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संसार को बचाने वाले मनुष्य बनो
हम कैसे एक योग्य और मूल्यवान जीवन जी सकते हैं? बहुत से दार्शनिकों ने स्वार्थ केन्द्रित और अहं केन्द्रित जीवन जीने के बजाय, मानवजाति की भलाई के लिए सहकारी जीवन जीने के बारे में ज्यादा सोचा है। मोंटेसक्यू नामक 18वीं सदी के एक फ्रांसीसी दार्शनिक ने ये मशहूर शब्द कहे: “यदि मैं ऐसी किसी चीज को जानता जो मेरे लिए लाभकारी है लेकिन मेरे परिवार के लिए हानिकारक है, तो मैं अपने विचार से उसे निकालता। यदि मैं ऐसी किसी चीज को जानता जो मेरे परिवार के लिए फायदेमंद है लेकिन मेरे देश के लिए नुकसानदेह है, तो मैं उसे भूल जाने की कोशिश करता। और यदि मैं ऐसी किसी चीज को जानता जो मेरे देश के लिए फलप्रद है लेकिन मानवजाति के लिए हानिप्रद है, तो मैं उसे एक अपराध समझता।”
मोंटेसक्यू ने कहा था कि यदि कोई चीज उसके लिए लाभकारी है लेकिन दूसरों के लिए हानिकारक है, तो वह बिना किसी हिचकिचाहट के उसे छोड़ देता है। परमेश्वर ने मानवजाति को सबसे बड़ा लाभ देने के लिए सब कुछ छोड़ दिया। अब, आइए हम संसार को बचाने इस पृथ्वी पर आए परमेश्वर के बारे में सोचें और पूरी मानवजाति के लिए अपने कार्य पर चिंतन करने का समय लें।
परमेश्वर की इच्छा है कि मानवजाति अनन्त जीवन पाए
रो 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया।
सभी मनुष्य पाप की वजह से मरणाधीन हैं; इस पृथ्वी पर मनुष्यों के जीवन में दुख ही दुख है, और आज नहीं तो कल, उन्हें मृत्यु का सामना करना पड़ता है। उन्हें मृत्यु से बचाने के लिए, परमेश्वर इस पृथ्वी पर शरीर पहनकर आए।
यूह 6:38–40 “क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं वरन् अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं; और मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उसने मुझे दिया है, उस में से मैं कुछ न खोऊं, परन्तु उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊं। क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है कि जो कोई पुत्र को देखे और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।”
यूह 6:47–54 “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है। जीवन की रोटी मैं हूं... जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी, मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा; और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है।”... यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।”
सब कुछ जो परमेश्वर ने इस पृथ्वी पर सिखाया और प्रचार किया, मानवजाति के लिए अत्यंत लाभदायी था। जैसा कि रोमियों के 5वें अध्याय में लिखा है, मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया। मानवजाति को अनन्त जीवन देने के लिए, परमेश्वर जीवन की रोटी के रूप में इस पृथ्वी पर आए। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि फसह की रोटी और दाखमधु उनका मांस और लहू है जिनका उन्होंने पूरे संसार को बचाने के लिए बलिदान किया।(मत 26:17–28) मृत्यु पूरी मानवजाति पर राज्य करती है, क्योंकि सब ने पाप किया है। तब ऐसी स्थिति में मानवजाति के लिए उस मृत्यु से छुटकारा पाने से ज्यादा अर्थपूर्ण या लाभदायी बात और क्या हो सकती है?
