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भले कार्य करने के सुअवसर
कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने एक सफल जीवन नहीं जिया है क्योंकि उन्हें दूसरों से कम सुअवसर दिए गए थे। हालांकि, वे ऐसी बातें शायद इसलिए करते हैं कि वे अपने आसपास की परिस्थितियों को ध्यान से नहीं देखते और न्यायी और निष्पक्ष परमेश्वर की योजना को नहीं समझते। वास्तव में उन्हें बहुत से सुअवसर दिए जाते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर उन्हें सुअवसर जैसा नहीं समझते और लापरवाही से उन्हें खो देते हैं।
हमारे लिए भी, बहुत से सुअवसर आते और जाते हैं। सबसे बढ़कर, हमें ऐसा कोई सुअवसर नहीं खोना चाहिए जिससे हम परमेश्वर को प्रसन्न करने योग्य भला कार्य कर सकते हैं, ताकि हमें बाद में किसी भी बात का अफसोस न हो।
एक बार भला कार्य न करने से अनन्त समय तक अफसोस रहता है
रूस में कुछ ऐसा हुआ था। सर्दी की एक रात में जब उत्तर से बर्फीली हवा चल रही थी, एक गर्म घर में रहनेवाले व्यक्ति ने दरवाजे पर किसी की खटखटाहट सुनी। उसने यह जानी–पहचानी खटखटाहट अक्सर सुनी थी, और उसे पता चला कि जो दरवाजा खटखटा रहा था वह वही बुजुर्ग व्यक्ति था जो कभी–कभी उससे भीख मांगने के लिए आता था। जब कभी भी वह बुजुर्ग व्यक्ति आता था, तो वह उसे कुछ पैसे और कभी–कभी गर्म पेय देता था। उस रात, बाहर एक भयंकर बर्फानी तूफान आया था, और उसे यह ठीक न लगा कि वह दरवाजा खोले। हालांकि, उसने आदतन दरवाजा खोला और उसे कुछ पैसे दिए और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया।
उस बुजुर्ग व्यक्ति के जाने के बाद, उसे कुछ बेचैनी लगने लगी। वह एक बहुत ही ज्यादा ठंडी बर्फीली रात थी, और शायद उसके पास सोने के लिए कोई जगह भी नहीं थी, लेकिन उसने उसे दरवाजे के बाहर ही छोड़ा। इस बात से उसे बेचैनी होने लगी। जब उसने अपने घर में इधर उधर देखा, तो अंदर के कमरे में एक कंबल के साथ खाली बिस्तर था। वास्तव में उसके लिए यह कोई समस्या नहीं थी कि वह सिर्फ एक रात के लिए उस बुजुर्ग व्यक्ति को सोने के लिए वह बिस्तर दे। हालांकि, उसने सोचा कि उसे अंदर न बुलाना ही अच्छा होगा क्योंकि यदि वह गंदा बुजुर्ग व्यक्ति उस बिस्तर का इस्तेमाल करता, तो पूरे कमरे में एक गंदी सी बदबू फैल जाती और कंबल गंदा हो जाता। इस विचार के साथ अपने आपको आश्वासन देकर उसने सोने की कोशिश की।
कुछ दिनों के बाद, गांव में ठंड से जमा हुआ एक शव मिला। व्यक्ति जो जमकर मर गया था, वही बुजुर्ग था। वह किसी पोटली बैग को अपने छाती से कसकर चिपटाए हुए बेहद दयनीय हालत में मरा हुआ पाया गया था; लगता था कि वह भारी ठंड को सहन न कर पाया था।
उस बुजुर्ग की मृत्यु के बारे में सुनकर, उसे गहरा सदमा पहुंचा और वह अफसोस में डूब गया। इसके द्वारा, उसे यह समझ में आया कि, ‘मनुष्य को परमेश्वर से अपने किए हुए पापों की क्षमा पाने का अवसर मिल सकता है, लेकिन यदि वह कुछ भला कार्य करने के अवसर को गंवा दे, तो उसे अनन्त काल तक अफसोस और पछतावा रहेगा, और वह आजीवन दुखी रहेगा।’
यहूदा इस्करियोती और मरियम के बीच का अंतर
उस मनुष्य की कहानी के द्वारा जिसने खुद को भलाई करने का सुअवसर दिए जाने पर भी ऐसा नहीं किया था और इस कारण से अफसोस किया था, हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमें परमेश्वर से अपने बुरे कार्यों के लिए क्षमा पाने का अवसर मिलता है। लेकिन यदि हम कोई भला कार्य करने का सुअवसर दिए जाने पर भी उसे न करें, तो हम बाद में उस अवसर को गंवा देने के कारण हमेशा के लिए अफसोस करेंगे। हमें इसके बारे में सोचना चाहिए।
