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जिन्हें पवित्र आत्मा की लालसा है और जिन्हें शरीर की लालसा है
परमेश्वर ने हमसे हमेशा पवित्र आत्मा की लालसाएं रखने के लिए कहा है। चूंकि पवित्र आत्मा परमेश्वर हैं, इसलिए पवित्र आत्मा की लालसाएं वो लालसाएं हैं जो परमेश्वर हमें देते हैं, और जो परमेश्वर के हृदय के अनुकूल हैं। इसके विपरीत, शरीर की लालसाएं वो लालसाएं है जो शैतान आत्मिक चीजों की ओर से हमारा ध्यान मोड़ने के लिए हमारे मन में बिठा देता है।
जब यीशु ने अपनी सेवकाई प्रारंभ की, तब शैतान ने यीशु की परीक्षा ली। उस समय भी शैतान ने जगत के धन, उच्च पद और वैभव जैसी शरीर की लालसाओं का उपयोग करके यीशु को लुभाने का प्रयास किया। हालांकि, यीशु ने परमेश्वर के वचनों का उपयोग करके, जो हमारे अंदर पवित्र आत्मा की लालसाओं को जगाते हैं, शैतान के सभी प्रलोभनों का जवाब दिया(मत 4:1–10)
तब आइए हम बाइबल के द्वारा विस्तार से देखें कि किस प्रकार के लोगों के पास पवित्र आत्मा की लालसाएं हैं और किस प्रकार के लोगों के पास शरीर की लालसाएं हैं।
पवित्र आत्मा के अनुसार चलो
गल 5:16–17 पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ।
ऊपर के वचन हमें सिखाते हैं कि यदि हमारे पास शरीर की लालसाएं हैं, तो हम पवित्र आत्मा की लालसाओं को नहीं रख सकते जो हमारे पास अवश्य होनी चाहिए, और यदि हमारे पास पवित्र आत्मा की लालसाएं हैं, तो हम शरीर की लालसाओं को जगह नहीं देंगे। शरीर की लालसाएं पवित्र आत्मा की लालसाओं के विपरीत होती हैं, और पवित्र आत्मा की लालसाएं शरीर की लालसाओं के विपरीत होती हैं। यदि हमारे पास पवित्र आत्मा की उग्र लालसाएं हैं, तो हम शारीरिक भौतिक लालसाओं को पार करेंगे। इसके विपरीत, यदि हमारे पास शरीर की उग्र लालसाएं, यानी संसार की भौतिक लालसाएं हैं, तो हम परमेश्वर की पवित्र इच्छा के विरुद्ध जाएंगे।
रोम 8:5–7 क्योंकि शारीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है; क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है और न हो सकता है। और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।
जिनके पास शरीर की उग्र लालसाएं होती हैं, वे आत्मिक चीजों में रुचि नहीं रखते और अपने मनों को शारीरिक चीजों पर लगाते हैं। लेकिन जिनके पास पवित्र आत्मा की उग्र लालसाएं होती हैं, वे अपने मनों को आत्मिक चीजों पर लगाते हैं। देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, लेकिन अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं(2कुर 4:18), इसलिए जो हमारे पास होनी चाहिए, वह पवित्र आत्मा की लालसा है।
तब हम कैसे आत्मिक लालसाओं को रख सकते हैं? सबसे महत्वपूर्ण चीज खुद को नम्र बनाना है। यदि हमारे पास नम्र हृदय न हो, तो हमारे अंदर पवित्र आत्मा की लालसाएं नहीं रह सकतीं।
जब हम खुद को नम्र बनाते हैं, तब हम पवित्र आत्मा की लालसाएं रख सकते हैं
