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पवित्र आत्मा और दुल्हिन
संसार में अनगिनत चर्च परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, लेकिन वास्तव में वे सब विभिन्न प्रकार के विचार रखते हैं। हर संप्रदाय अलग तरीके से परमेश्वर की आराधना करता है। यह एक अविवादित सबूत है कि ज्यादातर चर्चों के पास परमेश्वर का ज्ञान नहीं है।
प्रेरितों के काम की पुस्तक में पौलुस के बारे में लिखा गया है कि जब वह यूनान में सुसमाचार का प्रचार कर रहा था, तब ‘अनजाने ईश्वर के लिए,’ लिखी हुई एक वेदी देखकर उसे बहुत ज्यादा अफसोस हुआ था।
परमेश्वर की सही ढंग से आराधना करने के लिए हमें उन्हें पूर्ण रूप से समझना चाहिए। यह कितना ही बेतुका और मूर्खतापूर्ण है कि हम किसी अनजाने ईश्वर को अर्पण चढ़ाएं और उसकी आराधना करें!
जब हम परमेश्वर को जानते हैं और सही ढंग से उन्हें समझते हैं, तो हमारी आराधना यथार्थ हो सकती है। आइए हम पवित्र आत्मा और दुल्हिन के विषय में बाइबल के सत्यों का अध्ययन करें, ताकि हम परमेश्वर का सही ज्ञान पा सकें और किसी अनजाने ईश्वर की आराधना किए बिना, सही रूप से उनकी ही आराधना कर सकें।
आइए हम परमेश्वर को जानने के लिए प्रयास करें जो रहस्य हैं
बाइबल हमें परमेश्वर को ढूंढ़ना और उनका ज्ञान प्राप्त करने के लिए यत्न करना सिखाती है।
होशे 6:3 आओ, हम ज्ञान ढूंढ़ें, वरन् यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिये यत्न भी करें...
यदि लोग परमेश्वर का ज्ञान न रखें लेकिन उन पर विश्वास करने का दावा करें, तो वे उन लोगों के समान ही हैं जिनसे पौलुस अपनी प्रचार की यात्रा पर मिला था, जो किसी अनजाने ईश्वर की आराधना करते थे। वे वास्तव में नहीं जानते कि वे किसकी आराधना करते हैं। इसलिए उनका विश्वास “अन्धा विश्वास” कहलाता है।
यदि हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, तो हमारे पास उनका सही ज्ञान भी होना चाहिए। हमें उन लोगों के समान, जो ‘अनजाने ईश्वर के लिए,’ लिखी हुई वेदी पर आराधना चढ़ाते थे, अंधेरे में परमेश्वर पर विश्वास करते हुए और अज्ञानता में परमेश्वर की आराधना करते हुए, बुद्धिहीन कार्य नहीं करना चाहिए।
बाइबल की 66 पुस्तकें गवाही देती हैं कि परमेश्वर स्वयं को रहस्यमय ढंग से प्रकट करते हैं। लगभग 2,000 साल पहले, परमेश्वर स्वयं यीशु का नाम लेकर पृथ्वी पर आए थे और उन्होंने सुसमाचार का प्रचार किया था। हालांकि, संसार ने उन्हें नहीं पहचाना क्योंकि वह शरीर पहनकर आए थे।
कुल 1:26–27 अर्थात् उस भेद को जो समयों और पीढ़ियों से गुप्त रहा, परन्तु अब उसके उन पवित्र लोगों पर प्रगट हुआ है। जिन पर परमेश्वर ने प्रगट करना चाहा कि उन्हें ज्ञात हो कि अन्यजातियों में उस भेद की महिमा का मूल्य क्या है, और वह यह है कि मसीह जो महिमा की आशा है तुम में रहता है।
