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प्रचार करने का समय

परमेश्वर हमें कुछ सौंपते हैं ताकि अंत में वह हमें अच्छी वस्तुओं से आशीर्वादित कर सकें। इस समय हमें सुसमाचार का प्रचार सौंपा गया है। यह हमारे खुद के और दूसरों के उद्धार के लिए परमेश्वर का एक आशीर्वाद है। हमें इस बात को समझते हुए अपने विश्वास के मार्ग पर चलना चाहिए।

3,000 लोगों का नष्ट होना और 3,000 लोगों का उद्धार पाना


मूसा के समय में, इस्राएलियों ने परमेश्वर के अनुग्रह से मिस्र के दासत्व से छुटकारा पाया और कनाना की ओर चल दिए। जब वे जंगल में से गुजर रहे थे, वे सांसारिक आचरण में फंस गए; जब मूसा दस आज्ञाओं को लेने के लिए सीनै पर्वत पर गया था, तब उन्होंने एक मूर्ति की पूजा की। परिणाम स्वरूप, परमेश्वर का कोप उन पर भड़का और उन में से करीब 3,000 लोग जंगल में मारे गए।

निर्ग 32:1–28 जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे होकर कहने लगे, “अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि क्या हुआ?” हारून ने उनसे कहा, “तुम्हारी स्त्रियों और बेटे बेटियों के कानों में सोने की जो बालियां है उन्हें उतारो, और मेरे पास ले आओ।”... हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टांकी से गढ़ा। तब वे कहने लगे, “हे इस्राएल, तेरा ईश्वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है।”... तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग में डाल के फूंक दिया। और पीसकर चूर चूरकर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्राएलियों को उसे पिलवा दिया... मूसा के इस वचन के अनुसार लेवियों ने किया; और उस दिन तीन हजार के लगभग लोग मारे गए।

लेकिन उसके विपरीत, सुसमाचार के युग में बारह प्रेरितों समेत सिर्फ कुछ चेलों ने एक ही दिन में लगभग 3,000 लोगों को बचाया था; यह इसलिए मुमकिन हुआ था क्योंकि उन्होंने एक मन से प्रार्थना करके पिन्तेकुस्त के दिन का पवित्र आत्मा पाया था।

प्रे 2:1–41 जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया। और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे... तब पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, “हे यहूदियो और हे यरूशलेम के सब रहनेवालो, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो... उसने बहुत और बातों से भी गवाही दे देकर समझाया कि अपने आप को इस टेढ़ी जाति से बचाओ। अत: जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उनमें मिल गए।

इन दोनों घटनाओं की तुलना करते हुए जिनमें विपरीत परिणाम आए थे, हम समझ सकते हैं कि हमारे विश्वास के जीवन में सुसमाचार का प्रचार करना कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पुराने नियम का इतिहास हमें खास तौर पर सिखाता है कि हमें सिर्फ अपनी शारीरिक सुरक्षा के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। जब मूसा को पर्वत से नीचे आने में बहुत देर हो गई, तो इस्राएली घबड़ा गए थे; एक अगुवे के बिना वे असुरक्षित महसूस करने लगे और इस बात से डरने लगे कि वे जंगल में नष्ट हो जाएंगे। ऐसी संकट–स्थिति में उन्होंने परमेश्वर पर अपने विश्वास का त्याग किया और एक सोने का बछड़ा बनाने का निर्णय किया; उनमें से हर एक अपनी खुद की सुरक्षा को लेकर ऐसा सोचते हुए, ‘मैं यहां कैसे बच सकूंगा?’ डरने लगा, और अंत में उन्होंने अपने लिए एक व्यर्थ मूर्ति बनाई।
लेकिन उसके विपरीत, प्रथम चर्च के चेलों ने दूसरों की सुरक्षा के बारे में विचार किया कि, ‘मैं कैसे उन्हें बचा सकता हूं?’ वे किसी भी भय से नहीं डरे, इसलिए वे एक ही दिन में 3,000 लोगों को बचा पाए। यीशु को क्रूस पर मारा गया था और वे सब लगातार एक आतंक में थे। ऐसी नकारात्मक परिस्थिति होने पर भी, उन्होंने अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं की; उन्होंने सुसमाचार प्रचार करने का अपना कार्य पूरा किया और बहुत सी आत्माओं को बचाया।
तोड़ों के दृष्टांत में, उस दास ने जिसने ज्यादा तोड़े कमाए थे, ज्यादा स्तुति और आशीर्वाद पाए; लेकिन जिस दास ने अपना तोड़ा जमीन में गाड़ दिया था, उससे उसके पास जो था वह भी ले लिया गया।
जंगल में सभी इस्राएली उस दास के समान थे जिसने केवल एक ही तोड़ा रखा। इस बात को सोचते हुए कि प्रेरितों के प्रचार के द्वारा 3,000 लोगों ने उद्धार पाया था, हम समझ सकते हैं कि प्रचार करना हमारे और दूसरों के उद्धार के लिए कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
मसीह ने अपने शरीर का बलिदान करके पूरे संसार को उद्धार दिया, इसलिए वे सभी मनुष्यों में अति महान किए गए। इस समय भी, मसीह बहुत लोगों से स्तुति पाते हैं; उनका प्रेम हमारे हृदयों में हार्दिकता लाता है।
क्रूस के सन्देश में, हम देख सकते हैं कि जब हम दूसरों को बचाते हैं, तो हम अपने आपको को भी बचाए रख सकते हैं। इसलिए यीशु ने कहा, “तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो।”(मर 16:15)

