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हमारी आत्मा का उद्धार, अनन्त जीवन को खोजो
बाइबल हमें कहती है कि हमारे विश्वास का प्रतिफल हमारी आत्माओं का उद्धार है(1पत 1:8)। यदि हम परमेश्वर पर विश्वास करते हुए भी उद्धार पाने में नाकाम रहें, तो हमारा विश्वास व्यर्थ है और हम किसी और की तुलना में अधिक दयनीय होंगे। बाइबल कहती है कि एकमात्र जगह जहां उद्धार न पानेवाले लोग जाएंगे, वह नरक है—अनन्त यातना की जगह। इसलिए, हमें अपने उद्धार के मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
सबसे ऊपर, हमें परमेश्वर के बारे में जानने की जरूरत है जो हमारी आत्माओं को बचाते हैं। 2,000 वर्ष पहले, बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते थे, लेकिन वे परमेश्वर को नहीं जानते थे। यह इसलिए क्योंकि परमेश्वर जो बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार शरीर में आए, यानी यीशु मसीह उनकी अपेक्षा की तुलना में बहुत अलग दिखे। आज बहुत से लोग कहते हैं कि उन्हें परमेश्वर पर विश्वास है। हालांकि, यदि वे बाइबल की भविष्यवाणियों पर ध्यान न दें, तो वे परमेश्वर को अस्वीकार करेंगे जो मानवजाति को बचाने के लिए दूसरी बार आए हैं, ठीक जैसे यहूदियों ने परमेश्वर को क्रूस पर चढ़ाया था जो अपने देश में आए थे।
उद्धार परमेश्वर पर निर्भर है। हमें यह स्वीकार करते हुए कि परमेश्वर उद्धार देते हैं, परमेश्वर की लिखी अनुदेश पुस्तिका, बाइबल का इनकार नहीं करना चाहिए। परमेश्वर ने बाइबल में उद्धार के सभी सिद्धांतों को प्रगट किया है।
केवल वे ही जिनके पास परमेश्वर की गवाही हैं, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं
बाइबल में एक आवश्यक संदेश है। वह हमारी आत्माओं का उद्धार, अनन्त जीवन का संदेश है। इसलिए हमें ईमानदारी से बाइबल का अध्ययन करना चाहिए।
यूह 5:39–40 तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।
वह अनन्त जीवन है जिसे हमें बाइबल के द्वारा खोजना चाहिए। जीवन बहुत छोटा है। जब हमारा जीवन समाप्त होता है, तब वह क्षण आएगा जब हम परमेश्वर से मिलेंगे। इसलिए हमें आनेवाले स्वर्ग के राज्य की ओर देखना चाहिए और भविष्य के लिए तैयारी करनी चाहिए।
मार्ग जो बाइबल हमें दिखाती है वह उद्धार का मार्ग यानी स्वर्ग जाने का मार्ग है। आइए हम बाइबल की गवाही के द्वारा देखें कि किस प्रकार के लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।
मत 7:21 “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।
यीशु ने कहा, “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा।” इसलिए हमें अपने उद्धार के मामले के बारे में बहुत सावधान रहने की जरूरत है। स्वर्ग का राज्य वह जगह है जहां सिर्फ वे प्रवेश कर सकते हैं जो स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलते हैं।
बाइबल के द्वारा ही हम पिता की इच्छा को खोज सकते हैं। हमें परमेश्वर की इच्छा पर चलना चाहिए जिसे बाइबल ने हमें दिखाया है, और सच्चे परमेश्वर से मिलना चाहिए, जो स्वर्ग के मार्ग पर हमारी अगुवाई करते हैं। बाइबल हमें उस गवाही के बारे में समझाती है जो हमें अनन्त स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम बनाती है।
1यूह 5:9–12 जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं, तो परमेश्वरर की गवाही तो उससे बढ़कर है; और परमेश्वनर की गवाही यह है कि उसने अपने पुत्र के विषय में गवाही दी है। जो परमेश्वेर के पुत्र पर विश्वाकस करता है वह अपने ही में गवाही रखता है। जिसने परमेश्वार पर विश्वास नहीं किया उसने उसे झूठा ठहराया, क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्वारस नहीं किया जो परमेश्वयर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। और वह गवाही यह है कि परमेश्वरर ने हमें अनन्त जीवन दिया है, और यह जीवन उसके पुत्र में है। जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्वबर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है।