परमेश्वर गुप्त रूप से पृथ्वी पर आए थे। इसलिए होशे नबी ने कहा, “आओ हम ज्ञान ढूंढ़ें, वरन् यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यत्न भी करें,” कहीं ऐसा न हो कि हम शरीर में आने वाले परमेश्वर की निन्दा करें, कहीं ऐसा न हो कि हम सिर्फ अपने होठों से ही परमेश्वर की प्रशंसा और स्तुति करते हुए उन पर विश्वास करने का और उन्हें जानने का दावा करें।
यदि हम सही ढंग से परमेश्वर को जानें और सच में उन पर विश्वास करें, तो चाहे वह अपने आपको शरीर में प्रकट करें या आत्मा में, हम लगातार उन ही की आराधना कर सकते हैं। परमेश्वर स्वयं इस पृथ्वी पर शरीर पहनकर आए, और जिन्होंने उन्हें पहचाना और उन्हें ग्रहण किया और लगातार उन ही की शिक्षाओं का पालन किया, उन लोगों को उनके पापों और अपराधों से क्षमा किया। हालांकि, बहुत से लोगों ने क्षमा पाने का मौका खो दिया क्योंकि वे परमेश्वर को नहीं जानते थे और उन्होंने उन्हें ग्रहण नहीं किया था।
वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया
यीशु के प्रथम आगमन के समय, यहूदीवाद नामक एक धर्म था, जो हजारों सालों से चलता आ रहा था। प्रधान याजकों, फरीसियों और शास्त्रियों जैसे यहूदियों के नेता, जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते थे, वास्तव में परमेश्वर को नहीं पहचानते थे। जब यहोवा परमेश्वर, जिन पर वे विश्वास करने का दावा करते थे, इस पृथ्वी पर आए, तो उन्होंने उन्हें सताया, घृणा की, और उनके मुंह पर मारते हुए उनकी हंसी उड़ाई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके पास परमेश्वर का ज्ञान नहीं था। वे अज्ञानता में एक अनजाने ईश्वर की आराधना करते आ रहे थे।
यूह 1:10–14 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।
उन दिनों के धार्मिक नेता वास्तव में परमेश्वर को नहीं जानते थे। इसी कारण से उन्होंने यीशु की सभी शिक्षाओं की उपेक्षा की। “क्या यह तो बढ़ई का पुत्र नहीं?” “हम सब जानते हैं कि मरियम इसकी माता है, तो यह अब कैसे कहता है, कि “मैं स्वर्ग से उतरा हूं?” “तू, एक साधारण मनुष्य होकर, अपने आपको परमेश्वर बताता है।” ऐसा करते हुए, उन्होंने यीशु की हंसी उड़ाई और उन्हें सताया। हालांकि, जिन पर उन्होंने दोष लगाया था, वह यीशु स्वयं ही यहोवा परमेश्वर थे जिन पर विश्वास करने का वे दावा करते थे।
यूह 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
यूहन्ना और पतरस जैसे चेलों ने परमेश्वर को पहचाना और उनकी शिक्षा का पालन किया। चाहे वे पृथ्वी पर लोगों के द्वारा परेशान किए गए, सताए गए और हंसी में उड़ाए गए, अंत में उन्होंने स्वर्ग की अनन्त महिमा पाई। दुष्ट लोग जिन्होंने उन पर दोष लगाया था, वे अब गंधक की जलती हुई झील में, नरक में, पीड़ा भुगत रहे हैं। लेकिन उनके विपरीत, क्या वे जिन्होंने यीशु को परमेश्वर के रूप में पहचाना था और उनकी आराधना की थी, अब स्वर्गलोक में सांत्वना नहीं पा रहे?