यशायाह का 14वां अध्याय हमें दिखाता है कि इस पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले बेबीलोन का राजा कैसे रहता था। स्वर्ग में वह एक स्वर्गदूत था जो “भोर के चमकनेवाले तारे, उषाकाल के पुत्र” के महिमामय पद पर था, लेकिन वह घमण्डी बना और उसने परमेश्वर के महिमामय सिंहासन को भी छीन लेने की कोशिश की। चूंकि उसका मन अभिमानी हो गया, वह पवित्र आत्मा की लालसाओं से नहीं, पर शरीर की लालसाओं, यानी भौतिक अभिलाषाओं से भर गया। इसके परिणाम में, उसने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया और दुर्भाग्य से इस पृथ्वी पर गिरा दिया गया।
शैतान चाहता है कि सारी मानवजाति के पास ऐसा घमण्डी मन हो। हालांकि, परमेश्वर “सेवा करनेवाले” के रूप में इस पृथ्वी पर आए और स्वयं को नम्र बनाया। यदि हम स्वयं को नम्र बनाकर हर चीज पर नजर डालें, तो हमारे पास परमेश्वर का मन हो सकता है, लेकिन यदि हम घमण्डी बनें और दूसरों को तुच्छ समझें, तो शैतान अपने विचारों को हमारे मनों में डालता है।
रोम 12:16–18 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो। बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उनकी चिंता किया करो। जहां तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
हमारे पास शरीर की लालसाएं हैं या फिर पवित्र आत्मा की लालसाएं हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या हम घमण्डी हैं या नहीं।
“understand” शब्द का अर्थ समझना है। यह दो शब्दों का संयोजन है – “under” और “stand”। “under” का अर्थ नीचे है, और “stand” का अर्थ खड़ा होना है। यदि हम नीचे खड़े होकर हर चीज को देखें, तो ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम नहीं समझ सकते। हम हर एक का मामला समझ सकते हैं।
हालांकि, यदि हम दूसरों से ऊपर रहेंगे, तो हम उन्हें नहीं समझ सकते। “look” का अर्थ देखना है। “look down” का अर्थ नीचे देखना है, और इसका एक और अर्थ है, तुच्छ समझना। ऊंची जगह पर खड़े होकर दूसरों को अपने से नीचे देखने से दूसरों को तुच्छ समझने का भाव उपजता है। यदि हम अपने मन को ऊंची जगह पर रखें, तो हम हर चीज को तुच्छ समझने लगेंगे।
“look down” का विलोम शब्द “look up” होता है, जिसका मतलब है, किसी का आदर या सम्मान करना। यदि हम खुद को नीचे रखें और किसी चीज या व्यक्ति को अपने से ऊपर रखें, तो हमें परमेश्वर के द्वारा रचा गया सब कुछ आदर पाने योग्य लगता है। हम हर चीज और हर व्यक्ति की स्थिति को पूरी तरह से समझ सकते हैं।
जिनके पास शरीर की लालसाएं होती हैं, वे हमेशा खुद को ऊंचा करने की कोशिश करते हैं। वे घमण्डी मन से हर चीज को तुच्छ समझते हैं। चूंकि वे खुद को ऊंचा करते हैं, इसलिए वे हर चीज को अपने से नीचा समझते हैं। यदि लोग उनके साथ आदर से व्यवहार न करें, तो वे निराश होते हैं और उसके बारे में शिकायत करते हैं।
इसलिए नीचे रहना ही पवित्र आत्मा की लालसाओं को रखने का मार्ग है। यदि हम दूसरे लोगों से ऊपर रहने की कोशिश करें, तो हम भोर के चमकनेवाले तारे, उषाकाल के पुत्र के समान विनाश के मार्ग में गिरेंगे। इसलिए परमेश्वर हमसे दूसरों से नीचे रहने के लिए कहते हैं।
पवित्र आत्मा की लालसाएं जो अब्राहम के पास थीं
