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धर्मी कौन है?

इस दुनिया के असंख्य लोग परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं। हालांकि, परमेश्वर कहते हैं कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं; कोई भलाई करनेवाला नहीं, एक भी नहीं।

रो 3:10–12 जैसा लिखा है: “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं... कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं... कोई भलाई करनेवाला नहीं, एक भी नहीं।

धर्मी कौन है जिसे परमेश्वर स्वीकार करते हैं? बाइबल कहती है कि धर्मी को छोड़कर, कोई परमेश्वर का खोजनेवाला और परमेश्वर के पास आनेवाला नहीं है।

मानव जाति के पूर्वज, आदम ने पाप करने से पहले परमेश्वर को ढूंढ़ा, और वह उनके पास गया। लेकिन भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाने के द्वारा उसने पाप किया, और उसके बाद जब परमेश्वर ने उसे पुकारा, “आदम, आदम!” तब उसने परमेश्वर के पास आकर, “हां, मैं यहां हूं”, यह कहने के बदले अपने आपको परमेश्वर से छिपाया। उस समय से जब उसने पाप किया, वह परमेश्वर से डरने लगा और उनकी मौजूदगी से सिकुड़ गया। जब आदम ने पाप किया, उसका हृदय बदल गया।

धर्मी मनुष्य परमेश्वर के वचन का पालन करता है



अगर हमें लगता है कि हम परमेश्वर से दूर कर दिए गए हैं, तो हमें पहचानना चाहिए कि हम धार्मिकता से धीरे–धीरे दूर जा रहे हैं, और हमें उससे फिरना चाहिए। नूह की कथा के द्वारा, आइए हम देखें कि हम कैसे धर्मी बन सकते हैं और धर्मी बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए।

उत 6:9 नूह की वंशावली यह है। नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।

उसके कार्यों के द्वारा, आइए हम यह खोजें कि क्यों नूह परमेश्वर से धर्मी और खरा कहा जाता था।

इब्र 11:7–10 विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चेतावनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उसने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ जो विश्वास से होता है। विश्वास ही से अब्राहम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेनेवाला था; और यह न जानता था कि मैं किधर जाता हूं, तौभी निकल गया। विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किए हुए देश में, पराए देश में परदेशी के समान, रहकर इसहाक और याकूब समेत, जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बुओं में वास किया। क्योंकि वह उस स्थिर नींववाले नगर की बाट जोहता था, जिसका रचनेवाला और बनानेवाला परमेश्वर है।

नूह ने, जो धर्मी मनुष्य था, क्या किया? उन दिनों में, उसने दुनिया के न्याय के बारे में परमेश्वर की योजना को महसूस किया और परमेश्वर की आज्ञा पर आज्ञाकारी होकर एक जहाज बनाया। नूह ने विश्वास से जहाज को बनाया, इसलिए उसे धर्मी मनुष्य और धर्म का वारिस कहा गया।
लोग जो धर्मी कहे जाते थे, और अब्राहम, इसहाक और याकूब जैसे विश्वास के पूर्वजों को परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास था, और वे हर चीज का, जो परमेश्वर उन्हें करने के लिए कहते थे, पालन करते थे।

परमेश्वर पर पूर्ण रूप से विश्वास करके, नूह ने अपने परिवार को और दुनिया को बचाने के लिए जहाज बनाया। वह परमेश्वर की दृष्टि में सबसे अधिक धार्मिक कार्य था, और इसी कारण उसे धर्म का वारिस कहा गया।

याक 2:17–26 वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है... हे निकम्मे मनुष्य, क्या तू यह भी नहीं जानता, कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है?... अत: तू ने देख लिया कि विश्वास ने उसके कामों के साथ मिलकर प्रभाव डाला है, और कर्मों से विश्वास सिद्ध हुआ... अत: जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है, वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है।

