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परमेश्वर का प्रबन्ध
दिन प्रतिदिन हमारे स्वर्ग जाने का दिन निकट आता जाता है। जब मैं सिय्योन में भाइयों और बहनों को एक मन से उत्सुकता से प्रचार करते हुए देखता हूं, तो मुझे लगता है कि हम परमेश्वर के प्रेम में एक नई सृष्टि के रूप में फिर उत्पन्न हो रहे हैं। इन अंतिम दिनों में हमें नबी का कार्य सौंपा गया है। इसलिए हमें, युगों और सदियों से गुप्त रहस्य का पूरा ज्ञान लेकर, इस अंधेरे संसार में मसीह और परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए।
परमेश्वर का उद्धार का प्रबन्ध
हम सब विश्वास करते हैं कि स्वर्ग का अस्तित्व है। तब, स्वर्ग का अस्तित्व क्यों है? वह किसके लिए है? यदि हम इसके बारे में थोड़ी गहराई से सोचें, तो हम समझ सकेंगे कि परमेश्वर ने स्वर्ग उद्धार पाने वालों के लिए बनाया है। तब, उन्हें बचाने के लिए एक प्रबन्ध होना चाहिए। किसी प्रबन्ध के बिना, या योजना किए और उसके अनुसार कार्य किए बिना, सुन्दर परिणाम नहीं लाया जा सकता।
इस संसार में बहुत से प्रबन्धक है; कारोबारी अपनी कम्पनी का प्रबन्ध करते हैं, विद्वान शैक्षिक क्षेत्र का, और राष्ट्रपति अपने देश का प्रबन्ध करते हैं। वे सब पृथ्वी की वस्तुओं का प्रबन्ध करते हैं, और उनके लिए सफल होने से असफल होने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रबन्ध, जो आदि और अन्त जानते हैं, कभी भी असफल नहीं होता, लेकिन निश्चित रूप से सफल होता है। इसलिए हमें अपने पूरे हृदय और पूरी आत्मा से स्वर्ग के राज्य की ओर आगे बढ़ने के लिए बल लगाना चाहिए।
कुछ लोगों ने अपना पूरा जीवन इस संसार में अनिश्चित और संदिग्ध प्रबन्ध करने के लिए बिताया है। उससे जो उन्होंने पाया है, यदि उसकी तुलना सृजनहार परमेश्वर के प्रबन्ध में सहभागी होने वालों को दी जाने वाली आशीष से करे, तो वह कुछ भी नहीं ठहरता।
परमेश्वर ने स्वर्ग के राज्य की स्थापना की, और वह वहां रहने वालों की आत्माओं को उद्धार देने के कार्य का प्रबन्ध करते आए हैं। जिन्होंने अभी तक सुसमाचार नहीं सुना उन्हें प्रचार करने के द्वारा हम उनके प्रबन्ध में शामिल होते हैं। हम पूर्ण रूप से विश्वास करते हैं कि परमेश्वर का प्रबन्ध कभी भी असफल नहीं होता। इसलिए हम मुश्किल परिस्थितियों में भी उत्सुकता से सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं और अपना विश्वास चट्टान पर खड़ा कर सकते हैं।
आइए हम देखें कि परमेश्वर हमें अपने उद्धार के प्रबन्ध में, यानी अपनी सन्तानों को इकट्ठा करने के कार्य में क्या करने के लिए कहते हैं।
यहेज 3:17–19 हे मनुष्य के सन्तान, मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिए पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुंह की बात सुनकर, उन्हें मेरी ओर से चिताना... और न दुष्ट से ऐसी बात कहे जिस से कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फंसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा। पर यदि तू दुष्ट को चिताए, और वह अपनी दुष्टता और दुष्ट मार्ग से न फिरे, तो वह तो अपने अधर्म में फंसा हुआ मर जाएगा; परन्तु तू अपने प्राणों को बचाएगा।
परमेश्वर कहते हैं कि उन्होंने हमें पहरुआ नियुक्त किया है। यदि हम लोगों को परमेश्वर की ओर से चेतावनी दें फिर भी वे मन न फिराएं, तो परमेश्वर हमें उनके मृत्यु के लिए जिम्मेदार नहीं गिनेंगे। हालांकि, यदि वे नाश के मार्ग में जाएं क्योंकि हमने उन्हें नहीं चिताया, तो परमेश्वर हमें उनके लहू के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे।