एक प्रतिनिधिक व्यक्ति जिसके पास पवित्र आत्मा की लालसाएं थीं, विश्वास का पूर्वज अब्राहम है। जब अब्राहम अपने भतीजे लूत के साथ रहा, दोनों के पास अपने–अपने दास–दासियां और भेड़–बकरियां थीं। शुरू में वे अपनी भेड़–बकरियों को जितना उन्हें चराना चाहिए था, उतना चरा सकते थे, और उनके बीच कोई विवाद नहीं था। लेकिन साल दर साल उनकी भेड़–बकरियों की संख्या बढ़ती गई, और चरागाह की भूमि सीमित थी, तब अब्राहम के चरवाहों और लूत के चरवाहों के बीच झगड़ा उत्पन्न हुआ; वे अपनी भेड़–बकरियों को पहले पानी पिलाना चाहते थे और पहले घास चराना चाहते थे। तब अब्राहम ने लूत को अपने पास बुलाया और उसे सलाह दी;
उत 13:8–12 तब अब्राम लूत से कहने लगा, “मेरे और तेरे बीच, और मेरे और तेरे चरवाहों के बीच में झगड़ा न होने पाए; क्योंकि हम लोग भाई–बन्धु हैं। क्या सारा देश तेरे सामने नहीं? इसलिए मुझ से अलग हो जा; यदि तू बाईं ओर जाए तो मैं दाहिनी ओर जाऊंगा; और यदि तू दाहिनी ओर जाए, तो मैं बाईं ओर जाऊंगा।” तब लूत ने आंख उठाकर, यरदन नदी के पास वाली सारी तराई को देखा कि वह सब सिंची हुई है। जब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा को नष्ट न किया था, तब तक सोअर के मार्ग तक वह तराई यहोवा की वाटिका, और मिस्र देश के समान उपजाऊ थी। इसलिए लूत अपने लिए यरदन की सारी तराई को चुन के पूर्व की ओर चला, और वे एक दूसरे से अलग हो गए। अब्राम कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा; और अपना तम्बू सदोम के निकट खड़ा किया।
यहां हम पवित्र आत्मा की लालसाएं रखनेवाले व्यक्ति की मानसिकता देख सकते हैं। भले ही अब्राहम अपने घराने का मुखिया था, लेकिन उसने अपने भतीजे लूत को पहले अच्छी भूमि चुनने की अनुमति दी। लूत ने सदोम और अमोरा के आसपास की भूमि को चुना, जहां भेड़–बकरियों के झुंड के लिए पर्याप्त घास और पानी था, लेकिन अब्राहम ने उससे घटिया भूमि को चुना। हालांकि, सदोम और अमोरा की भूमि जो उस समय अच्छी और उपजाऊ दिख रही थी, बाद में एक विनाश की जगह बन गई, और कनान देश जो अब्राहम ने चुना था, परमेश्वर की आशीष के अन्दर युग–युग उसके और उसके वंशजों की निज भूमि रही(उत 17:8; 19:24–29)
अब्राहम ने खुद को नीचे रखा और अपने भतीजे लूत को अपने से ऊपर रखा। अब्राहम के पास घराने के मुखिया के रूप में पहला चुनाव करने का अधिकार था; यदि वह खुद के लिए सबसे अच्छा भाग चुनता, तो लूत के पास उसका पालन करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। फिर भी अब्राहम ने लूत को उस भूमि को पहले चुनने की अनुमति दी जहां वह रहना चाहता हो। जिनके पास पवित्र आत्मा की लालसाएं थीं, उन्होंने हमेशा खुद को इस तरह नीचा बनाया।
