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कृपा से बुलाए गए

लम्बे समय पहले, चीन के हान राजवंश में, हान जीन नामक एक सेनापति हुआ करता था जो पूरे राज्य की सेना की अगुआई करता था। वह बहुत ही आत्मविश्वासी था, और एक बार उसने कहा था, “जितनी ज्यादा सेना होगी, उतना ही अच्छा होगा।” हालांकि, राजा के द्वारा बुलाए जाने से पहले वह नीचले दर्जे का एक छोटा सा सिपाही ही था।
हान राजवंश के पहले राजा के द्वारा बुलाए जाने के बाद, वह एक बड़ी उपाधि के साथ प्रधान सेनापति बन गया। यदि उसे राजा के द्वारा बुलाया न गया होता, तो वह अब तक इतिहास में एक नायक के रूप में याद न किया गया होता और केवल एक छोटे दर्जे का सिपाही ही रहा होता।
उसी तरह से, बाइबल के बहुत से व्यक्ति भी परमेश्वर के द्वारा बुलाए जाने के बाद, राजा या नबी या प्रेरित या फिर सत्य के योद्धा बन गए; उन्होंने परमेश्वर से यह प्रतिज्ञा पाई कि परमेश्वर उन्हें स्वर्ग तक ले जाएंगे, और उनके नाम बाइबल में लिखे गए।
उन ही के समान हम भी परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए हैं। यदि परमेश्वर ने हमें न बुलाया होता, तो हमने अपनी स्वाभाविक जरूरतों को पूरा करते हुए, एक अर्थहीन जीवन जिया होता; और पृथ्वी की नाशवान वस्तुओं से बंध कर, कीड़ों के समान जीवन जिया होता, और हम अंत में नरक में पीड़ा भुगतते।

जिन्हें परमेश्वर ने बुलाया है



जीवन सिर्फ एक खाली स्वप्न जैसा है। चाहे आज हम युवा हैं, हम जल्दी ही बूढ़े हो जाएंगे और हमारे चेहरों पर झुर्रियां पड़ जाएंगी। हम यह भी नहीं जानते कि कल क्या होगा। इस पृथ्वी पर हमारा जीवन बहुत अस्थायी और क्षणिक है।

याक 4:14 ... तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।

यश 40:6–7 ... सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है। जब यहोवा की सांस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; नि:सन्देह प्रजा घास है।


