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स्वर्गीय माता ने हमारा भाग्य बदला है
सुसमाचार अब तेजी से दुनिया भर में फैलाया जा रहा है। जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गई है, खोए हुए स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को खोजने का उद्धार का कार्य दुनिया में कोलाहल मचा रहा है, और जहां कहीं हमारे भाई–बहनें जाते हैं, वहां परमेश्वर सिय्योन स्थापित करते हैं। मैं विश्वास करता हूं कि यह सब परिणाम इसलिए आया है क्योंकि सिय्योन के सदस्यों ने पूरे जोश के साथ एक होकर मिलजुलकर सुसमाचार का काम किया है।
उज्ज्वल भविष्य हमारा इंतजार कर रहा है। परमेश्वर का वचन यह पक्का वादा करता है कि जब यरूशलेम माता की महिमा फैल जाएगी, तब सब जातियों के लोग परमेश्वर के पास लौटेंगे और परमेश्वर के लोग अनन्त स्वर्ग के राज्य में युगानुयुग राज्य करेंगे। यह हमारा भाग्य है। आइए हम बाइबल के द्वारा यह खोजें कि किसने हमारा भाग्य बदला है, ताकि हम प्रेरित पौलुस की तरह जिसने अपनी दौड़ पूरी करके अपने लिए रखे गए धर्म के मुकुट की ओर देखा था, स्वर्ग की आशा के साथ बिना किसी अफसोस के सुसमाचार की सेवकाई पूरी कर सकें।
हमारा भाग्य मृत्यु से अनन्त जीवन में बदल गया है
पुराने समय में एक भिखारी था जो हमेशा अपने भाग्य को कोसता था। एक दिन वह एक बुद्धिमान मनुष्य से मिला। भिखारी ने अपने दुर्भाग्य पर विलाप करते हुए कहा कि काश मैं अमीर व्यक्ति या प्रसिद्ध वीर की तरह अच्छे भाग्य के साथ पैदा हुआ होता। उसकी बात सुनने के बाद बुद्धिमान मनुष्य ने कहा कि वह भी ठीक उन्हीं के भाग्य के साथ पैदा हुआ है। भिखारी को समझ में नहीं आ रहा था कि बुद्धिमान मनुष्य क्या कह रहा है, और उसने उससे पूछा कि इसका क्या मतलब है। तब बुद्धिमान मनुष्य ने जवाब दिया,
“वे सब मृत्यु के भाग्य के साथ पैदा हुए और तुम भी मृत्यु के भाग्य के साथ पैदा हुए न?”
उसके कहने का मतलब था कि सभी लोगों का भाग्य एक ही है क्योंकि चाहे वे अमीर हों या गरीब, चाहे वे महान हों या साधारण, वे सभी मर जाते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि सभी लोग मृत्यु के भाग्य के साथ पैदा हुए हैं। लेकिन चूंकि हम परमेश्वर से मिले हैं, हमारा भाग्य बदल गया है। पहले हमारे भाग्य में अंत में मर जाना लिखा हुआ था, परन्तु परमेश्वर ने हमारे भाग्य को मृत्यु से अनन्त जीवन में बदल दिया है और हमसे प्रतिज्ञा की है कि वह हमारी अगुवाई उस दुनिया में करेंगे जहां न कोई मृत्यु, न दर्द और न ही शोक है।
गल 4:28 हे भाइयो, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं।
बाइबल हमें “प्रतिज्ञा की संतान” कहती है। परमेश्वर से मिलने से पहले, हमारे लिए मरना नियुक्त किया गया था। लेकिन हम परमेश्वर से मिले हैं और हमने परमेश्वर की प्रतिज्ञा को प्राप्त किया है। आइए हम देखें कि परमेश्वर ने हमें क्या प्रतिज्ञा दी है और कैसे इस प्रतिज्ञा से हमारा भाग्य बदल गया है।
1यूह 2:25 और जिसकी उसने हमसे प्रतिज्ञा की वह अनंत जीवन है।
हर कोई मृत्यु के भाग्य के साथ पैदा होता है। लेकिन परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा दी है। यह विश्वासयोग्य परमेश्वर की प्रतिज्ञा है, इसलिए यह कभी बदल नहीं सकती या रद्द नहीं की जा सकती। तब, हमें दी गई इस अनन्त जीवन की परमेश्वर की प्रतिज्ञा को पाने का क्या मार्ग है?
