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आइए हम स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करें
परमेश्वर की इस भविष्यवाणी के अनुसार कि, ‘तेरी सन्तान अपने दरबों की ओर उड़ते हुए कबूतरों के समान दूर से आ रही हैं,’ अब हमारे बहुत से आत्मिक भाई और बहनें संसार के विभिन्न क्षेत्रों से आ रहे हैं। यह हमें दिखाता है कि परमेश्वर की भविष्यवाणियों में से कोई भी बिना पूरी हुए नहीं गुजर जाएगी।
चाहे वे सब अलग–अलग जातियों से हैं, लेकिन उन सब के पास आत्मा और दुल्हिन के प्रति एक समान विश्वास है और वे सब सुसमाचार का कार्य ईमानदारी से करते हैं। यह देखते हुए कि वे सत्य के वचनों को समझने में कितने तेज हैं, हमें महसूस हो सकता है कि नियत समय आ गया है और परमेश्वर सिय्योन के सभी भाइयों और बहनों को बहुतायत से पवित्र आत्मा की सामथ्र्य दे रहे हैं। चाहे हम पूर्व में हैं या पश्चिम में हैं, हम सब परमेश्वर की सन्तान हैं और हमारे पास एक समान कर्तव्य है। चाहे शारीरिक तौर पर हम किसी भी देश से हों, हम परमेश्वर के लोग हैं जिनके पास स्वर्ग की नागरिकता है।
जो स्वर्ग की नागरिकता का मूल्य जानते हैं
अमेरिका से हमारे सदस्यों में से एक भाई ने बाइबल का अध्ययन करने के लिए कोरिया की मुलाकात की। एक दिन उन्होंने मुझ से पूछा कि, “क्या यहां पर रात में बाहर निकलना सुरक्षित है?” मैं ने उनसे कहा कि, “यदि आप बाहर जाना चाहते हैं, तो आप कभी भी जा सकते हैं।” तब उन्होंने अपनी आंखें आश्चर्य से खोल दीं, और कहा कि, “यह तो अविश्वसनीय है।” उन्होंने ऐसा कहते हुए बार–बार कोरिया की प्रशंसा की कि, “कोरिया सच में रहने के लिए सबसे योग्य है।” हालांकि, हमारे लिए एक और ज्यादा उत्तम देश तैयार किया गया है। वह स्वर्ग का राज्य, हमारा अनन्त घर है। स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करना, यह वह सबसे बड़ी आशा है जो हम रख सकते हैं।
लोग सोचते हैं कि अमेरिका इस पृथ्वी पर सबसे उत्तम देश है। दुनिया में बहुत से लोग “अमेरिकी सपना” पूरा करने के लिए अमेरिका में रहने की आशा करते हैं, जहां वे विविध नौकरी ढूंढ़ सकते हैं। वे अमेरिका में जा बसने के लिए और उस देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयास करते हैं, ताकि वे वहां स्थायी निवास कर सकें और अपने नागरिक अधिकारों का उपयोग कर सकें।
वास्तव में वहां कुछ स्थानीय अमेरिकियों को छोड़ ज्यादा लोग मूल अमेरिकी प्रजाति के लोग नहीं हैं। ज्यादातर अमेरिकी यूरोप, एशिया, अफ्रिका आदि देशों से हैं: वहां इटली के मूल के अमेरिकी, फिलीपिंस के मूल के अमेरिकी, जर्मन मूल के अमेरिकी इत्यादि रहते हैं। इस तरह से अमेरिका एक बहु–जातीय देश है। इसलिए वह अप्रवासियों का देश कहलाता है।
हर अप्रवासी सोचता है कि एक बार उसे अमेरिका की नागरिकता मिल जाए, तो वह एक अमेरिकी नागरिक कहलाएगा जिससे संसार के लोग ईर्ष्या करते हैं। बहुत से लोग अमेरिका जाने के लिए प्रयास करते हैं, जहां अवैध अप्रवासियों की बाढ़ सी आई है। वहां वे एक दिन नागरिकता प्राप्त करने की आशा से, हर प्रकार के पक्षपात को और जातिवाद को सहन करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी सबसे बड़ी इच्छा अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने की है, और यदि वह उन्हें मिल जाए, तो उन्हें बहुत खुशी होगी।
यदि वे आत्मिक आंख से उस आत्मिक दुनिया को देख लें, तो क्या होगा? तो वे फिर से ऐसा नहीं कहेंगे, है न? हमारी नागरिकता जो स्वर्ग की नागरिकता है, वह तो बहुत ज्यादा बहुमूल्य है।
फिलि 3:17–21 ... पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने की बाट जोह रहे हैं। वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन–हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
हम ने स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त की है। परमेश्वर ने हमें बताया है कि जिनके पास स्वर्ग की नागरिकता है, केवल वे ही मसीह की महिमामय देह की समानता में बदल जा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को किसी देश की नागरिकता मिल जाती है जिससे उसे वहां रहने का अधिकार मिलता है, तो उसके आसपास के लोग उससे ईर्ष्या करेंगे। यदि हमारे पास स्वर्ग की सदा की नागरिकता हो, तो लोगों को हम से कितनी ज्यादा ईर्ष्या होगी!
