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सारा की हंसी और सिय्योन
बाइबल में अब्राहम पिता परमेश्वर को दर्शाता है।(लूक 16:19–31) इसहाक जो उसकी विरासत का वारिस बना, परमेश्वर के लोगों, यानी प्रतिज्ञा की संतानों को दर्शाता है(गल 4:28)। और सारा जो अब्राहम की पत्नी और इसहाक की माता थी, हमारी माता को दर्शाती है जो नई वाचा की असलियत हैं।(गल 4:21–26)
चूंकि इस अंधेरे और निर्दय संसार में परमेश्वर ने सत्य के नगर सिय्योन को स्थापित किया, इसलिए शैतान की शक्ति धीरे धीरे कम हो रही है, जबकि सिय्योन हर्ष, आनन्द, धन्यवाद और भजन गाने के शब्द से हर दिन भर रहा है(यश 51:3)। हम सिय्योन में अपने स्वर्गीय पिता और माता से मिले हैं। इसलिए हमें हमेशा आनन्दित रहकर अपनी स्वर्गीय माता को वैसी खुशी देनी चाहिए, जैसे सारा अपने पुत्र इसहाक के कारण हर दिन खुशी से मुस्कुराई और हंसी।
संतान पर माता की हंसी का प्रभाव
एक शोध केंद्र ने एक सर्वेक्षण किया। इसमें माताओं से पूछा गया कि वे कब सबसे अधिक खुश होती हैं और कब मुस्कुराना या हंसना नहीं रोक सकतीं? उनमें से ज्यादातर माताओं ने कहा, “ऐसा तब होता है जब मेरे बच्चे हंसते हैं।” शोध केंद्र ने बच्चों से भी वही सवाल पूछा, और ज्यादातर बच्चों ने जवाब दिया, “ऐसा तब होता है जब मेरे माता–पिता हंसते हैं।”
हमारे स्वर्गीय पिता और माता हमारे कारण आनन्द से मगन होते हैं।(सपन 3:17–18) जब हम अपने स्वर्गीय पिता और माता को खुशी दें, जिन्होंने आज के दिन तक हमारे लिए अपना बलिदान किया है, तब हम भी सच में आनन्दित हो सकते हैं।
कुछ लोगों ने यह जानने के लिए कि माता की हंसी का उसके बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है, एक प्रयोग किया। उन्होंने एक बच्चे के सामने एक कांच की भारी चादर बिछाई, और उस कांच के नीचे एक ऐसी जगह बनाई जिसका पहला और आखिरी भाग समतल दिखता था, मगर जिसका मध्य भाग एक खड़ी चट्टान जैसा दिखता था, और उन्होंने दूसरी ओर उसकी माता को खड़ी रहने दिया।
प्रयोगकर्ताओं के निवेदन पर पहले माता ने भावहीन और कठोर चेहरे के साथ अपने बच्चे को देखा। बच्चा अपने सामने माता को देखकर उसकी ओर रेंगता हुआ जाने लगा। लेकिन जब उसने अचानक अपने सामने फर्श को नीचे गहरे तक धंसा हुआ देखा, तब वह खतरे से बचने की अपनी सहजवृत्ति का अनुसरण करके रुक गया और इस दुविधा में पड़ा कि वह आगे जाए या न जाए। वह आखिर में अपनी मां के भावहीन चेहरे को देखकर अपनी जगह लौट आया।
उसके बाद, माता ने उसी जगह पर खड़ी होकर अपने चेहरे का भाव बदल दिया। जब उसने अपने बच्चे को एक बड़ी मुस्कान दी, तब वह अपनी माता को देखकर उसकी ओर जाने लगा। थोड़ी देर बाद, जब वह उस खड़ी चट्टान जैसी दिखने वाली जगह पर पहुंचा, तब उसने पहले की तरह नीचे देखा। लेकिन इस बार वह अलग था। उसने अपनी मां की उज्ज्वल हंसी को देखकर जल्दी से खड़ी चट्टान के दृश्य को पार किया और माता की ओर रेंगता हुआ गया।
इस तरह, माता की हंसी उसके बच्चे को साहस देती है। बच्चे प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त किए गए ज्ञान के अनुसार नहीं, लेकिन अपनी सहजवृत्ति के अनुसार व्यवहार करते हैं। जब माता ने उज्ज्वल मुस्कान दी, तब बच्चा खतरनाक स्थिति को सहन करके बिना हिचकिचाहट के माता की ओर आगे बढ़ा। इस प्रयोग में यह दिखाता है कि माता की मुस्कान का उसके बच्चे पर कितना अधिक प्रभाव पड़ता है।
हंसना परमेश्वर की एक आज्ञा है
सिर्फ संसार के लोग ही हंसी के महत्व पर जोर नहीं देते, लेकिन बाइबल भी हमें बताती है कि सदा आनन्दित रहना ही हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।
1थिस 5:15–18 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो, आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्टा करो। सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।
“सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो।” इसका मतलब है कि हमें सिर्फ अच्छी परिस्थिति में नहीं, बल्कि हर एक परिस्थिति में आनन्दित रहना, प्रार्थना करना और धन्यवाद देना चाहिए। यदि यह हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है, तो यह एक आज्ञा है जो परमेश्वर ने हमें दी है। हमें परमेश्वर के उन लोगों के रूप में जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं, इस आज्ञा पर अमल करना चाहिए।
यदि हम मुश्किल परिस्थितियों में भी प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर पर निर्भर रहें और आनन्दित रहने और धन्यवाद देने का कारण ढूंढ़ें, तो हमें अवश्य अच्छे परिणाम मिलेंगे जिनसे हम सच में आनन्दित और कृतज्ञ होंगे। आइए हम उस दृश्य को याद रखें जहां इसहाक के जन्मने पर सारा के मन में खुशी की लहर दौड़ गई, और आइए हम ऐसी संतान बनें जो अपनी स्वर्गीय माता को जो आत्मिक सारा हैं, प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं।
उत 21:2–7 सारा अब्राहम से गर्भवती हुई; उसके बुढ़ापे में उसी नियुक्त समय पर जो परमेश्वर ने उस से ठहराया था, एक पुत्र उत्पन्न हुआ। और अब्राहम ने अपने उस पुत्र का नाम जो सारा से उत्पन्न हुआ था इसहाक रखा... जब अब्राहम का पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ तब अब्राहम एक सौ वर्ष का था। और सारा ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे प्रफुल्लित किया है; इसलिये सब सुननेवाले भी मेरे साथ प्रफुल्लित होंगे।” फिर उसने यह भी कहा, “क्या कोई कभी अब्राहम से कह सकता था कि सारा लड़कों को दूध पिलाएगी? पर देखो, मुझ से उसके बुढ़ापे में एक पुत्र उत्पन्न हुआ।”
परमेश्वर ने पहले से अब्राहम से प्रतिज्ञा की कि सारा से एक पुत्र उत्पन्न होगा, और उसका नाम “इसहाक” रखने को कहा, जिसका मतलब “हंसी” है(उत 17:19)। जैसे परमेश्वर ने कहा, सारा से एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और सारा ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे प्रफुल्लित किया है; इसलिये सब सुननेवाले भी मेरे साथ प्रफुल्लित होंगे।” उसके ऐसा कहने का अर्थ है कि परमेश्वर ने उसे उस इसहाक के द्वारा हंसने दिया जिसे उसने अपने बुढ़ापे में पाया, और उसके आसपास के लोग भी उसके पुत्र के जन्म पर उसे बधाई देंगे और उसके साथ आनन्द करेंगे।
इसहाक को देखते हुए सारा की हंसी थमने का नाम नहीं लेती थी। बाइबल हमें यह महसूस कराती है कि जैसे इसहाक सारा के लिए हंसी का स्रोत बना, ठीक वैसे ही हमें भी आत्मिक सारा, यानी अपनी स्वर्गीय माता के लिए हंसी का स्रोत बनना चाहिए।
आनन्द पवित्र आत्मा का फल है
सिय्योन वह जगह है जहां स्वर्गीय यरूशलेम माता हमारे साथ रहती हैं।(यश 33:20–24) इसलिए यह अनुचित है कि हम उस सिय्योन में अपने चेहरों को उदास रखें जहां परमेश्वर निवास करते हैं और हम पर आशीष उंडेलते हैं। कोई भी व्यक्ति यदि आशीष प्राप्त करे, तो क्या उसे खुशी महसूस नहीं होती? यदि परमेश्वर के लोग हमेशा गुस्से में दिखें और उनका मूड हमेशा खराब दिखे, तो जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते, उनके मन में यही शंका उठेगी कि ‘वे कहते हैं कि जो कोई परमेश्वर पर विश्वास करेगा वह आशीष पाएगा। लेकिन क्यों आशीषित लोगों के चेहरे इतने ज्यादा उदास हैं?’
चूंकि हम बचाए गए हैं और स्वर्ग जा रहे हैं, आइए हम हर समय अपने मन को आनन्द से भरें, ताकि हम अपने स्वर्गीय पिता और माता को पूरी तरह प्रसन्न कर सकें। जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है, वे अपना चरित्र बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।
गल 5:16–24 पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ... शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात् व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन, मूर्तिपूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और–और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम से पहले से कह देता हूं जैसा पहले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे। पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
शरीर की लालसाएं एक कारक बनती हैं जो हमें पवित्र आत्मा की इच्छा के विपरीत कार्य करवाता है। यदि हम शरीर की लालसाओं को पूरा करने की कोशिश करें, तो उसके परिणामस्वरूप हमारे बीच झगड़े, फूट और मतभेद होगा और साथ ही कुछ अप्रिय एवं अशोभनीय घटना घटित होगी। इसी कारण ईसाई शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ाते हैं।
प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम – ये सभी चीजें पवित्र आत्मा के फल हैं। पवित्र आत्मा के फल में आनन्द और हर्ष शामिल हैं। जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है, वे पवित्र आत्मा के इन फलों का अभ्यास करते हैं, और इससे उनका मन आनन्द और हर्ष से भर जाता है, और स्वाभाविक रूप से वे हसंते हैं।
सिय्योन जो हंसी से भरा रहता है और जिससे दुख और विलाप दूर चले जाते हैं
सिय्योन में स्वर्गीय माता रहती हैं जो हमेशा हमारे लिए मुस्कुराती हैं, और वहां चूंकि हम हमेशा माता का मुस्कुराता चेहरा और हंसी देखते हैं, इसलिए हम भी जो उनकी संतान हैं, मुस्कुराना सीखते हैं। इसी कारण हम सिय्योन के लोग अनन्त आनन्द और हर्ष पाते हैं, और हमसे दुख और विलाप दूर चले जाते हैं।
यश 35:5–10 तब अंधों की आंखें खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़ियां भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे। क्योंकि जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरुभूमि में नदियां बहने लगेंगी; मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे; और जिस स्थान में सियार बैठा करते हैं उस में घास और नरकट और सरकण्डे होंगे। वहां एक सड़क अर्थात् राजमार्ग होगा, उसका नाम पवित्र मार्ग होगा; कोई अशुद्ध जन उस पर से न चलने पाएगा, वह तो उन्हीं के लिये रहेगा... यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।
स्वर्गीय पिता और माता के प्रेम के अन्दर दुनिया भर में हर एक सिय्योन को ऐसी आनन्दित जगह ही बनना चाहिए। जरूर सब्त की आज्ञा महत्वपूर्ण है, लेकिन चूंकि बाइबल कहती है, “सदा आनन्दित रहो... तुम्हारे लिये परमेश्वर की यही इच्छा है,” इसलिए आइए हम इसे भी मन में रखें कि मुस्कुराना और हंसना भी हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।
भज 126:1–6 जब यहोवा सिय्योन से लौटनेवालों को लौटा ले आया, तब हम स्वप्न देखनेवाले से हो गए। तब हम आनन्द से हंसने और जयजयकार करने लगे... यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं; और इससे हम आनन्दित हैं। हे यहोवा, दक्खिन देश के नालों के समान, हमारे बन्दियों को लौटा ले आ। जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए लवने पाएंगे। चाहे बोनेवाला बीज लेकर रोता हुआ चला जाए, परन्तु वह फिर पूलियां लिए जयजयकार करता हुआ निश्चय लौट आएगा।
यश 61:3 ... सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बांध दूं, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊं और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊं; जिससे वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं और जिससे उसकी महिमा प्रगट हो।
परमेश्वर ने कहा कि वह सिय्योन के लोगों को विलाप के बदले आनन्द और हर्ष देंगे और उदासी के बदले स्तुति के गीत देंगे। इन सभी आशीषों को परमेश्वर सिय्योन में हम पर उंडेलते हैं।
चूंकि हम इस दुखदाई संसार में रहते हैं, कभी–कभी हमें दुख होता है और हम चिंतित होते हैं, है न? हम सभी पापी हैं जिन्होंने स्वर्ग में पाप किया और जो पृथ्वी पर गिरा दिए गए हैं। इसलिए पृथ्वी पर हम में से कोई भी हर दिन आनन्दित नहीं हो सकता। जैसे एक पुरानी कहावत है – “जितना अधिक कमाएंगे, उतनी आपकी समस्या बढ़ती जाएगी।” अमीर लोग भी बहुत सी समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनके पास बहुत है, और गरीब लोग भी कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनके पास जीने के लिए पर्याप्त चीजें नहीं हैं। इस पृथ्वी पर ज्यादातर लोग इस प्रकार का जीवन जीते हैं।
परमेश्वर ने ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में भी हमसे आनन्दित रहने को कहा है। परमेश्वर की इस इच्छा के प्रति आज्ञाकारी रहकर, हमें परमेश्वर की ऐसी समझदार संतान बनना चाहिए जो कठिनाइयों में भी आनन्दित और कृतज्ञ रहने का कारण ढूंढ़ती हैं।
आनन्द के बीच परमेश्वर का राज्य होता है
परमेश्वर ने जिन्होंने इसहाक के द्वारा सारा को हंसी दिलाई, हमें भी हंसी दिलाई है। हमने स्वर्ग में इतने घोर पाप किए कि हमारे लिए सदा तक मरना नियुक्त किया गया, लेकिन परमेश्वर के पवित्र बलिदान के द्वारा हमने पापों की क्षमा पाई है ताकि हम उद्धार की महिमा का आनन्द उठा सकें। हम अपने आत्मिक पिता और माता से और अपने आत्मिक भाई–बहनों से फिर से मिले हैं। और परमेश्वर ने हमारे लिए अपने घर स्वर्ग वापस जाने का मार्ग खोला है, तो हमें कितना अधिक आनन्दित और कृतज्ञ होना चाहिए!
आइए हम परमेश्वर की संतान होने के नाते हमेशा आनन्दित और कृतज्ञ रहें और दुख और चिंताओं से भरे इस संसार में ज्योति बनें। कभी–कभी हम आर्थिक कठिनाई या कठिन परिस्थिति से पीड़ित हो सकते हैं। मगर हमारे पास लौटने के लिए स्वर्ग का राज्य है और उज्ज्वल भविष्य की प्रतिज्ञा भी है। बाइबल हमसे उसके लिए आनन्दित और कृतज्ञ रहने को कहती है।
रो 14:17–20 क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना–पीना नहीं, परन्तु धर्म और मेल–मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है। और जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहणयोग्य ठहरता है। इसलिये हम उन बातों में लगे रहें जिनसे मेल–मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो...
परमेश्वर ने हमें मुस्कुराने की आज्ञा दी है। उन्होंने हमसे सदा आनन्दित रहने को कहा है और यह भी कहा है कि परमेश्वर का राज्य धर्म और मेल–मिलाप और आनन्द है। इसलिए यदि हमारे अन्दर परमेश्वर का राज्य होता है, और यदि हम पूर्ण रूप से स्वर्गीय पिता और माता की सेवा कर रहे हैं, तो यह बिल्कुल अनुचित है कि हमसे आनन्द दूर चला जाए और हम अपने आपको चिंता और दुख से भर दें।
जब एक माता एक कठोर और भावहीन चेहरा बनाती है, तब चाहे उसका बच्चा पहले उसकी ओर जाने का प्रयास करता हो, लेकिन वह जल्द ही रुक जाता है और पीछे मुड़कर चला जाता है। यदि एक स्त्री का चेहरा सख्त दिखे, तो चाहे वह कितनी भी सुंदर क्यों न हो, लोग जो उसके पास जाना चाहेंगे, मुंह मोड़कर वापस चले जाएंगे।
मैं आशा करता हूं कि उस प्रकार की चीज सिय्योन में कभी घटित न हो। यदि एक माता अपने चेहरे पर मुस्कान रखे, तब उसका बच्चा चाहे उसके सामने कोई भी बाधा हो, अपनी माता की ओर रेंगता हुआ जाता है। हर कोई ऐसे व्यक्ति के पास जाना चाहता है जो आनन्द से भरा है। कभी–कभी हम अपने जीवन में ऐसी चीजों का सामना करते हैं जिनसे हम दुखी, परेशान और निराश होते हैं। लेकिन आइए हम पवित्र आत्मा के द्वारा अपने मन से सभी दुख और चिंताएं निकाल दें और इसहाक के समान स्वर्गीय माता के चेहरे पर मुस्कान और हंसी लाएं।
गल 4:28–31 हे भाइयो, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं। और जैसा उस समय शरीर के अनुसार जन्मा हुआ आत्मा के अनुसार जन्मे हुए को सताता था, वैसा ही अब भी होता है। परन्तु पवित्रशास्त्र क्या कहता है? “दासी और उसके पुत्र को निकाल दे, क्योंकि दासी का पुत्र स्वतंत्र स्त्री के पुत्र के साथ उत्तराधिकारी नहीं होगा।” इसलिये हे भाइयो, हम दासी के नहीं परन्तु स्वतंत्र स्त्री की सन्तान हैं।
इसहाक सारा के लिए एक सबसे बहुमूल्य धन था। इश्माएल और बाकी दूसरे लोगों ने जिन्होंने इसहाक को सताया था, सारा के क्रोध को उकसाया, और आखिर में उन्हें बाहर निकाल दिया गया।
इसहाक स्वयं ही सारा के लिए हंसी का खजाना और स्रोत था। हमें जल्दी से अपने खोए हुए भाइयों और बहनों को खोजकर अपनी स्वर्गीय माता के चेहरे पर मुस्कान लानी चाहिए, ताकि इसहाक जैसी बहुत सी संतान माता की बांहों में वापस आ सकें। इसके अलावा, हम सिय्योन के लोगों को जो पहले माता की बांहों में लौट आए हैं, सदा आनन्दित रहने की परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए, ताकि बाद में आने वाले भाई और बहनें बहुतायत से मुस्कुरा सकें और हंस सकें।
एक दूसरे की ओर देखकर मुस्कुराइए। कृतज्ञता से भरकर एक दूसरे के साथ खुशी बांट लीजिए। सिय्योन को वह जगह होना चाहिए जहां सभी सदस्य लिंग, उम्र या पद के बंधनों से परे आनन्द और आशीष से भरकर हमेशा खुशी महसूस करते हैं।
इसहाक सारा की हंसी का कारण था। सिय्योन को आनन्दित जगह बनाने के लिए, हमें अधिक से अधिक अपने खोए हुए भाइयों और बहनों को ढूंढ़कर स्वर्गीय माता को अधिक से अधिक हंसाना चाहिए। अपने सभी खोए हुए भाई–बहनों के साथ अपने अनन्त घर, स्वर्ग की ओर बढ़ने के लिए, क्या हमें जल्दी से उनकी सिय्योन में अगुवाई नहीं करनी चाहिए? मैं सिय्योन के सभी भाइयों और बहनों से निवेदन करता हूं कि आज भी अपने खोए हुए स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को खोजने के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करें और इससे पिता और माता को पूर्ण रूप से प्रसन्न करें और धन्यवाद दें।