जीवन माता से आता है
परमेश्वर की बनाई हुई प्रकृति की सभी चीजों में हम परमेश्वर की इच्छा को खोज सकते हैं।
प्रक 4:11 हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।
परमेश्वर ने अपनी इच्छा के अनुसार सब वस्तुओं की सृष्टि की, इसलिए हम उनके द्वारा ही स्वर्गीय सिद्धांत को समझ सकते हैं। पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणी अपनी माताओं के द्वारा जन्म लेते और जीवन पाते हैं। आकाश के पक्षी, समुद्र की मछलियां और मैदान में दौड़ने वाले सभी प्रकार के पशु इत्यादि, वे सभी अपनी माताओं के द्वारा जन्म पाते हैं। मनुष्यों के साथ भी ऐसा ही है। उनकी आंखें, नाक, मुंह, कान और पांव उनकी माताओं के गर्भ में बनते हैं। सृष्टि की सारी प्रक्रिया माताओं के द्वारा पूरी की जाती है।
बाइबल कहती है कि पृथ्वी की वस्तुएं स्वर्ग की वस्तुओं की छाया और प्रतिरूप है(इब्र 8:5)। यदि कोई छाया या प्रतिरूप है, तो उसकी असलियत भी होनी चाहिए। इस पृथ्वी पर, जो एक छाया और प्रतिरूप है, सभी जीवित प्राणियों को अपनी माताओं के द्वारा जीवन दिया जाता है। तब, उस आत्मिक दुनिया में, जो असलियत है, किसके द्वारा अनन्त जीवन दिया जाएगा? पृथ्वी पर माताएं हैं, यह बात अपने आपमें एक ठोस प्रमाण है कि आत्मिक दुनिया में भी माता है। माताओं के द्वारा जीवन दिया जाता है, इसमें परमेश्वर की गहरी इच्छा छिपी है। यह वचन मन में रखते हुए कि जो कोई परमेश्वर की इच्छा पर चलता है वही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेगा, आइए हम पूरी तरह से परमेश्वर की इच्छा समझें और उसका पालन करें(मत 7:21)।
उत 1:26–27 फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
बहुत से लोग विश्वास करते हैं कि सिर्फ एक ही परमेश्वर हैं जिन्होंने मनुष्य को बनाया। लेकिन परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को बनाएं...” क्यों परमेश्वर ने खुद को “हम” कहा?
नर स्वरूप का परमेश्वर और नारी स्वरूप की परमेश्वर। इसलिए परमेश्वर ने खुद को “हम” कहा। यीशु ने हमें नर स्वरूप के परमेश्वर के बारे में यह सिखाया कि वह “हमारे पिता” हैं जो स्वर्ग में हैं (मत 6:9)। तो क्या नारी स्वरूप की परमेश्वर “हमारी माता” नहीं होगी?
उत्पत्ति के पहले अध्याय में हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि हमारे पास हमारी आत्मिक माता हैं। जैसे हमारा शारीरिक जीवन हमारी शारीरिक माताओं के द्वारा दिया जाता है, ठीक वैसे ही हमारा आत्मिक जीवन, यानी अनन्त जीवन भी सिर्फ हमारी आत्मिक माता के द्वारा दिया जाता है। यह परमेश्वर की इच्छा है। चूंकि माता परमेश्वर का अस्तित्व है, इसलिए हमें अनन्त जीवन दिया गया है और हमारे भाग्य को मृत्यु से जीवन में बदल दिया गया है।
परमेश्वर ने सभी वस्तुओं को अपनी ही इच्छा के अनुसार सृजा, और पहले मनुष्य जो परमेश्वर के स्वरूप के अनुसार सृजे गए, वे आदम और हव्वा थे। आदम और हव्वा को बनाने में भी परमेश्वर की एक निश्चित इच्छा थी।
रोम 5:14 तौभी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्होंने उस आदम, जो उस आनेवाले का चिन्ह है, के अपराध के समान पाप न किया।
आदम दूसरी बार आनेवाले यीशु मसीह का चिन्ह था। परमेश्वर ने आदम को दूसरी बार आनेवाले मसीह के चिन्ह के रूप में बनाया। तो फिर हव्वा बनाने में परमेश्वर की क्या इच्छा थी?
