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क्यों चर्च ऑफ गॉड सच्चा चर्च है?

दुनिया में कई अलग–अलग प्रकार के चर्च और ईसाई संप्रदाय हैं, लेकिन सच्चे चर्च को खोजना कठिन है जो प्रथम चर्च के नमूने के अनुसार मसीह की शिक्षाओं का पालन करता है। लेकिन, बहुत से ईसाई यह नहीं जानते; वे विश्वास करते हैं कि अपना चर्च सच्चा है और वहां बिना शर्त के उद्धार दिया जाता है।

वह चर्च ऑफ गॉड है जिसे यीशु ने स्थापित किया और जहां प्रेरित जाते थे। चर्च ऑफ गॉड, जिसमें आज हम उपस्थित होते हैं, एकमात्र सच्चा चर्च है जिसे परमेश्वर ने पिता के युग और पुत्र के युग से गुजरकर इस पवित्र आत्मा के युग में मानवजाति को बचाने के लिए स्थापित किया। आइए हम बाइबल की भविष्यवाणियों और ऐतिहासिक रिकॉर्ड के द्वारा पुष्टि करें कि चर्च ऑफ गॉड सच्चा चर्च है जो नई वाचा के सत्य का पालन करता है, जिसे यीशु मसीह ने 2,000 वर्ष पहले स्थापित किया था।

सत्य के बदल जाने का इतिहास


पश्चिमी देशों ने यीशु के जन्म वर्ष के आधार पर समय को ईसा पूर्व और ईस्वी सन् में विभाजित किया। ईसा पूर्व मसीह के जन्म से पहले के युग को दर्शाता है। ईस्वी सन् मसीह के जन्म के बाद के युग को दर्शाता है। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि यीशु का जन्म उससे चार वर्ष पहले हुआ था।

मैं आपको चर्च के इतिहास की रूपरेखा बताना चाहूंगा। 2,000 वर्ष पहले, यीशु इस पृथ्वी पर आए; 30 वर्ष की आयु में उनका बपतिस्मा हुआ और उन्होंने बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार सुसमाचार प्रचार करना शुरू किया। उन्होंने अपनी सेवकाई में तीन साल बिताए और 33 की आयु में नई वाचा की घोषणा करने के बाद क्रूस पर मर गए(लूक 3:21–23; 13:6–9)।

यीशु क्रूस पर मरने के बाद तीसरे दिन जी उठे और पुनरुत्थान के 40 दिन बाद स्वर्ग गए। प्रेरितों ने घोषित किया कि यीशु मसीह हैं और उनकी शिक्षाओं को बहुमूल्य मानकर उनका पालन किया। प्रथम चर्च के सभी प्रेरित जिन्होंने सीधे यीशु से सीखा था गुजर गए, और 106 ई. में प्रेरित यूहन्ना के मर जाने के बाद कोई प्रेरित नहीं था, जिसे पतमुस नामक टापू पर निर्वासित किया गया। तब से चर्च धीरे–धीरे भ्रष्ट होना शुरू हो गया। पूर्वी चर्च जो एशिया मायनर के द्वारा चलाया जाता था, ने उन शिक्षाओं का पालन करना जारी रखा जो प्रेरितों के द्वारा सौंपी गई थीं। दूसरी ओर, पश्चिमी चर्च जो रोम के द्वारा चलाया जाता था, बुतपरस्त धर्मों की प्रथा और रीतियों को अपनाने लगा और उत्पीड़न से बचने के लिए बाइबल के सब्त मनाने के बजाय रोम के सूर्य देवता के पवित्र दिन, रविवार को आराधना की। इस तरह पश्चिमी चर्च को रोमन साम्राज्य में आत्मसात किया गया।