यदि हम परमेश्वर के प्रबन्ध में संपूर्ण विश्वास रखते हैं, तो हमारे लिए डरने की कोई बात नहीं है। जीवन एक व्यर्थ स्वप्न के समान है। यह संसार क्षणिक है, और जो अनन्त है वह आत्मिक दुनिया है। स्वर्ग का राज्य जहां हम सदा के लिए जीएंगेवही वास्तविकता है।
स्वप्न तो अवास्तविक है। यदि हम स्वप्न में बहुत ज्यादा खाना खाएं या फिर बहुत ज्यादा पानी पीएं, तो क्या हम अपना पेट भर सकते हैं या क्या अपनी प्यास को बुझा सकते हैं? नहीं। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भ्रम जाल में हैं कि यह दुनिया वास्तविक है। जो वास्तविक है वह आत्मिक दुनिया है। आइए हम ऐसे मूर्ख लोग न बनें जो इस अवास्तविक और भ्रम जाल के समान दुनिया से भयभीत होते हैं।
हम सब परमेश्वर के राजदूत हैं। हमें यह समझना चाहिए कि सुसमाचार का कार्य परमेश्वर का कार्य है; वह निश्चित रूप से पूरा होगा और उनका प्रबन्ध कदापि असफल नहीं होगा।
जो असफलता से डरते हैं वे असफल होंगे। उनके साथ क्या होता है जो अपनी परिस्थितियों का बहादुरी से सामना करते हैं? वे कभी भी असफल नहीं होते। चाहे हम वाक्पटु और प्रतिभाशाली नहीं हैं, फिर भी यदि हम परमेश्वर पर विश्वास के साथ कुछ करते हैं, तो परमेश्वर हमें सुन्दर परिणाम देते हैं।
हम क्यों स्वर्ग से निकाल दिए गए हैं और क्यों इस पृथ्वी पर आ गए हैं? क्योंकि हमने भोर के तारे के द्वारा भ्रमित होकर परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया था। सबसे मूलभूत कारण तो यह था कि हमारे पास परमेश्वर पर संपूर्ण विश्वास नहीं था। परमेश्वर चाहते हैं कि हमारे पास उन पर संपूर्ण विश्वास हो, ताकि वह एक पाप रहित स्वर्ग के राज्य की स्थापना कर सकें।
परमेश्वर के प्रबन्ध में विश्वास रखो और उनका पालन करो
हमारे पास जहां कहीं भी मेमना जाता है वहां उनका पालन करने के लिए पर्याप्त विश्वास होना चाहिए। ऐसा संपूर्ण विश्वास पृथ्वी से छुड़ाए जाने वाले 1,44,000 लोगों के लक्षणों में से एक है। चूंकि हम हमेशा परमेश्वर पर संपूर्ण विश्वास और भरोसे के साथ सुसमाचार का कार्य करते हैं, इसलिए हमेशा सुन्दर परिणाम आएगा और सब कुछ अच्छा होगा।
मत 28:18–20 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।”
यीशु के पास स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार है, और जब भी वह चाहें, उन अधिकारों को किसी को भी दे सकते हैं। वह अब हम से कहते हैं, “सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाकर लोगों को मेरी ओर से चेतावनी दो।” परमेश्वर, जो सभी अधिकारों का स्रोत हैं, अपना उद्देश्य क्यों हमारे द्वारा पूरा करना चाहते हैं, जब कि वह स्वयं सब कुछ कर सकते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि वह हमें अपने विश्वास को संपूर्ण बनाने का मौका देना चाहते हैं।
चूंकि परमेश्वर ने हमें जाने के लिए और सभी जातियों को चेला बनाने के लिए और जो जो आज्ञाएं उन्होंने हमें दी हैं उन्हें सिखाने के लिए कहा है, तो हमें उनके वचनों का पालन करना चाहिए। आइए हम उन सतावों से और क्लेशों से न डरें जो हम इस भ्रम जाल के समान दुनिया में पाते हैं। यदि हम विश्वास करें कि अनन्त स्वर्ग का राज्य ही हमारी वास्तविक दुनिया है, तो क्या हमारे लिए डरने की कोई बात होगी?