उत 3:20 आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की आदिमाता वही हुई।
आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा जिसका मतलब “जीवन” है, क्योंकि वह सब जीवितों की आदिमाता थी। यदि आदम मसीह को दर्शाता है, तो हम समझ सकते हैं कि जैसे आदम के पास हव्वा नामक एक पत्नी थी, ठीक वैसे ही दूसरी बार आनेवाले यीशु मसीह के पास भी पत्नी होनी चाहिए, और जैसे आदम की पत्नी, यानी हव्वा सब जीवित मनुष्यों की आदिमाता थी, ठीक वैसे ही मसीह की पत्नी भी सभी आत्माओं की माता हैं।
स्वर्गीय माता हमें अनन्त जीवन देती है
भले ही यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर थे, लेकिन उन्होंने बार–बार कहा कि वह अंतिम दिन में मनुष्यों को अनन्त जीवन देकर बचाएंगे(यूह 6:39–40, 44, 54)। यह वचन दिखाता है कि माता जो मानवजाति को अनन्त जीवन देती हैं, निश्चय ही अंतिम दिनों में प्रगट होंगी। बाइबल इसके बारे में इस प्रकार भविष्यवाणी करती है,
प्रक 19:7–8 आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है। उसको शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया” क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है।
हमारे लिए मरना नियुक्त किया गया था, लेकिन चूंकि हम माता से मिले हैं, इसलिए हमारा भाग्य मृत्यु से अनन्त जीवन में बदल गया है। तो हम कितने आनन्दित और खुश रहते हैं! प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में मेमना पवित्र आत्मा, यानी दूसरी बार आनेवाले यीशु को दर्शाता है। बाइबल कहती है कि मेमने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आपको तैयार कर लिया है। जिस प्रकार आदम के पास अपनी पत्नी थी, उसी प्रकार अंतिम दिनों में, यानी पवित्र आत्मा के युग में दूसरी बार आनेवाले मसीह के पास भी अपनी दुल्हिन होनी चाहिए। और वह उन सब की माता है जिनके पास अनन्त जीवन है, जैसे हव्वा सब जीवितों की आदिमाता थी।
प्रक 21:9–10 फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अंतिम विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उनमें से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें करके कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा।” तब वह मुझे आत्मा में एक बड़े और ऊंचे पहाड़ पर ले गया, और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते दिखाया।
गल 4:26 पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है।
एक दर्शन में यूहन्ना ने मेमने की दुल्हिन को देखा और उसका वर्णन स्वर्ग से उतर रही यरूशलेम के रूप में किया है। गलातियों में ऊपर की यरूशलेम को “हमारी माता” कहा गया है। वह हमारी माता हैं। हमारे पास स्वर्गीय माता हैं जो हमें अनन्त जीवन देती हैं।
इसलिए जिन्होंने अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा को प्राप्त किया है, वे वो लोग हैं जो माता परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। सिर्फ माता की संतान ही इसहाक के समान प्रतिज्ञा की संतान बन सकती हैं।
