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पवित्र आत्मा का कार्य प्रचार के द्वारा पूरा किया जाता है
मैं यह विश्वास करता हूं कि सिय्योन के हमारे सभी भाई और बहनें उस पिछली वर्षा के पवित्र आत्मा की आशीष मांग रहे हैं, जिसे परमेश्वर ने अपने लोगों को देने का वचन दिया है। जैसे किसान पृथ्वी की बहुमूल्य फसल की आशा रखता हुआ प्रथम और अन्तिम वर्षा होने तक धीरज धरता है(याक 5:7–8), वैसे ही हम परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले बहुमूल्य फल उत्पन्न करने के लिए पवित्र आत्मा की वर्षा का इंतजार कर रहे हैं।
हमें अपने अन्दर जीवन के जल को नहीं जमा होने देना चाहिए, लेकिन हमेशा बहने देना चाहिए, ताकि हमारे अन्दर पवित्र आत्मा न बुझे, जिसे परमेश्वर ने उंडेल दिया है, और हमेशा हमारे हृदय से फूट निकले। इसके लिए, हमें पवित्र आत्मा की प्रेरणा से दिए गए बाइबल के वचनों पर ध्यान देना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। उन वचनों में से जिनका हमें पालन करना है, इस समय आइए हम प्रचार के मिशन के बारे में सोचें, जिसे परमेश्वर ने इस युग में हमें सौंपा है।
जब हम परमेश्वर के वचन को अमल में लाते हैं, तब एक ‘गुप्त धन’ प्राप्त होता है
पुराने समय में एक किसान था जिसके तीन बेटे थे। उसने अपनी मृत्यु से पहले एक वसीयत छोड़ी थी। इसमें कहा गया था, “मैंने खेत में धन छिपाया है। इसलिए जब तक तुम उसे ढूंढ़ न लो, तब तक मेहनत से भूमि की खुदाई करो।” अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद, धन की अभिलाषा करते हुए वे तीनों भाई कुदाल लेकर खेत की ओर दौड़े। उन्होंने अपेक्षा की कि खेत में सोना और चांदी जैसे बहुमूल्य पत्थर या धातु होंगे। लेकिन भले ही उन्होंने पूरे खेत की खुदाई की और खेत के कोने–कोने में ढूंढ़ा, पर उन्हें कोई धन नहीं मिला।
दूसरे और सबसे छोटे बेटे ने धन की तलाश करना छोड़ दिया। हालांकि, बड़े बेटे ने विश्वास किया कि जैसे पिता ने कहा, खेत में कहीं न कहीं अवश्य धन होगा, और खेत के कोने–कोने में खुदाई की। इस बीच कटनी का समय आया। खेत ने पिछले साल की तुलना में दो गुना ज्यादा फसलों का उत्पादन किया। क्योंकि धन को खोजने के लिए खुदाई करने के दौरान, खेत को अच्छी तरह जोता गया था और इससे भरपूर फसल हुई।
इस प्रक्रिया में बड़े बेटे ने गहराई से सोचा कि पिता ने जिस धन के बारे में कहा था, वह वास्तव में क्या था। वास्तव में उसका पिता इतना अमीर नहीं था कि सोने या चांदी को खरीद सके, फिर भी उसके पिता ने वसीयत में कहा कि उसने खेत में कुछ धन दफनाया है। तब सबसे बड़े बेटे ने स्पष्ट रूप से अपने पिता की इच्छा को पहचाना, जिसने अपने बेटों को यह महसूस कराना चाहा था कि अगर वे यत्न से जमीन को जोतेंगे, तो वे प्रचुर मात्रा में फसल काट सकेंगे।
‘यही वह धन है जिसे पिता कह रहे थे।’
सबसे बड़े भाई ने अपने छोटे भाइयों के साथ अपना अहसास बांटा। उस समय से उन्होंने यत्न से खेत जोतने के लिए कड़ी मेहनत की, और वे एक साथ सुखी और संपन्न जीवन जी सके।