मसीह उद्धार के सुसमाचार, यानी नई वाचा को लेकर आए जिसका पाप और मृत्यु की छाया में तड़प रहे सभी मनुष्य बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे। उन्होंने प्रतिदिन प्रार्थना करना या सुसमाचार का प्रचार करना कभी नहीं रोका, ताकि वह नई वाचा के द्वारा मानवजाति को अनन्त जीवन दे सकें और उन्हें स्वर्ग के राज्य में ले जा सकें। इस पृथ्वी पर जी रहे सभी मनुष्यों के लिए अनन्त जीवन का मार्ग खोलने के लिए, उन्होंने स्वयं अपनी सुरक्षा और शांति का त्याग किया। ऐसा करके, वह उन्हें नरक से दूर और स्वर्ग के राज्य के पास ले आए।
मसीह अपना आनन्द और खुशी पीछे छोड़कर, स्वयं इस पृथ्वी पर आए और अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर पूरी मानवजाति की अगुआई करने के लिए जीवन की रोटी बन गए। पापों की क्षमा के लिए अपना बहुमूल्य लहू बहाकर, उन्होंने अनन्त जीवन का मार्ग खोल दिया। वे हमारे परमेश्वर, हमारे पिता और माता हैं।
जाओ और सभी जातियों को सुसमाचार का प्रचार करो
आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस बात को न जानते हैं कि एलोहीम परमेश्वर पृथ्वी पर आ चुके हैं और उन्होंने उनके लिए जीवन का मार्ग खोल दिया है, और केवल सांसारिक चीजों के लिए जीते हैं। इसलिए परमेश्वर हमसे पूरे संसार में जाकर सभी जातियों को अनन्त जीवन के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए कहते हैं।
यहेज 3:17 “हे मनुष्य के सन्तान, मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिए पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुंह की बात सुनकर, उन्हें मेरी ओर से चिताना।”
परमेश्वर ने हमें संसार के लोगों को जगाने के लिए पहरेदार बनाया है और कहा है कि हम उन्हें परमेश्वर की ओर से चेतावनी दें। परमेश्वर के द्वारा हमें सौंपे गए इस कार्य का अर्थ “परमेश्वर के हाथ और पांव बनकर उनके मुख के वचनों के द्वारा मानवजाति का उद्धार करना” है। यही पापों के कारण मरणाधीन बनी मानवजाति को स्वर्ग और अनन्त जीवन की आशा देने का एकमात्र रास्ता है। इसी कारण से परमेश्वर ने हमसे कहा है कि पृथ्वी पर अपना सांसारिक जीवन ईमानदारी से जीना महत्वपूर्ण है लेकिन सभी जातियों को जीवन के समाचार का प्रचार करना भी महत्वपूर्ण है।
मत 28:18–20 यीशु ने उनके पास आकर कहा... “इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।”
परमेश्वर स्वर्ग से अपनी खोई हुई सन्तानों को खोजने और उन्हें बचाने के लिए आए थे। आत्मिक रूप से देखें तो, हमारा घर स्वर्ग में है; यहां पृथ्वी पर हम परदेशी और बाहरी हैं।(इब्र 11:13) सुसमाचार का प्रचार करने के लिए परमेश्वर स्वर्ग से इतनी लम्बी यात्रा करके आए थे। हमें पूरे संसार में जाना चाहिए और सभी जातियों को सुसमाचार का प्रचार करना ही चाहिए।
पृथ्वी की सभी जातियां उद्धार के सुसमाचार का इंतजार कर रही हैं। परमेश्वर ने हमें पूरे संसार में सुसमाचार का प्रचार करने की आज्ञा दी है। आज हमें सौंपा गया यह प्रचार का मिशन एक महान और मसीहाई मिशन है जो मसीह के समान संसार को बचाना है। हमारे स्वर्गीय पिता और माता ने हमें बुलाया है और इस संसार को बचाने का मिशन हमें सौंपा है। हम उनके सौंपे गए इस मिशन की कैसे उपेक्षा कर सकते हैं?