जब हम परमेश्वर की गवाही के साथ स्वर्ग के फाटक पर पहुंचेंगे, तब परमेश्वर यह कहते हुए हमें स्वर्ग में प्रवेश करने की अनुमति देंगे, “तुम मेरी प्रजा हो,” और वह उन्हें प्रवेश करने से रोकेंगे जिनके पास परमेश्वर की गवाही नहीं है। गवाही जो परमेश्वर ने हमें दी है, वह अनन्त जीवन है, जो यीशु मसीह में है। आइए हम खोजें कि कैसे मसीह में अनन्त जीवन हमें दिया जा सकता है और परमेश्वर कैसे उनके बीच भेद करते हैं जिनके पास मनुष्य का पुत्र है और जिनके पास नहीं है।
यूह 6:48–57 जीवन की रोटी मैं हूं... जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा... यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा... जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में। जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा, और मैं पिता के कारण जीवित हूं, वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा।
2,000 वर्ष पहले, जब परमेश्वर शरीर में इस पृथ्वी पर आए थे, तब उन्होंने स्वयं हमें सिखाया कि कैसे अनन्त जीवन पा सकता है। यीशु ने कहा, “मैं जीवन की रोटी हूं,” और कहा कि वह जो उन्हें खाएगा, अनन्त जीवन पाएगा। “जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, वह मुझे में स्थिर बना रहता है और मैं उस में,” यह वचन, 1यूहन्ना के इस वचन के समान है, “जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है।”
जो यीशु का मांस नहीं खाता और उनका लहू नहीं पीता, उसके पास अनन्त जीवन नहीं है। यदि हमारे पास अनन्त जीवन यानी परमेश्वर की गवाही नहीं है, तो हम उनमें से एक बनेंगे जो सिर्फ अपने मुंह से परमेश्वर से कहते हैं, “हे प्रभु, हे प्रभु।” स्वर्ग का राज्य वह जगह है जहां मृत्यु नहीं है। इसलिए सिर्फ वे जिनके पास अनन्त जीवन है, वहां रह सकते हैं। जिसके पास अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा नहीं है, वह कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। परमेश्वर की गवाही, अनन्त जीवन पाने के लिए, हमें यीशु का मांस खाना और उनका लहू पीना चाहिए।
अनन्त जीवन की गवाही, फसह
स्वर्ग के राज्य में जाने के लिए, हमें बाइबल के अनुसार परमेश्वर की निश्चित गवाही की जरूरत है। परमेश्वर ने हमें बाइबल के द्वारा सिखाया है कि हम कैसे यीशु का मांस खा सकते हैं और उनका लहू पी सकते हैं।
मत 26:17–19, 26–28 अखमीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?” उसने कहा, “नगर में अमुक व्यक्ति के पास जाकर उससे कहो, ‘गुरु कहता है कि मेरा समय निकट है। मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहां पर्व मनाऊंगा’।” अत: चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी और फसह तैयार किया... जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”
यीशु ने अपने चेलों को फसह का पर्व तैयार करने की आज्ञा दी, और फसह मनाते हुए अपनी सेवकाई के आखिरी क्षणों को बिताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि फसह उनका मांस खाने और उनका बहुमूल्य लहू पीने की विधि है। इसलिए फसह के द्वारा मानवजाति यीशु का मांस खा सकती और उनका लहू पी सकती है। आखिरकार अनन्त जीवन पाने का मार्ग, नई वाचा का फसह सबसे बड़ी गवाही है जो परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा के द्वारा हमें दी है।
चूंकि यीशु ने कहा कि जब तक हम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाएं और उसका लहू न पीएं, तब तक हम में जीवन नहीं है, तो फसह मनाए बिना हम कैसे बचाए जा सकते हैं? हमें अस्पष्ट विश्वास से अपने उद्धार पर विश्वास नहीं करना चाहिए। हमारे पास उद्धार की गवाही होनी चाहिए जिसकी बाइबल साबित करता है।