याकूब की पुस्तक हमें दिखाती है कि परमेश्वर की दृष्टि में धार्मिकता क्या है। परमेश्वर मानते हैं कि परमेश्वर के वचनों को सिर्फ जानना नहीं, परंतु पूर्ण रूप से उनका पालन करना ही धर्मी कार्य है।

हमें भी परमेश्वर पर विश्वास है: हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर 1,44,000 को इकट्ठा करेंगे और नई वाचा के लोगों की अगुवाई अनंत राज्य की ओर करेंगे। हम परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि से प्रेम करते हुए, मेहनत से सुसमाचार का प्रचार करने का सेवा कार्य करते हैं और उनकी सारी व्यवस्थाओं का पालन करते हैं, इससे हम परमेश्वर की इच्छा का पालन करने की कोशिश करते हैं। इस तरह जब हम अपने विश्वास को कार्य में डालते हैं, परमेश्वर हमें ‘धर्मी’ बुलाते हैं। धर्मी वे हैं जो परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं; वे परमेश्वर की दृष्टि में सम्पूर्ण हैं।

जैसे नूह और अब्राहम धर्मी कहलाए गए, वैसे ही आज 1,44,000 धर्मी कहलाते हैं। यह इसलिए है क्योंकि वे सही मायने में परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते हैं और उनका पालन भी करते हैं।

चाहे एक व्यक्ति यह जानता और विश्वास करता हो कि ‘सब्त का दिन सही है,’ लेकिन जब तक वह उसका पालन नहीं करता, वह आशीष नहीं पा सकता; सिर्फ सब्त के दिन को पवित्र मानकर, वह परमेश्वर के वादे के अनुसार आशीष पा सकता है। इसी तरह, अगर एक व्यक्ति सिर्फ यह विश्वास करता है कि ‘फसह का पर्व सही है,’ तो वह कैसे परमेश्वर की आशीष पा सकता है? केवल जब वह रोटी खाकर और दाखमधु पीकर फसह का पर्व मनाता है, तब वह अनंत जीवन कीआशीष और परमेश्वर की मुहर पा सकता है।

अपने विश्वास को कर्मों के द्वारा दिखाने वाले धर्मियों के लिए आशीष



जिन्होंने अपने विश्वास को कर्म में डाला, उन सब ने आशीष पाई। इस युग में, हम भी तभी आशीष पाते हैं और धर्मी कहलाए जाते हैं जब हम परमेश्वर के वचनों का प्रचार करके, और वर्ष में तीन बार में सात पर्वों की नई वाचा की विधियों का पालन करके परमेश्वर की सेवा करते हैं। यह परमेश्वर की योजना और इच्छा है। इसलिए बाइबल कहती है कि एक व्यक्ति सिर्फ विश्वास ही से नहीं पर कर्मों के द्वारा धर्मी ठहराया जाता है।

जब परमेश्वर ने नूह को जहाज बनाने के लिए कहा, भले ही वह यह विश्वास करता कि ऐसा करना सही है, अगर वह परमेश्वर के वचन का पालन न करता, तो क्या परमेश्वर उसे धर्मी और सिद्ध मनुष्य कहते?
नूह ने वह किया जिसका उन दिनों में पालन करना बहुत मुश्किल था। बाइबल हमें नहीं बताती कि नूह को जहाज बनाने में कितना समय लगा, लेकिन बहुत से बाइबल के विद्वान मानते हैं कि जहाज बनाने में बहुत से वर्ष लगे। उसे बनाने के लिए नूह को बड़ी मेहनत और बड़ी लागत लगानी पड़ी होगी जिसमें सामग्रियों का खर्च और मजदूरों का वेतन भी शामिल था। उन दिनों के अविकसित तकनीक के कारण सौ से ज्यादा लोगों के हास्त–कार्य की आवश्यकता हुई होगी; उन्होंने लगातार दिन रात काम किया होगा। इस प्रकार नूह ने जहाज पर काफी समय और पैसा खर्च किया। जहाज बनाने के लिए उसने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया।
इसके अलावा, लोगों ने उस समय तक बरसात को कभी नहीं देखा था। कई वर्षों तक वे लोग नूह और उसके परिवार पर हंसे, और उन्होंने उनका मजाक उड़ाया। फिर भी, नूह ने सिर्फ परमेश्वर के वचन का पालन किया और निरंतर जहाज बनाया। ऐसा करने के कारण, वह अपनी पीढ़ी पीढ़ी में धर्मी और खरा पुरुष कहलाया गया।

