टेक्स्ट उपदेशों को प्रिंट करना या उसका प्रेषण करना निषेध है। कृपया जो भी आपने एहसास प्राप्त किया, उसे आपके मन में रखिए और उसकी सिय्योन की सुगंध दूसरों के साथ बांटिए।
आत्मिक दुनिया को देखो
हम इस पृथ्वी पर स्वर्गीय घर की आशा करते हुए, मुसाफिर के समान जी रहे हैं। इस दृश्य और सीमित संसार में शरीर पहनने के कारण, हम आसानी से बाहरी चीजों में तल्लीन हो जाते हैं कि हम आत्मिक दुनिया के बारे में नहीं सोच सकते। जब हम शारीरिक चीजों में लिप्त हो जाते हैं, हम परमेश्वर के पूर्व विचार को नहीं समझ सकते; हम अपने विश्वास में आगे नहीं बढ़ सकते, और यहां तक कि जो विश्वास हमारे पास है वह भी धीरे धीरे शांत हो जाता है।
विश्वास के हमारे पूर्वजों ने कहा है कि अदृश्य दुनिया का अस्तित्व है और वह एक अनन्त दुनिया है।
2कुर 4:18 और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं; क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
ज्यादातर लोग दृश्य दुनिया में जो होता है उस पर विश्वास करते हैं, लेकिन वे अदृश्य दुनिया के बारे में मुश्किल से विश्वास कर सकते हैं। ऐसे बहुत कम लोग हैं जो स्वर्ग की आशा लेकर जीते हैं, क्योंकि वह एक आत्मिक और अदृश्य दुनिया है।
ऊंट के पदचिन्ह और परमेश्वर का अस्तित्व
दो व्यापारी एक मरुभूमि से गुजर रहे थे। उन में से एक परमेश्वर पर विश्वास करता था, और दूसरा एक अविश्वासी था।
वे अपनी थकाऊ यात्रा पर थे, उन में परमेश्वर के अस्तित्व के बारे में एक उग्र चर्चा होने लगी। एक ने दावा किया कि ‘परमेश्वर का अस्तित्व निस्संदेह है,’ और दूसरे ने दावा किया कि ‘परमेश्वर का अस्तित्व नहीं है।’ वे बड़े ही जोर से बहस करने लगे। अविश्वासी ने कहा, “मुझे परमेश्वर के अस्तित्व का प्रमाण दो। यदि उनका अस्तित्व है, तो उनके अस्तित्व का कुछ दृश्य प्रमाण होना चाहिए।” इस तरह से उसका आग्रह सशक्त होने लगा। इतने में अंधेरा हो गया, और उन्होंने मरुभूमि में रात गुजारी।
दो व्यापारियों ने भूमि में खूंटा लगाया और अपने ऊंट को वहां बांधा। तब उन्होंने रात गुजारने के लिए मरुभूमि में अपना तंबू लगाया। उनके शरीर बहुत ज्यादा थक गए थे, और वे तुरन्त ही गहरी नींद में चले गए। जब वे अगली सुबह को जागे, तो उन्हें पता चला कि उनका ऊंट वहां नहीं था। रेत से भरी अनन्त मरुभूमि में इस तरह से अपने ऊंट को खो देना सच में उनके लिए एक गंभीर समस्या थी। उन्होंने उसे यहां वहां खोजा लेकिन नहीं पाया।
तब उस अविश्वासी व्यक्ति ने ऊंट के पदचिन्ह देखे और खुशी से चिल्लाने लगा, “मैं ने ऊंट को खोज लिया!” और उस विश्वासी व्यक्ति ने उसे पूछा,
“ऊंट कहां है?”
“जरा इन पदचिन्हों को देखो। यदि हम इन पदचिन्हों का पीछा करें, तो क्या हम ऊंट को नहीं खोज सकेंगे?”