लूक 22:7–15, 19–20 तब अखमीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था। यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा: “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।”... उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया और फसह तैयार किया। जब घड़ी आ पहुंची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।”... फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।”
क्रूस पर चढ़ाए जाने के एक दिन पहले, यीशु ने फसह पर जीवन की वाचा की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।” यीशु के यह वचन दिखाते हैं कि वह हमें बचाने के लिए कितने चिंतित थे।
जब हम फसह के सत्य के द्वारा यीशु के मांस और लहू प्राप्त करके फिर से सृजे जाते हैं, तब हम अनन्त जीवन पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। इसी लिए यीशु को बड़ी लालसा थी कि वह अपने चेलों के साथ फसह खाएं। नई वाचा जिसे यीशु ने स्वयं अपने मांस और लहू के द्वारा स्थापित किया, उसमें हम पापियों को बचाने और स्वर्ग ले जाने की उनकी उत्सुक अभिलाषा समाई है।
“जो नई वाचा मनाते हैं, वे मेरे लोग होंगे”
प्रेरितों ने भी स्वयं यीशु के द्वारा स्थापित नई वाचा का फसह मनाया। सिर्फ वे ही जो विश्वास के साथ नई वाचा के इस सत्य को अभ्यास में लाते हैं, अनन्त स्वर्ग के राज्य में जा सकते हैं। परमेश्वर ने यिर्मयाह की पुस्तक में इस बात पर बार–बार जोर दिया।
यिर्म 31:31–33 फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बांधूंगा। वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली। परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बांधूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
परमेश्वर ने कहा कि वह नई वाचा की घोषणा करेंगे और उनके परमेश्वर होंगे जिनके हृदयों पर उनकी व्यवस्था लिखी है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने उन लोगों का परमेश्वर होने की प्रतिज्ञा की है जो नई वाचा के सत्य में रहते हैं, लेकिन उनका परमेश्वर होने की नहीं जो सिर्फ उनसे “हे प्रभु, हे प्रभु,” कहते हैं।
स्वर्ग का द्वार उनके लिए खोला जाएगा जो पिता की इच्छा पर चलते हैं। यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक हम उनका मांस न खाएं और उनका लहू न पीएं, हम में जीवन नहीं है। लेकिन कुछ लोग परमेश्वर के वचन के विरुद्ध यह दावा करते हुए लोगों को गुमराह करते हैं कि यीशु का मांस न खाने और उनका लहू न पीने के बावजूद वे बचाएं जाएंगे। यह स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करके उनकी खुदकी आत्माओं को ही नहीं लेकिन दूसरों की आत्माओं को भी नरक ले जाने का कार्य है; वे दोनों बहुत ही खतरनाक स्थिति में हैं। वे सभी स्वर्ग के द्वार से प्रवेश करने से रोके जाएंगे। इसलिए, जब वे यीशु से कहते हैं, “हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?” तब वह उनसे कहेंगे, “मैंने तुमको कभी नहीं जाना”(मत 7:21–23)।
बाइबल कहती है कि परमेश्वर की गवाही अनन्त जीवन है और परमेश्वर हमें नई वाचा के फसह के द्वारा अनन्त जीवन देते हैं। परमेश्वर इसके अनुसार कि उनके हृदयों में नई वाचा—सत्य की व्यवस्था है या नहीं, फर्क करते हैं कि कौन उनके लोग हैं और कौन नहीं। परमेश्वर के लोग वे हैं जो नई वाचा में रहते हैं और उसे मनाते हैं।
हमें मनुष्य के दृष्टिकोण से परमेश्वर को नहीं देखना चाहिए। यहूदी, जिन्हें आत्मविश्वास था कि वे पूरी तरह से परमेश्वर पर विश्वास करते थे, ने शरीर में इस पृथ्वी पर आए परमेश्वर को स्वीकार नहीं किया और उन्हें क्रूस पर चढ़ाया। यह ऐतिहासिक घटना इस युग में रहनेवाले हमारे लिए एक उदाहरण है। आत्मिक बातों को आत्मिक बातों से जांचा जाना चाहिए(1कुर 2:13)। जब हम बाइबल, परमेश्वर के आत्मिक शब्दों की पुस्तक के द्वारा परमेश्वर को देखते हैं, जो आत्मा हैं, तो हम सच्चे परमेश्वर को खोज सकते हैं।