जब यीशु इस पृथ्वी पर आए और अपने सृजे गए लोगों के द्वारा ठट्ठों में उड़ाए गए और सताए गए, तो उन्होंने उसके बारे में कोई परवाह नहीं की, क्योंकि वे आत्मिक देश की प्रतीक्षा करते थे।
यूह 18:33–37 तब पिलातुस... उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या दूसरों ने मेरे विषय में तुझ से यह कहा है?” पिलातुस ने उत्तर दिया, “क्या मैं यहूदी हूं? तेरी ही जाति और प्रधान याजकों ने तुझे मेरे हाथ सौंपा है। तू ने क्या किया है?” यीशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं; यदि मेरा राज्य इस संसार का होता, तो मेरे सेवक लड़ते कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु मेरा राज्य यहां का नहीं।” पिलातुस ने उससे कहा, “तो क्या तू राजा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है कि मैं राजा हूं... जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।”
उपर के वचन के द्वारा, हमें मसीह की इच्छा को जानना चाहिए। यीशु ने अपनी इच्छा को इस तरह से प्रकट किया, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं है जो डोल में की एक बून्द की तरह है और पलड़ों पर की धूल के समान है। मेरा राज्य नष्ट होने वाली पृथ्वी का नहीं, लेकिन अनन्त स्वर्ग में है।”
पृथ्वी की नागरिकता हमारे लिए कुछ मूल्यवान नहीं है। हमें अपनी स्वर्गीय नागरिकता के लिए गर्वित होना चाहिए। वे धूल के समान इस पृथ्वी पर अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करने के लिए हर प्रयास करते हैं। तो स्वर्ग की नागकिरता प्राप्त करने के लिए हमें कितनी ज्यादा मेहनत करनी चाहिए! हमें अदृश्य दुनिया की चीजों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
पिता की इच्छा पर चलने वालों के लिए स्वर्गीय नागरिकता
जब अनन्त स्वर्ग का राज्य आ जाएगा, तो सबसे मूल्यवान स्वर्ग की नागरिकता होगी। चाहे लाखों लोग हमें अपने अमेरिकी नागरिकता के पहचानपत्र दें, तो भी हम अपनी स्वर्ग की नागरिकता को उनसे नहीं बदल डालेंगे। ब्रह्माण्ड के सभी आत्मिक प्राणी हम से ईर्ष्या करते हैं। परमेश्वर हमें सिखाते हैं कि हम स्वर्ग की नागरिकता कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
मत 7:21–23 “जो मुझ से, हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।’ ”
स्वर्ग की नागरिकता के बिना कोई भी स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकता। तब, स्वर्ग की नागरिकता कौन प्राप्त कर सकता है? केवल वे जो स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलते हैं, स्वर्ग की नागरिकता को प्राप्त कर सकते हैं। बाइबल हमें साफ दिखाती है कि स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता क्या है, और उसे प्राप्त करने से वंचित होने का कारण भी समझाती है।
जिनके पास अमेरिकी नागरिकता है, वे मुक्त रूप से देश के अंदर जा सकते हैं: किसी को भी प्रवेश करने से रोका नहीं जाता। लेकिन जो किसी देश की नागरिकता पाए बिना उसमें प्रवेश करने की कोशिश करता है, उसके साथ क्या होगा? अप्रवासन अधिकारी उसकी जांच–पड़ताल करते हैं, और उससे पूछते हैं कि वह इस देश में क्यों आना चाहता है और वह कितने दिन तक इस देश में रहेगा। इस जांच–पड़ताल में स्वीकृति पाने के बाद ही, उसे अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है।
हम मत्ती 7:21–23 में वैसी ही परिस्थिति को देख सकते हैं। केवल वे जो स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलते हैं, स्वर्ग में लिए जाते हैं। क्योंकि परमेश्वर केवल उन्हें स्वर्ग की नागरिकता देते हैं। स्वर्ग की नागरिकता के बगैर कोई भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
इस पृथ्वी पर भी एक देश की नागरिकता उस देश के प्रवेशाधिकार पत्र के द्वारा दी जाती है। अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए, अप्रवासी को एक परीक्षा को पास करना पड़ता है। ‘अमेरिका के पहले राष्ट्रपति कौन थे?’ या ‘गृहयुद्ध कब हुए थे?’ परीक्षा लेने वाले इस तरह से अमेरिका के इतिहास के सारांश के बारे में कुछ प्रश्न करते हैं, और लोगों को अंगे्रजी भाषा में जवाब देना पड़ता है। परीक्षा को पास करने के बाद ही, वे अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
उसी तरह से, स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने के लिए हमें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करनी चाहिए। केवल वे जो पिता की इच्छा पर चलते हैं, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग की नागरिकता दी है।
यूह 8:45–47 ... जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।
जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर की बात सुनता है। परमेश्वर ने हमें साफ कहा है कि हमें सब्त का दिन मनाना चाहिए, लेकिन कुछ लोग रविवार की आराधना पर जोर देते हैं। परमेश्वर हमें फसह का पर्व मनाने की आज्ञा देते हैं, लेकिन कुछ लोग क्रिसमस मनाने पर जोर देते हैं। ये बातें उनकी दृढ़ इच्छा को जाहिर करती हैं कि वे परमेश्वर की बात को सुनना नहीं चाहते। परमेश्वर कठोरतापूर्वक कहते हैं कि ऐसे लोग मेरी ओर से नहीं हैं: “तुम इसलिए नहीं सुनते कि मेरी ओर से नहीं हो।” यह कितने भयानक शब्द हैं! इन शब्दों से परमेश्वर हमें उन लोगों के बीच में अंतर करने का रास्ता दिखाते हैं जो स्वर्ग की नागरिकता पा सकते हैं और जो नहीं पा सकते।
परमेश्वर के नियत पर्वों के नगर सिय्योन के लोगों को स्वर्ग की नागरिकता दी जाती है
स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने के योग्य बनने की सभी आवश्यक बातों को जांचते हुए, अब हमें यह जानना चाहिए कि परमेश्वर, हमारे राजा कहां शासन करते हैं, ताकि हम यह जान सकें कि हम इस समय कहां हैं।
यश 33:20–22 हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशेलम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा... वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा... यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है; वही हमारा उद्धार करेगा।
इस वचन में, ‘हमारे’ का मतलब वे लोग हैं जो सिय्योन में परमेश्वर के पर्व मनाते हैं। परमेश्वर उनके राजा हैं; वह अपने नियत पर्वों के नगर सिय्योन के राजा हैं। हम, सिय्योन के लोग पर्व मनाते हैं। इसलिए यह बात साफ है कि हमारे पास स्वर्ग की नागरिकता है।
यश 51:15–16 ... मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं... और सिय्योन से कहूं, “तुम मेरी प्रजा हो।”
सिय्योन में रहनेवाले लोग वे हैं जिन्होंने अभी इस पापमय संसार में रहते हुए भी स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त की है। हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि चाहे हमें पृथ्वी नामक इस छोटे से ग्रह पर निकाल दिया गया है, हम ने स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त की है।