“क्या बात कर रहे हैं? यहां पर सिर्फ एक ऊंट के पदचिन्ह ही हैं, ऊंट स्वयं नहीं है।”
“यदि हम ऊंट के पदचिन्हों का पीछा करेंगे, तो हम निश्चित रूप से ऊंट को खोज सकेंगे।”
बहुत अधीर होकर, वह अविश्वासी व्यक्ति ऐसा चिल्लाया। तब उस व्यापारी ने जो परमेश्वर पर विश्वास करता था, गंभीर होकर कहा,
“तुम सिर्फ ऊंट के पदचिन्हों को देखकर विश्वास करते हो कि निश्चित रूप से ऊंट भी है। अब तुम अपने आस पास हर जगह परमेश्वर के पदचिन्हों को देखते हो। तो तुम उनके अस्तित्व पर क्यों विश्वास नहीं करते?”
उसी क्षण सूर्य उदय हो रहा था।
“ध्यान से देखो! हर सुबह सूर्य का उदय होना परमेश्वर का पदचिन्ह है।”
उस व्यापारी ने सिर्फ ऊंट के पदचिन्हों को देखकर ऐसा विश्वास किया था कि ऊंट वहीं कहीं है। हमारे आस पास परमेश्वर का अस्तित्व होने के प्रचुर प्रमाण हैं। यह पृथ्वी जिस पर हम रहते हैं, परमेश्वर का एक महान हस्त कार्य है।
हमारे सौर मण्डल में पृथ्वी एक अकेला ग्रह है जिस पर मनुष्य, प्राणी और पौधे जी सकते हैं। बाइबल भी हमें दिखाती है कि परमेश्वर ने इस पृथ्वी को मनुष्यजाति के उद्धार की महान पूर्व योजना को पूरा करने के लिए बनाया है। क्यों बुध या वरुण जैसे दूसरे ग्रहों पर जीवन नहीं है, लेकिन केवल पृथ्वी पर है? क्योंकि परमेश्वर ने इस पृथ्वी को विशेष तौर पर अपने उद्धार की योजना को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया है।
परमेश्वर ने सिर्फ पृथ्वी को ही पेड़ और पौधे उत्पन्न करने दिया जो प्राणवायु को पैदा करते हैं और हवा को शुद्ध करते हैं, और पराबैंगनी किरणें जैसी हानिकारक किरणों से मनुष्यों को बचाने के लिए ऊपरी वायुमण्डल में ओज़ोन की परत बनाई है। इस तरह से, उन्होंने मनुष्यों को इस पृथ्वी पर जीने के लिए सभी प्रकार के हालात दिए हैं। यह सब एक प्रमाण है कि परमेश्वर जीवित हैं और कार्य करते हैं।
एक व्याध पतंगे की इल्ली की दृश्य और अदृश्य दुनिया
व्याध पतंगे अपने जन्म देने के मौसम में पानी की सतह के बिल्कुल नज़दीक से उड़ते हैं और पानी की सतह को अपनी पूंछ से छूते हैं। तब वे अपने अण्डों को पानी में देते हैं। अण्डों में से इल्लियां निकलती हैं जो पतली झिल्ली से ढंकी हुई होती हैं, और जैसे जैसे वे बड़ी होती जाती हैं, वे अपनी झिल्ली को उतारती हैं। उसका आखिरी निर्मोक उन्हें एक पानी में रहने वाले जीव में बदलता है; वे कीचड़ या रेतीली चट्टान या पत्थर पर रहती हैं। जब व्याध पतंगे की इल्लियां बड़ी होती हैं, वे किसी पौधे का तना पकड़कर पानी के बाहर आती हैं। तब उनकी त्वचा विभाजित होने लगती है, और एक व्याध पतंगे के पंख दिखाई देते हैं; बहुत जल्द वे आकाश में उड़ सकते हैं। पानी के नीचे रहनेवाली इल्लियों का एक पंखधारी व्याध पतंगों में बदलना कितना अद्भुत है! यह एक आश्चर्यजनक बदलाव है।
एक दिन एक मेंढक ने उस तालाब की मुलाकात ली जहां व्याध पतंगों की इल्लियां रहती थीं। उस मेंढक ने इल्लियों को सुंदर फूलों, रात को आकाश में चमकने वाले तारों, और मधुमक्खी और तितलियां जैसे कीड़ों के बारे में बताया जिन्हें उसने अपनी यात्रा के दौरान देखा था। उसने उनसे ऐसा भी कहा कि जब एक बार वे संपूर्ण रूप से विकसित हो जाएंगी, तो वे पानी के बाहर आएंगी और एक सुंदर पंखधारी व्याध पतंगों में बदल जाएंगी।
