टेक्स्ट उपदेशों को प्रिंट करना या उसका प्रेषण करना निषेध है। कृपया जो भी आपने एहसास प्राप्त किया, उसे आपके मन में रखिए और उसकी सिय्योन की सुगंध दूसरों के साथ बांटिए।
7 अरब लोगों को प्रचार करना और उद्धार
परमेश्वर स्वर्ग से खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने के लिए आए हैं। वह किसी भी व्यक्ति को नष्ट नहीं होने देना चाहते, बल्कि वह तो चाहते हैं कि सभी मन फिराव की ओर बढ़ें। इसलिए परमेश्वर ने अपनी प्रिय संतानों से सारे संसार को शुभ संदेश का प्रचार करने के लिए कहा है, ताकि सभी लोगों को उद्धार के लिए अवसर मिल सके।
2016 की शुरुआत में दुनिया भर में हमारे भाइयों और बहनों ने परमेश्वर की पवित्र इच्छा में आज्ञाकारी होकर 7 अरब लोगों को परमेश्वर के वचन का प्रचार करने का संकल्प लिया, और वे एक मन होकर एक साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अवश्य ही सभी लोगों को सुसमाचार का प्रचार करना आसान नहीं है। इस प्रक्रिया में हम विभिन्न बाधाओं का और अनगिनत उलझी हुई समस्याओं का सामना कर सकते हैं। लेकिन उनका समाधान सरल है।
गॉर्डियन गांठ को खोलने का तरीका
आपने गॉर्डियन गांठ की कहानी सुनी होगी। फ्रीगिया की राजधानी गॉर्डियम में एक गॉर्डियस का रथ था, जो अत्यंत उलझी हुई गांठ के साथ एक खंभे से बंधा हुआ था। चूंकि यह भविष्यवाणी प्राचीन काल से सुनी और सुनाई जा रही थी कि इस गांठ को खोलनेवाला एशिया को पराजित करेगा, इसलिए बहुत से व्यक्तियों ने उस गांठ को खोलने की कोशिश की, लेकिन वे सभी उसे खोलने में नाकाम हुए।
सिकंदर महान ने उस क्षेत्र से गुजरते हुए उसके बारे में सुना और उस रथ को देखने गया। जब वह वहां पहुंचा, तब उसने देखा कि गांठ इतने उलझे और जटिल तरीके से बांधी गई थी कि कोई भी उसे खोल नहीं सकता था फिर चाहे वह उसे जीवन भर एक–एक करके सुलझाता हो। तब सिकंदर ने अपनी तलवार निकाली और तलवार से एक ही झटके में गांठ को काट दिया। भविष्यवाणी सच हुई। वह बाद में एशिया का शासक बन गया।
लोग एक जटिल और उलझी हुई समस्या के लिए अक्सर इस गॉर्डियन गांठ की उपमा देते हैं। हर चर्च और व्यक्ति सुसमाचार का प्रचार करते हुए जटिल और उलझी हुई समस्याओं का सामना करता होगा। लेकिन यदि हम सिकंदर महान के समान बुद्धि रखेंगे, तो हम एक ही बार में उन्हें सुलझा सकते हैं। एक–एक करके सुलझाने पर भी जो गांठ नहीं सुलझ जाती है, उसे खोलने का एकमात्र तरीका उसे काट देना है। अन्त में सभी उलझी गांठों को केवल परमेश्वर की संतानों के द्वारा सुलझाया जाएगा, जो भविष्यवाणी के नायक हैं।
2कुर 7:9–11 अब मैं आनन्दित हूं पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुंचा वरन् इसलिये कि तुम ने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था कि हमारी ओर से तुम्हें किसी बात में हानि न पहुंचे। क्योंकि परमेश्वर–भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिसका परिणाम उद्धार है और फिर उससे पछताना नहीं पड़ता। परन्तु संसारिक शोक मृत्यु उत्पन्न करता है...