विश्वास के पिता, अब्राहम ने भी कर्मों के द्वारा अपने विश्वास को साबित किया। उसने अपने एकलौते पुत्र इसहाक को होमबलि के रूप में चढ़ाने की परमेश्वर की आज्ञा का पूरी तरह से पालन किया। अब्राहम के लिए, इसहाक को बलिदान करने की आज्ञा का पालन करना बहुत ही मुश्किल हुआ होगा। उसके लिए अपनी संपत्ति और ताकत देना उससे भी ज्यादा आसान था। अब्राहम अपने प्राण से भी ज्यादा अपने पुत्र इसहाक से प्रेम करता था। इसहाक को होमबलि के रूप में चढ़ाना, उसके लिए बहुत ही मुश्किल और दर्दनाक था।

जब परमेश्वर ने अब्राहम से अपने पुत्र को चढ़ाने के लिए कहा, वह शायद परमेश्वर की आज्ञा पर सवाल कर सकता था। परंतु, उसने बिना बहस और शिकायत के परमेश्वर का पालन किया। वह अपने पुत्र इसहाक को बलि चढ़ाने के लिए यह सोचकर तैयार हुआ कि परमेश्वर ने उसे इसहाक दिया और परमेश्वर को उसकी जान लेने का अधिकार है। परमेश्वर कितने ज्यादा प्रसन्न हुए होंगे जब उन्होंने अब्राहम के विश्वास और आज्ञाकारिता को देखा! अब्राहम को विश्वास का पिता कहा गया और उसने परमेश्वर से अपरम्पार आशीष प्राप्त की।

प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी मूल्यवान चीज होती है। अब्राहम के लिए उसका पुत्र इस दुनिया में सबसे बहुमूल्य खजाना था, और नूह के लिए उसकी संपत्ति सबसे महत्वपूर्ण थी। परमेश्वर कभी–कभी हर व्यक्ति से जो उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है उसे ले लेते हैं। यह इसलिए नहीं है कि परमेश्वर उससे नफरत करते हैं, बल्कि इसलिए है कि वह उसे और भी महान आशीष देना चाहते हैं।

हमें धर्मी नूह और अब्राहम के विश्वास और कर्मों की तुलना खुद से करनी चाहिए, ताकि हम जांच सकें कि हमारा विश्वास कर्म सहित है या नहीं। इस युग में, विश्वास का कार्य जो परमेश्वर को सबसे अधिक प्रसन्न करता है, वह अपनी सबसे बहुमूल्य चीज को त्याग कर आत्माओं को बचाना है।

स्वर्ग की आशा करते हुए, हम आत्मा और दुल्हिन के पीछे चलते हैं और दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि हमारे सभी स्वर्गीय भाई और बहनें जो इस पृथ्वी पर बिखरे हैं, जल्दी से सिय्योन में आएंगे। आज हम विश्वास के कार्य के द्वारा परमेश्वर के सामने धर्मी बन रहे हैं और मरती हुई आत्माओं को बचाने के लिए उन्हें जीवन की रस्सी देते हुए सत्य की घोषणा कर रहे हैं। हम उद्धार के जहाज, सिय्योन को पूरे संसार में बना रहे हैं और जहाज में बहुत सारी आत्माओं की अगुवाई कर रहे हैं। जैसे परमेश्वर ने भविष्यद्वाणी की थी, वैसे भाइयों और बहनों को सुसमाचार के कार्य में भाग लेते देखकर, हमें लगता है कि हम धीरे–धीरे कर्मों के द्वारा, नूह और अब्राहम की तरह धर्मी बन रहे हैं।

