धकार बना दे। पर यदि तुम इसे न सुनो, तो मैं अकेले में तुम्हारे गर्व के कारण रोऊंगा...
सभी सत्य जिनका हम प्रचार करते हैं, परमेश्वर से आते हैं। इस संसार में कुछ भी हमारा नहीं है। हम केवल परमेश्वर के दूत हैं जो पूरे संसार में मर रही आत्माओं को उद्धार का सुसमाचार प्रचार करते हैं। हमें इतना महान कार्य सौंपने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए, और अपने आपको उनकी महिमा के लिए और लगाना चाहिए।
1,44,000 का हर एक सदस्य, परमेश्वर की महिमा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। मान लीजिए कि एक सिटकिनी कार से बाहर आ जाती है। चाहे दूसरे सभी पुरजे अच्छी गुणवत्ता के हों, लेकिन यदि एक सिटकिनी ही घटिया हो और वह चलती हुई कार से बाहर निकल आए, तो कार का क्या होगा?
इन अंतिम दिनों में हम ने सत्य को ग्रहण किया है और हम में से हर एक उद्धार के कार्य में सहभागी होने वाले परमेश्वर के सेवक बने हैं। हम में तुच्छ कोई भी नहीं है; हम सब अनमोल और मूल्यवान हैं। मेरे प्रिय भाइयो और बहनो! अब हमारे पिता और माता हम से कहते हैं कि, “तुम नगर के चारों ओर सात बार चक्कर लगा चुके हो। अब, केवल जोर से चिल्लाओ!” पिता और माता की इच्छा का पालन करते हुए, आइए हम एक मन होकर जोर से चिल्लाएं।
आइए हम एक मन होकर एक साथ स्वर्ग जाएं
अब, हम बहुत से खुशी के समाचार सुनते हैं कि हमारे खोए हुए भाई और बहनें सत्य को ग्रहण करने के लिए सिय्योन की ओर आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त, परमेश्वर प्रसार माध्यमों के द्वारा इस सुसमाचार के कार्य को और तेज रफ्तार से चला रहे हैं। इस समय, हमेशा परमेश्वर को महिमा देते हुए, हमें एक ही मन और हृदय रखना चाहिए। तब जैसे परमेश्वर ने 300 योद्धाओं को 1,35,000 मिद्यानी सैनिकों को हराने में सहायता की थी, और जैसे उन्होंने चालीस साल तक छह लाख पुरुषों को खिलाते हुए, इस्राएलियों को बिना किसी नाव के लाल समुद्र पार करने के लिए सहायता की थी, ठीक वैसे ही वह हमें भी अंतिम धर्म सुधार के प्रति उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए सहायता करेंगे।
हमारे चर्च ऑफ गॉड ने परमेश्वर की सहायता से आज तक अपना इतिहास संभाले रखा है। चाहे लोगों ने विभिन्न तरीकों से हमें सताया और हमारी निन्दा की है, परमेश्वर ने हमेशा हमारी सहायता की है। उन्होंने छोटी बातों को बड़ा बनाकर और निराधार अफवाहों को फैलाकर हमारे चर्च के विकास को रोकने का प्रयास किया है। हालांकि, परमेश्वर ने हमारे चर्च को और ज्यादा जाना हुआ बनाया है और बहुत लोगों को यह जानने दिया कि हमारा चर्च सच्चा है। अब, बहुत से भाई और बहनें सिय्योन में जहां हमारे पिता रहते हैं, और हमारी माता यरूशलेम की बांहों में आ रहे हैं।
चर्च ऑफ गॉड की परंपरा के अनुसार, सिय्योन के सभी सदस्यों को परमेश्वर को महिमा देनी चाहिए। जो हमेशा परमेश्वर की महिमा के बारे में सोचते हैं, वे कभी भी दुष्ट नहीं बन सकते। हालांकि, जो अपनी स्वयं की महिमा के बारे में सोचते हैं, वे दुष्ट हो जाते हैं। वे स्वार्थी होते हैं और यहां तक कि दूसरों को कुचलकर और चोट पहुंचाकर भी प्रतिष्ठा और तरक्की पाने की कोशिश करते हैं। उनका ऐसा स्वार्थी रवैया हमारे समाज को ज्यादा कठोर और दुष्ट बना रहा है। सिय्योन ऐसा नहीं है। वह तो परमेश्वर की महिमा के लिए हमेशा एकजुट रहनेवाला एक सुन्दर संगठन है।
परमेश्वर ने हमें अच्छी परिस्थितियां दी हैं। आइए, अब हम और भी यत्न से घोषणा करें। यदि हम परमेश्वर की महिमा के लिए करें, तो सब कुछ संभव है। इस बात पर दृढ़ता से विश्वास करते हुए, आइए हम अंत तक जहां भी हमारे पिता और माता जाते हैं वहां उनका पालन करें और अपना कार्य ईमानदारी से करें।
हमारा कार्य पृथ्वी के छोर तक अंतिम धर्म सुधार की घोषणा करते हुए, सभी आत्माओं को पाप से बचाना है और उनकी स्वर्ग की ओर अगुआई करना है। मेरे प्रिय भाइयो और बहनो! आइए हम परमेश्वर की महिमा के लिए आपस में एकजुट हो जाएं। ईर्ष्यालु और झगड़ालु होने के बजाय, आइए हम परमेश्वर के प्रेम को केवल शब्दों में नहीं, लेकिन कार्यों में भी प्रदर्शित करते हुए, प्रेम में एक हो जाएं, ताकि इस आत्मिक जंगल में हमारी विश्वास की यात्रा को समाप्त करने के बाद हम सुरक्षित रूप से स्वर्ग में पहुंच सकें।