“अभी तो तुम सब पानी के नीचे रहने वाली इल्लियां हो। जब तुम बड़ी हो जाओगी, तो तुम्हारे पास सुंदर पारदर्शी पंख होंगे जिससे तुम मुक्त रूप से हवा में उड़ सकोगी। उन पंखों से तुम एक फूल से दूसरे फूल तक मुक्त रूप से उड़ सकती हो।”
हालांकि, मेंढक ने बाहरी दुनिया के बारे में जो भी बताया उस पर इल्लियों ने विश्वास नहीं किया। क्योंकि वह उनके लिए अविश्वसनीय, अकल्पनीय और भव्य था।
मेंढक के वापस जाने के बाद, व्याध पतंगों की इल्लियों ने आपस में विचार किया, “शायद उसने जो कहा वह सही भी हो सकता है।” “नहीं! यह बेतुका है।” इस तरह वे अपने विचारों से अलग हो गईं। अंत में वे इस विचार पर सहमत हुईं: “यदि हम में से कोई भी जैसे मेंढक ने कहा है, एक व्याध पतंगे में बदल जाए जो आकाश में उड़ सकता है, तो उसे पानी में वापस आकर सच्चाई बतानी होगी।”
कुछ समय के बाद, उन इल्लियों में से एक का रूपांतरण हुआ। वह इल्ली एक पौधे के तने पर चढ़कर पानी के बाहर आई, और उसकी त्वचा टूट गई। जैसा कि मेंढक ने कहा था, वह एक पारदर्शी पंख और लम्बी पूंछधारी व्याध पतंगे में रूपांतरित हो गई। पानी के नीचे के जीवन से निकल कर, उसके पास सुंदर पंख आ गए थे और वह एक फूल से दूसरे फूल तक उनकी खुशबू लेते हुए उड़ सकती थी।
रात के आकाश में बहने वाली आकाशगंगा, हर सुबह उदय होकर प्रकाशमान होने वाला सूर्य, ठंडी हवा, आकाश में तैरने वाला सफेद बादल, सुंदर खुशबूदार फूल,... यह एक ऐसा दृश्य था जो पानी के नीचे की दुनिया में अकल्पनीय था।
उस व्याध पतंगे को अपने उन पानी के नीचे के मित्रों की याद आई जो इतनी सुंदर दुनिया के बारे में नहीं जानते थे, और उसे वह भी याद आया जो उन्होंने एक दूसरे से कहा था: “यदि हम में से कोई पहली बार व्याध पतंगा बनता है, तो उसे वापस तालाब में आना होगा और सत्य बताना होगा।” तब उस व्याध पतंगे ने अपने मित्रों को सत्य बताने के लिए फिर से उस तालाब में जाने की कोशिश की, जहां वह पहले रहा करता था, लेकिन वह पानी में नहीं जा सकता था, क्योंकि वह अपने मित्रों से आयामी तौर पर अलग हो गया था।
परमेश्वर की अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा
जैसे व्याध पतंगों की इल्लियां उस दूसरी दुनिया के अस्तित्व के बारे में मुश्किल से समझ सकती थीं जब तक कि वे एक व्याध पतंगों में बदल नहीं जाती, वैसे ही हम भी जिसका इस पृथ्वी पर अनुभव नहीं किया उसका बड़ी मुश्किल से विश्वास और अंगीकार कर सकते हैं। हम अक्सर यीशु की स्वर्ग और नरक के बारे में शिक्षा को समझने में नाकाम रहते हैं।
बाइबल में परमेश्वर का यह वादा लिखा गया है कि वह हमें अनन्त स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए परिवर्तित करेंगे।
1कुर 15:50–54 हे भाइयो, मैं यह कहता हूं कि मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते... हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे, और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अंतिम तुरही फूंकते ही होगा। क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएंगे, और हम बदल जाएंगे। क्योंकि अवश्य है कि यह नाशवान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले...
“यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।” इसका मतलब है कि हमें अमर अवस्था में बदल जाना चाहिए। इसलिए, हमें इसके बारे में गहराई से अध्ययन करना चाहिए कि बाइबल उस अनन्त जीवन के बारे में क्या कहती है जिसके विषय में परमेश्वर ने हम से प्रतिज्ञा की है।
यूह 6:53–54 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।
तब हम यीशु का मांस और लहू कैसे खा सकते हैं?
मत 26:17–28 अखमीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?”... अत: चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी और फसह तैयार किया... जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”
परमेश्वर ने फसह की रोटी को यीशु के मांस के द्वारा और फसह के दाखमधु को यीशु के लहू के द्वारा मुहरबंध किया है। उन्होंने फसह मनाने वाले सभी को अनन्त जीवन देने की प्रतिज्ञा की है।
फसह की रोटी खाकर और फसह का दाखमधु पीकर जो लोग मसीह के साथ एक देह हुए हैं वे महिमामय स्वरूप में कब बदल जाएंगे? यह वह अंतिम दिन होगा जब मसीह ललकार और प्रधान स्वर्गदूत की पुकार और तुरही नाद के साथ स्वर्ग से नीचे आएंगे। उस दिन हम सब एक ही क्षण में बदल जाएंगे; हमारे शरीर यीशु के महिमामय शरीर के जैसे हो जाएंगे।(1थिस 4:13–18)
हम धन्य हैं, क्योंकि हमने बाइबल में लिखे परमेश्वर के सभी आशीर्वादों को प्राप्त किया है। उस पल के बारे में कल्पना कीजिए जब हम क्षण भर में स्वर्गदूतों के महिमामय कपड़े पहनकर बदल जाएंगे। चाहे फिलहाल हम व्याध पतंगों की इल्लियों के समान इस दृश्य दुनिया में रहते हैं, लेकिन बहुत ही जल्द हम अपने नए और महिमामय स्वरूप के साथ स्वर्ग के राज्य में, उस अकल्पनीय सुंदरता की दुनिया में रहेंगे।
आइए हम खोजें कि हमें यह जीवन का मार्ग, फसह का पर्व किसने सिखाया है, कि हम एक नई दुनिया में नए सिरे से जन्म ले सकें।
1तीम 6:15–16 जिसे वह ठीक समय पर दिखाएगा, जो परमधन्य और एकमात्र अधिपति और राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, और अमरता केवल उसी की है...
वह सिर्फ परमेश्वर ही हैं जो हमारे मरनहार शरीर को अमरता में बदल सकते हैं। क्योंकि वह अकेले ही अमर हैं। परमेश्वर के अलावा अनन्त जीवन का रास्ता और कोई नहीं जानता। सिर्फ परमेश्वर ही हमें वह रास्ता बता सकते हैं।
परमेश्वर ने हमें उस आत्मिक दुनिया, स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए, स्वयं फसह का सत्य सिखाया है और अनन्त जीवन दिया है। आइए हम इस दृश्य दुनिया को नहीं, लेकिन जहां हम जा रहे हैं उस अदृश्य दुनिया में जाने के लिए अपने आपको तैयार करते हुए उससे चिपके रहें। आइए हम आत्मा और दुल्हिन को सदा सर्वदा महिमा और प्रशंसा दें जिन्होंने हमें अनन्त जीवन का सत्य सिखाया है ताकि हम अपने अनन्त घर, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की आशा कर सकें।