आइए हम अपने आसपास देखें। ऐसे बहुत से भले कार्य हैं जो हम कर सकते हैं। हालांकि, यदि हम परमेश्वर के द्वारा हमें दिए गए सुअवसरों का उपयोग नहीं करते, तो यह अनन्त अफसोस लाता है। हम यहूदा इस्करियोती की घटना के द्वारा इस बात की पुष्टि कर सकते हैं।
क्या उसे पूर्ण रूप से मसीह को ग्रहण करने के बहुत से सुअवसर नहीं दिए गए थे? प्रतिदिन वह यीशु के साथ रहता था और उनकी शिक्षाओं को सुनता था जो स्वर्ग की आशा रखने में और परमेश्वर में अपना विश्वास मजबूत करने में उसकी सहायता करती थीं। इस तरह से, उसे बहुत से सुअवसर दिए गए थे, लेकिन उसने उन सब को गंवा दिया।
उसके विपरीत मरियम ने भलाई करने के सुअवसर को नहीं खोया। उसने अपना पूरा कीमती इत्र यीशु के माथे और पैरों पर उंडेल दिया, अपने आंसुओं से उनके पांव भिगो दिए, और अपने बालों से उन्हें पोंछा। यीशु ने मरियम के भले कार्यों की प्रशंसा की और अपने चेलों से कहा कि, “सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्मरण में किया जाएगा।” (मत 26:6–13; मर 14:3–9; लूक 7:36–50; यूह 12:1–8)
हमारे पास, जो आज मसीह का पालन करते हैं, बहुत से सुअवसर हैं। मरियम के समान, हमें भी अपने पूरे हृदय से परमेश्वर की आराधना करने के, प्रचार के द्वारा लोगों को बचाने के, और सभी कठिनाइयों और अत्याचारों को सहन करते हुए मसीह का मन जानने के सुअवसर दिए जाते हैं। यद्यपि ये सब सुअवसर हमें दिए जाते हैं, लेकिन यदि हम उन्हें न पहचानें और उन्हें पकड़ लेने में असफल रहें, तो हम यहूदा इस्करियोती के समान कुड़कुड़ाएंगे और शिकायत करेंगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के सुअवसर को भी गंवा देंगे।
स्वर्ग का राज्य जो भलाई करने के सुअवसरों को न गंवाने वालों के लिए तैयार किया गया है
मत्ती रचित सुसमाचार विस्तार से समझाता है कि सुअवसर को पकड़कर परमेश्वर को ग्रहण करनेवाले लोग और सभी सुअवसरों को गंवाकर परमेश्वर की उपासना न करनेवाले मूर्ख लोग क्या परिणाम सामने लाते हैं।
मत 25:31–40 जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ आएंगे, तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा। और सब जातियां उसके सामने इकट्ठा की जाएंगी; और जैसे चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है, वैसे ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा। वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकरियों को बाईं ओर खड़ा करेगा। तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, “हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया गया है। क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया; मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया; मैं नंगा था, और तुमने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, और तुमने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, और तुम मुझसे मिलने आए।” तब धर्मी उसको उत्तर देंगे, “हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया?... हमने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझसे मिलने आए?” तब राजा उन्हें उत्तर देगा; “मैं तुम से सच कहता हूं कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।”
2,000 साल पहले, लोगों को उन परमेश्वर की उपासना करने का सुअवसर दिया गया था जो शरीर पहनकर आए थे। इस समय भी, हमारे पास शरीर पहनकर आए परमेश्वर, पवित्र आत्मा और दुल्हिन को ग्रहण करने का सुअवसर है। “तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया,” यीशु के इन शब्दों को ध्यान में रखें, तो हमारे पास अपने भाइयों और बहनों को प्रेम देकर परमेश्वर को ग्रहण करने के बहुत से सुअवसर होते हैं।