फसह, जो हमें अंतिम युग में बचाए जाने के लिए मनाना चाहिए
हमें आत्माओं का उद्धार अर्थात् अनन्त जीवन खोजना चाहिए। चूंकि हमने अनन्त जीवन पाया है, तो हम सिय्योन में रहनेवाले परमेश्वर से मिले हैं, है न? बाइबल हमें दिखाती है कि जो नई वाचा फसह के सत्य के द्वारा सभी लोगों को अनन्त जीवन देते हैं, वह हमारे परमेश्वर हैं।
यश 25:6–9 सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसा भोज तैयार करेगा जिसमें भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा। और जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब जातियों पर लटका हुआ है, उसे वह इसी पर्वत पर नष्ट करेगा। वह मृत्यु का सदा के लिये नाश करेगा... उस समय यह कहा जाएगा, “देखो, हमारा परमेश्वर यही है, हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उससे उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।”
भाव “वह मृत्यु का सदा के लिए नाश करेगा,” का मतलब है कि वह अनन्त जीवन देंगे। दाखमधु जिसमें मृत्यु का नाश करने की शक्ति है वह फसह का दाखमधु है जिसकी मसीह ने अपने लहू के रूप में प्रतिज्ञा की है। “निथरा हुआ दाखमधु,” यह शब्द संकेत करते हैं कि लंबे समय से फसह नहीं मनाया गया था।
नई वाचा का फसह, जो यीशु के द्वारा स्थापित किया गया था, वह प्रेरितों के द्वारा सौंपा जा रहा था। लेकिन प्रेरितों के युग के अन्त से जीवन का यह सत्य हमारे दुश्मन शैतान के द्वारा नष्ट होने लगा। नबी दानिय्येल और प्रेरित पौलुस के द्वारा पहले ही से बाइबल में इसकी भविष्यवाणी की गई थी। आखिरकार 325 ई. में, फसह निकिया की परिषद में मिटा दिया गया। मनुष्यों ने मनमाने ढंग से परमेश्वर की व्यवस्था को नष्ट किया।
बाइबल कहती है कि वह जो निथरा हुआ दाखमधु यानी फसह के दाखमधु के द्वारा मृत्यु का नाश करते और हमें अनन्त जीवन देते हैं, परमेश्वर है, जिनकी बाट हम जोहते आए थे। हमें उद्धार पाने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए, जो नई वाचा फसह के द्वारा हमें अनन्त जीवन देते हैं।
हमारे क्षणिक चुनाव हमारे अनन्तकाल को तय करते हैं, ठीक जैसे एक विज्ञापन कहता है, “क्षणिक चुनाव का प्रभाव आपके जीवन के दस वर्षों तक पड़ता है।” उन लोगों के झूठे सिद्धांतों के द्वारा भरमाए जाने के बजाय, जो कहते हैं कि वे परमेश्वर की किसी भी गवाही के बिना बचाए गए हैं, हमें वह समझना चाहिए जो परमेश्वर ने बाइबल के द्वारा हमें सिखाया है। परमेश्वर के वचनों के द्वारा हमें स्पष्ट गवाहियां प्राप्त करनी चाहिए, और परमेश्वर की दी हुईं गवाहियों के द्वारा हमारे उद्धार में आत्मविश्वास होना चाहिए। बाइबल परमेश्वर का वचन है, जो उद्धार का मार्ग, स्वर्ग का मार्ग दिखाता है। हमें संपूर्ण रूप से इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए।
परमेश्वर का वचन हमें आत्मिक दुनिया को देखने के लिए हमारी आत्मिक आंखों को खोलने में मदद करता है, ठीक जैसे सूक्ष्मदर्शी या दूरबीन उन चीजों को देखने में मदद करते हैं जो हमारी शारीरिक आंखों में अदृश्य हैं। बाइबल के द्वारा, सिय्योन के लोग स्वर्ग के राज्य को देख सकते हैं, परमेश्वर को महसूस कर सकते हैं और अनन्त जीवन पा सकते हैं।
परमेश्वर उन जगहों पर निवास नहीं करते जहां नई वाचा का फसह नहीं मनाया जाता, और ऐसी जगहों में उद्धार नहीं हैं। परमेश्वर ने उन्हें अनन्त जीवन देने की प्रतिज्ञा की है जो नई वाचा मनाते हैं। हमें मनुष्यों की व्याख्या के अनुसार परमेश्वर की प्रतिज्ञा को बिगाड़ना नहीं चाहिए। सिय्योन के भाइयो और बहनो! मुझे आशा है कि आप सभी सिय्योन में जहां नई वाचा का फसह है स्वर्गीय पिता और माता से मिलें और हमेशा परमेश्वर की स्तुति करते हुए जिन्होंने फसह के द्वारा हमें अनन्त जीवन दिया है, उद्धार पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें।