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बड़े और सामर्थी लोग

इन दिनों में, नई वाचा के सुसमाचार की ज्योति तेजी से फैल रही है। इस बीच दुष्ट शैतान सुसमाचार के कार्य में बाधा डालने के लिए हर संभव उपाय कर रहा है।

दुष्ट आत्माओं के विरुद्ध हमारी लड़ाई में, हम परमेश्वर के सारे हथियार, यानी परमेश्वर के प्रति विश्वास, उद्धार की आशा और अंत तक सत्य की रक्षा करने का दृढ़ संकल्प करते हुए, और पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहनते हुए जीत हासिल कर रहे हैं। यद्यपि हमारा दुश्मन, शैतान हर तरह की बुरी बातों के साथ हमें रोकता है, हम सुसमाचार का प्रचार इस दृढ़ विश्वास के साथ करते हैं कि निश्चित रूप से हम शैतान पर विजय पाएंगे। इसलिए सुसमाचार का कार्य रुकता नहीं, परंतु उसकी ज्योति और अधिक उज्ज्वल होती जा रही है, जिसके द्वारा बहुत आत्माओं को बचाया जा रहा है।

सामर्थी है वह मनुष्य जो परमेश्वर पर पूरी तरह निर्भर होता है


आपको कौन सबसे बड़ा और सामर्थी लगता है? यदि हम बाइबल के द्वारा इसका उत्तर ढूंढ़ें, तो यह वह होगा जो पूरी तरह से परमेश्वर पर विश्वास करता है।

आज तक, हमने ऐसे बहुत महान व्यक्तियों को देखा है जिन्होंने अपने युग को अधिक प्रभावित किया है, परंतु वे सभी मिट्टी में लौट गए हैं। ऐसा लगता है कि एक भी बड़ा और शक्तिशाली नहीं है।

यिर्मयाह की पुस्तक के द्वारा, आइए हम सीखें कि हम कैसे बड़े और शक्तिशाली बन सकते हैं।

यिर्म 9:23–24 यहोवा यों कहता है : “बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता है, कि मैं ही वह यहोवा हूं जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूं।

एक मनुष्य, जो पापी के रूप में पैदा हुआ, किस पर घमण्ड कर सकता है? जब वह मिट्टी में लौट जाता है, उसकी सारी बुद्धि, शक्ति और धन मिट जाता है। अगर हम घमण्ड करें, तो हम इस बात पर घमण्ड करेंगे कि हम परमेश्वर को जानते हैं। कुछ लोगों को घमण्ड है कि वे किसी बड़े या प्रसिद्ध अधिकारी से संबंध रखते हैं। हम किस पर घमण्ड करेंगे? हमारा सृष्टिकर्ता परमेश्वर के साथ गहरा संबंध हमारे घमण्ड का सबसे बड़ा स्रोत हो सकता है। हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर को जानते हैं, हमारे साथ महान और पवित्र परमेश्वर हैं, और वे हमारे पिता और माता बने हैं। क्या इससे बड़ा कोई गर्व या घमण्ड है?

भज 121:1–2 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता है।

जब हमें किसी व्यक्ति से मदद मांगनी चाहिए, कौन हमारी मदद करेगा? कभी–कभी हमें यह देखकर आश्चर्य होता है कि हमारे करीबी दोस्त या व्यक्ति, जिनसे हम मदद मिलने की उम्मीद करते हैं, हमसे दूर होकर हमारे दुश्मन बन जाते हैं। हालांकि, हमारे परमेश्वर हमेशा हमारे पक्ष में हैं।

चाहे हम खाने और पीने के बिना चिंतित और परेशान रहते हों, हम अपनी बुद्धि और मेहनत से कुछ भी नहीं कर सकते, है न? सभी मनुष्य घास और सुबह की ओस के समान हैं जो थोड़ी देर के लिए दिखाई देती है और फिर नष्ट हो जाती है। लेकिन वे लोग कैसे थे जिन्होंने पूरी तरह से परमेश्वर पर विश्वास और भरोसा किया? वे सबसे बड़े और ताकतवर बन गए, और आज भी बाइबल के नायकों के रूप में उनकी प्रशंसा की जा रही है।