प्रेरित पौलुस ने कहा था कि वह इस शरीर को छोड़कर मसीह के साथ रहना चाहता है लेकिन यह उन लोगों के लिए आवश्यक है जो अभी तक आत्मिक रूप से जाग नहीं गए हैं, उनके लिए वह पृथ्वी पर रहे। वह शीघ्रता से घर वापस जाना चाहता था, क्योंकि वह अच्छे से जानता था कि यह पृथ्वी एक भ्रम जाल के समान है और वास्तविक दुनिया तो अनन्त स्वर्ग है जहां वह परमेश्वर के साथ रहेगा। हालांकि, वह इस पृथ्वी पर रहना चाहता था और सभी दु:खों को सहन करना चाहता था ताकि वह एक पहरुए के समान सो रहे संसार को जगा सके और चरवाहे के बिना भेड़ों के समान यहां वहां भटकती परमेश्वर की सन्तानों की देखभाल कर सके।
सुसमाचार का कार्य जिसे हम कर रहे हैं वह आसानी से पूरा नहीं होता। संसार को जगाते समय, हम हंसी में उड़ाए जा सकते हैं और सताए जा सकते हैं; और कभी कभी हम ऐसे कठोर कष्ट, विरोध और निन्दा का भी सामना कर सकते हैं जो सीधे हमारे विश्वास को नष्ट कर दें। हालांकि, हमें यह कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि हम यह सुसमाचार का प्रचार परमेश्वर की ओर से कर रहे हैं। हमें परमेश्वर के समान मन रखते हुए, प्रेम, उद्धार और शान्ति के सुसमाचार का प्रचार पूरे संसार के लोगों को करना चाहिए।
परमेश्वर इस पृथ्वी पर खोए हुओं को ढूंढ़ने आए थे। उन्होंने संसार पर दया की और लोगों को उद्धार देने की योजना बनाई। चूंकि बाइबल हमें मसीह के समान मन धारण करने के लिए कहती है, हमें भी संसार पर दया करनी चाहिए। सत्य हमारे मन को शुद्ध और परिष्कृत करता है, ताकि हम संसार पर दया कर सकें। जब हमारा आत्मिक दरजा संसार से ऊंचा हो, तो हम संसार पर दया कर सकते हैं और मसीह के राजदूत के समान सुसमाचार का कार्य सुन्दरता से कर सकते हैं। परमेश्वर हमेशा हमारी सहायता करते हैं जो उनके लिए कार्य करते हैं।
यश 41:9–13 तू जिसे मैंने पृथ्वी के दूर दूर देशों से लिया और पृथ्वी की छोर से बुलाकर यह कहा, “तू मेरा दास है, मैं ने तुझे चुना है और तजा नहीं;” मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मर ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूंगा...
ऊपर के वचन का अर्थ ऐसा बिल्कुल नहीं है कि यदि हम कुछ भी न करें तो परमेश्वर हमारी सहायता करेंगे। इसका अर्थ है कि परमेश्वर सिर्फ तभी हमारी सहायता करेंगे और अपना उद्देश्य पूरा करेंगे जब हम उनकी ओर से संसार के लोगों को जगाने के लिए उन्हें भ्रम जाल से जागना और सत्य में आना सिखाते हुए सुसमाचार का कार्य करते हैं और उन्हें परमेश्वर की इच्छा सिखाते हैं। जो हमारा विरोध करते हैं उनका अन्त पहले से बाइबल में लिखा गया है। तब, हम किस बात से डरते हैं? क्या हम घास के समान लोगों से डरते हैं? हम परमेश्वर के इस वचन पर विश्वास रखते हैं, “जो तुझ से क्रोधित हैं, वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से झगड़ते हैं उनके मुंह काले होंगे और वे नाश होकर मिट जाएंगे।”
चाहे हमारे पास ज्ञान की कमी है, परमेश्वर हमारी सहायता करेंगे; परमेश्वर का आत्मा हमें बुद्धि और समझ देगा, हमारे गलत ज्ञान को सही करेगा और हमारी सही बात बोलने के लिए अगुआई करेगा। तो क्या ऐसा कुछ है जिससे डरना चाहिए?