हमारे पास परमेश्वर का सही ज्ञान होना चाहिए। चाहे यीशु शरीर में आए थे, चेलों ने उन्हें यहोवा परमेश्वर, यानी स्वर्ग और पृथ्वी के सृजनहार के रूप में पहचाना, और उनकी आराधना की। इन अन्तिम दिनों में जी रहे हमें भी, सच्चा विश्वास धारण करना चाहिए जो परमेश्वर स्वीकार करते हैं, और परमेश्वर को सही ढंग से जानना और ग्रहण करना चाहिए, ताकि हम उद्धार और स्वर्ग के अनन्त राज्य में प्रवेश पाने का अधिकार प्राप्त कर सकें।
सब वस्तुओं में परमेश्वर का परमेश्वरत्व बना रहता है
सबसे पहले, यदि हम परमेश्वर को जानना चाहते हैं, तो हमें बाइबल का अध्ययन करना चाहिए। क्योंकि बाइबल उनकी गवाही देती है। बाइबल के अध्ययन किए बिना, कोई भी परमेश्वर के पास नहीं आ सकता।(यूह 5:39–40)
रो 1:18–20 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उसकी सनातन सामर्थ्य और परमेश्वरत्व, जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।
प्रक 4:11 “हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।”
सब वस्तुएं परमेश्वर की इच्छा से सृजी गई हैं, और वे उनकी अदृश्य सामर्थ्य और परमेश्वरत्व को प्रतिबिम्बित करते हैं।
संसार में अनगिनत जीवित प्राणी हैं: आकाश में उड़ते पक्षी, समुद्र में तैरती मछली, और खुले मैदान में दौड़ते सभी बनैले पशु। परमेश्वर ने इन सब वस्तुओं को अपनी एक समान इच्छा से सृजा है। तब उनकी इच्छा क्या है?
आकाश के पक्षियों के पास पिता और माता होते हैं। समुद्र की मछलियों के पास भी अपने पिता और माता होते हैं। और मैदान में जेबरा के पास भी अपने माता–पिता होते हैं।
सभी जीवित प्राणियों के पास उनके माता–पिता होते हैं। खास तौर पर, उन सब को जीवन उनकी माता देती है। उत्पत्ति में छिपी इस परमेश्वर की इच्छा के द्वारा, परमेश्वर हमें अपनी इच्छा बताना चाहते हैं।
नर और नारी परमेश्वर के स्वरूप के अनुसार सृजे गए
आइए हम देखें कि क्या सच में यह बात कि सब के पास पिता और माता दोनों हैं, परमेश्वर के परमेश्वरत्व को प्रतिबिम्बित करती या नहीं।
उत 1:26–27 फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
आज, लगभग सभी चर्च हठ करते हैं कि सिर्फ एक पिता परमेश्वर ने ही मनुष्य को बनाया है और बाकी की सभी वस्तुएं उन्होंने अकेले ही बनाई हैं। हालांकि, परमेश्वर ने बाइबल की पहली पुस्तक उत्पत्ति में कहा है: “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं।” उन्होंने ऐसा नहीं कहा, “मैं मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाऊंगा।” इससे हम देख सकते हैं कि बहुवचन परमेश्वर ने, जिन्होंने “हम” कहा, मनुष्यजाति को बनाया।
नर और नारी परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए थे।(उत 1:26–27) इसका अर्थ है कि परमेश्वर के स्वरूप में नर और नारी दोनों स्वरूप शामिल हैं। नर स्वरूप के परमेश्वर को “पिता” कहा जाता है। इसलिए जब लोग परमेश्वर से आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं, तो वे “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है,” से शुरू करते हैं।
वे परमेश्वर को “पिता” क्यों कहते हैं? क्योंकि उन्होंने उन्हें जीवन और जन्म दिया है। यहां पर एक सवाल हो सकता है: ‘क्या सिर्फ पिता परमेश्वर ने जीवन दिया है?’ हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि बहुवचन परमेश्वर ने, “हम मनुष्य को बनाएं,” बोलते हुए मनुष्य को बनाया था, और नर और नारी सृजे गए थे। यहां हम समझ सकते हैं कि एक परमेश्वर नहीं है, लेकिन दो परमेश्वर हैं।
सभी जीवित प्राणियों के पास पिता और माता होते हैं। वे परमेश्वर के अदृश्य स्वभाव को प्रतिबिम्बित करते हैं। उत्पत्ति के पहले अध्याय में, हम देख सकते हैं कि परमेश्वर के स्वरूप में नर और नारी सृजे गए थे। हम परमेश्वर के नर स्वरूप को “पिता परमेश्वर” कहते हैं। तब, क्या हमें परमेश्वर के नारी स्वरूप को “माता परमेश्वर” नहीं कहना चाहिए?