“मेरा पिता अब तक काम करता है”
“जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।” इन शब्दों से, हम पिता की आवाज को सुन सकते हैं जो कहती है, “जल्दी से आकर मेरे साथ काम करो।”
यूह 5:17 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं।”
परमेश्वर आज भी मानवजाति के उद्धार के लिए कार्य कर रहे हैं। और वह हम से आग्रह करते हैं कि हम भी जाकर उनके साथ काम करें। “मेरा पिता अब तक काम करता है। इसलिए आइए हम साथ में काम करें। मैं इस विश्व सुसमाचार के कार्य की अगुआई करूंगा। जल्दी से आकर मेरे साथ कम करो।” यह मसीह का अंतिम अनुरोध था।
पिता की इच्छा है कि हम संसार के सभी लोगों को परमेश्वर के नियम और उनकी विधियां सिखाते हुए अनन्त जीवन और स्वर्ग के राज्य तक उनकी अगुआई करें। इसके लिए हमारे पिता बिना आराम किए 6,000 सालों से काम कर रहे हैं। हमें भी यही कार्य करने के लिए बुलाया और भेजा गया है।
जैसे हमारे पिता ने किया है, बिल्कुल वैसे ही हमें भी पूरे संसार में सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। हमारे चर्च ऑफ गॉड ने परमेश्वर की और इस कार्य की चेतना प्राप्त की है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि जो कार्य हम कर रहे हैं वह संसार पर आशीष लाता है। यह सच में गर्व करने वाली बात है।
जो परमेश्वर के साथ काम करते हैं वे स्वर्ग के राज्य में भी परमेश्वर के साथ रहते हैं।
यूह 12:26 यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहां मैं हूं, वहां मेरा सेवक भी होगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।
परमेश्वर स्वर्ग में हैं, लेकिन जहां कहीं भी हम सुसमाचार का कार्य करते हैं, वहां भी परमेश्वर हैं। हम उन परमेश्वर का पालन करते हैं जो स्वर्ग से लेकर पृथ्वी तक इस सर्वव्यापी सुसमाचार के कार्य का संचालन करते हैं।
यदि परमेश्वर उस जगह में हैं जहां सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा है, तो हमें भी उनके साथ वहीं पर होना चाहिए। जो स्वर्गीय पिता और माता के साथ सुसमाचार का कार्य करते हैं वे उनके साथ अनन्त स्वर्ग के राज्य में भी होंगे।
विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक जो सुसमाचार सौंपे जाने के योग्य हैं
हमारा जीवनकाल एक क्षण के समान है। इस पृथ्वी पर हमारे जीवनकाल की अवधि के बाद, प्रत्येक जन परमेश्वर के सामने खड़ा होगा। और उसने मानवजाति के लिए लाभकारी जीवन जिया है या नहीं, उसी के अनुसार उसका न्याय किया जाएगा। इस विषय का उदाहरण तोड़ों और मुहरों के दृष्टान्त से मिल सकता है।
लूक 19:12–27 अत: उसने कहा, “एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर लौट आए। उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं और उनसे कहा, ‘मेरे लौट आने तक लेन–देन करना।’... जब वह राजपद पाकर लौटा... अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन–देन से क्या–क्या कमाया। तब पहले ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से दस और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे कहा, ‘धन्य, हे उत्तम दास! तू बहुत ही थोड़े में विश्वासयोग्य निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख।’ दूसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से पांच और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे भी कहा, ‘तू भी पांच नगरों पर हाकिम हो जा।’ तीसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, देख तेरी मुहर यह है, जिसे मैं ने अंगोछे में बांध रखा था।’... उसने उससे कहा, ‘हे दुष्ट दास...’ और जो लोग निकट खड़े थे, उसने उनसे कहा, ‘वह मुहर उससे ले लो, और जिसके पास दस मुहरें हैं उसे दे दो।’...”