यदि हमारे पास स्वर्ग की नागरिकता है, तो हमें जो परमेश्वर कहते हैं वह सुनना चाहिए। अब, आइए हम इसके बारे में सोचते हुए कि स्वर्ग की नागरिकता के लिए क्या जरूरी बातें हैं, देखें कि हम स्वर्ग के नागरिकों के रूप में परमेश्वर के वचनों का पालन करते हैं या नहीं।
निर्ग 20:8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
सबसे पहले, स्वर्ग के नागरिकों को सब्त का दिन मनाना चाहिए। जो सब्त का दिन नहीं मनाते, वे स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते। अंतिम दिन में जब वे यीशु के सामने खड़े रहेंगे, तो वे ऐसा कहते हुए उन्हें स्वर्ग में प्रवेश करने देने के लिए विनती करेंगे कि, “हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की? क्या हमने तेरे नाम से प्रार्थनाएं करके दुष्टात्माओं को नहीं निकाला और कंगालों की मदद नहीं की?” हालांकि, यीशु ऐसा कहते हुए अपना मुंह उनसे फेर लेंगे कि, “मैं ने तुम्हें कभी नहीं जाना।”
“मुझे अपनी स्वर्ग की नागरिकता दिखाओ। क्या तुम उस कारण को जानते हो कि मैं ने तुम्हें स्वर्ग की नागरिकता क्यों नहीं दी? क्या तुम ने कभी सब्त का दिन पवित्र मनाया है?” यदि परमेश्वर उनसे ऐसे कठोर प्रश्न पूछेंगे, तो वे क्या उत्तर देंगे?
परमेश्वर ने कहा है कि, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज सुनती हैं।”(यूह 10:27) तब वे परमेश्वर की ‘सब्त का दिन पवित्र मनाओ,’ इस एक आज्ञा का भी पालन न करके कैसे स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं? इसलिए यीशु ने उनसे खुल कर कह दिया कि, “मैं ने तुम्हें कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करने वालो, मेरे पास से चले जाओ!”
दूसरा, स्वर्ग के नागरिकों को फसह का पर्व मनाना चाहिए।
लूक 22:14–20 जब घड़ी आ पहुंची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।”... फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।”
बाइबल हमें सिखाती है कि हम केवल फसह का पर्व मनाने से ही पापों की क्षमा पा सकते हैं। इसलिए परमेश्वर ने ऐसा कहते हुए कि, “यह(फसह) तुम्हारे लिए है,” फसह के पर्व की स्थापना की है। फसह के पर्व का पालन करना, यह स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने की एक योग्यता है।
यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो वह अपनी नागरिकता के सभी अधिकारों को तुरन्त खो बैठता है और अपने देश की दंड विधि के अनुसार दंड पाता है। हम भी ऐसे हैं। हम ने स्वर्ग में एक अक्षम्य पाप किया था, और हमें इस पृथ्वी पर निकाल दिया गया था। हम ने अपनी स्वर्गीय नागरिकता को खो दिया और स्वर्ग के नागरिक के सभी अधिकारों को भी खो दिया।
हालांकि, मसीह अपना लहू बहाकर और अपना मांस फाड़कर हमारे सभी पापों को क्षमा करने के लिए इस पृथ्वी पर आए। मरनहार पापियों के लिए, उन्होंने नई वाचा के फसह के पर्व के द्वारा पापों की क्षमा का रास्ता खोल दिया। इसी कारण से हमें अपनी स्वर्ग की नागरिकता को फिर से प्राप्त करना चाहिए।