कभी–कभी परमेश्वर की संतान, जो स्वर्गीय पिता और माता ने उनसे कहे हैं उन वचनों की गहराई को पूर्ण रूप से समझने में नाकाम होती हैं। जब पिता और माता कहते हैं, “प्रचार करो,” तो कुछ लोग एक या दो बार प्रचार करने की कोशिश करते हैं, लेकिन थकावट महसूस करने के कारण वे आसानी से हार मानते हैं। उनके विपरीत कुछ लोग सोचते हैं कि इसमें परमेश्वर की एक निश्चित इच्छा होगी, और प्रेरित पौलुस की तरह पूरे यत्न से सुसमाचार के पथ पर चलते हैं और बिना किसी अफसोस के जीवन जीते हैं।
उपर्युक्त कहानी में बेटों ने महंगे धन की अपेक्षा करते हुए खेत की खुदाई की, लेकिन जो उन्होंने पाया, वह सोना या चांदी नहीं था, पर मानसिक विरासत थी जो उनके परिवार के लिए पीढ़ी–दर–पीढ़ी धन के रूप में काम करेगी। इसी तरह, वचन जो परमेश्वर ने हमसे कहे हैं, उनमें बहुत आशीषें शामिल हैं। “लगन से प्रचार करो; निरन्तर प्रार्थना करो; यत्न से वचन का अध्ययन करो; विश्वास रखो; एक दूसरे से प्रेम करो; एकजुट रहो।” इन सभी आज्ञाओं में अवश्य हमारे लाभ के लिए परमेश्वर की इच्छा शामिल है।
जब बेटों ने पिता के वचन के अनुसार यत्न से भूमि की खुदाई की, वे महसूस कर सके कि वास्तव में धन का क्या अर्थ है। इसी तरह से, शुरुआत में जब हम परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं, हम परमेश्वर की इच्छा को समझने में नाकाम हो सकते हैं, लेकिन जब हम निरन्तर परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं, तब हम परमेश्वर की इच्छा को समझ सकते हैं, जो उनके वचन में शामिल है। जब परमेश्वर कहते हैं, “प्रार्थना करो,” जो इस वचन का पालन करते हैं और निरन्तर प्रार्थना करते हैं, वे समझ सकते हैं कि क्यों परमेश्वर उनसे प्रार्थना करने के लिए कहते हैं। जब परमेश्वर कहते हैं, “लगन से प्रचार करो,” जो लगन से प्रचार करते हैं, वे समझ सकते हैं कि प्रचार करने की आज्ञा देने के पीछे परमेश्वर की इच्छा क्या है। जब परमेश्वर कहते हैं, “यत्न से वचन का अध्ययन करो,” जो बाइबल का यत्न से अध्ययन करते हैं, वे उसमें शामिल परमेश्वर के अनुग्रह को समझ सकते हैं।
परमेश्वर के वचन को अपने भीतर रोकने में असमर्थ बना देना पवित्र आत्मा का कार्य है
जो वचन परमेश्वर हमेशा हमें सुनाते हैं, हमें उसे न भूलते हुए अमल में लाना चाहिए। इस पृथ्वी पर हमारा सबसे महत्वपूर्ण कार्य सुसमाचार, यानी परमेश्वर के वचन का प्रचार करना है, जिसमें मानवजाति को बचाने की सामर्थ्य है।
मत 28:18–20 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।”
यह मसीह का अंतिम वचन है, जो उन्होंने स्वर्ग में उठा लिए जाने से पहले इस पृथ्वी पर अपने चेलों से कहा था। दूसरे शब्दों में, यीशु का यह आखिरी वचन उस वसीयत के समान है, जो माता–पिता ने अपने बच्चों के लिए छोड़ी। उपर्युक्त कहानी में, जब पिता ने अपने बेटों से आखिरी वसीयत में कहा कि अगर वे यत्न से खेत की खुदाई करेंगे तो वे धन पा सकेंगे, जो बेटा लगातार उसे करता रहा, वह पूरी तरह से महसूस कर सका कि धन का असली अर्थ क्या है, जिसे पिता ने कहा। इसी तरह, जब परमेश्वर हम से कुछ करने के लिए कहते हैं, जो सोचते हैं कि इसमें अवश्य परमेश्वर की गुप्त इच्छा है, और उसका पालन करते हैं, वे ही आशीष पा सकते हैं।
“तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” आप मसीह की इस आज्ञा का ईमानदारी से पालन कर रहे हैं या नहीं, आपको यह जांचना और परखना चाहिए। परमेश्वर ने हम से सामरिया और पृथ्वी की छोर तक सुसमाचार का प्रचार करने के लिए कहा है। जो पवित्र आत्मा से भरपूर हैं, वे पवित्र आत्मा की इच्छाओं के अनुसार चलते हैं, इसलिए वे किसी भी परिस्थिति में निरन्तर वचन का प्रचार करते हैं।
यिर्म 20:7–13 हे यहोवा, तू ने मुझे धोखा दिया, और मैं ने धोखा खाया; तू मुझ से बलवन्त है, इस कारण तू मुझ पर प्रबल हो गया। दिन भर मेरी हंसी उड़ाई जाती है; सब कोई मुझ से ठट्ठा करते हैं। क्योंकि जब मैं बातें करता हूं, तब मैं जोर से पुकार पुकारकर ललकारता हूं, “उपद्रव और उत्पात हुआ, हां उत्पात!” क्योंकि यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिये निन्दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है। यदि मैं कहूं, “मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा,” तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता। मैं ने बहुतों के मुंह से अपनी निन्दा सुनी है। चारों ओर भय ही भय है! मेरी जान पहचान के सब जो मेरे ठोकर खाने की बाट जोहते हैं, वे कहते हैं, “उसके दोष बताओ, तब हम उनकी चर्चा फैला देंगे। कदाचित् वह धोखा खाए, तो हम उस पर प्रबल होकर, उससे बदला लेंगे।” परन्तु यहोवा मेरे साथ है, वह भयंकर वीर के समान है; इस कारण मेरे सतानेवाले प्रबल न होंगे, वे ठोकर खाकर गिरेंगे...
यिर्मयाह नबी ने, जो पवित्र आत्मा से प्रेरित हुआ था, परमेश्वर के वचन का पूरे यत्न से प्रचार किया। लोगों ने उसका मजाक उड़ाया और निन्दा की, और उसके दोस्त भी केवल इस प्रतीक्षा में थे कि वह कोई गलती करे और लौकिक जीवन जीए। हर बार जब उसने प्रचार किया, वह बेहद सताया गया। इसी कारण उसने परमेश्वर के संदेश की चर्चा न करने का निर्णय लिया, लेकिन परमेश्वर का संदेश उसके भीतर भड़कती ज्वाला सी हो गई। वह अपने भीतर परमेश्वर के संदेश को रोकने के प्रयत्न में थक गया और अंतत: वह इसे अपने भीतर रोकने में समर्थ नहीं हो पाया। तब वह परमेश्वर के संदेश का फिर से प्रचार करने के लिए बाहर गया।
यही एक नबी का जीवन है। परमेश्वर ने सब नबियों को, यानी बचाई जाने वाली अपनी सभी संतानों को ऐसा जलता हुआ हृदय दिया है जिससे बिना वचन का प्रचार किए रहा नहीं जाता।
यिर्मयाह इस कारण से परमेश्वर के वचन को अपने भीतर रोकने में असमर्थ होता था क्योंकि उसके अंदर पवित्र आत्मा हमेशा आहें भरता था। परमेश्वर को सबसे ज्यादा प्रसन्न करने वाली चीज यह है, मरती हुई आत्माओं की प्रायश्चित्त और उद्धार की ओर अगुवाई करना। इसलिए यदि यह उद्धार का कार्य अच्छे से नहीं होता, तो परमेश्वर कितने चिंतित और दुखी होंगे!