जो परमेश्वर के दाहिनी ओर हैं, उन्होंने परमेश्वर के दिए हुए सभी सुअवसरों को पकड़ लिया है। परमेश्वर ने स्वर्ग के सभी आशीर्वादों को उनके लिए तैयार रखा है, जो परमेश्वर की शिक्षाओं के अनुसार भलाई करने के सुअवसरों को पकड़ते हैं।
लेकिन जो परमेश्वर के बाईं ओर हैं, उन्होंने अनन्त जीवन में प्रवेश करने के लिए परमेश्वर के दिए हुए सभी सुअवसरों और परिस्थितियों की उपेक्षा की है। परिणामस्वरूप, वे मसीह से अलग होकर शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई अनन्त आग में चले गए।(मत 25:41–46)
किसी का जीवन बचाना सबसे बड़ी भलाई है
बाइबल की सभी शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, हमें भलाई करने के सुअवसरों को नहीं गंवाना चाहिए। क्या सबसे बड़ी भलाई जीवन बचाना नहीं? अपने प्राण से ज्यादा किसी दूसरे के प्राण की देखभाल करना ही भले कामों में से सबसे उत्तम होता है।
यीशु ने भले कार्यों के प्रतिनिधिक उदाहरण के रूप में दयालु सामरी का दृष्टान्त कहा था।
लूक 10:30–37 यीशु ने उत्तर दिया, “एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार पीटकर उसे अधमरा छोड़कर चले गए। और ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था, परन्तु उसे देख के कतराकर चला गया। इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतराकर चला गया। परन्तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। उसने उसके पास आकर उसके घावों पर तेल और दाखरस ढालकर पट्टियां बांधीं, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उसकी सेवा टहल की। दूसरे दिन उसने दो दिनार निकालकर सराय के मालिक को दिए, और कहा, ‘इसकी सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा।’ अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?” उसने कहा, “वही जिस ने उस पर दया की।” यीशु ने उससे कहा, “जा, तू भी ऐसा ही कर।”
ऊपर के वचनों में, हम ऐसे दो व्यक्तियों को देख सकते हैं जिन्होंने एक सुअवसर के प्रति लापरवाही बरती। जब एक याजक और लेवी ने उस मनुष्य को देखा जो डाकुओं के हाथों में पड़ गया था और अधमरा छोड़ दिया गया था, तब वे कतराकर चले गए। उनके समान जो परमेश्वर के बाईं ओर हैं, उन्होंने भलाई करने के सुअवसर को छोड़ दिया। हालांकि, सामरी व्यक्ति ने उस सुअवसर को नहीं गंवाया; जब उसने उस मनुष्य को देखा जो डाकुओं से घिर गया था, तो उसने उसकी जान बचाई।
यदि उस सामरी व्यक्ति ने उसे अकेला छोड़ दिया होता, तो वह मर गया होता। हम भी बिल्कुल उस व्यक्ति के समान ही थे जो डाकुओं से घिर गया था। परमेश्वर ने भले सामरी के समान हमारे साथ व्यवहार किया और हमें भी वैसा ही करने के लिए कहा है। जब हम दूसरों को अपना शारीरिक जीवन बहाल करने में मदद करें, तो यह कितना भला कार्य होगा! तब यदि हम उनकी मरणाधीन आत्माओं को बचाएं तो? उससे बढ़कर दूसरी कोई भलाई नहीं है।
हम ने पहले से उद्धार और अनन्त जीवन पाया है, और अब हमें सामरी व्यक्ति के समान भलाई करने के सुअवसर दिए गए हैं। आइए हम अपने आपको जांचें: जैसे उस याजक और लेवी ने किया था, वैसे ही क्या हम भी ऐसा नहीं सोच रहे हैं कि हमारा उससे कोई लेना–देना नहीं है? और परमेश्वर के द्वारा हमें दिए गए सुअवसरों को तो नहीं गंवा रहे हैं? हमारे आसपास बहुत से सुअवसर हैं। हमें उनमें से किसी को भी नहीं गंवाना चाहिए।
प्रेरित पौलुस ने भलाई करने के सुअवसरों को नहीं गंवाया था
प्रेरित पौलुस उन में से एक था जिसने कभी भी भलाई करने के सुअवसरों को नहीं गंवाया था। चूंकि उसने भलाई करने के सभी सुअवसरों को पकड़ लिया था, जब उसने मुड़कर अपने पिछले जीवन को देखा तो उसे कोई अफसोस नहीं हुआ था।
2तीम 4:5–8 पर तू सब बातों में सावधान रह, दु:ख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर, और अपनी सेवा को पूरा कर... और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा, और मुझे ही नहीं वरन् उन सब को भी जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।
पौलुस ने कहा कि उसे कोई भी अफसोस या शर्म महसूस नहीं होती क्योंकि उसने अच्छी कुश्ती लड़ी है और अपनी दौड़ पूरी की है। जैसे यीशु ने किया था, वैसे ही उसने भी दयालु सामरी के समान अपना जीवन उन लोगों की आत्माओं के लिए, जो अकेले छोड़े जाने पर मर जाने वाले थे, भले कार्य करते हुए बिताया। वह उन लोगों के निराशाजनक भविष्य के लिए बहुत चिन्तित था जो परमेश्वर को नहीं जानते और सुसमाचार को नहीं सुनते; उसने जिनके पास आशा नहीं थी उन्हें आशा दी, और जो सत्य को नहीं जानते थे उन्हें सत्य का प्रचार किया। इस तरह से, उसने परमेश्वर के वचनों से उनकी घायल आत्माओं को चंगा किया।
2कुरिन्थियों का 11वां अध्याय दिखाता है कि पौलुस ने बुरी तरह से पीटे जाने पर भी और हर प्रकार के भय और दुख का सामना करने पर भी, खुद को दिए गए सुअवसर को गंवाए बिना, दूसरों के साथ जीवन बांटने के लिए, दिन और रात मेहनत की।(2कुर 11:23–27) उसका जीवन इतना प्रशंसनीय था। इसलिए अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखते हुए, उसने आत्मविश्वास के साथ कहा कि, “भविष्य में मेरे लिए धर्म का मुकुट रखा हुआ है।”
जब परमेश्वर प्रत्येक जन को उसके कार्यों के अनुसार इनाम देंगे, तो उस समय हमें अपने कार्यों के कारण अफसोस नहीं होना चाहिए। याजक और लेवी डाकुओं के हाथों में पड़े हुए मनुष्य के जीवन की परवाह किए बिना कतराकर चले गए। ऐसे दृष्टान्त के द्वारा, यीशु हमें, जो आज इस युग में हैं, सिखाते हैं कि जो अपने आपको आत्माओं को बचाने में समर्पित करते हैं वे आशीर्वादित लोग हैं जो परमेश्वर के दिए हुए सुअवसर को गंवाते नहीं।
चूंकि पौलुस ने खुद को दिए गए सुअवसरों को नहीं गंवाया, इसलिए वह आत्मविश्वास के साथ कह सका कि उसने बिना किसी अफसोस के जीवन जिया है। आइए हम सोचें कि आज हमें कौन से सुअवसर दिए गए हैं। सुअवसर सभी के लिए होते हैं। चाहे हम कहीं भी हों और हमारी परिस्थिति कैसी भी हो, हम सभी के लिए सुअवसर होते ही हैं।
यीशु एक अच्छे चरवाहे हैं जिन्होंने भेड़ों के लिए अपना प्राण दे दिया
यीशु मसीह एक दयालु सामरी थे। उन्होंने कभी भी भलाई करने का सुअवसर नहीं गंवाया। वह मर रही आत्माओं के लिए चिन्तित थे और हमें बचाने के सुअवसर से पीछे नहीं मुड़े और हमारे लिए अपना प्राण छोड़ दिया।
यूह 10:10–11 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है।
यीशु एक अच्छे चरवाहे और दयालु सामरी थे क्योंकि वह हमें जीवन देने के लिए आए थे। जब किसी ने भी हमारे जीवन की परवाह नहीं की, उस समय वह हमारे पास एक दयालु सामरी के रूप में आए और हमारी मरणाधीन आत्माओं को जगाया और नई वाचा के द्वारा हमें चंगा किया। उन्होंने हमें वह रोटी और दाखमधु खिलाकर जिसमें अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा है, नई शक्ति दी है और हमें अनन्त स्वर्ग के राज्य का रास्ता दिखाया। मसीह के जैसे, हमें भी उन लोगों को जो अपना भविष्य नहीं जानते और लक्ष्यहीन होकर जी रहे हैं, बताना चाहिए कि स्वर्ग के राज्य का अस्तित्व सच में है, और हमें नई वाचा के सेवकों के रूप में उनकी आत्माओं को अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर ले जाना चाहिए।