सांसारिक शोक मृत्यु उत्पन्न करता है, परन्तु परमेश्वर–भक्ति का शोक एक अद्भुत परिणाम, यानी उद्धार लाता है। आइए हम पवित्र आत्मा की तलवार चलाएं और अपनी सभी सांसारिक चिंताओं और शोक को एक ही झटके में पराजित करें। परमेश्वर की इच्छा पर चलना उद्धार में हमारी अगुवाई करता है।
यदि हम अपना पूरा भरोसा परमेश्वर पर रखें, तो हम भी गांठ को काटने के लिए तलवार चला सकते हैं। उसके बजाय यदि हम सभी उलझी गांठों को सिर्फ एक–एक करके सुलझाने में लगे रहें, तो हम उन्हें कभी नहीं खोल सकेंगे। ऐसा करने से गांठ बहुत पेचीदा और बहुत कसकर बंध जाएगी और इतना ही नहीं, दूसरी और गांठ को पैदा किया जाएगा।
यरीहो को नष्ट करने का तरीका
जब बारह भेदिए कनान देश का भेद लेकर लौटे, तब उनमें से दस भेदिए उलझे विचारों से बंधे हुए थे। भले ही उनके पास यरीहो को पराजित करने का लक्ष्य था, लेकिन वे उसे जीतने के बारे में चाहे कितना ही सोच लें, उनके पास उसे जीतने का कोई मार्ग नहीं था। यरीहो की शहरपनाह ऊंची और मजबूत थी, और वहां के लोग भारी–भरकम और ताकतवर दिखाई देते थे और उनके पास बहुत सारे हथियार थे। इन सभी चीजों पर विचार करके, दस भेदियों को लगा कि वे कनान को नहीं जीत सकेंगे। उन्होंने जितना अधिक अपने खुद के विचारों से गांठ को खोलने की कोशिश की, उतनी अधिक गांठ जटिल और पेचीदा बन गई, और उससे दूसरी गांठ उत्पन्न हुई जो कभी खोली नहीं जा सकती थी।
जो केवल चिंता करते रहते थे, वे नकारात्मक विचारों के जाल में जकड़े जाकर हर चीज पर कुड़कुड़ाते थे। लेकिन यहोशू और कालेब अलग थे। उन्होंने कहा, “हम उन्हें सरलता से हरा देंगे! परमेश्वर हमारे साथ हैं।”
इसके परिणामस्वरूप, यहोशू और कालिब को छोड़कर, जब तक सभी कुड़कुड़ाने वाले नष्ट नहीं हुए, तब तक इस्राएलियों को जंगल में 40 वर्ष बिताने पड़े। और आखिरकार, वे यरीहो नगर के सामने खड़े हुए जो कनान का पहला प्रवेशद्वार था। उन्होंने फिर से एक जैसी स्थिति का सामना किया और खुद से कहा, ‘हम कैसे गढ़वाले नगर को पराजित कर सकते हैं?’ ‘हम कैसे सभी ताकतवर दुश्मनों को हरा सकते हैं?’ तब उनके नेता यहोशू ने यह कहते हुए उन्हें फिर से विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित किया, “मत डरो। परमेश्वर हमारे साथ हैं! यदि हम परमेश्वर के वचन का पालन करेंगे, तो वह अवश्य ही यरीहो नगर को हमारे अधिकार में दे देंगे।”
यहोशू ने यरीहो को पराजित करने की न तो अधिक चिंता की और न ही अधिक योजनाएं या फिर रणनीतियां बनाईं। वह सिर्फ पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर रहा और परमेश्वर के वचन को कार्य में लाया। जैसे परमेश्वर ने कहा, “यरीहो नगर के चारों ओर सात बार घूमो,” वैसे ही यहोशू और लोग उसके चारों ओर घूमे, और जैसे परमेश्वर ने कहा, “चिल्लाओ!” वैसे ही वे एक साथ चिल्ला उठे। यदि यहोशू अपनी खुद की योजनाओं से समस्या को सुलझाने की कोशिश करता, तो शायद यरीहो नगर अब भी एक अजय गढ़ बना रहता। लेकिन जैसा परमेश्वर ने कहा, वैसा ही उन्होंने किया, तब गांठ बहुत आसानी से खुल गई।
स्वर्गीय माता ने कहा कि हम ही “वो लोग हैं जिनके पास यहोशू का मिशन है।” 7 अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करने के लिए, हमें उसी प्रकार के विश्वास की जरूरत है जो यहोशू के पास था।
1तीम 2:4 जो यह चाहता है कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहचान लें।
सब मनुष्यों का मतलब इस विश्वग्राम में रहनेवाले सात अरब लोग हैं। चूंकि परमेश्वर चाहते हैं कि सब मनुष्यों का उद्धार हो और सत्य को भली भांति पहचान लें, इसलिए हमें उन्हें सत्य जानने देना चाहिए। इसी कारण आज हम सभी एक साथ उठ खड़े हैं और अपने महाद्वीप और अपने देश और अपने क्षेत्र में परमेश्वर के शुभ संदेश का प्रचार करते हुए 7 अरब लोगों के लिए प्रचार आंदोलन चला रहे हैं, ताकि उद्धार का द्वार सभी के लिए खुल जाए।
यह निश्चय ही पूरा होगा क्योंकि परमेश्वर ने कहा है कि वह स्वयं उसे पूरा करेंगे। जो हमें बस करना है, वह यह है, जिस किसी से भी हम मिलें उसे प्रचार करना। परमेश्वर ने पहले से अपनी संतानों को गांठ को सुलझाने का तरीका सिखाया है। उन्होंने हमसे कहा है कि गांठ को एक–एक करके सुलझाने के बजाय एक ही झटके में काट डालना चाहिए।