गल 4:27–31 क्योंकि लिखा है, “हे बांझ, तू जो नहीं जनती आनन्द कर; तू जिसको पीड़ाएं नहीं उठतीं, गला खोलकर जय जयकार कर; क्योंकि त्यागी हुई की सन्तान सुहागिन की सन्तान से भी अधिक हैं। हे भाइयो, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं... इसलिये हे भाइयो, हम दासी के नहीं परन्तु स्वतंत्र स्त्री की सन्तान हैं।
अब्राहम के परिवार में तीन उम्मीदवार थे जो अब्राहम के वारिस हो सकते थे। पहला विश्वासयोग्य दास एलीएजेर, दूसरा पहिलौठा पुत्र इश्माएल जो दासी हाजिरा से उत्पन्न हुआ था, और तीसरा इसहाक था जो स्वतंत्र स्त्री सारा से उत्पन्न हुआ था। इस्राएल की प्रथा के अनुसार हर परिवार में पहिलौठे पुत्र के पास अपने माता–पिता की संपत्ति का वारिस बनने का अधिकार था। भले ही इसहाक अब्राहम का पहिलौठा पुत्र नहीं था, लेकिन वह अब्राहम का वारिस बना और उसने उसकी संपत्ति को विरासत में पाया। परमेश्वर ने पहले ही से प्रतिज्ञा की थी कि इसहाक जो सारा से जन्म लेगा, अब्राहम का वारिस बनेगा।
यदि इसहाक का जन्म हाजिरा के द्वारा हुआ होता, तो वह अब्राहम का वारिस नहीं बन सकता था, है न? सारा के बिना इसहाक के लिए अब्राहम का वारिस बनना असंभव था। हमारे साथ भी ऐसा ही है। यदि हम माता से न मिले होते, तो भले ही हम कितने भी प्रतिभाशाली और अच्छे गुणों और स्वभाव वाले हों, फिर भी हम प्रतिज्ञा की संतान नहीं बन सकते थे। वह सिर्फ माता हैं जिनके पास हमारा भाग्य बदलने की चाबी है। अनन्त स्वर्गीय माता के द्वारा हम अनन्त जीवन पा सकते हैं, और हमारा भाग्य परमेश्वर का वारिस बनने का हो सकता है।
प्रक 22:17 आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।
पवित्र आत्मा और दुल्हिन मनुष्यों को इसलिए बुला रहे हैं कि वे जीवित हो सकें। चूंकि अंतिम आदम जीवनदायक आत्मा है(1कुर 15:45), इसलिए अंतिम हव्वा, दुल्हिन भी जिसे अंतिम आदम, दूसरी बार आनेवाले मसीह यानी पवित्र आत्मा के साथ प्रगट होना है, इस पृथ्वी पर जीवनदायक आत्मा के रूप में आ चुकी है।
इन अंतिम दिनों में, यानी पवित्र आत्मा के युग में स्वर्गीय पिता और माता शरीर पहनकर पवित्र आत्मा और दुल्हिन के रूप में आए हैं और हमें बुलाया है। उन्होंने हम पर दया की थी जिनके भाग्य में सदा तक मरना लिखा था, और हमारे भाग्य को अनन्त मृत्यु से अनन्त जीवन में बदला है, और फिर हमारे भाग्य को जो नरक जाने का था, बदलकर हमें स्वर्ग में जाने दिया है। इसलिए बाइबल इसे “शुभ समाचार” कहती है। हमें सभी लोगों को यह शुभ समाचार बताना चाहिए कि पवित्र आत्मा और दुल्हिन जीवन का जल देते हैं।
यरूशलेम की महिमा का प्रकाश चमकाओ
चूंकि परमेश्वर ने हमारा भाग्य बदला है, इसलिए हमें बस भविष्यवाणियों पर विश्वास करना और उनका पालन करना चाहिए। परमेश्वर ने हमें शानदार भाग्य की प्रतिज्ञा दी है।
यश 60:1–4 उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है। देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा। जाति जाति तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे। अपनी आंखें चारों ओर उठाकर देख; वे सब के सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियां हाथों–हाथ पहुंचाई जा रही हैं...