जैसा कि ऊपर के वचनों में लिखा है, मनुष्य धुंध के जैसे हैं जो थोड़ी देर के लिए दिखाई देती है और बाद में गायब हो जाती है, और फूल के समान हैं जो खिलता है और मुर्झा जाता है। चाहे किसी मनुष्य के पास एक अच्छी नौकरी, अच्छी पढ़ाई–लिखाई और ऊंचा सामाजिक दर्जा हो, तो भी वह सिर्फ एक दीन और तुच्छ जीव ही है। जो भी उसके पास है वह सब कुछ सूर्य निकलते ही गायब हो जाने वाली धुंध के समान है; वह सब कुछ निकम्मा और व्यर्थ है, क्योंकि जब वह मर जाएगा, तो वह उसमें से कुछ भी नहीं ले जाएगा।
जिन्हें परमेश्वर के द्वारा बुलाया गया है उनके बारे में कैसा होगा? वे चाहे किसी परिस्थिति में हों, आशीषित किए जाते हैं।
हम प्रेरित पतरस के द्वारा जिसने दूसरे चेलों की तुलना में यीशु से ज्यादा बातें कीं और दूसरों से ज्यादा गलतियां कीं, परमेश्वर के बुलावे के महत्व को समझ सकते हैं। यदि वह परमेश्वर के द्वारा बुलाया न गया होता, तो उसने किस प्रकार का जीवन जिया होता? उसने अपना पूरा जीवन एक मछुए के समान मछलियों के पीछे भागने में बिताया होता और मृत्यु के बाद नरक में पीड़ा पाई होती।
सिर्फ पतरस नहीं, लेकिन याकूब और यूहन्ना जैसे दूसरे चेलों ने भी वैसी ही पीड़ा पाई होती यदि उन्हें बुलाया न गया होता। हमें एक चमकीले भविष्य की प्रतिज्ञा दी गई है क्योंकि हम परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए हैं। अन्यथा हमने समय की लहरों से डावांडोल होकर, क्षणिक शान्ति और पद के पीछे भागते हुए, अपने जीवन को व्यर्थ कर दिया होता।
पौलुस के बारे में कैसा हुआ होगा? यदि उसे बुलाया न गया होता, तो उसने अपना बाकी बचा तीस या चालीस साल का जीवन एक नियमशास्त्र में निपुण व्यक्ति के रूप में बिताया होता और शाऊल नामक एक पापी ही रहा होता; वह नरक में गया होता और परमेश्वर के लोगों को सताने और मारने के कारण अनन्त दण्ड की सजा पाई होती; वह असंख्य ईसाइयों के हृदय में एक सत्य के योद्धा के रूप में नहीं, पर एक पापी के रूप में याद किया जाता होता।
मूसा के बारे में कैसा हुआ होगा? यदि उसे बुलाया न गया होता, तो उसने मिद्यान के याजक के घर में जहां वह फिरौन से बच कर भाग गया था, भेड़ों को चराना जारी रखा होता, और अपना पूरा जीवन अपनी पत्नी और बच्चों को संभालने में बिताया होता। सिर्फ मूसा ही नहीं, लेकिन विश्वास में दूसरे सभी पूर्वजों ने भी ऐसा ही व्यर्थ जीवन जिया होता और नष्ट हो गए होते, यदि वे परमेश्वर के द्वारा बुलाए न गए होते।
जरा उन लोगों के बारे में सोचिए जिन्हें परमेश्वर ने नहीं बुलाया है। उनके जीवन में ईर्ष्या करने योग्य कुछ भी नहीं है। जैसे वे अपनी मूलभूत शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, हम भी करते हैं। हालांकि, हमारे पास मानसिक शान्ति है और स्वर्ग की आशा है। हम जिन्हें परमेश्वर ने बुलाया है, पूरे संसार में सबसे ज्यादा आशीषित लोग हैं।
जब कभी भी हम बाइबल में पतरस को देखते हैं, तो हम देख सकते हैं कि सच में वह “आशीषित जन” है। यदि यीशु ने पतरस को न बुलाकर उस समय मौजूद दूसरे बहुत से मछुओं में से किसी एक को बुलाया होता, तो उसने एक साधारण मछुए की तरह अपना जीवन बिताया होता। हालांकि, परमेश्वर के द्वारा बुलाए जाने पर, वह प्रथम चर्च में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला एक महान प्रेरित बन गया।
हम उससे भी कहीं ज्यादा आशीर्वादित हैं। परमेश्वर ने हमें पतरस से भी बड़ी पदवी पर बिठाने के लिए बुलाया है; परमेश्वर हमें “प्रथम फल” के समान गिने जाने योग्य तैयार कर रहे हैं। पतरस, याकूब और यूहन्ना ने जिन्होंने धन्यवाद के साथ परमेश्वर के बुलावे का पालन किया, बिना किसी अफसोस के जीवन जिया।

“पतरस, क्या तू मेरे पीछे चलेगा?”
“यूहन्ना और याकूब, क्या तू भी मेरे पीछे चलेगा?”
“हे प्रभु! हम कैसे आपके बुलावे की उपेक्षा कर सकते हैं?”