इसलिए बाइबल कहती है कि, “सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो।”(1थिस 5:16–18) जब हमारा विश्वास कमजोर पड़ जाता है, तो हम आनन्दित नहीं रह सकते और धन्यवाद भी नहीं दे सकते और यह भी नहीं समझ सकते कि परमेश्वर ने हमें ये वचन क्यों दिए हैं। जरा हमारी स्वर्ग की नागरिकता के बारे में सोचिए! मसीह हमारे लिए मर गए, और इसलिए हम पापों की क्षमा और स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। यह कितनी खुशी की और धन्यवाद देने योग्य बात है! चाहे हमारा जीवन कितनी भी मुश्किलों से भरा हुआ क्यों न हो, हमें उस अनन्त दंड पाने की जगह, नरक जाने से बचने के लिए सहन करना चाहिए। परमेश्वर ने हम पापियों को स्वर्ग की नागरिकता प्रदान की है। चाहे कोई भी मुश्किल हमारे सामने आए, हमें आनन्दित और धन्यवादी रहना चाहिए।
स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक और शर्त भी है; परमेश्वर का नाम जानना और सब्त व फसह जैसे परमेश्वर के पर्वों को मनाना। अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करने के लिए, लोगों को अपने राष्ट्रपति का नाम पता होना चाहिए। तो स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने के लिए हमें परमेश्वर का नाम कितना अधिक जानना चाहिए! परमेश्वर का नाम न जानते हुए क्या हम उसे प्राप्त कर सकते हैं? परमेश्वर ने कहा है कि, “मेरे लोग मेरा नाम जानेंगे।”(यश 52:6)
हम स्वर्ग की नागरिकता केवल तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम हमेशा सिय्योन में रहें, परमेश्वर को जानें और जो भी आज्ञा उन्होंने हमें दी है उसका पालन करें। हमारे पास स्वर्ग की नागरिकता है जो परमेश्वर ने हमें प्रदान की है। आइए हम अपनी स्वर्ग की नागरिकता पर गर्व करें। परमेश्वर ने हमें फसह का पर्व दिया है और हमें उद्धारकर्ता का नाम भी जानने दिया है; और उन्होंने साफ–साफ कहा है कि, “तुम मेरी प्रजा हो।”
अब जो हमें करना चाहिए वह संसार के सभी लोगों को स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने के लिए सहायता करना है। वे उसे प्राप्त करने का रास्ता नहीं जानते।
जब मैं सुसमाचार के कार्य के लिए पहली बार अमेरिका गया था, तो मैं बिल्कुल नहीं जानता था कि वहां कैसे पेश आना है। कुछ लोगों ने आगे आकर मेरी सहायता की, और उनकी सहायता के लिए मैं ने बहुत कृतज्ञता महसूस की। लोग स्वाभाविक रूप से उनके प्रति कृतज्ञता दर्शाते हैं जो उन्हें वह सिखाते हैं जो वे नहीं जानते, फिर चाहे वह कोई छोटी सी चीज क्यों न हो। तब वे उसे कितना ज्यादा धन्यवाद देंगे जो उन्हें अनन्त स्वर्ग की नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता जानने के लिए सहायता करता है! स्वर्ग में भी वे उसकी सहायता के लिए हमेशा कृतज्ञ रहेंगे।
जब हम महिमामय स्वर्ग के राज्य में वापस लौटेंगे, तो हम स्वर्ग के नागरिकों के प्रभावशाली अधिकारों को भोगेंगे। बहुत से लोग जिन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं किया, वे स्वर्ग के दरवाजे पर उन्हें अंदर लेने के लिए गिड़गिड़ाएंगे। हालांकि, मसीह उनसे कठोर स्वर में कह देंगे कि, “मैं ने तुम्हें कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ!” लेकिन हम सब जो सिय्योन में हैं, हमारे साथ क्या होगा? हम सब सुरक्षित रूप से उस दरवाजे में प्रवेश कर सकेंगे। क्योंकि स्वर्ग हमारा घर और हमारा देश है।
हमें इतना महान आशीर्वाद देने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए, आइए हम उन अनगिनत लोगों की सहायता करें जो स्वर्ग की नागरिकता पाना चाहते हैं। आइए हम पूर्व से लेकर पश्चिम तक उत्सुकता से सुसमाचार का प्रचार करें। मैं आशा करता हूं कि सिय्योन के हमारे सभी भाई और बहनें परमेश्वर के अनुग्रह और प्रेम के द्वारा बहुतायत से फल पैदा करें।