मसीह ने कहा था कि वह इसलिए आए हैं कि भेड़ें जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। और उन्होंने हमें वैसे ही करने के लिए कहा है जैसा उन्होंने किया है। आइए हम संसार के लोगों पर ध्यान दें, और उन आत्माओं पर दया करते हुए जो अकेले छोड़े जाने पर अनन्त नरक की आग में जाएंगी, उनके समीप जाएं, और उन्हें एक एक करके जगाएं, और दयालु सामरी के जैसे परमेश्वर के वचनों की दवाई के द्वारा उनकी घायल आत्माओं का इलाज करें। तब परमेश्वर चमत्कार करके उनके सभी घावों को चंगा कर देंगे।
“जा, तू भी ऐसा ही कर”
मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप सिर्फ शरीर की इच्छाओं का, यानी इस संसार की निष्फल और निरर्थक चीजों का पीछा करके अंत में अफसोस करने के बजाय, प्रयत्न करें कि प्रेरित पौलुस के समान सुअवसरों को पकड़ें और बिना किसी अफसोस के जीवन जीएं।
रो 10:12–17 ... “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें? और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें? और प्रचारक बिना कैसे सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो कैसे प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!”... अत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है।
रास्ते में किसी व्यक्ति पर डाकू टूट पड़े, और उसे मारपीट कर अधमरा छोड़ दिया गया है, लेकिन यदि कोई उस पर ध्यान न दे, तो वह कैसे जी सकता है? वह विश्वास से है जिससे मर रही आत्माएं जी सकती हैं। जब तक कोई उन्हें प्रचार न करे, तब तक वे कैसे विश्वास और उद्धार पा सकती हैं? इसलिए परमेश्वर ने कहा है कि, “उनके पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!”
हम अपने परिवार को, पड़ोसियों को और दोस्तों को सुसमाचार का प्रचार करने का प्रयास करते आए हैं, ताकि हम भलाई करने के सुअवसरों को न गंवा बैठें। हालांकि, अभी भी ऐसी बहुत सी आत्माएं हैं जो उद्धार की अभिलाषा करते हुए इंतजार कर रही हैं कि हम जाकर उन्हें प्रचार करें। इसलिए एक दयालु सामरी के समान, हमें हमेशा उनकी अच्छे से देखभाल करनी चाहिए। चाहे वे सुनने से मना कर दें, तो भी हमें निराश नहीं होना चाहिए। चाहे वे सुनें या ना सुनें, यदि हम उन्हें सुसमाचार का प्रचार करते रहें, तो आज नहीं तो कल, यह समाचार जिसका हम प्रचार करते हैं, पूरे संसार को चंगाई देने की दवाई बन जाएगी।
हमें सुअवसर दिए जाने पर भी, यदि हम यह न कर पाएं, तो हमें हमेशा इसका अफसोस रहेगा। अब से लेकर, आइए हम परमेश्वर के दिए सभी सुअवसरों को भलाई करने के लिए पकड़ लें। यीशु ने कहा है कि यदि कोई छोटों में से एक को केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए तो वह किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा।(मत 10:42) किसी को केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाने जैसा छोटा सा कार्य भी भलाई करने का एक बहुमूल्य सुअवसर है।
परमेश्वर की उपासना करने का सुअवसर, मर रही आत्माओं को बचाने का सुअवसर, अपने पड़ोसियों से प्रेम रखने का सुअवसर... हमारे पास भला कार्य करने के बहुत से सुअवसर होते हैं। मैं उत्सुकता से आशा करता हूं कि हमारे सिय्योन के भाइयों और बहनों में से कोई भी भले कार्य करने के किसी सुअवसर को न गंवाए, ताकि जब हम सब अनन्त स्वर्ग के राज्य में पहुंचें तो परमेश्वर से ढेरों प्रशंसा और इनाम पा सकें।