हमारे पिता और माता जो स्वर्ग में हैं
वस्तुओं के द्वारा, परमेश्वर ने हमें अपना अदृश्य स्वरूप नर और नारी, यानी पिता और माता के रूप में पहले से दिखाया है। बाइबल हमें साफ तौर पर सिखाती है कि परमेश्वर पिता और माता दोनों हैं।
मत 6:9 अत: तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो: ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है’...
यीशु ने हमें परमेश्वर को “पिता” कहना सिखाया। परमेश्वर हमारे आत्मिक पिता होने चाहिए। यदि परमेश्वर ‘हमारे पिता’ कहलाते हैं, तब ‘हम’ कौन हैं? ‘हम’उद्धार पानेवाले लोग हैं। बाइबल गवाही देती है कि उद्धार पानेवालों के पास पिता परमेश्वर के साथ, माता परमेश्वर भी हैं।
गल 4:26 पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है।
सभी शास्त्र परमेश्वर के द्वारा प्रेरित हुए नबियों के द्वारा लिखे गए हैं, और वे हमें उद्धार पाने के लिए योग्य बुद्धि दे सकते हैं।(2तीम 3:15–16) मत्ती की पुस्तक पिता परमेश्वर के बारे में सत्य बताती है, और गलातियों की पुस्तक माता परमेश्वर के बारे में सत्य बताती है।
उद्धार हमें केवल पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर दोनों के द्वारा ही दिया जा सकता है। इन अन्तिम दिनों में, केवल पिता परमेश्वर का नाम लेने से कोई भी उद्धार नहीं पा सकता।
अजगर(वह पुराना सर्प, शैतान) स्त्री का शत्रु है
हमारे पास केवल पिता परमेश्वर ही नहीं हैं, लेकिन माता परमेश्वर भी हैं। चूंकि बाइबल हमें परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यत्न करने को कहती है, हमें माता परमेश्वर को भी पहचानना चाहिए और उन पर भी विश्वास करना चाहिए।
हमारे शत्रु, शैतान ने 2,000 साल पहले शरीर में आए हमारे पिता परमेश्वर को सताया था। परमेश्वर ने प्रकाशितवाक्य के द्वारा प्रेरित यूहन्ना को पहले से दिखाया था कि वह अन्तिम दिनों में हमारी माता का भी विरोध करेगा और उनकी भी निन्दा करेगा।
प्रक 12:17 तब अजगर स्त्री पर क्रोधित हुआ, और उसकी शेष संतान से, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानती और यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं, लड़ने को गया। और वह समुद्र के बालू पर जा खड़ा हुआ।
उत्पत्ति में लिखा गया है कि परमेश्वर ने सर्प और स्त्री के बीच में बैर उत्पन्न किया है। “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”(उत 3:15) यह भविष्यवाणी अंत के दिनों के बारे में है।
प्रकाशितवाक्य की पुस्तक बताती है कि अजगर के द्वारा दिखाया गया शैतान स्त्री के सामने क्रोधित होता है और उसकी शेष सन्तानों के सामने युद्ध करने निकलता है। जैसा कि प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में लिखा गया है, हमारा दुष्ट शत्रु, शैतान, माता परमेश्वर के द्वारा इकट्ठे हुए 1,44,000 सन्तानों के सामने युद्ध करने के लिए समुद्र के बालू पर जा खड़ा रहेगा।
इस युद्ध में, जैसा कि परमेश्वर ने कहा है, स्त्री की शेष सन्तान सर्प के सिर को कुचल देंगी, और सर्प उनकी एड़ी को डसेगा। भविष्यवाणी के अनुसार, शैतान स्त्री की शेष सन्तानों के विरुद्ध एक ऐसा प्रहार करेगा, जो घातक नहीं होगा; लेकिन शैतान को एक घातक प्रहार पाएगा। बाइबल ने पहले से अन्तिम आत्मिक युद्ध के बारे में और स्त्री की शेष सन्तानों की विजय की भविष्यवाणी की है। विजय पाने का रास्ता पिता और माता पर संपूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना है।