दाऊद ने पूरी तरह परमेश्वर पर विश्वास किया


दाऊद बाइबल का एक नायक था जिसका परमेश्वर पर इतना स्थिर विश्वास था कि वह गोलियत पर विजयी हो सका और इस्राएल का राजा बन सका। जब दाऊद एक महान सेनानायक, पलिश्ती गोलियत के खिलाफ लड़ा, वहां बहुत लोग थे, लेकिन कोई भी उसकी मदद नहीं कर सकता था। दाऊद जानता था कि सिर्फ परमेश्वर उसकी मदद कर सकते हैं, और उसने सिर्फ परमेश्वर पर विश्वास किया और गोलियत पर विजय प्राप्त की।

पृथ्वी पर ऐसा कौन है जो उससे जीत सकता है जिसकी परमेश्वर सहायता करते हैं? भले ही इस संसार में मनुष्य कितना ही ताकतवर क्यों न हो, वह उस व्यक्ति का मुकाबला नहीं कर सकता जिसकी परमेश्वर मदद करते हैं; वह उसे हानि नहीं पहुंचा सकता जिसकी परमेश्वर रक्षा करते हैं।

भज 20:6–7 अब मैं जान गया कि यहोवा अपने अभिषिक्त का उद्धार करता है; वह अपने दाहिने हाथ के उद्धार करनेवाले पराक्रम से अपने पवित्र स्वर्ग पर से सुनकर उसे उत्तर देगा। किसी को रथों का, और किसी को घोड़ों का भरोसा है, परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे।

अगर हम इस संसार के लोग या धन या ताकत पर भरोसा करेंगे, हम नष्ट हो जाएंगे। सभी मनुष्य मूल रूप से एक समान होते हैं। चाहे एक मनुष्य के पास बड़ी ताकत हो, वह परमेश्वर के सामने सुबह की ओस के समान है जो गायब हो जाती है। क्या हमें ऐसे कमजोर मनुष्य पर भरोसा करना चाहिए?
हमें महसूस करना चाहिए कि मनुष्य अकेले कुछ भी नहीं कर सकता। मनुष्य का उत्तम शरीर, अच्छा परिवार और धन उसे शक्तिशाली नहीं बनाता। जो मनुष्य को बड़ा और शक्तिशाली बनाता है, वह है, उसका परमेश्वर पर पूरा विश्वास। यही सबसे बड़ा और सामर्थी बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख बात है।

आइए हम इसे ढूंढ़ना जारी रखें कि कैसे दाऊद गोलियत को हरा सका और परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास करने का परिणाम क्या था।

1शम 17:32–54 ... “तू जाकर उस पलिश्ती के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।”... “तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मारा है। और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।” फिर दाऊद ने कहा, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।”... दाऊद ने पलिश्ती से कहा, “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है... और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।”... तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का समाना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा। फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उसमें से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा...

कौन सामर्थी था, दाऊद या गोलियत? ऊपर से देखने में गोलियत बड़ा और सामर्थी था। हालांकि, उसने जवान और अनुभवहीन लड़के दाऊद से भयभीत होकर अपना जीवन खोया, तो दाऊद सामर्थी होना चाहिए।

गोलियत ने युद्ध के मैदान पर तलवार और भाले पर विश्वास किया, लेकिन दाऊद ने दृढ़ विश्वास किया कि परमेश्वर उसके साथ हैं, और तलवार, भाले, ढाल या कवच के बिना सर्वशक्तिमान यहोवा के नाम पर भरोसा किया। वह हाथ में सिर्फ गोफन लेकर निडरता से गोलियत के पास गया। उसका कवच परमेश्वर का शरण था और उसका हथियार परमेश्वर की शक्ति थी, इसलिए उसने शाऊल के दिए हुए कवच को उतार दिया। वह युद्ध के मैदान में सिर्फ इस विश्वास के साथ खड़ा हुआ कि परमेश्वर उसे बचाएंगे। उस युद्ध में हार–जीत का फैसला पहले से ही किया गया था। कौन सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करनेवाले दाऊद को हराने में सक्षम होगा?