चिंता और डर में बंधे न रहो और परमेश्वर के वचन को अभ्यास में लाओ
परमेश्वर इस पृथ्वी पर खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आए। हम सभी 7 अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करने का आंदोलन मात्र प्रचार करने के लिए नहीं चलाते, बल्कि इससे हम दुनिया को बचा सकते हैं। इस कार्य के लिए हमें बिना हिचकिचाहट के चिंता और डर की सभी उलझी हुई गांठों को काट देना चाहिए जो हमें फंसाती हैं, और साथ ही परमेश्वर के कहे वचनों को अभ्यास में लाना चाहिए।
लूक 19:10–27 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आया है... अत: उसने कहा, “एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर लौट आए। उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं और उनसे कहा, ‘मेरे लौट आने तक लेन–देन करना। परन्तु उसके नगर के रहनेवाले उससे बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, ‘हम नहीं चाहते कि यह हम पर राज्य करे।’ “जब वह राजपद पाकर लौटा, तो ऐसा हुआ कि उसने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन–देन से क्या–क्या कमाया। तब पहले ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से दस और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे कहा, ‘धन्य, हे उत्तम दास! तू बहुत ही थोड़े में विश्वासयोग्य निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख।’ दूसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से पांच और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे भी कहा, ‘तू भी पांच नगरों पर हाकिम हो जा।’ तीसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, देख तेरी मुहर यह है, जिसे मैं ने अंगोछे में बांध रखा था। क्योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिए कि तू कठोर मनुष्य है: जो तू ने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तू ने नहीं बोया, उसे काटता है।’ उसने उससे कहा, ‘हे दुष्ट दास... और जो लोग निकट खड़े थे, उसने उनसे कहा, ‘वह मुहर उससे ले लो, और जिसके पास दस मुहरें हैं उसे दे दो।’ उन्होंने उससे कहा, ‘हे स्वामी, उसके पास दस मुहरें तो हैं।’ ‘मैं तुमसे कहता हूं कि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।”
दास जिन्होंने दस और पांच मुहरें कमाईं, वे जानते थे कि वे कैसे आसानी से गांठ को खोल सकते हैं। जैसे ही स्वामी ने आज्ञा दी, उन्होंने तुरन्त जाकर उनसे लेन–देन किया और अधिक मुहरें कमाईं। दृष्टांत में लेन–देन करने का मतलब है, सुसमाचार का प्रचार करना। इसलिए अधिक मुहरों को कमाने का मतलब है, सुसमाचार का प्रचार करने के द्वारा बहुत सी आत्माओं की उद्धार में अगुवाई करना।
एक दास ने अपने स्वामी की मुहर से बिल्कुल भी लेन–देन नहीं किया और वह आखिर में हर प्रकार की चिंताओं एवं आशंकाओं की गांठ में बंध गया, जबकि दूसरे दासों ने अपने स्वामी के शब्दों का पालन किया और कड़ी मेहनत करके स्वामी की मुहर से लेन–देन किया। ‘मैं क्या करूं? मैं उसे कैसे करूं?’ इस तरह उसने अनेक विचारों की गांठों को पैदा किया और उनमें बंधकर कुछ भी नहीं किया और स्वामी के लौटने के दिन तक केवल चिंता करता रहा। आखिरकार, उसे दुष्ट दास माना गया और उससे उसकी मुहर भी छीन ली गई।
जिसने एक मुहर छिपा दी, उस दास के समान चिंता और आशंका करने के बजाय, आइए हम उन दासों के समान बनें जिन्होंने तुरन्त अपने स्वामी के वचनों को अभ्यास में लाया, और आज से परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उत्सुकता से और बड़े यत्न से सुसमाचार का प्रचार करें। एक बार यदि आप शुरुआत करेंगे, तो वह आपको आसान लगेगा। यदि आप परमेश्वर के वचनों को अभ्यास में लाएंगे, तो परमेश्वर अवश्य ही बड़ी आशीषों के साथ आपको प्रतिफल देंगे।
समाधान उद्धार के लक्ष्य में निहित है
एक दिन कुछ बच्चे एक साथ खेल रहे थे, लेकिन उनमें से एक बच्चा पानी से भरे एक बडे. मटके में गिर गया। उनमें से एक बच्चा गांव में वयस्कों से मदद मांगने के लिए दौड़ पड़ा, और दूसरा बच्चा क्या करना चाहिए, यह न जानते हुए सिर्फ जमीन पर पैर पटकता रहा। लेकिन एक बच्चा तुरन्त थोड़ा दूर गया और एक भारी पत्थर का टुकड़ा उठाकर आया, और उसने उससे मटके को तोड़ दिया।