अगर हमारे पास यिर्मयाह के जैसा जलता हृदय नहीं है, तो यह सबूत है कि पवित्र आत्मा ने हमें छोड़ दिया है। अगर वर्ष के अंत में भी हमने कोई फल पैदा नहीं किया, या अगर हमारे पास फल पैदा करने की कोई इच्छा न हो, या अगर हम फल न होने पर भी जरा भी चिंतित महसूस न करें, तो हमें जांचना चाहिए कि आत्मिक रूप से हमारे साथ क्या गलत है।
अगर हमारे हृदय पवित्र आत्मा से भरपूर हैं, तो पवित्र आत्मा की शक्ति प्रचार के द्वारा साफ दिखाई देती है। सभी युगों में, पवित्र आत्मा की शक्ति प्रचार के द्वारा खिल गई और फल लाई।
पहली वर्षा का पवित्र आत्मा और प्रचार का कार्य
आइए हम बाइबल में एक दृश्य देखें जहां प्रेरितों ने पहली वर्षा का पवित्र आत्मा पाया, और यह देखें कि जिन लोगों ने पवित्र आत्मा पाया, उन्होंने अपने आपको किस कार्य के लिए समर्पित किया।
प्रे 2:1–21, 38–47 जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया। और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे। आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रह रहे थे। जब यह शब्द हुआ तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्योंकि हर एक को यही सुनाई देता था कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं। वे सब चकित और अचम्भित होकर... पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, “हे यहूदियो और हे यरूशलेम के सब रहनेवालो, यह जान लो, और कान लगाकर मेरी बातें सुनो।”... “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे। क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर–दूर के लोगों के लिये भी है जिनको प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।” उस ने बहुत और बातों से भी गवाही दे देकर समझाया कि अपने आप को इस टेढ़ी जाति से बचाओ। अत: जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उनमें मिल गए... और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था।
वह प्रचार का कार्य है जो लोग पवित्र आत्मा पाने के बाद सबसे पहले करते हैं। ऊपर के वचनों में हम यह दृश्य देख सकते हैं कि पिन्तेकुस्त के दिन जब पतरस और प्रेरितों ने पवित्र आत्मा पाया, उसी दिन वे तुरंत सुसमाचार का प्रचार करने लगे।
जिन लोगों पर पवित्र आत्मा उतरा है, वे हमेशा प्रचार पर ध्यान देते हैं। यह इसलिए है कि पवित्र आत्मा सारी मनुष्य जाति का उद्धार चाहता है और पवित्र आत्मा की शक्ति प्रचार के द्वारा जाहिर होती है। चाहे एक आदमी कितना ही मजबूत क्यों न हो, जब तक वह व्यायाम के द्वारा अपनी शारीरिक ताकत नहीं बढ़ाता, वह और बड़ी ताकत नहीं ला सकता। आत्मिक रूप में भी ऐसा ही है। जब तक हम प्रचार नहीं करते, हम उस आदमी से अलग नहीं हैं, जो जन्म से ही शारीरिक रूप से ताकतवर था लेकिन अपनी शारीरिक कौशल को विकसित नहीं करता या अपनी ताकत का प्रयोग नहीं करता।
हमें परमेश्वर का वचन सिर्फ सुनना नहीं चाहिए पर उसका प्रचार भी करना चाहिए; जब परमेश्वर हम से एक चीज कहते हैं, हमें उस एक चीज का प्रचार करना चाहिए, और जब हम परमेश्वर से दो चीजें सुनते हैं, हमें उन दो चीजों का प्रचार करना चाहिए। जिनके हृदय पवित्र आत्मा से भरे हुए हैं, वे बिना प्रचार किए चुप नहीं रह सकते।
इस प्रकार, पवित्र आत्मा की शक्ति हमें प्रचार करने के लिए प्रेरित करती है, और अगर हम पवित्र आत्मा की शक्ति के साथ सुसमाचार का प्रचार करेंगे, हम अवश्य फल उत्पन्न करेंगे। भले ही हम तुरंत कोई फल उत्पन्न नहीं कर सकते, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए और प्रचार जारी रखना चाहिए। तब हम परमेश्वर की सच्ची इच्छा को जान सकेंगे।
प्रे 4:1–4 जब वे लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। क्योंकि वे बहुत क्रोधित हुए कि वे लोगों को सिखाते थे और यीशु का उदाहरण दे देकर मरे हुओं के जी उठने का प्रचार करते थे। उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि सन्धया हो गई थी। परन्तु वचन के सुननेवालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उनकी गिनती पांच हजार पुरुषों के लगभग हो गई।
प्रेरित सुसमाचार का प्रचार करने के लिए बहुत उत्सुक थे। यहूदियों के विरोध के कारण, कभी–कभी उन पर झूठे आरोप लगाए जाते थे और उन्हें हवालात में रखा जाता था, पर उन्हें इसकी जरा भी परवाह नहीं थी। पवित्र आत्मा से भरकर, प्रेरितों ने एक दिन में तीन या पांच हजार फल उत्पन्न किए, और जो उद्धार पाते थे, उनको परमेश्वर प्रतिदिन उनमें मिला देते थे।
जितना ज्यादा हम पवित्र आत्मा से भरेंगे, उतना ज्यादा हम फल उत्पन्न कर सकते हैं। हम सब फल उत्पन्न कर सकते हैं, पर कभी–कभी हम अपने आपको आत्मिक शीत–निष्क्रियता की अवस्था में डालते हैं। इसी कारण परमेश्वर ने हमसे हमेशा जागते रहने का अनुरोध किया है।
कृपया लंबी आत्मिक नींद से जागिए, और आपने फल उत्पन्न किया या नहीं, इसके द्वारा जांचिए कि आपकी आत्माएं जीवित हैं या मरी हुई हैं। आपका फल इसका सबूत है कि आप आत्मिक रूप से जीवित हैं। कृपया यह मन में रखिए कि आपके अस्तित्व में अवश्य अर्थ गर्भित होता है और इससे आप यहां इस पृथ्वी पर रहते हैं, और बहुतायत से सुसमाचार के फल उत्पन्न करके परमेश्वर को महिमा दीजिए।
जो आत्मिक रूप से “जीवित हैं,” वे पवित्र आत्मा के फल उत्पन्न करते हैं
बाइबल लोगों की तुलना पेड़ से करती है।(यिर्म 5:14) ज्यादातर पेड़ वर्ष में एक बार अवश्य फल फलते हैं। परमेश्वर ने सिर्फ पेड़ों को ही नहीं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों को फल फलने की शक्ति दी है।
परमेश्वर मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवतों का परमेश्वर है।(मत 22:32) जिन पेड़ों ने पिछले वर्ष फल उत्पन्न किए थे, वे इस वर्ष भी फल उत्पन्न करेंगे, क्योंकि वे जीवित हैं और परमेश्वर द्वारा निर्धारित प्रकृति के सिद्धांत का पालन करते हैं। हम भी अवश्य ही फल उत्पन्न कर सकते हैं अगर हम परमेश्वर के सिद्धांत के अनुसार उनके वचन का पालन करते हुए पवित्र आत्मा से भरपूर रहें। सभी जीवित प्राणी अपने मौसम में नियमित रूप से फल उत्पन्न करते हैं। फिर भी अगर आपके पास कोई फल नहीं है, तो आपको यह जांचने की जरूरत है कि आप पूरी तरह से परमेश्वर की इच्छा का पालन कर रहे हैं या नहीं।
आइए हम खुद का अवलोकन करें और पता लगाएं कि हमने अब तक कितने सुंदर फल उत्पन्न किए हैं? हमें अपने पूरे हृदय और मन को फल फलने में लगाना चाहिए, ताकि हम परमेश्वर के सामने खड़े होते समय शर्मिंदा न हों। परमेश्वर ने हमारे लिए बहुत से फल तैयार किए हैं। परमेश्वर एक तुच्छ पेड़ को भी फल फलने की अनुमति देते हैं, तो क्या वह अपनी प्यारी संतान को फल नहीं देंगे?
जो लोग पवित्र आत्मा से भरे हैं, वे अपनी शारीरिक हालत या परिस्थिति की परवाह नहीं करते। जवान दाऊद ने ऐसे विशाल गोलियत को, जिससे वयस्क भी लड़ने की हिम्मत नहीं करते थे, हराकर परमेश्वर की महिमा को प्रदर्शित किया। नूह ने अपने बुढ़ापे में भी परमेश्वर की इच्छा पर आज्ञाकारी बनकर, जहाज बनाने के द्वारा परमेश्वर के उद्धार के कार्य में भाग लिया। इसके अलावा, बाइबल ऐसी आश्चर्यजनक घटना बताती है कि कुछ लोग धधकती हुई भट्ठी में या सिंहों की मांद में डाले जाने पर भी पवित्र आत्मा से प्रेरित हुए विश्वास के द्वारा आसपास के लोगों को प्रायश्चित्त की तरफ ले गए।(प्रेरितों का 16वां अध्याय; दानिय्येल का 3रा और 6वां अध्याय)
जो पवित्र आत्मा से भरे होते हैं, वे थकान महसूस नहीं करते। मान लीजिए कि आप अपना कोई मनपसंद काम कर रहे हैं। भले ही आप वह काम पूरा दिन करें, तो भी आप थकान महसूस नहीं करेंगे। इसी तरह से जो परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला काम खुशी से करते हैं और हमेशा परमेश्वर की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करेंगे और थकित न होंगे, क्योंकि परमेश्वर उन पर पवित्र आत्मा उंडेलते हैं।(यश 40:31)
उपर्युक्त कहानी में जब पिता ने अपने बेटों से आखिरी वसीयत में कहा, “मैंने खेत में धन छिपाया है, तो खेत की खुदाई करो,” तो बेटों को तुरंत वह धन नहीं मिला,लेकिन जब उन्होंने अपने पिता की बात पर विश्वास किया और खेत की खुदाई करना जारी रखा, तो अंत में उन्हें सच्चा धन मिला। इसी तरह जब परमेश्वर हमसे पूरी लगन से प्रचार करने के लिए कहते हैं, भले ही हम शुरू में परमेश्वर की इच्छा को नहीं समझ सकते, लेकिन अगर हम यत्न से प्रार्थना और वचन का अध्ययन करते हुए पूरी ईमानदारी और लगन से परमेश्वर के वचन का प्रचार करें, तो अंत में परमेश्वर हम पर पवित्र आत्मा की शक्ति उंडेलेंगे और हम फल उत्पन्न कर सकेंगे। उस व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं है जो परमेश्वर की इच्छा पर विश्वास करता है और उसका पालन करता है। मैं मन से आशा करता हूं कि आप यह विश्वास करते हुए कि परमेश्वर अवश्य आपको फल देंगे, मेहनत से प्रचार करके हर महीने और हर दिन बहुत फल उत्पन्न करें, ताकि आप “जीवित” रहें और परमेश्वर की महिमा करें।
परमेश्वर हमसे प्रचार करने के लिए कहते हैं ताकि वह पवित्र आत्मा की शक्ति को लगातार हमारे अंदर भर दें। मैं आपसे यह विश्वास करने के लिए कहना चाहता हूं कि पवित्र आत्मा की शक्ति और कार्य उन लोगों पर प्रकट होता है जो प्रचार करते हैं, और उस जगह में भी प्रकट होता है जहां सुसमाचार पहुंचा है। मैं आप सब से पूरे दिल के साथ विनती करता हूं कि आप अपना पूरा मन विश्व सुसमाचार के प्रचार का कार्य जल्दी पूरा करने में लगाएं।