सभी पलिश्ती और यहां तक कि इस्राएली भी दाऊद से डरने लगे और ईर्ष्या करने लगे क्योंकि परमेश्वर उसके साथ थे। परमेश्वर हमेशा दाऊद के साथ थे और उसकी मदद करते थे, इसलिए जहां कहीं दाऊद जाता था, हमेशा जीत का झंडा लहराया जाता था।

1शम 18:7–12 और वे स्त्रियां नाचती हुई एक दूसरे के साथ यह गाती गईं, “शाऊल ने तो हजारों को, परन्तु दाऊद ने लाखों को मारा है।”... शाऊल दाऊद से डरा करता था, क्योंकि यहोवा दाऊद के साथ था और शाऊल के पास से अलग हो गया था।

शाऊल अधिक लड़ाइयों का अनुभवी था। फिर भी, क्यों शाऊल दाऊद से डर गया? इसका कारण यह नहीं था कि दाऊद स्वयं ताकतवर था, मगर शाऊल ने जाना कि परमेश्वर हमेशा दाऊद के साथ थे। लोगों ने भी इस्राएल के राजा शाऊल से अधिक उस दाऊद की प्रशंसा की जिसने परमेश्वर पर पूरा भरोसा करके दुश्मनों को हराया।

शाऊल ने परमेश्वर पर विश्वास करके, एक बार बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त की थी, और एक शक्तिशाली मनुष्य के रूप में उसकी प्रशंसा की गई थी। हालांकि, सिंहासन पर बैठने के बाद, वह घमण्डी बन गया, क्योंकि सभी लोगों ने उसके सामने घुटने टेके, इसलिए वह परमेश्वर के बदले, अपनी सत्ता और शक्ति और अपने लोगों की संख्या पर विश्वास करने लगा। इसके परिणाम में, जब वह पलिश्तियों के खिलाफ लड़ा, वह निराशा में था और उन्हें हरा नहीं सका।

इन अंतिम दिनों में भी दाऊद के मजबूत विश्वास की जरूरत है। हम आज दुष्ट आत्माओं से युद्ध कर रहे हैं, और हमें इनसे जीतना चाहिए। जीतने के लिए हमें ऐसे मजबूत विश्वास की जरूरत है। भले ही हम में ज्ञान की कमी है और हम कमजोर हैं, हमें इसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए। जब हम बड़े और शक्तिशाली परमेश्वर पर पूरा विश्वास करते हैं, हम दाऊद की तरह बडे. और सामर्थी बनेंगे और शैतान को हराएंगे और धार्मिकता में बहुत सारी आत्माओं की अगुवाई करेंगे।

जो परमेश्वर पर विश्वास करेंगे वे सामर्थी जाति बन जाएंगे


बाइबल कहती है कि छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। यह भविष्यवाणी अवश्य पूरी होगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह भविष्यवाणी तभी पूरी हो जाएगी जब हम परमेश्वर पर मजबूत विश्वास करें।

जब हमारे दुश्मनों ने हमारी चिल्लाहट सुनी, वे डर से कांप उठे। यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि हम बहुत थे, बल्कि इसलिए हुआ कि उन्होंने महसूस किया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारे साथ थे।

दूसरे इतिहास के द्वारा, आइए हम अध्ययन करें कि कैसे सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन सकता है।

यहो 8:1 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो; कमर बांधकर सब योद्धाओं को साथ ले, और ऐ पर चढ़ाई कर; सुन, मैं ने ऐ के राजा को उसकी प्रजा और उसके नगर और देश समेत तेरे वश में किया है।

जैसे ही परमेश्वर ने उन्हें यह प्रोत्साहन दिया, इस्राएली ऐ पर हमला करके उसे हरा सके। जब इस्राएलियों ने यरीहो पर हमला किया, यहोशू और उसके सैनिकों ने, जो टिड्डी के समान थे, बडे. आकार वाले लोगों पर विजय प्राप्त की।

जब यहोशू और उसकी सेना प्रकट हुई, पूरी दुनिया कांप उठी। क्योंकि उन्होंने उन परमेश्वर की शक्ति के बारे में सुना था जिन्होंने मिस्री सेना को अपने वश में कर दिया था, लाल समुद्र को विभाजित करके इस्राएलियों का नेतृत्व किया था, और चालीस वर्ष तक जंगल में बहुत सारे इस्राएलियों को कपड़े पहनाए थे और खाना खिलाया था। वे उनसे डरे जिनके साथ ऐसे शक्तिशाली परमेश्वर थे।