दूसरे बच्चे भी उस बच्चे को बचाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने एक सरल तथ्य को अनदेखा किया। वह यह था कि बच्चा तभी जीवित रह सकता है यदि वे मटके से पानी को बाहर निकालें। बच्चे को बचाने का एकमात्र मार्ग पत्थर से मटके को तोड़ना था। यदि मटके को नहीं तोड़ा जाता और सभी केवल वयस्कों की मदद का इंतजार करते, तो शायद वयस्कों के पहुंचने से पहले ही, वह बच्चा पानी में डूबकर मर सकता था। बच्चा जो बस जमीन पर पैर पटकता रहा, उससे कतई कोई मदद नहीं मिली। सिर्फ उसी बच्चे ने जिसने मर रहे बच्चे को किसी भी तरीके से बचाने का निश्चय किया था, मटके को तोड़ दिया और उसकी जान बचाई।
हमारे साथ भी ऐसा ही है। यदि हम सिर्फ लोगों को बचाने के बारे में सोचेंगे, तो हम भी उस बच्चे के समान बुद्धि रख सकेंगे जिसने बड़े मटके में डूबे बच्चे को तुरन्त बचाने के इरादे से एक भारी पत्थर का टुकड़ा उठाया। 7 अरब लोगों को प्रचार करने का आंदोलन एक ऐसा आंदोलन है जो सारी मानवजाति को बचाने के इरादे से चलाया जा रहा है। इसलिए बस चिंता या आशंका करने और केवल तौर–तरीकों पर चर्चा करने के बजाय उसे कार्य में लाना महत्वपूर्ण है। यदि हम सिर्फ लोगों को बचाने पर ध्यान केंद्रित करें और ईमानदारी से सुसमाचार का प्रचार करें, तो परमेश्वर हमारे लिए सभी द्वार खोलेंगे। जब हम मेहनत से सुसमाचार का प्रचार करें, तब वह सिकंदर महान की तलवार के रूप में कार्य करेगा जिसने उलझी हुई गांठ को एक ही बार में काट दिया, और वह पत्थर के रूप में कार्य करेगा जिसने बच्चे को बचाने के लिए मटके को तोड़ दिया।
मत 28:18–20 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं।”
जब इस्राएलियों ने यरीहो नगर को पराजित किया, तब परमेश्वर ने पहले से उन्हें सब कुछ बता दिया था; परमेश्वर ने उन्हें बताया था कि वे हर रोज एक बार नगर के चारों ओर घूमें और सातवें दिन सात बार घूमने के बाद एक साथ चिल्लाएं, और परमेश्वर ने उन्हें उसका परिणाम भी यह कहकर बताया था कि जब वे चिल्लाएंगे तब यरीहो की शहरपनाह गिर जाएगी। इसी तरह, परमेश्वर ने पहले से हमें स्पष्ट रूप से बताया है कि जब हम लोगों को पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देंगे और उन्हें सब बातें जो परमेश्वर ने आज्ञा दी है, मानना सिखाएंगे, तब संसार के उद्धार का कार्य दुनिया भर में किया जाएगा।
उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं
जिस चीज की परमेश्वर ने योजना बनाई है और प्रबंधन किया है, उसका अनुग्रहमय परिणाम पहले से ही तय है। यदि हम उसे संचालित करने वाले परमेश्वर के तरीके पर निर्भर रहेंगे और उनकी इच्छा का पालन करेंगे, तो सब कुछ पूरा हो जाएगा।
रोम 10:11–18 ... “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें? और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें? और प्रचारक बिना कैसे सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो कैसे प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!” परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया: यशायाह कहता है कि, “हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?” अत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है। परन्तु मैं कहता हूं, क्या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो अवश्य है; क्योंकि लिखा है, “उनके स्वर सारी पृथ्वी पर, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं।”
यदि हम शुभ संदेश का प्रचार करेंगे, तो अवश्य ही यह परिणाम आएगा कि वह संदेश पृथ्वी की छोर तक पहुंचेगा। जैसे इस्राएलियों के एक साथ चिल्लाने पर यरीहो की शहरपनाह गिर पड़ी, वैसे ही हमारे एक साथ चिल्लाने पर आत्मिक बेबीलोन गिर जाएगा। ‘उनके सदस्य बहुत बड़ी संख्या में हैं और वे विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों के पक्ष में हैं और वे हमसे मजबूत लगते हैं। इसलिए हम मुश्किल से उन्हें हरा सकते हैं,’ यह विचार उसी प्रकार का विचार है जो दस भेदियों के पास था। परमेश्वर ने कहा कि इस सुसमाचार का प्रचार सारी पृथ्वी पर किया जाएगा।
भज 19:1–4 आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है...