हमें अपने सभी विचारों को निकाल देना चाहिए और विश्वास की आज्ञाकारिता को सीखना चाहिए जिसे नूह ने दिखाया, ताकि अंत के इन दिनों में, हम सब धर्मी जन, 1,44,000 बन सकें।

विश्वास के उदाहरणों का पालन करते हुए धर्म का काम करें



परमेश्वर कहते हैं कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। फिर कैसे हम इस युग में धर्मी बन सकते हैं? बाइबल में विश्वास के पूर्वजों के कार्य के द्वारा, परमेश्वर बताते हैं कि हम कैसे धर्मी बन सकते हैं। हमें अपने विश्वास को कार्य में लाना चाहिए; क्योंकि विश्वास सिर्फ कार्य के साथ जीवित रह सकता है।

हमारे विश्वास के पूर्वज अपने विश्वास को कार्य में डालकर धर्मी साबित हुए। जब हम परमेश्वर के वचन पर विश्वास करें और उसके अनुसार कार्य करें, तब हम भी परमेश्वर के द्वारा धर्मी कहे जाएंगे।

इस दुनिया में हमेशा धर्म और अधर्म का अस्तित्व है। हम कैसे धर्म और अधर्म के बीच फर्क कर सकते हैं? हम धर्मी और अधर्मी के बीच उनके कर्मों के द्वारा फर्क कर सकते हैं। हमारे विश्वास के पूर्वज धर्म का काम करने के कारण धर्मी कहलाए गए, लेकिन बहुत सारे लोग अधर्म का काम करने के कारण अधर्मी कहलाए गए।

2पत 2:5 और प्राचीन युग के संसार को भी न छोड़ा वरन् भक्तिहीन संसार पर महा जल–प्रलय भेजा, पर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया।

आज जहाज बनाने का धर्म का काम करने के द्वारा और उन सभी को जिन्हें परमेश्वर ने जहाज में प्रवेश करने की अनुमति दी है, जहाज में बुलाने के द्वारा, हमें परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी माना जाना चाहिए। नूह ने अपने परिवार और हर प्रकार के जानवरों को इकट्ठा किया और वे सभी जहाज में चले गए। बाकी लोगों ने क्या किया? उन्होंने परमेश्वर के आदेश का उल्लंघन किया और जहाज में प्रवेश नहीं किया।

बाइबल ने गैरयहूदियों को ‘अन्यजाति’ कहा और उनकी तुलना जानवरों से की। हालांकि, परमेश्वर ने वादा किया है कि गैरयहूदी भी, जिनकी तुलना जानवरों से की गई, अंतिम दिन में बचाए जा सकेंगे, अगर वे सिर्फ परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हुए उद्धार के जहाज, सिय्योन में प्रवेश करेंगे और अपने विश्वास के कर्मों के द्वारा परमेश्वर की सेवा करेंगे। इस वादे के कारण, आज हम अन्यजाति स्वर्ग की आशा के साथ परमेश्वर के वचनों का पालन कर रहे हैं।

मत 24:37–39 जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल–प्रलय से पहले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते–पीते थे, और उनमें विवाह होते थे। और जब तक जल–प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।

परमेश्वर ने कहा है कि अंत का समय नूह के दिनों के जैसा होगा। इस युग में सुसमाचार का कार्य तब पूरा हो जाएगा जब सभी बचाए जानेवाले लोग उद्धार के जहाज, सिय्योन की ओर दौड़कर आएंगे। जब तक जहाज बचाए जानेवालों से भर न जाए, जहाज का क्या फायदा है? आइए हम प्रथम चर्च के प्रेरितों के कार्यों के द्वारा यह सीखें कि हम कैसे उद्धार के जहाज की ओर बहुतों की अगुवाई करें।

प्रे 2:41–47 ... और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोड़ने, और प्रार्थना करने में लौलीन रहे... और सब विश्वास करनेवाले इकट्ठे रहते थे, और उनकी सब वस्तुएं साझे में थीं... वे प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे, और परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उनसे प्रसन्न थे: और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था।