सिर्फ प्रकाश ही अंधकार को हटा सकता है। भले ही पृथ्वी पर अन्धियारा और सब राज्यों के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है, लेकिन सत्य का प्रकाश चमकने पर बहुत से लोग आत्मिक रूप से जागृत हो रहे हैं। माता उनके बुरे भाग्य को अच्छे भाग्य में बदलने के लिए आई हैं। फिर भी, जो माता का इनकार करते हैं, वे नष्ट होंगे जैसा उनके भाग्य में है। लेकिन जो स्वर्गीय माता को ग्रहण करते हैं और सत्य में रहते हैं, वे अनन्त जीवन की आशीष के साथ–साथ अनन्त स्वर्ग के राज्य में राज–पदधारी याजक का पद पाएंगे(यश 60:12; प्रक 22:1–5)।
यश 60:21–22 तेरे लोग सब के सब धर्मी होंगे; वे सर्वदा देश के अधिकारी रहेंगे, वे मेरे लगाए हुए पौधे और मेरे हाथों का काम ठहरेंगे, जिस से मेरी महिमा प्रगट हो। छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।
आइए हम संसार के सभी लोगों के सामने बड़े यत्न से यरूशलेम के सत्य के प्रकाश की घोषणा करें, ताकि वे सिय्योन में आ सकें और अपना भाग्य बदल सकें। चूंकि पृथ्वी आत्मिक शरण नगर, यानी एक जेल है, इसलिए पृथ्वी पर रहनेवाले सभी लोग कोई–न–कोई पीड़ा उठाते हैं। लेकिन स्वर्गीय माता ने हम सभी के भाग्य को बदला है और इससे हम इतने सौभाग्यशाली हो गए हैं कि हम पृथ्वी पर इस पीड़ादायक जीवन को खुशी के साथ जी सकते हैं। उन्होंने कमजोर और निर्बल हम लोगों को सामर्थ्य दी है और सुसमाचार के द्वारा हमें सामर्थी जाति बनने की अनुमति दी है। यह भविष्यवाणी अब भी सच हो रही है।
यहेज 47:1–12 फिर वह मुझे भवन के द्वार पर लौटा ले गया; और भवन की डेवढ़ी के नीचे से एक सोता निकलकर पूर्व की ओर बह रहा था। भवन का द्वार तो पूर्वमुखी था, और सोता भवन की दाहिनी ओर और वेदी की दक्षिणी ओर नीचे से निकलता था... जब वह पुरुष हाथ में मापने की डोरी लिए हुए पूर्व की ओर निकला, तब उसने भवन से लेकर, हजार हाथ तक उस सोते को मापा, और मुझे जल में से चलाया, और जल टखनों तक था। उसने फिर हजार हाथ मापकर मुझे जल में से चलाया, और जल घुटनों तक था, फिर और हजार हाथ मापकर मुझे जल में से चलाया, और जल कमर तक था। तब फिर उसने एक हजार हाथ मापे, और ऐसी नदी हो गई जिसके पार मैं न जा सका... तब उसने मुझ से कहा, “यह सोता पूर्वी देश की ओर बह रहा है, और अराबा में उतरकर ताल की ओर बहेगा; और यह भवन से निकला हुआ सीधा ताल में मिल जाएगा; और उसका जल मीठा हो जाएगा। जहां जहां यह नदी बहे, वहां वहां सब प्रकार के बहुत अण्डे देनेवाले जीवजन्तु जीएंगे और मछलियां भी बहुत हो जाएंगी; क्योंकि इस सोते का जल वहां पहुंचा है, और ताल का जल मीठा हो जाएगा; और जहा कहीं यह नदी पहुंचेगी वहां सब जन्तु जीएंगे...
समुद्र मानव–समाज को दर्शाता है(प्रक 17:15)। जीवन के जल की नदी यरूशलेम मंदिर से बहती है, और जहां कहीं वह नदी बहती है, वहां सब प्रकार के जीवजन्तु जीवन पाते हैं। तो हम यह जान सकते हैं कि क्यों हमें सारे संसार में जीवन का जल पहुंचाना चाहिए और क्यों हमें हमेशा हर बात में आनन्दित और आभारी होना चाहिए।
हमारा भाग्य माता के द्वारा बदल गया है। उन्होंने हमारे भाग्य को मृत्यु से अनन्त जीवन में बदला है और हम पापियों को राज–पदधारी याजकों में बदल दिया है। तो हम कितने खुश और सौभाग्यशाली हैं! हमें हमेशा माता को धन्यवाद और महिमा देनी चाहिए जो हमारे भाग्य को बदलने के लिए स्वर्ग से नीचे आई हैं। माता ने हमसे बार–बार कहा है कि हमें स्वर्ग के राज्य को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। प्रतिज्ञा की संतानों के रूप में, जिन्हें शानदार भाग्य दिया गया है, आइए हम गर्व महसूस करें और आत्मविश्वासी बनें और निडरता से इस शुभ समाचार का प्रचार करते हुए बड़ी खुशी से स्वर्ग के मार्ग पर चलें।