हमें उनके उदाहरण का पालन करना चाहिए; जब मसीह ने उन्हें बुलाया, तो उन्होंने अपनी जालों को फेंक कर धन्यवाद और आज्ञाकारिता के साथ उनका पालन किया। जब वे मसीह और स्वर्ग के राज्य की घोषणा कर रहे थे, तो उन्होंने कष्ट उठाया, और वे सताए गए; मृत्यु का भय दिखाने पर भी वे कभी नहीं डरे। दिन प्रतिदिन, वे इसकी घोषणा करने से कभी भी न रुके, कि यीशु ही मसीह, और पुत्र के युग के उद्धारकर्ता हैं। उन्होंने आनन्द मनाया क्योंकि उन्हें मसीह के नाम के कारण निंदा पाने के योग्य गिना गया था। अब वे कहां हैं? वे स्वर्ग के दरवाजे पर हमारा इंतजार कर रहे हैं।

आशीर्वाद जो धन्यवाद के साथ परमेश्वर के बुलावे का पालन करने वालों को दिए जाते हैं



आइए हम मूसा के जीवन के द्वारा यह देखें कि परमेश्वर का बुलावा कितना ही महान और कृपालु है।

निर्ग 4:1–12 तब मूसा ने उत्तर दिया, “वे मेरा विश्वास नहीं करेंगे और न मेरी सुनेंगे, वरन् कहेंगे, ‘यहोवा ने तुझ को दर्शन नहीं दिया’।”... मूसा ने यहोवा से कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुंह और जीभ का भद्दा हूं।” यहोवा ने उससे कहा... “अब जा, मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखलाता जाऊंगा।”

मूसा, जो उस समय एक चरवाहा था, कोई सुवक्ता नहीं, लेकिन बोलने में कमजोर था। हालांकि, परमेश्वर के बुलाने के बाद, वह पवित्र आत्मा से भर गया, जिससे वह छह लाख यहूदी पुरुषों को मिस्र से बाहर निकाल ले आ सका। जंगल के चालीस सालों के दौरान, सब प्रकार की मुसीबतों में भी उसने हमेशा परमेश्वर की इच्छा का पालन किया, इसलिए वह इस्राएलियों का एक महान नेता बन सका।
परमेश्वर के द्वारा बुलाए जाने के बाद मूसा ने अपने जीवन में एक भारी परिवर्तन का अनुभव किया; परमेश्वर के द्वारा उसका प्रयोग सभी इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकालने में हुआ। इस तरह से, परमेश्वर के द्वारा बुलाए गए लोगों को परमेश्वर के उद्धार के कार्य में महान और सार्थक सफलता पाने का मौका दिया जाता है।
परमेश्वर के द्वारा बुलाए जाने के बाद, मूसा, पतरस और पौलुस ने अपने जीवन में बड़े बड़े बदलाव देखे; उन्हें स्वर्ग के राज्य की प्रतिज्ञा की गई है। जब उन्हें बुलाया गया, तो उन्होंने सोचा कि जो योग्य और मूल्यवान है वैसे कार्यों को करने का उन्हें एक सुनहरा मौका दिया गया है। परमेश्वर को ऐसे मौके देने के लिए धन्यवाद देते हुए, उन्होंने परमेश्वर के बुलावे को स्वीकार किया; उन्होंने उसे पूरे संसार में सबसे मूल्यवान वस्तु समझा। परमेश्वर ने उन्हें ईनाम देने का वादा दिया है। उनकी तरह, हमें भी यह समझते हुए कि परमेश्वर की कृपा कितनी महान है, परमेश्वर को हमें बुलाने के लिए धन्यवाद देना चाहिए।
बाइबल का नायक गिदोन के बारे में सोचिए, जिसे परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथों से बचाने के लिए बुलाया था।

न्या 6:14–15 तब यहोवा ने उस पर दृष्टि करके कहा, “अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्या मैं ने तुझे नहीं भेजा? उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, विनती सुन, मैं इस्राएल को कैसे छुड़ाऊं? देख, मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूं।

गिदोन को बाइबल में एक महान योद्धा कहा जाता है, क्योंकि वह परमेश्वर के द्वारा बुलाया गया था। यदि वह बुलाया न गया होता, तो उसने एक साधारण जीवन जिया होता। वह कमजोर था, लेकिन बुलाए जाने के बाद वह बदल गया।
इस प्रकार, परमेश्वर का बुलावा हमारे जीवन में अद्भुत बदलाव लाता है। मूसा जो बोलने में निपूण मनुष्य नहीं था, एक महान नेता बन सका जिसने बहुत लोगों के मन परमेश्वर की ओर फिराए। इसी तरह से, गिदोन जो कमजोर था, एक महान योद्धा बन गया।

