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अपनी पड़ती भूमि को जोतो

बसंत ऋतु में, सभी किसान शरद ऋतु में बंजर पड़े अपने खेतों को जोतते हैं, और सभी घास–फूस और पेड़ों की जड़ों को निकालते हैं। बीज बोने के बाद, वे उन बीजों का ख्याल रखते हैं कि वे अंकुरित हो सकें; फिर वे अच्छी खाद डालते हैं, और जब तक वे पतझड़ के मौसम में अच्छे फल नहीं पाते तब तक घास–फूस को निकालते रहते हैं।
सुसमाचार के फल पैदा करने में भी वैसा ही है। क्योंकि बाइबल कहती है:

हो 10:12 अपने लिये धर्म का बीज बोओ, तब करुणा के अनुसार खेत काटने पाओगे; अपनी पड़ती भूमि को जोतो; देखो, अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है, कि वह आए और तुम्हारे ऊपर उद्धार बरसाए।

क्या एक किसान भूमि को जोते बिना ही बीज बो सकता है? कभी नहीं। सबसे पहले एक किसान घास–फूस और जड़ों को निकालता है, बाद में फल की आशा करते हुए, वह बीज बोने के लिए भूमि को जोतता है। इसी तरह से, हमें सुसमाचार का बीज बोने के लिए सबसे पहले गलत विचारों को निकाल देना चाहिए। हम पुराने, कठोर, अविश्वासी, और कंटीले हृदयों के साथ सुंदर फल नहीं पा सकते।

अपनी बंजर भूमि को परमेश्वर के वचनों के हल से जोतो



हमें उपजाऊ बनने के लिए, सबसे पहले अपने हृदय की बंजर भूमि को परमेश्वर के वचनों के हल से जोत कर नरम करना चाहिए, ताकि हम उस कृपा के द्वारा जो परमेश्वर हम पर बारिश के समान बरसा रहे हैं, सुसमाचार के फल बहुतायत से पैदा कर सकें। जब हम एक ताज़ी जोती हुई भूमि में सुसमाचार का बीज बोते हैं तो जो बोया गया है उसके अनुसार हम तीस गुना, साठ गुना या सौ गुना तक के अच्छे फल पैदा कर सकते हैं। इसलिए सबसे पहले हमें अपने हृदय की बंजर भूमि को जोत कर नरम बनाना चाहिए।

यिर्म 4:3 क्योंकि यहूदा और यरूशलेम के लोगों से यहोवा ने यों कहा है: “अपनी पड़ती भूमि को जोतो, और कटीले झाड़ों में बीज मत बोओ।”

ऊपर के वचन का अर्थ है कि जब हम परमेश्वर के वचन का प्रचार करते हैं, सबसे पहले हमें अपनी पड़ती भूमि को जोतना चाहिए और अपने हृदय की भूमि से कांटे और घास–फूस निकालकर अपनी नई जोती हुई भूमि पर बीज बोना चाहिए, ताकि हम सुसमाचार का अच्छा फल पैदा कर सकें।
इसके बारे में, यीशु ने एक बीज बोते किसान का दृष्टान्त कहा था।

मर 4:3–20 “सुनो! एक बोनेवाला बीज बोने के लिये निकला। बोते समय कुछ मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। और कुछ पथरीली भूमि पर गिरा जहां उसकी बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया। और जब सूर्य निकला तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। कुछ झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया, और वह फल न लाया। परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और वह उगा और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया।”... “बानेवाला वचन बोता है। जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था, उठा ले जाता है। वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े भी दिनों के लिये रहते हैं; इसके बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं। जो झाड़ियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना, और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और अन्य वस्तुओं का लोभ उनमें समाकर वचन को दबा देता है और वह निष्फल रह जाता है। और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं: कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा।”

ऊपर का दृष्टान्त हमें हमारे हृदयों में बोए गए बीज, यानी ‘परमेश्वर के वचन’ के बारे में बताता है। कौन सा फल तीस गुना, साठ गुना, और सौ गुना फल पा सकता है? वह बीज जो अच्छी भूमि, एक अच्छे हृदय में बोया गया है, जिससे परमेश्वर प्रसन्न होते हैं।
यदि बीज पहले से बोया गया है लेकिन हम तीस, साठ या सौ गुना फल पैदा नहीं कर रहे हैं, तो हमें सबसे पहले अपने हृदयों की बंजर भूमि को जोतना चाहिए। क्योंकि वह बीज जो एक अच्छे हृदय में बोया गया है, अच्छा फल पैदा करता है।