और हम अच्छी तरह से गिदोन की प्रसिद्धि को जानते हैं। जब वह और उसके तीन सौ पुरुष 1,35,000 मिद्यानियों के विरुद्ध लड़े, क्या वे अपनी संख्या या अपनी बुद्धि पर निर्भर थे? नहीं। वे इसलिए जीत सके क्योंकि उन्होंने सिर्फ परमेश्वर पर विश्वास किया और उनकी आज्ञाओं का पालन किया। परमेश्वर की बुद्धि और शक्ति के साथ, वे बड़ी जीत हासिल कर सके और सारे लोगों से प्रशंसा पा सके।

दाऊद, यहोशू और गिदोन जैसे बाइबल के नायकों के बीच कुछ समानता थी। इन सभी ने अपनी शारीरिक परिस्थितियों पर भरोसा नहीं किया। उन्होंने सृष्टिकर्ता परमेश्वर पर भरोसा किया और विश्वास किया कि वह उनकी मदद करेंगे। चूंकि उन्होंने ऐसे बड़े और शक्तिशाली परमेश्वर पर भरोसा किया था, इसलिए एक बड़ी और मजबूत शक्ति जो दुनिया को डरा सकती थी, उनमें से बाहर आई और उनके नाम बाइबल में नायकों के रूप में लिखे जा सके।

प्रेरित पौलुस और पतरस जैसे सत्य के बहुत से योद्धा भी ऐसे थे। उन्होंने सिर्फ परमेश्वर पर विश्वास करके, अपने प्राणों का परित्याग करने तक नई वाचा के सुसमाचार का प्रचार किया। उन्होंने दुष्ट निन्दकों का साफ रूप से यह कहते हुए विरोध किया कि मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही सही है, और साहसपूर्वक मसीह और उनके सत्य का प्रचार किया।

परमेश्वर चाहते हैं कि हम जो सही है उसके लिए “हां” कहें, और जो गलत है उसके लिए “ना” कहें। वह आशा करते हैं कि हम इस साहस के साथ इस संसार के सारे अत्याचार, परीक्षण और निन्दा पर विजय प्राप्त करें।

एक कलाबाज़ गुड़िया है। भले ही हम उसे बार बार टक्कर मारते हैं, वह फिर से एकदम खड़ी होती है, क्योंकि उसका एक संतुलन भार है। उस गुड़िया की तरह, हमारे हृदय में एक संतुलन भार होना चाहिए जो परमेश्वर हैं, ताकि हम फिर से खड़े रह सकें और किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव से जीत सकें।

आइए हम परमेश्वर पर निर्भर रहें जो बड़े और सामर्थी हैं


भले ही हमारा दुश्मन शैतान संसार के अधिकारियों को सक्रिय करके हमें धोखे में फंसाने के लिए जाल फैलाता है, फिर भी बड़े और शक्तिशाली परमेश्वर हमारे साथ हैं और हमारी अगुवाई करते हैं। हम किससे डरेंगे? परमेश्वर हमारा गढ़ और ढाल है। हमें बहुत गर्व होना चाहिए कि हम बड़ी शक्ति के स्रोत के साथ सुसमाचार का कार्य कर रहे हैं।

परमेश्वर हमारे कप्तान हैं जो सिय्योन के जहाज का नियंत्रण और अगुवाई करते हैं। हमारी यात्रा पर एक बड़ी आंधी के कारण छोटी लहरें आ सकती हैं। हालांकि, सिय्योन का हमारा जहाज कभी भी नहीं डूबेगा; बल्कि, वह हमारे गंतव्य स्थान, यानी स्वर्ग के राज्य की ओर पूरी गति से अपनी यात्रा जारी रखेगा।

प्रे 1:8 ... यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।

हम यीशु के नए नाम के गवाह हैं जो इस अंतिम युग के उद्धारकर्ता हैं। हम पूरी तरह से परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, और हम अंतिम दिन तक मसीह का प्रचार करने के हमारे मिशन को पूरा करेंगे। अपने प्रतिदिन के जीवन में, हमें ज्योति की संतान के रूप में सुसमाचार की ज्योति के द्वारा इस अंधेरी दुनिया को चमकाना चाहिए।