हमें पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर, दोनों को जानना चाहिए, और उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें आराधना चढ़ानी और महिमा देनी चाहिए। यदि हम ऐसा न करें, तो चाहे हम अपने विश्वास के विषय में आश्वस्त और आत्मविश्वासी क्यों न हो, हमारा विश्वास परमेश्वर के द्वारा स्वीकृत नहीं होगा। चाहे हम परमेश्वर की कितनी भी उत्सुकता से आराधना करें, लेकिन वह अज्ञानता में की गई होगी, तो वह व्यर्थ ठहरेगी।
कैन के बलिदान के बारे में सोचिए। वह परमेश्वर पर विश्वास करता था, लेकिन वह नहीं जानता था कि परमेश्वर की आराधना कैसे की जाती है; उसने अपनी खुद की इच्छा के अनुसार बलिदान चढ़ाया, और परमेश्वर ने उसके बलिदान को अयोग्य कर दिया।
अज्ञानता में परमेश्वर की आराधना करना और उनकी इच्छा का पालन किए बिना बलिदान चढ़ाना, परमेश्वर के लिए अप्रसन्न था। कैन ने अपने तरीके से एक अयोग्य बलिदान चढ़ाते हुए परमेश्वर की आराधना की। हालांकि, हाबिल ने जाना कि परमेश्वर को क्या चाहिए और लहू का बलिदान चढ़ाया, जो परमेश्वर के लिए प्रसन्न और योग्य था।
आत्मा और दुल्हिन हमें जीवन का जल देते हैं
सिर्फ परमेश्वर के पास अनन्त जीवन है। और इसलिए बाइबल हमें परमेश्वर काज्ञान प्राप्त करने के लिए कहती है। परमेश्वर को जाने बिना, हम अनन्त जीवन पाने के लिए उनके पास नहीं आ सकते।
प्रक 22:17–19 आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। मैं हर एक को जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं: यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा।
आत्मा त्रिएक परमेश्वर के अनुसार पिता परमेश्वर हैं। इसलिए उनकी दुल्हिन माता परमेश्वर होनी चाहिए। अब आत्मा और दुल्हिन कहते हैं, “आओ! जीवन का जल पाओ!” पिता और माता के पास जाने के लिए हमें उनको पहचानना चाहिए और यह समझना चाहिए कि पिता और माता के अलावा और कोई भी हमें जीवन का जल नहीं दे सकता। मनुष्यजाति को चंगाई देनेवाला जीवन का जल हम केवल आत्मा और दुल्हिन के द्वारा ही पा सकते हैं। ये वचन बाइबल में से निकाल नहीं दिए जाने चाहिए।
परमेश्वर आत्मा और दुल्हिन के रूप में हमें बुलाने के लिए शरीर में आए। हमारे पास आत्मा और दुल्हिन, यानी हमारे पिता परमेश्वर और नई यरूशलेम हमारी माता का सही ज्ञान होना चाहिए, और हमें उन्हें प्रेम के साथ ग्रहण करना चाहिए। चाहे शैतान, हमारा दुष्ट शत्रु, हम पर हर प्रकार से दोष लगाए और हमें बहकाए, तो भी हमें विश्वास में दृढ़ खड़े रहना चाहिए और परमेश्वर की सन्तानों के समान जो गिदोन के योद्धाओं के जैसे बलवान हैं, उसका विरोध करना चाहिए।
हम खुश हैं कि हमारे पास हमारे पिता परमेश्वर हैं। अपनी स्वर्गीय माता को पाकर हम सच में धन्य हैं। हमें अंत तक परमेश्वर पर अपना विश्वास रखते हुए और उनकी आज्ञाओं का पालन करते हुए, हमेशा सिय्योन में रहना चाहिए। आइए हम, हमें जीवन का जल देने वाले, आत्मा और दुल्हिन की घोषणा पृथ्वी की छोर तक करें, ताकि हम पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर से अनन्त जीवन का
आशीर्वाद पा सकें।