होशे के दसवें अध्याय में और यिर्मयाह के चौथे अध्याय में परमेश्वर हमें अपनी पड़ती भूमि को जोतने और कांटों के बीच न बोने के लिए कहते हैं। तब कांटों का अर्थ क्या है? यीशु ने बताया कि वे मनुष्य के हृदय में बसी संसार की चिन्ता, धन का धोखा, और वस्तुओं का लोभ हैं। यदि हम अपने हृदयों में कांटों को रखकर प्रचार करें, तो हम फल पैदा नहीं कर सकते। हमें अपने हृदय की भूमि को उपजाऊ बनाना चाहिए और परमेश्वर को अपने कार्यों से प्रभावित करना चाहिए, ताकि हम ज्यादा फल पैदा कर सकें।

एक उपजाऊ हृदय की भूमि परमेश्वर को प्रभावित करती है और फल पैदा करती है



यीशु के प्रथम आगमन के समय, बहुत से लोगों ने उन्हें सिर्फ एक साधारण बढ़ई समझा था। हालांकि, एक स्त्री जिसे लहू बहने का रोग था, उसके पास यीशु के लिए एक अलग ही दृष्टिकोण था। उसने ऐसा दृढ़ विश्वास करते हुए भीड़ में चुपके से यीशु के वस्त्र के आंचल को छू लिया, कि यदि सिर्फ वह उनके वस्त्र का आंचल छू लेगी तो वह चंगी हो जाएगी। यीशु उसके विश्वास से प्रभावित हुए और कहा, “तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।”

मत 9:20–22 और देखो, एक स्त्री ने जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था, पीछे से आकर उसके वस्त्र के आंचल को छू लिया। क्योंकि वह अपने मन में कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूंगी तो चंगी हो जाऊंगी।” यीशु ने फिरकर उसे देखा और कहा, “पुत्री ढाढ़स बांध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।” अत: वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई।

और दो अंधे, जिन्होंने यीशु से उत्साहपूर्वक विनती की थी, चंगे हो गए क्योंकि उनके पास एक अच्छा हृदय था, और उन्होंने विश्वास से भरपूर शब्द बोले थे।

मत 9:27–30 जब यीशु वहां से आगे बढ़ा, तो दो अंधे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, “हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर!” जब वह घर में पहुंचा, तो वे अंधे उसके पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूं?” उन्होंने उससे कहा, “हां, प्रभु!” तब उसने उनकी आंखें छूकर कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।” और उनकी आंखें खुल गईं।

इस तरह, उस रक्तस्त्रावी स्त्री और दो अंधों के पास यीशु पर विश्वास से भरपूर अच्छा हृदय था; उनके हृदय में एक भी संदेह नहीं था। उन्होंने अपने विश्वास के अनुसार अपने हृदय की अच्छी जुताई की थी, और यीशु ने उन पर दया करके गुहार को सुना। यीशु के कपड़ों को या उनके हाथ को कोई भी छू सकता है। लेकिन महत्व की बात यह है कि हृदय में क्या है।

चार प्रकार की हृदय की भूमि होती है जहां बीज बोया जाता है: रास्ते जैसी, पथरीली, कंटीली, और अच्छी भूमि। हमें अपने हृदय को ऐसी कंटीली भूमि या एक कठोर भूमि नहीं बनने देना चाहिए जहां पवित्र आत्मा वास नहीं करता।

आइए हम उपजाऊ भूमि बनें। एक अच्छी भूमि तैयार करने के लिए हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। आइए हम अपने हृदयों से ईर्ष्या और जलन को निकालकर, अपने पुराने मनुष्यत्व को निकाल दें, और एक प्रेमी और विचारशील हृदय धारण करें। जब हमारे हृदय इस तरह से उपजाऊ भूमि बनेंगे, तो सुसमाचार की ज्योति शीघ्रता से फैल जाएगी। आइए हम उस स्त्री के समान जिसने विश्वास किया था कि सिर्फ यीशु के वस्त्र के आंचल को छूने से वह चंगी हो जाएगी, विश्वास से भरपूर एक अच्छा और सच्चा हृदय धारण करें।

हमारे हृदय की पड़ती भूमि के साथ जो प्रेम से और पवित्र आत्मा से भरपूर नहीं है, हम कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। अब, आइए हम अपने कठोर हृदयों को परमेश्वर के वचन के हल से जोतें और उसे प्रेम और पवित्र आत्मा से भरपूर उपजाऊ भूमि बनाएं।

सिय्योन में भाइयो और बहनो! आइए हम इस युग के उद्धारकर्ता आत्मा और दुल्हिन पर विश्वास रखें और बहुत से फल पैदा करें और बहुतायत से आशीर्वाद पाएं।