भले ही अब्राहम और लूत की गाय–बैलों और भेड़–बकरियों के झुण्ड बहुत बड़े होने के कारण उनके चरवाहों में झगड़ा हुआ, लेकिन वह आसानी से सुलझाया गया जब अब्राहम ने अपने भतीजे लूत को बेहतर भूमि दी। अब भी ऐसा ही है। जैसे–जैसे सिय्योन में हमारे भाई–बहनों की संख्या बढ़ती जाती है, हमें जिन्होंने सिय्योन में पहले प्रवेश किया है, अब्राहम की तरह पवित्र आत्मा की लालसाएं रखने की जरूरत है। जब हम तत्काल मिलनेवाली खुशी और लाभ का पीछा करने के बदले, पवित्र आत्मा की लालसाओं को रखेंगे और अपने भाई–बहनों को बेहतर वस्तुएं देंगे, तब हम उनसे और ज्यादा बड़ी आशीषों को पाएंगे। जिनके पास पवित्र आत्मा की लालसाएं होती हैं, वे हमेशा खुद को नीचा बनाते हैं और दूसरों को अच्छी वस्तुएं देते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि बदले में परमेश्वर उन्हें और भी बड़ी आशीषें देते हैं।
प्रेम का गुण जो पवित्र आत्मा की लालसाओं को पूरा करता है
फिलहाल हमारे स्वर्गीय परिवार के बहुत से सदस्य सिय्योन में उमड़कर आ रहे हैं। जो पहले शरीर की लालसाओं के अनुसार जीवन जीते थे उन्हें सिय्योन में अपनी सांसारिक अशुद्धता निकालने में और शुद्ध बनने में मदद करने के लिए, हम अगुवों को पहले अपने हृदयों को पवित्र आत्मा की लालसाओं से भरने की जरूरत है और बहुत से अनुग्रहमय उदाहरण दिखाकर सही मार्ग पर उनकी अगुवाई करनी चाहिए।
घर में भी और चर्च में भी अपने आपको नम्र बनाइए। यदि आप खुद को नीचा बनाएंगे, तो आप अपने पति या पत्नी को समझ सकेंगे और साथ ही अपने बच्चों को भी समझ सकेंगे। एक परिवार जिसके सदस्य एक दूसरे को समझते और देखभाल करते हैं, वह शांति, आनन्द और खुशी से भरा होता है। यदि आप पवित्र आत्मा की लालसाओं के अनुसार, और परमेश्वर के वचन के अनुसार जीएंगे, तो आप स्वर्ग को घर में भी और चर्च में भी चख सकेंगे।
यदि हम खुद को दूसरों से ऊपर रखें, तो हम उनके शब्दों और व्यवहारों को नहीं समझ सकेंगे। ‘वे क्यों ऐसा नहीं कर सकते?’ ‘वे क्यों मेरे साथ ऐसा नहीं करते?’ ‘वे क्यों स्थिति बदतर बना रहे हैं?’ इस तरह, हम हर चीज की शिकायत करेंगे और हमारे बीच हमेशा झगड़े होंगे। यदि हम सब खुद को ऊंचा करें, तो हम कैसे एक बन सकेंगे?
परमेश्वर, जो पूरे अंतरिक्ष पर शासन करते हैं, हमें बचाने के लिए शरीर में इस पृथ्वी पर आए हैं और खुद को निचले स्थान पर रखकर दूसरों की सेवा करने का उदाहरण दिखाया है। हमें भी ऐसे नम्र मन से दूसरों का आदर और सेवा करनी चाहिए, और अपने खोए हुए भाइयों और बहनों को ढूंढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, और उन्हें खोजने पर हमें उनकी अच्छी देखभाल करनी चाहिए और उनकी अगुवाई उद्धार की ओर करने के लिए अपने सभी प्रयास करने चाहिए। यह वह कार्य है जो पवित्र आत्मा की लालसाएं रखने वालों को करना है, और यह उद्धार का मार्ग है जो परमेश्वर ने हमें सिखाया है।
ये सभी चीजें प्रेम से पूरी की जा सकती हैं। सबसे बड़ा प्रेम है। चूंकि परमेश्वर प्रेम हैं, वह अपनी स्वर्गीय महिमा पीछे छोड़कर इस पृथ्वी पर आए; उन्होंने अपने को नीचा बनाकर दूसरों की सेवा की और हमारे पापों के लिए क्रूस का दण्ड भी भोग लिया।
1कुर 13:1–4 यदि मैं मनुष्यों और स्वर्गदूतों की बोलियां बोलूं और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं। और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं। यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं। प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता...