बाइबल ने इसकी भविष्यवाणी की है, तो क्या हमें उस पर विश्वास करना चाहिए या नहीं? “उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ!” इस वचन को हमें भविष्यवाणी के नायकों के रूप में अभ्यास में लाना चाहिए।
जब इस्राएलियों ने यरीहो नगर को पराजित किया, तब परमेश्वर ने उन्हें उसे पराजित करने का तरीका सिखाया। इस्राएलियों ने उसी तरीके का पालन किया, और उसका परिणाम वैसा ही हुआ जैसा परमेश्वर ने कहा था। बड़े बेबीलोन को नष्ट करने के लिए, हमें भी वैसा ही करना चाहिए जैसा परमेश्वर कहते हैं। शैतान लोगों को शुभ संदेश सुनने से रोकने के लिए सभी प्रकार की बाधाएं बनाने की जी–तोड़ कोशिश कर रहा है। लेकिन यरीहो की शहरपनाह चाहे कितनी भी बड़ी–ऊंची क्यों न हो, जैसे परमेश्वर ने उसे गिराया था, वैसे ही परमेश्वर शैतान की सभी बाधाओं को नष्ट करेंगे।
जैसे–जैसे समय बीतता जा रहा है, सुसमाचार अधिक से अधिक लोगों को प्रचार किया जा रहा है। चाहे शैतान हमें रोकने की कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले, लेकिन परमेश्वर हमेशा हमारे लिए द्वार खोलते हैं। इसलिए हमें ईमानदारी से लोगों को यह शुभ संदेश बताना चाहिए कि स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता इस पृथ्वी पर आए हैं, और साथ ही यत्न से उन्हें सिखाना चाहिए कि उन्हें पवित्र आत्मा के युग में उद्धारकर्ता के नाम से, यानी यीशु के नए नाम, मसीह आन सांग होंग के नाम से बपतिस्मा लेना चाहिए और उनकी इच्छा पर चलना चाहिए।
जो परमेश्वर के वचनों पर विश्वास नहीं करते और सिर्फ यरीहो के बड़े आकार पर ध्यान देते रहते हैं, वे निराश होंगे और अपने अन्दर गांठ को खोलने में नाकाम होंगे और आखिरकार दूसरी कोई और गांठ बांधने लगेंगे। सिर्फ वे लोग जो सुसमाचार के द्वारा एशिया, अफ्रीका और दुनिया के सभी महाद्वीपों को पराजित करके दुनिया भर में प्रचार का कार्य पूरा करने वाले भविष्यवाणी के नायक होंगे, वे वही हैं जो दूसरी गांठ को बनाए बिना विश्वास के साथ एक ही बार में गांठ को कांटते हैं।
चाहे हम कहां हों या क्या करते हों, हमें परमेश्वर की इच्छा में आज्ञाकारी होकर ईमानदारी से सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। यही गांठ को तुरन्त काटने का कार्य है। मैं विश्वास करता हूं कि यदि सिय्योन के सभी सदस्यों में से छात्र अपने स्कूल में, सैनिक अपने सेना के ठिकानों में और कर्मचारी अपने कार्यस्थलों में जिस किसी से भी मिलेंगे, उन्हें सुसमाचार का प्रचार करने का प्रयास करेंगे, तो परमेश्वर अवश्य हमें उद्धार के उपहार के साथ–साथ बहुमूल्य फलों के रूप में प्रतिफल देंगे। परमेश्वर चाहते हैं कि सब मनुष्यों का उद्धार हो और वे सत्य को भली भांति पहचान लें। इसलिए मैं दुनिया भर के सिय्योन के सभी सदस्यों से निवेदन करता हूं कि पवित्र आत्मा के सारे हथियार बांध लें और 7 अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करके सारी मानवजाति के लिए उद्धार के कार्य को पूरा करें, जिसकी अभिलाषा स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता करते हैं।