यह एक उदाहरण है जहां परमेश्वर यह जांच करते हैं कि हमने सुसमाचार का प्रचार करके मानवजाति के लिए कितना योगदान किया है। बाइबल साफ–साफ हमें दिखाती है कि जिसने मानवजाति के लिए ज्यादा योगदान किया है उस व्यक्ति को ज्यादा दिया जाएगा, लेकिन जिसने अपने तोड़े को मिट्टी में छिपा दिया और उसके साथ कुछ भी नहीं किया उस व्यक्ति के पास से जो है वह भी ले लिया जाएगा।
परमेश्वर स्वयं खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आए थे। नई वाचा की सन्तान के रूप में, जिन्होंने परमेश्वर का मांस और लहू पाया है, हमें भी संसार को बचाना चाहिए। हमें उस दुष्ट दास के समान नहीं बनना चाहिए जिसने एक मुहर को केवल रख छोड़ा और आलसी होने की वजह से डांटा गया था। हमें सिर्फ अपनी सुख–सुविधाओं के पीछे दौड़ने के बजाय अपने परिवार, पड़ोसी और देश का भला सोचते हुए, परमेश्वर का अनुग्रह दूसरों के साथ बांटना चाहिए, ताकि हम सब खुशी के साथ परमेश्वर का स्वागत कर सकें, है न?
एक धनी पुरुष की पुरानी कोरियाई कहानी है। एक दिन, उसने एक विज्ञापन छपवाया, जिसमें लिखा था कि वह अपनी पुत्रवधू का चुनाव करेगा। उस धनी पुरुष ने सभी उम्मीदवारों को परखने के लिए ऐसा काम दिया कि वे एक महीने तक दो दासों के साथ सिर्फ दो किलोग्राम चावल पर जीवित रहें। बहुत सी लड़कियों ने इस चुनौती में भाग लिया, लेकिन चाहे उन्होंने कितना भी कम क्यों न खाया, वे केवल कुछ दिन तक ही टिक सकीं।
एक और लड़की ने उस चुनौती में भाग लिया। उस धनी पुरुष ने उसे एक दास और एक दासी के साथ एक अतिथि कक्ष में ठहराया। वह पिछली सभी लड़कियों से अलग थी। उसने पहले दिन चावल पकाकर उससे चावल–केक बनाए। इस तरह उसने दो किलोग्राम चावल सिर्फ एक ही दिन में खा लिया। तब उसने अपने दास को लकड़ियां इकट्ठी करने और अपनी दासी को आस–पड़ोस से कुछ सिलाई का काम ले आने को भेजा, ताकि वह पैसे कमा सके। उसने अपने दासों के साथ ईमानदारी से काम किया और अपने कमाए पैसों से चावल खरीदे। एक महीने के बाद, खलिहान अनाज से भर गया और बहुत सी ईंधन की लकड़ियां इकट्ठी हो गईं। धनी पुरुष संतुष्ट होकर उसकी प्रशंसा की और उसे अपनी पुत्रवधू बनाया।
वास्तव में, धनी पुरुष ने अपने पुत्र को वेश बदलकर दास के रूप में वहां रखा था और उसे लड़कियों को बारीकी से जांचने को कहा था, ताकि वह उस लड़की को जो उसके परिवार को समृद्ध करने में सहायता कर सकती है, अपनी पुत्रवधू के रूप में चुन सके।
जब परमेश्वर अपने सुसमाचार के सेवकों को चुनते हैं, वह ऐसे लोगों को पसंद नहीं करते जो सुसमाचार के कार्य को नुकसान पहुंचाते हैं। जब परमेश्वर हमें तोड़े प्रदान करते हैं, हमें सोचना चाहिए कि कैसे हम उससे मुनाफा कमा सकते हैं और ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे मानवजाति को आशीष प्राप्त हो। तब हमारे तोड़े बढ़ेंगे। परमेश्वर हमें देखते हैं, और हमारे कार्यों के अनुसार हमारे तोड़ों को बढ़ाते हैं।
उस विश्वासयोग्य दास के समान जिसने दस अतिरिक्त मुहरें कमाई थीं, उस बुद्धिमान लड़की की तरह जिसने घर चलाने का अपना हुनर दिखाते हुए परिवार की संपत्ति में बढ़ोतरी की थी, हमें भी अपने तोड़ों का परमेश्वर के लिए इस्तेमाल करते हुए उन्हें प्रसन्न करना चाहिए। यदि हम परमेश्वर को निरंतर प्रार्थनाएं करते रहें और बहुतायत से फल पैदा करें, तो अनन्त स्वर्गीय राज्य में परमेश्वर हम सब की सराहना करेंगे।
परमेश्वर ने सब कुछ तैयार किया है
अब परमेश्वर ने पृथ्वी के सब लोगों के हृदयों को खोल दिया है और वह चाहते हैं कि हम बिना किसी हिचकिचाहट के उनकी ओर जाएं। चाहे परमेश्वर सब कुछ अकेले कर सकते हैं, उन्होंने हमें इस कार्य में सहभागी होने के मौके दिए हैं। परमेश्वर ने पहले से सब कुछ तैयार रखा है, और अब वह हमें केवल जाने के लिए कहते हैं। इसलिए आइए हम जाएं और उन तैयार किए हुए आशीर्वादों को प्राप्त करें।
भज 22:27–31 पृथ्वी के सब दूर–दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति जाति के सब कुल तेरे सामने दण्डवत् करेंगे। क्योंकि राज्य यहोवा ही का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है। पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत् करेंगे; वे सब जो मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के सामने घुटने टेकेंगे...