313 ई. में रोम के सम्राट कॉनस्टॅन्टीन ने मिलान की राजाज्ञा घोषित की जिसके द्वारा ईसाई धर्म को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया गया। उसके बाद ऐसा लग रहा था कि ईसाइयों के विरुद्ध उत्पीड़न बन्द हो गई और ईसाई धर्म बाहरी रूप से विजयी हुआ, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था। सम्राट कॉनस्टॅन्टीन ने अपने जीवन के अंत तक बुतपरस्त महायाजक का शीर्षक “पोंतिफेक्स मेक्सिमस” को अपने पास रखा; उसने सूर्य देवता को जिस पर वह विश्वास करता था मसीह के समान समझा और प्रभावी ढंग से राज्य पर शासन करने के लिए साम्राज्य के धर्म को एकजुट करने का प्रयास किया। उसकी ईसाइयों के प्रति तरजीही नीतियां, अपनी राजनीति के लिए ईसाई धर्म का उपयोग करने के लिए था, जिसके परिणाम में चर्च में बहुत से सूर्य देवता की उपासना के सिद्धांत बह गए।

321 ई. में, सम्राट ने रविवार को छुट्टी और आराधना करने का आधिकारिक दिन बनाने का आदेश जारी किया, और रोमन साम्राज्य के क्षेत्र के भीतर सभी चर्चों में बाइबल के सब्त के बजाय रविवार का अनुपालन दृढ़ता से स्थापित हुआ। 325 ई. में, सम्राट कॉनस्टॅन्टीन ने निकिया की परिषद् आयोजित की, जिससे नई वाचा का फसह मिटा दिया गया। पश्चिमी चर्च जो ईस्टर पर प्रभु का भोज मनाता था, वह पूर्वी चर्च के साथ कई बार विवाद किया जो फसह के पर्व पर प्रभु का भोज मनाता था। सम्राट की शक्ति के समर्थन में, बिशपों ने यह तय किया कि सभी चर्चों को पश्चिमी चर्च के नियमों का पालन करना है, और आधिकारिक रूप से फसह को मिटा दिया।

इसके अलावा, चर्च के इतिहास के कई रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सत्य में बदलाव हुए हैं। यह 354 ई. में था जब ईसाइयों ने 25 दिसंबर को मसीह का जन्म मनाना शुरू किया, जो सूर्य देवता के जन्म के सम्मान में मनाया जाता था। 431 ई. में , एक मूर्ति क्रूस जो सूर्य देवता का प्रतीक था, ईसाई धर्म के प्रतीक के रूप में चर्च के अंदर खड़ा किया जाने लगा, और 568 ई. में , वह चर्च की छत के ऊपर खड़ा किया गया। धन्यवाद दिवस के जैसे त्योहार भी बनाए गए, जो बाइबल पर आधारित नहीं हैं।

बाइबल में ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि यीशु और उनके चेलों ने ऐसे कार्य किए। नियम और विधियां, जो प्रेरितों के युग के बाद दूसरी शताब्दी से बनाए गए थे, मनुष्यों के विचारों के द्वारा बनाए गए ‘मनुष्यों के नियम’ हैं, जो परमेश्वर की इच्छा से असंबंधित हैं। उन वर्षों का विचार करके जब बहुत सी धार्मिक विधियां जो आजकल सच्चे चर्च की विशेषताओं के रूप में मानी जाती हैं, स्थापित हुईं, तो हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि वे यीशु के द्वारा स्थापित किए गए सत्य नहीं हैं।

प्रथम चर्च का सत्य जिसकी बाइबल में गवाही दी गई है


परमेश्वर के द्वारा स्थापित किए गए सच्चे चर्च में कौन से सत्य हैं? आइए हम बाइबल के द्वारा एक एक करके परमेश्वर की व्यवस्था देखें, जिसकी योशु ने इस पृथ्वी पर आकर घोषणा की और जिसका पालन किया।

लूक 22:7–13 तब अखमीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था। यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा: “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।” उन्होंने उससे पूछा, “तू कहां चाहता है कि हम इसे तैयार करें?”... उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया और फसह तैयार किया।