मत 28:16–20 ... इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ... और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।

परमेश्वर का प्रचार करते हुए, हम महसूस कर सकते हैं कि जब हम अपनी बुद्धि और क्षमता पर भरोसा करते हैं, हम कुछ भी नहीं कर सकते। जब हम अपनी बुद्धि और ज्ञान का घमण्ड करने के लिए सुसमाचार का प्रचार करते हैं, सुसमाचार के फल जल्दी ही नीचे गिर जाते हैं। जिस समय हम सोचते हैं कि यह हमने खुद किया, परमेश्वर का आत्मा हमें छोड़कर चला जाता है।

हमारे पास वह विश्वास होना चाहिए जो यहोशू और कालेब के पास था। हमारे पास वह विश्वास होना चाहिए जो दाऊद और पौलुस के पास था। जब हम महसूस करेंगे कि सुसमाचार परमेश्वर की शक्ति के द्वारा सुनाया जाता है और जब हम परमेश्वर पर विश्वास करेंगे, तब हम अत्याचार पर विजयी होंगे और दुनिया भर में मसीह की सुगंध को गन्धरस की तरह फैलाएंगे। तो फिर इस दुनिया में हमारे विश्वास के योग्य कोई नहीं होगा।

वे हमें विधर्मी ठहराते हुए हमारी निंदा करने में व्यस्त होते हैं। उनके पास नवीनता लाने और सत्य ग्रहण करने के लिए कोई जगह नहीं है। हम तभी उनसे जीत सकते हैं जब हम बहुतायत से पवित्र आत्मा के फल पैदा करेंगे और सिय्योन में एक दूसरे से प्यार करेंगे और परमेश्वर के वचन के अनुसार जीएंगे।

जितनी ज्यादा हवा चलती है, पतंग और अधिक ऊपर जाती है। इसी तरह जितनी ज्यादा अत्याचार की हवा चलती है, उतना अधिक सुसमाचार का प्रचार होता है। हमें ऐसे मूर्ख नहीं होना चाहिए जो अच्छी स्थिति और ज्यादा आशीषें मिलने पर भी परमेश्वर को धन्यवाद नहीं देते। ऐसा मनुष्य अपनी अच्छी परिस्थिति को सूखे और उजाड़ जंगल के जैसा मानता है। भले ही हम कुछ मुश्किल परिस्थितियों का सामना करेंगे, हमें उन्हें अदन के समान समझकर परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए। प्रेरित पौलुस के बारे में सोचिए। उसने सुसमाचार के अधिक बीज बोए ताकि वे पूरी तरह खिल सकें और फल ला सकें। मुझे आशा है कि आप सब उसके समान स्वर्ग में बाइबल के नायकों के रूप में प्रशंसा पाएं।

जब भी प्रेरित पौलुस सुसमाचार का प्रचार करने के लिए विदेशी देश जाता था, वह अपने आपको और उसके सेवकों को कहता था, “आइए हम एक नई शुरुआत करें। यह शुरुआत करने के लिए अच्छी जगह है।” जहां कहीं भी वह जाता था, वहां सुसमाचार फैल जाता था और फल बढ़ता था। उसने बहुत देशों के लोगों को चेला बनाया और उन्हें मसीह के वचन का पालन करना सिखाया, और वह बहुत आशीषित हुआ।

आइए हम भी एक नई शुरुआत करें। परमेश्वर पर निर्भर रहकर जो बड़े और सामर्थी हैं, आइए हम जहां कहीं भी जाएं, परमेश्वर के वचन का प्रचार करें।

एक अलार्मवाली घड़ी हमें परेशान कर सकती है, पर वह हमें जगाती और उठाती है। इसी तरह, हमारे सामने कठिनाइयां और अत्याचार हमारी सोती हुईं आत्माओं को जगाते हैं और सुसमाचार की गति में तेजी लाते हैं। भाइयो और बहनो! आइए हम पूरी तरह से परमेश्वर पर विश्वास करें, ताकि हम बड़े और सामर्थी बनें और विजेता के रूप में सुसमाचार की अच्छी लड़ाई लड़ें।