आइए हम परमेश्वर का कार्य करने के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य पहिन लें



हम, 1,44,000, परमेश्वर के द्वारा इस संसार में सबसे ज्यादा मूल्यवान कार्य करने के लिए बुलाए और चुने गए हैं। यदि हमें बुलाया न गया होता, तो हमने एक व्यर्थ जीवन जिया होता और अंत में हमारी मृत्यु ही होती।
यदि मनुष्य परमेश्वर के द्वारा नहीं बुलाया जाता, तो वे एक दयनीय जीवन जीने के लिए लाचार हैं। फिर क्या उन्हें ही आशा देने के लिए मसीह पृथ्वी पर नहीं आए? यदि कोई व्यक्ति जिसे बुलाया गया है, सब बातों के लिए शिकायतें करे और परीक्षण में गिर पड़े, तो परमेश्वर उसे अपने बुलावे की कृपा से बाहर निकाल देंगे।
अब से एक दृढ़ संकल्प के साथ, आइए हम धन्यवादी हृदय के साथ परमेश्वर को हमें बुलाने के लिए धन्यवाद देते हुए, अपने खोए हुए भाइयों और बहनों को ढूंढ़ें। आइए हम सुसमाचार के कार्य में एक मुख्य और श्रेष्ठ भूमिका निभाएं। चाहे हम कमजोर और दुर्बल हैं, परमेश्वर जिन्होंने हमें बुलाया है, हमें सब सामर्थ्य देते हैं।
हमें यह समझना चाहिए कि परमेश्वर के द्वारा बुलाया जाना एक महान आशीर्वाद है। हम सब को परमेश्वर ने सच में कुछ मूल्यवान चीजें सौंपी हैं। मसीह की देह के अंग के तौर पर हम में से हर एक को जो भी कर्तव्य सौंपा गया है, वह हमें धन्यवाद के साथ करना चाहिए।
क्या वह स्वयं परमेश्वर नहीं हैं जिन्होंने हमें सुसमाचार का कार्य सौंपा है? परमेश्वर ने हमें बुलाया है और हमें महान कार्य दिया है। हम कैसे कुड़कुड़ा या शिकायत कर सकते हैं? 1,44,000 की महिमा सच में पतरस, गिदोन और मूसा से और भी महान होनी चाहिए। परमेश्वर ने हम में से हर एक को 1,44,000 में से एक बनने के लिए बुलाया है।

मत 28:18–20 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।”

परमेश्वर ने हमें ऊपर के इस कार्य को करने के लिए बुलाया है। हमें उनकी कृपा की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हम, गिदोन के योद्धाओं के समान, परमेश्वर का कार्य करने के लिए बुलाए गए हैं। क्या हमने सच में महान आशीष नहीं पाई?
हमें एसाव के समान मूर्ख नहीं बनना चाहिए, जिसने आशीर्वाद का मूल्य न समझते हुए, मसूर की दाल के कटोरे के बदले में अपना पहिलौठा का अधिकार बेच दिया था। याकूब के समान हमें आशीर्वाद का मूल्य समझना चाहिए और उसे पाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए।
पतरस जो सिर्फ एक मछुआ था, प्रधान प्रेरितों में से एक बन गया। और दाऊद जो केवल एक चरवाहा था, इस्राएल का राजा बन गया। हमें जो सिय्योन में हैं, इसके बारे में हमेशा सोचना चाहिए कि परमेश्वर का बुलावा कितना महान है।
परमेश्वर ने हमें बुलाया है और सुसमाचार का प्रचार करने में जो सामर्थ्य चाहिए वह हमें दी है। आइए हम सत्य की मशाल हाथों में लेते और सुसमाचार की तुरही फूंकते हुए आगे बढ़ें, ताकि हम अपने खोए हुए सभी भाइयों और बहनों को खोज सकें और उन्हें परमेश्वर के पास ले आ सकें। परमेश्वर आपको बहुतायत से आशीषित करें!