बाइबल कहती है कि पृथ्वी के सब दूर–दूर देशों के लोग परमेश्वर को स्मरण करेंगे और उनकी ओर फिरेंगे, और सारा संसार परमेश्वर के सामने दण्डवत् करेगा। परमेश्वर ने सभी जातियों के लोगों को अपने बारे में पुन: स्मरण कराया है और उन्हें अपनी ओर लौटाया है। यदि हम परमेश्वर के संपूर्ण वचन पर विश्वास न करें तो क्या होगा? हम परमेश्वर की इच्छा का पालन करने में असफल रहेंगे, और परमेश्वर हमारे लिए ठहराई गई आशीषों को याकूब के समान आशीष पाने के लिए कड़ी मेहनत करने वालों को दे देंगे।
हम भविष्यवाणी के लोग हैं। हमें उस मनुष्य के समान जो पेड़ के नीचे खड़ा होकर फल के गिरने का इंतजार करता है, बिना किसी प्रयास के केवल स्वर्गीय आशीर्वादों का इंतजार नहीं करना चाहिए। बल्कि, हमें भविष्यवाणी पर विश्वास करना चाहिए और अपने विश्वास को कार्य में लाना चाहिए। तब सब कुछ पूरा हो जाएगा। आइए हम लगातार परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए और भविष्यवाणी के अनुसार शीघ्रता से कार्य करते हुए, संसार को बचाने के लिए एक साथ मेहनत करें।
जब परमेश्वर कोई कार्य देते हैं जो हमें उनके बदले करना है, और हमें संसार में भेजते हैं, तो निश्चय ही वह हमें उस कार्य को करने के लिए सामथ्र्य प्रदान करते हैं। फारस के राजा कुस्रू के समय में, परमेश्वर ने उसके आगे जाकर पीतल के किवाड़ों को तोड़ डाला और लोहे के बेड़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए।(यश 45:1–4) इस तरह से, यदि हम भविष्यवाणी पर विश्वास करें और प्रचार करने जाएं तो परमेश्वर सुननेवालों के हृदयों को द्रवित करते हैं, ताकि चाहे हम भाषा को अच्छे से न बोल पाते हों, हमारा प्रचार उन्हें छू ले।
आइए हम अपने पड़ोसियों को जिन्होंने अभी तक उद्धार नहीं पाया है, और उद्धार की राह देखनेवाले संसार के लोगों को जीवन के सुसमाचार का प्रचार करें। हमें बिना किसी देश या जाति का भेद किए सभी लोगों को परमेश्वर के आशीषित और जीवनदायी वचनों का प्रचार करना चाहिए, और उद्धार के मार्ग की ओर उनकी अगुआई करनी चाहिए। यदि हम ऐसा करें, तो जब हमारे पिता हम से सुसमाचार के कार्यों का लेखा–जोखा लेंगे, हम भी उस मनुष्य के समान जिसने अतिरिक्त दस मुहरें कमाई थीं, बड़ा आशीर्वाद पाएंगे।