प्रेरितों ने, जो पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा से भर गए, प्रार्थना करने, प्रचार करने और धर्म के अच्छे कार्य करने के प्रति अपने को समर्पित किया, और बहुत लोग उनकी प्रशंसा करते थे। जब हम आत्माओं को बचाने के लिए अपने आपको पूरी तरह से समर्पित करेंगे, तब परमेश्वर प्रसन्न होंगे: और जो उद्धार पाते हैं, उनको परमेश्वर प्रतिदिन हम में मिला देंगे।

प्रे 4:1–4 जब वे लोगों से यह कह रहे थे... उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि सन्ध्या हो गई थी। परन्तु वचन के सुननेवालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उनकी गिनती पांच हजार पुरुषों के लगभग हो गई।

प्रथम चर्च के दिनों में, प्रेरित प्रतिदिन आनन्द और मन की सीधाई से एक साथ इकट्ठे होते थे और निडरता से घोषणा करते थे कि यीशु ही मसीह और उद्धारकर्ता हैं। परमेश्वर ने उनके हृदयों को खोला जिन्होंने यह सुना, और थोड़े ही समय में लगभग पांच हजार लोगों का बपतिस्मा हुआ।

हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारे विश्वास के पूर्वजों ने परमेश्वर की आशीष पाने के लिए क्या किया, और प्रथम चर्च के संतों ने कैसे आशीष पाई। हमें प्रथम चर्च के संतों के विश्वास का अनुसरण करना चाहिए, ताकि इस युग में भी जो उद्धार पाते हैं उन लोगों को परमेश्वर प्रतिदिन हम में मिला दें। बहुत लोग परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, परंतु उनकी इच्छा का पालन नहीं करते, जैसा उन्होंने कहा, “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।” इन अंतिम दिनों में, हमें अपना नबी का कर्तव्य पूरा करने के लिए कहा गया है। हमें धर्म का काम करते हुए अपने विश्वास को जीवित रखना चाहिए और परमेश्वर के करीब आना चाहिए।

धर्म का काम करना हमारे लिए खुशी का कारण बनता है। जब हम खुशी से भरे होकर परमेश्वर को महिमा देते हैं और जो भी परमेश्वर चाहते हैं उसे करते हैं, तब हम परमेश्वर की योजना और इच्छा को समझ सकते हैं जो बाइबल की 66 पुस्तकों में लिखी हुई है। चाहे कोई बाइबल को सौ बार या हजार बार पढे., उसे कार्य में लाए बिना वह परमेश्वर के वचन समझ नहीं सकता। केवल वही जो परमेश्वर की इच्छा का पालन करता है, सभी लेखों को और यहां तक कि बाइबल में मुश्किल बातों को भी समझ सकता है।

हमारी आशा है कि 1,44,000 भाइयों और बहनों को जल्दी से ढूंढ़ने के बाद स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें। हमें यह सोचने की जरूरत है कि कैसे प्रथम चर्च थोड़े समय में बहुत सारे लोगों की सत्य में अगुवाई कर सका। यह इसलिए मुमकिन हुआ कि जैसा बाइबल ने कहा, ठीक वैसा ही उन्होंने किया। क्योंकि बाइबल धर्म को प्राप्त करने के व्यावहारिक तरीके की ओर हमारा मार्गदर्शन करती है।

परमेश्वर हमें पूर्ण बना रहे हैं। परमेश्वर की इच्छा का पालन करके, आइए हम नूह से भी अधिक महान धर्म का काम करें, और फिर परमेश्वर हमें धर्मी और पूर्ण कहेंगे।

हे धर्मियो जो विश्वास के साथ कार्य करते हैं, आइए हम इस सोनेवाली और मरनेवाली पीढ़ी को उस पवित्र आत्मा के कार्य के द्वारा जगाएं जो प्रथम चर्च से सात गुना अधिक महान है!