यीशु ने कहा कि वह फसह मनाएंगे और अपने बारह चेलों में से पतरस और यूहन्ना को फसह की तैयारी करने भेजा। चेलों ने यीशु की आज्ञा के अनुसार यीशु के साथ फसह मनाया। और उन्होंने यीशु की शिक्षा को अपने बाद के चेलों को भी सौंपा। प्रेरित पौलुस ने भी, जिसने यीशु का दर्शन देखकर सत्य ग्रहण किया, यह कहा, “क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैंने तुम्हें भी पहुंचा दी,” और जोर दिया कि हमें फसह मनाना चाहिए(1कुर 11:23–26; 5:7–8)।

लूक 4:16 फिर वह नासरत में आया, जहां पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ।

मत 12:8 मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।

यीशु ने स्वयं सप्ताह के पहले दिन रविवार को नहीं लेकिन सातवें दिन सब्त को अपनी रीति के अनुसार आराधना करने का हमें नमूना दिखाया। यीशु ने हमें सिखाया कि वह सब्त के दिन का प्रभु हैं। चूंकि यीशु ने, जो सब्त के दिन का प्रभु हैं और जिन पर हम विश्वास करते हैं, सब्त मनाया तो सब्त का अनुपालन संतों का एक कर्तव्य है जो यीशु पर विश्वास करते हैं।

यूह 7:2, 14, 37 यहूदियों का झोपड़ियों का पर्व निकट था... जब पर्व के आधे दिन बीत गए; तो यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश करने लगा... पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए।”

यीशु ने स्वयं हमें फसह, सब्त और साथ ही झोपड़ियों का पर्व भी मनाने का नमूना दिखाया। इसलिए हमारे विश्वास के जीवन में भी फसह, सब्त और झोपड़ियों का पर्व जैसी नई वाचा की व्यवस्था होनी चाहिए।

1कुर 11:4–6, 16 जो पुरुष सिर ढांके हुए प्रार्थना या भविष्यद्वाणी करता है, वह अपने सिर का अपमान करता है। परन्तु जो स्त्री उघाड़े सिर प्रार्थना या भविष्यद्ववाणी करती है, वह अपने सिर का अपमान करती है... परन्तु यदि कोई विवाद करना चाहे, तो यह जान ले कि न हमारी और न परमेश्वर की कलीसियाओं की ऐसी रीति है।

परमेश्वर की आराधना करते समय स्त्री को ओढ़नी से अपने सिर को ढकना चाहिए और पुरुष को अपने सिर को नहीं ढकना चाहिए। यह ओढ़नी का नियम प्रथम परमेश्वर की कलीसिया से सौंपा गया है। उस समय कुरिन्थुस में स्थित चर्च में कुछ स्त्रियां थी जिन्होंने लैंगिक समानता पर जोर देते हुए अपने सिर पर ओढ़नी पहनने से इनकार किया था। इसलिए, प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस में चर्च को अपने पत्र के द्वारा ओढ़नी के बारे में निर्देश दिए; उसने निश्चित रूप से कहा कि परमेश्वर की कलीसिया में ऐसी रीति नहीं है जहां स्त्रियां उघाड़े सिर प्रार्थना या भविष्यवाणी करती हैं।

लेकिन, आज के चर्च प्रथम चर्च से पूरी तरह अलग हैं। प्रोटेस्टेंट चर्चों में स्त्रियां आराधना के दौरान ओढ़नी नहीं पहनती और कैथोलिक चर्च में कुछ पुरुष मास के दौरान अपने सिर को किसी प्रकार की चीज से ढकते हैं। उनकी सभी रीतियां बाइबल की शिक्षाओं से बहुत दूर हैं।