“तुम उन्हें चेतावनी दोगे जो मैं तुम्हें दूंगा।”


परमेश्वर हमें सख्त चेतावनी देते हैं कि यदि कोई इसलिए उद्धार नहीं पा सका क्योंकि हमने उसे प्रचार नहीं किया था, तो परमेश्वर हमें उसके लिये जिम्मेदार ठहराएंगे।

यहेज 3:17–21 ... मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिए पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुंह की बात सुनकर, उन्हें मेरी ओर से चिताना... उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा...

आज हम सब परमेश्वर के चुने हुए सत्य के पहरुए हैं। पहरुओं का कार्य होता है कि जो चेतावनी परमेश्वर हमें देते हैं उसे हम संसार को सुनाएं। यदि कोई पहरुआ किसी शत्रु को आते हुए देखता है, तो वह लोगों को चेतावनी देगा। यदि वह पहरुआ लोगों को चेतावनी देने का अपना कार्य न करे, तो क्या होगा? वे सब नष्ट हो जाएंगे।
और जैसा कि परमेश्वर ने कहा है, वह उसे सब लोगों के लहू का जिम्मेदार ठहराएंगे। यह आज्ञा कितनी कठोर है!
हमें समझना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें हमारे उद्धार के लिए एक पहरुए के रूप में नियुक्त किया है और हमें ऐसी कठोर आज्ञा दी है।
जब हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं, हम परमेश्वर के उस प्रेम का स्पष्ट रूप से अनुभव कर सकते हैं, जिसे हम सिर्फ सतही तौर पर जानते थे। किसी दूसरे के हृदय में परमेश्वर का प्रेम बोते समय, हम उनकी आज्ञाओं का महत्व समझ सकते हैं, और आत्मा और दुल्हिन में हमारा विश्वास और भी गहरा होता है, और हम परमेश्वर के प्रेम को हमारे हृदय में और गहराई तक बोया हुआ महसूस करते हैं।
हालांकि, यदि हम प्रचार न करें, तो हम परमेश्वर के प्रेम और कृपा का अनुभव नहीं कर सकते और अंत में हम उनके प्रेम को भूल जाएंगे। जैसे कि इस्राएली परमेश्वर की कृपा को भूल गए और उनके विरुद्ध कुड़कुड़ाने लगे और अंत में नष्ट हो गए, यदि हम भी पहरुए का कार्य नहीं करेंगे तो हम भी नष्ट हो जाएंगे। परमेश्वर ने कहा, “उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा।” इन शब्दों के द्वारा, हम हमारे लिये परमेश्वर की इच्छा को समझ सकते हैं; परमेश्वर चाहते हैं कि हम हमेशा उन्हीं पर निर्भर रहें। परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए, हमें पहरुए का कार्य ईमानदारी से करना चाहिए।

पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के लिए प्रार्थना करो जो हमें अपने प्रचार के कार्य को करने के लिए सक्षम बनाती है


परमेश्वर इतने सामर्थ्यवान हैं कि वह अपने आप ही सभी मनुष्यजाति को जागृत कर सकते हैं। उन्होंने हमें उद्धार का आशीर्वाद देने के लिए यह प्रचार करने का महान कार्य सौंपा है।

यहेज 3:27 ... जब जब मैं तुझ से बातें करूं, तब तब तेरे मुंह को खोलूंगा, और तू उन से ऐसा कहना, ‘प्रभु यहोवा यों कहता है,’ जो सुनता है वह सुन ले और जो नहीं सुनता वह न सुने...

परमेश्वर ने हमें उनके वचनों का प्रचार करने के लिए कहा है। हमें जो परमेश्वर की आज्ञाएं नहीं जानते उन्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का प्रचार करना चाहिए, और जो नहीं जानते कि स्वर्ग और नरक का अस्तित्व है उन्हें उनका प्रचार करना चाहिए, और उन्हें जो वर्तमान समय को नहीं पहचान पाते बाइबल की भविष्यवाणियों का प्रचार करना चाहिए।
लोग उसी में दिलचस्पी लेते हैं जिसे वे करते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक फुटबॉल खेलने वाला ज्यादा गोल करने में दिलचस्पी लेता है, एक मछुआ बहुत सी मछलियों को पकड़ने में दिलचस्पी लेता है। उसी तरह से, प्रचारक हमेशा सोचते हैं कि कैसे बहुत सी आत्माओं को परमेश्वर की ओर ले आया जाए। उन लोगों के विश्वास के बीच में जो प्रचार करते हैं और जो नहीं करते, बहुत अन्तर है। उन दोनों में से आप क्या सोचते हैं, कि कौन स्वर्ग की ज्यादा आशा रखता है, कौन परमेश्वर के बारे में ज्यादा सोचता है, कौन सत्य से ज्यादा नज़दीक है?
बाइबल कहती है कि उस व्यक्ति के लिए जो स्वर्ग की आशा रखता है, प्रचार एक अत्यावश्यक कार्य है।

1कुर 9:16 यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मेरा कुछ घमण्ड की बात नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है। यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!

ऊपर के वचन को सोचें, तो क्या प्रचार करना ही हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य नहीं है? यदि एक पहरुआ अपना कार्य न करे, तो उसे शत्रु के हाथों से मारा जाएगा या फिर सैनिक कानून के अनुसार मृत्युदण्ड दिया जाएगा। इस तरह से, यदि हम प्रचार का कार्य न करें, तो हम अपना उद्धार खो देंगे।
इसलिए, एक पहरुए के रूप में अपना कार्य पूरा करने के लिए प्रेरित पौलुस ने ईमानदारी से सुसमाचार का प्रचार किया।

2कुर 11:21–27 ... अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्तालीस उन्तालीस कोड़े खाए। तीन बार मैं ने बेंतें खाईं; एक बार मुझ पर पथराव किया गया; तीन बार जहाज, जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात–दिन मैं ने समुद्र में काटा। मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में... भूख–प्यास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में;

जिस मार्ग पर प्रेरित पौलुस चला था उस पर हमेशा सताव, दु:ख, पीड़ा और शोक था। उन सब के बावजूद, उसने सुसमाचार का प्रचार करना कम नहीं किया; लेकिन उसने कहीं भी और कभी भी लोगों को बेधड़क सुसमाचार सुनाया। उसने अपना प्रत्येक दिन प्रचार करते हुए शुरू किया और समाप्त भी प्रचार करते हुए ही किया। वह सच में एक विश्वासयोग्य पहरुआ था, और परमेश्वर हमेशा उसके साथ थे।
अब हम, जो झोपड़ियों के पर्व के युग में जी रहे हैं, पिछली बरसात के पवित्र आत्मा के प्यासे हैं। यदि हम बिना किसी उद्देश्य के पवित्र आत्मा मांगें, तो वह व्यर्थ है; यह वैसा ही है जैसा कि एक बच्चा अपने माता–पिता से यह न जानते हुए कि पैसे कहां उपयोगी होते हैं, पैसे मांगता है। यदि हम पवित्र आत्मा पाने के बाद प्रचार न करें, तो फिर वह हमारे और किस काम का है?
प्रथम चर्च के समय में, चेलों ने पिन्तेकुस्त के दिन पर पहली बरसात का पवित्र आत्मा पाया था, और उन्होंने उत्सुकता से सुसमाचार का प्रचार किया था। उसके परिणाम स्वरूप, 3,000 से ज्यादा लोगों ने एक ही दिन में पश्चाताप किया। इस युग में, हमें पिछली बरसात का पवित्र आत्मा मांगना चाहिए और ईमानदारी से सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। तब परमेश्वर हम पर और भी ज्यादा पवित्र आत्मा की सामर्थ्य उंडेलेंगे।
अब यह प्रचार करने का समय है; चूंकि हमने उद्धार पाया है, इसलिए हमें दूसरों को भी उद्धार देना चाहिए। जैसे मसीह ने अपने आपका बलिदान करके बहुत से लोगों को बचाया, वैसे ही जितना ज्यादा हम खुद का बलिदान करेंगे, उतनी ज्यादा आत्माओं को हम बचा सकते हैं।
सिय्योन के भाइयो और बहनो! मसीह के कार्यकर्ता के रूप में, आइए हम एक पहरुए के रूप में अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाएं, और जैसा प्रेरित पौलुस ने किया था, परमेश्वर के दिए हुए तोड़ों का प्रयोग करते हुए बहुत सी आत्माओं को बचाने का प्रयास करें, ताकि हम बहुत से अच्छे फल पैदा कर सकें और उद्धार पा सकें। परमेश्वर आपको बहुतायत से आशीर्वाद दें!