उद्धार पाना आसान नहीं है। उसके लिए हमें सच में एक दृढ़ निश्चय चाहिए।हालांकि, परमेश्वर उसे पाने तक हमेशा हमारी सहायता करते हैं।
जब कोई ऐसी बात जो हम अपनी क्षमता से नहीं सुलझा सकते, सुलझ जाए, तो हम परमेश्वर के हाथ का स्पर्श महसूस कर सकते हैं। सुसमाचार का कार्य कोई ऐसी बात नहीं जो हम अपनी खुद की क्षमता से कर सकते हैं। परमेश्वर की सहायता के बिना वह असंभव है। इसलिए परमेश्वर हमारी सहायता करते हैं। आइए हम इस बात पर विश्वास करें।
हमें याद रखना चाहिए कि हम मसीह के समान सुसमाचार का सिर्फ तभी प्रचार कर सकते हैं जब संसार के सताव और निन्दा के बावजूद हम उससे डरे नहीं लेकिन उस पर दया करें। जब हम अपनी सांसारिक चिन्ताओं और डर को परमेश्वर को सौंप कर, एक दीन आत्मा को स्वर्ग का रास्ता सिखाते हैं और परमेश्वर का प्रचार करते हैं, तो परमेश्वर उस बात की पूर्ति करेंगे जिसकी हम में कमी है, हमारी गलतियों को सुधारेंगे और सुसमाचार के प्रति अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारी सहायता करेंगे।
यश 14:24 सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है, “नि:सन्देह जैसा मैं ने ठान लिया है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी।
ऐसा कहते हुए, “नि:संदेह जैसा मैं ने ठान लिया है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी,” परमेश्वर इस बात पर जोर देते हैं कि उनका प्रबन्ध अवश्य ही पूरा हो जाएगा।
परमेश्वर सुसमाचार के अन्तिम कार्य को पूरा करेंगे
आइए हम देखें कि परमेश्वर ने जिसकी योजना की है, वह सुसमाचार का कार्य कैसे पूरा होगा।
प्रक 14:1–5 फिर मैं ने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौवालीस हजार जन हैं... जहां कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं।
परमेश्वर कहते हैं कि 1,44,000, जिन्हें पृथ्वी पर से मोल लिया गया है, जहां कहीं मेमना जाता है वहां उनके पीछे जाते हैं; इस पृथ्वी पर सुसमाचार का कार्य समाप्त होने के बाद वे नए आकाश और नई पृथ्वी में प्रवेश करेंगे। “जहां कहीं मेमना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं।” इसका अर्थ है कि उनके पास मसीह में दृढ़ विश्वास है। विश्वास के बिना, कोई भी जहां कहीं मसीह जाते हैं, वहां उनके पीछे नहीं हो ले सकता।
1,44,000 परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं और मसीह के प्रति विश्वासयोग्य रहते हैं। वे सच में सराहनीय हैं। 2,000 साल पहले परमेश्वर ने पहले से बाइबल में लिख दिया था कि उनकी सभी योजनाएं पूरी हो जाएंगी। जल्द ही 1,44,000 लोग महिमामय दुनिया में, उस नए आकाश और नई पृथ्वी में जहां मृत्यु, दु:ख, पीड़ा और रोना नहीं है, पर केवल खुशी और आनन्द है, अनन्त काल तक परमेश्वर के साथ रहेंगे।
इस बात को मन में रखते हुए कि जो भी परमेश्वर ने योजना की है वह निश्चित रूप से पूरी हो जाएगी, आइए हम अपने सभी डरों से छुटकारा पाएं। परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे साथ हो।” यदि हम संसार से भय के कारण, सुसमाचार का प्रचार करने से हिचकिचाएं, तो सच में हम मुसीबत और शोक पाएंगे।
प्रचार न सुनने के कारण नरक में जाने वाली आत्माओं पर दया करके, हमें उत्सुकता से उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए और उन्हें निडरतापूर्वक सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। तब प्रत्येक आत्मा परमेश्वर के सत्य को ग्रहण करेगी, और परमेश्वर की योजना पूरी हो जाएगी।
जैसे कि परमेश्वर ने कहा है, “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा,” वह दिन निकट आ रहा है जब परमेश्वर अपना प्रबन्ध पूरा करेंगे। परमेश्वर हर रोज हमें विश्वास में मजबूत होने के लिए सोने की तरह शुद्ध कर रहे हैं, ताकि हम जहां कहीं भी मेमना जाता है वहां उनका पालन कर सकें।
जैसा कि लिखा गया है, “मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे,”(मर 13:13) मसीह के नाम के कारण हम से नफरत होगी। ऐसा नहीं है कि हमने ऐसा कुछ किया है जिसके कारण लोग हम से बैर करते हैं, लेकिन परमेश्वर कहते हैं कि संसार बिना किसी कारण के हम से बैर रखता है। इसलिए, चाहे हम संसार के लोगों के द्वारा सताए जाएं और हम से नफरत हो जाए, हमें विश्वास में दृढ़ता से स्थिर रह कर और भी निडरता से सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए।
चाहे संसार हम से बैर करे, हमारा विरोध करे, और हमें सताए, फिर भी परमेश्वर की योजना निश्चय ही पूरी हो जाएगी। जिनके पास विश्वास नहीं है, उन्हें शैतान से आया सताव और परेशानियां बहुत बड़ी लगती हैं और चर्च ऑफ गॉड बहुत कमजोर और छोटा लगता है, और वे ऐसा सोच सकते हैं कि चर्च ऑफ गॉड जल्दी ही गिर जाएगा। हालांकि, यह सिर्फ मनुष्य का विचार है जो नहीं जानता कि भविष्य में क्या होने वाला है। चर्च ऑफ गॉड, जिसे परमेश्वर ने अपनी योजना के अनुसार बनाया है, कभी भी नहीं गिर पड़ेगा।
प्रे 5:38–39 इसलिये अब मैं तुम से कहता हूं, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और इन से कुछ काम न रखो; क्योंकि यदि यह धर्म या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा। परन्तु यदि परमेश्वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो कि तुम परमेश्वर से भी लड़नेवाले ठहरो।
यदि सुसमाचार जिसका हम प्रचार करते हैं, परमेश्वर की ओर से न होता, तो वह गिर पड़ा होता। हमारा उद्देश्य और हमारा कार्य परमेश्वर की ओर से है, इसलिए वह संसार के किसी भी विरोध के कारण नहीं गिर पड़ेगा। हम स्वयं परमेश्वर के द्वारा, जिन्होंने इस पृथ्वी पर आकर हमें सत्य दिया, सुसमाचार के लिए योग्य ठहराए गए हैं। इसलिए वह कभी भी असफल नहीं होगा।
हमारा कार्य परमेश्वर के द्वारा दिया गया है। इससे अधिक और कृपालु और पवित्र क्या हो सकता है? हमें इस अधिक मूल्यवान कार्य के लिए गर्व लेना चाहिए और हमें यह कार्य सौंपने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए। हमारे पिता ने एक बार कहा था, “इस संसार के लोग मुझ से ईर्ष्या नहीं करते, इसलिए मैं भी उन से ईर्ष्या नहीं करता।”
संसार के लोग हम से ईर्ष्या नहीं करते। वे उन लोगों से ईर्ष्या करते हैं जिनके पास ऊंचा सामाजिक पद है, लेकिन वे हम से, जिनके पास स्वर्ग के राजदूत का पद है, ईर्ष्या नहीं करते। हमें सबसे मूल्यवान कार्य, परमेश्वर के सुसमाचार के प्रचार का कार्य सौंपा गया है; जब हम यह कार्य पूरा करेंगे, तो हम सब स्वर्ग में प्रवेशकरेंगे। इस संसार में हमें किससे ईर्ष्या करनी चाहिए? परमेश्वर ने हमें उनके प्रबन्ध में शामिल होने के लिए बुलाया है। एक मात्र बात जो हमें करनी चाहिए वह है, परमेश्वर के आने के दिन का इंतजार करते हुए, ईमानदारी के साथ परमेश्वर का दिया हुआ कार्य, यानी पहरुए का कर्तव्य निभाना। तब जब परमेश्वर आएंगे, वह हमारी सराहना करेंगे, “शाबाश! मेरी विश्वासयोग्य सन्तान।”
प्रकाशितवाक्य के दूसरे अध्याय में, परमेश्वर ने हम से कहा है, “प्राण देने तक विश्वासी रह, तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा।” यदि हम प्राण देने तक विश्वासी रहने पर भी असफल हो जाएं, तो हम किसकी आशा कर सकेंगे और हम क्या पाएंगे? हालांकि, परमेश्वर के सभी वचन पूरे होने वाले हैं; जब तक सब कुछ पूरा नहीं हो जाता तब तक उनके वचनों में से एक छोटा अक्षर भी या एक छोटा शब्द भी गायब नहीं होगा। इसलिए परमेश्वर ने हमसे कहा है कि प्राण देने तक विश्वासी रहें। हमें अपना पूरा हृदय और मन परमेश्वर की योजना और प्रबन्ध में लगाना चाहिए जो कभी भी असफल नहीं होता।
आइए हम परमेश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने हमें उनके सुसमाचार के प्रबन्ध में सहभागी होने दिया है और नई वाचा के सेवक का महिमामय कर्तव्य दिया है। आइए हम सुसमाचार के कार्य में बहुतायत से आत्मिक मुनाफा पैदा करें।
सिय्योन में हम सब को मसीह के दु:खों में सहभागी होते हुए, नियुक्त समय तक परमेश्वर के उद्धार के प्रबन्ध में शामिल होना चाहिए, ताकि हम मसीह के संगी वारिस और एक ही देह के अंग बन सकें और अनन्त स्वर्ग की प्रतिज्ञा में एक साथ सहभागी हो सकें।