कोई दूसरा सुसमाचार नहीं है


सत्य कभी नहीं बदलता। यीशु के समय से चर्च ऑफ गॉड में कुछ भी नहीं बदला है; चर्च ऑफ गॉड आज भी ओढ़नी के नियम सहित सभी सत्य का अभ्यास करता है। प्रेरित पौलुस ने मजबूती से जोर दिया कि अंतिम दिन, मसीह के आने तक मसीह के सुसमाचार का एक हिस्सा भी बदलना नहीं चाहिए।

गल 1:6–10 मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो। जैसा हम पहले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो शापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मनाता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता तो मसीह का दास न होता।

प्रेरित पौलुस ने प्रथम चर्च के सदस्यों को मसीह की शिक्षा से फिर कर दूसरे सुसमाचार का पालन करने के बारे में चेतावनी दी। उसने जोर देकर कहा कि मसीह के सुसमाचार के अलावा कोई दूसरा सुसमाचार है ही नहीं, और साथ ही उन लोगों के विरुद्ध चेतावनी दी जो मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं वे शापित होंगे। परमेश्वर ने जो आदि से अन्त को जानते हैं, पुराने नियम में भविष्यवाणी की थी कि ऐसा होगा।

दान 7:25 और वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन् साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे।

परमेश्वर के दुश्मन शैतान ने परमेश्वर के नियत समय और व्यवस्था को बदलने के लिए हर प्रकार की योजनाएं बनाईं और आखिर में उसने जीवन के सत्य को बदल दिया। सब्त का दिन रविवार में बदल गया और फसह क्रिसमस में बदल गया। तीन बार में सात पर्व धन्यवाद दिवस जैसे मनुष्यों के बनाए त्योहारों में बदल गए जो अंधकार युग से आज तक चर्चों में जड़ पकड़ चुके हैं।

यहेज 8:14–16 तब वह मुझे यहोवा के भवन के उस फाटक के पास ले गया जो उत्तर की ओर था और वहां स्त्रियां बैठी हुई तम्मूज के लिये रो रही थीं। तब उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ने यह देखा है? फिर इन से भी बड़े घृणित काम तू देखेगा।” तब वह मुझे यहोवा के भवन के भीतरी आंगन में ले गया; और वहां यहोवा के भवन के द्वार के पास ओसारे और वेदी के बीच कोई पच्चीस पुरुष अपनी पीठ यहोवा के भवन की ओर और अपने मुख पूर्व की ओर किए हुए थे; और वे पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत् कर रहे थे।

नबी यहेजकेल ने भविष्यवाणी की कि परमेश्वर के भवन में तम्मूज के लिए रोने और पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत् करने जैसे घृणित काम होंगे। यह स्पष्ट रूप से आज के चर्चों के विरोधाभासी व्यवहारों को प्रकट करता है जो अब भी यह कहते हुए कि वे परमेश्वर की आराधना करते हैं, सूर्य देवता की आराधना के अवशेषों को थामे हुए हैं जैसे कि रविवार की आराधना मनाना, क्रिसमस मनाना, क्रूस की उपासना करना इत्यादी।

जंगली बीज के दृष्टांत में, स्वामी ने गेहूं और जंगली घास दोनों को कटनी के समय तक एक साथ बढ़ने देने को कहा क्योंकि वह चिंतित था कि जंगली घास बटोरते हुए वे उनके साथ गेहूं भी उखाड़ लें। जंगली घास में इतनी मजबूत जीवन–शक्ति होती है कि यदि वे गेहूं के साथ बढ़ें तो वे गेहूं से अधिक बढ़ेंगी। लेकिन चाहे जंगली घास कितने ही हद तक बढ़ें, वे किसान के लिए बेकार हैं। किसान जो चाहता है वह गेहूं है। इसलिए यीशु बहुत से लोगों को जो उन्हें हे प्रभु, हे प्रभु पुकारकर कुकर्म करते हैं, कहते हैं, “हे कुकर्म करनेवालो मेरे पास से चले जाओ(मत 13:24–30; 7:21–23)।”

भले ही चर्च ऑफ गॉड जंगली घास की छाया के नीचे गेहूं की तरह छोटा है और कमजोर है, लेकिन यह सच्चा चर्च है जिसे परमेश्वर ने अपने बहुमूल्य लहू से स्थापित किया है। प्रथम चर्च का सत्य जिसे यीशु ने स्थापित किया और विश्वास जिसे 2,000 वर्ष पहले प्रेरितों ने रखा था, वह आज के चर्च ऑफ गॉड को सौंपा गया है।

भविष्यवाणियां चर्च ऑफ गॉड में पूरी हो रही हैं


कुछ लोग दावा करते हैं कि प्रथम चर्च के पास सब्त और फसह जैसी परमेश्वर की आज्ञाएं थीं, लेकिन उसमें माता परमेश्वर का सत्य नहीं था। लेकिन बाइबल की भविष्यवाणी स्पष्ट रूप से दिखाती है कि माता परमेश्वर पिता परमेश्वर के साथ प्रगट होंगी।

प्रक 1:1 यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्वर ने इसलिये दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए; और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया।

प्रकाशितवाक्य वह पुस्तक है जिसमें उन बातों का वर्णन है जो प्रेरित यूहन्ना ने परमेश्वर के प्रकाशन में सीधे देखा और सुना। दूसरे शब्दों में, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक उन घटनाओं को दर्ज नहीं करती जो प्रथम चर्च के समय में हुई थी, पर भविष्य की घटनाओं को दर्ज करती है।

प्रक 22:17–19 आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं: यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा।

दुल्हिन स्वर्गीय यरूशलेम यानी हमारी माता को दर्शाती है(प्रक 21:9–10; गल 4:26)। भविष्य में होने वाली बातों के प्रकाशन में, आत्मा और दुल्हिन यानी पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर अपनी संतानों को यह कहते हुए बुला रहे हैं, “आ, जीवन का जल सेंतमेंत ले।” और उसका अगला ही वचन बार बार गवाही देता है कि यदि कोई बाइबल के वचनों में कुछ बढ़ाए या उनमें से कुछ निकाल डाले, तो वह कभी बचाया नहीं जा सकता।

हर चर्च को सच्चा चर्च के रूप में स्वीकारा नहीं जाता, लेकिन सिर्फ उस चर्च को कहा जाता है जो समय कितना ही बीतने पर भी, प्रथम चर्च के शुद्ध सत्य को सुरक्षित रखता है और बाइबल की हर भविष्यवाणी को पूरा करता है। यह सभी चीजें अब चर्च ऑफ गॉड में पूरी हो रही हैं। चर्च ऑफ गॉड ही एकमात्र सच्चा चर्च है जो यीशु के द्वारा स्थापित की गई नई वाचा को मनाता है, उसका प्रचार करता है और बाइबल के हर वचन को पूरा करता है।

अब भी हमारे आसपास बहुत से लोग हैं जो ठीक से चर्च ऑफ गॉड के बारे में नहीं जानते। हमें चुप नहीं रहना चाहिए, लेकिन संसार की सभी जातियों को इसे पहचानने देना चाहिए कि हमारा चर्च ही सच्चा चर्च है, ताकि सारी मानवजाति आत्मा और दुल्हिन की बुलाहट सुन सकें। सच्चा चर्च को जाने बिना वे कैसे बचाए जा सकेंगे?

परमेश्वर चाहते हैं कि हम उनकी सच्ची इच्छा को समझें। आइए हम सही तरह से पहचानें कि चर्च ऑफ गॉड सच्चा चर्च है और इस सत्य पर गर्व करें, और पूरी दुनिया में परमेश्वर की महिमा प्रगट करने के मिशन को पूरा करें। मैं आप सभी परमेश्वर की संतानों से कहना चाहूंगा कि दुनिया भर में सभी लोगों को उद्धार के शुभ संदेश का प्रचार करें ताकि बहुत से लोग ठीक से परमेश्वर को खोज सकें और उनका भय मान सकें।