परमेश्वर ने हमें एक नई आज्ञा दी है: “एक दूसरे से प्रेम रखो”(यूह 13:34)। नई वाचा में हम सब को प्रेम को अमल में लाना चाहिए; यह अनुचित है कि किसी को सिर्फ प्रेम देना चाहिए और किसी को सिर्फ उसे पाना चाहिए। प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता। प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, फूलता नहीं, वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। जो खुद को ऊंचा करते हैं, वे बाइबल में वर्णित प्रेम की इन विशेषताओं में से एक को भी अमल में नहीं ला सकते।
परमेश्वर ने हमें इस तथ्य को जानने के लिए जागृत किया है कि हम मूल रूप से स्वर्ग के पापी हैं, और लगातार हमसे कहा है, “खुद को नम्र बनाओ और पश्चाताप करो,” और “अभिमानी न हो, परन्तु दीनों के साथ संगति रखो।” जब हम ऐसा करें, तब हम इस पृथ्वी पर भी स्वर्ग के राज्य को साकार कर सकते हैं और अनन्त स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।
इब्र 10:23–25 आओ हम अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें, क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह सच्चा है; और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।
जब तक हम खुद को नीचले स्थान पर नहीं रखेंगे, तब तक हम एक दूसरे का ख्याल नहीं रख सकेंगे। यदि हम खुद को ऊंचे स्थान पर रखें, तो हम दूसरों की सेवा करने के बदले यह चाहेंगे कि दूसरे हमारी सेवा करें, है न? हम सिर्फ तभी दूसरों को समझ सकते हैं और उन्हें प्रेम दे सकते हैं जब हम उनके नीचे होते हैं। ऐसे मामले में हर कोई एक दूसरे की सेवा करना और एक दूसरे के लिए बलिदान करना चाहता है।
चूंकि हम सभी विश्वास में भाई और बहनें हैं, हमें एक दूसरे का ख्याल रखना और एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए, और हमें न सिर्फ परमेश्वर से प्रेम पाना चाहिए, बल्कि परमेश्वर को वापस प्रेम देना चाहिए। जब हमारा हृदय पवित्र आत्मा की लालसा, यानी परमेश्वर के प्रेम से भरपूर हो, तो हम सुंदर फल उत्पन्न कर सकते हैं।
देह के सभी अंग परस्पर एक दूसरे का समान रूप से ध्यान रखें
सिय्योन जहां परमेश्वर निवास करते हैं, एक अनुग्रह की जगह है; जो भी सिय्योन में प्रवेश करता है, वह आराम और आशीष पाता है। मैं आप सिय्योन के लोगों से निवेदन करता हूं कि आप खुद को पवित्र आत्मा की लालसाओं से भरें, ताकि सभी लोग हमारे अच्छे कार्यों और बाइबल के वचनों के द्वारा यह अनुभव कर सकें कि परमेश्वर हमारे साथ हैं।
1कुर 12:17–27 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां होता? यदि सारी देह कान ही होती, तो सूंघना कहां होता? परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगों को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है। यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। आंख हाथ से नहीं कह सकती, “मुझे तेरी आवश्यकता नहीं,” और न सिर पांवों से कह सकता है, “मुझे तुम्हारी आवश्यकता नहीं।” परन्तु देह के वे अंग जो दूसरों से निर्बल लगते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं; और देह के जिन अंगों को हम आदर के योग्य नहीं समझते उन्हीं को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं, फिर भी हमारे शोभायमान अंगों को इसकी आवश्यकता नहीं। परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है कि जिस अंग को आदर की घटी थी उसी को और भी बहुत आदर मिले। ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें। इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। इसी प्रकार तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।
कभी–कभी प्रथम चर्च के सदस्यों के बीच भी विवाद होता था। जो उद्धार के अनुग्रह के लिए परमेश्वर के आभारी नहीं थे, उनके पास शरीर की लालसाएं थीं, और उन्होंने खुद को दूसरों के ऊपर रखकर उन्हें तुच्छ समझा। इसके कारण उनके बीच पद को लेकर शिकायतें और झगड़े हुए।
परमेश्वर ने चर्च में भी एक रीति स्थापित की है और हर एक की भूमिका निर्धारित की है। हम मसीह की देह हैं, और हम में से हर एक उसका अंग है। क्या होगा यदि पांव शरीर का सबसे निचला भाग होने की शिकायत करें और सिर के ऊपर जुड़ने की कोशिश करें? पांव, चेहरा, और शरीर के बाकी सारे अंग तब सुंदर होते हैं जब वे अपनी खुद की जगह पर होते हैं। यदि शरीर का हर अंग ऊंचा पद पाने की लालसा में अपनी जगह छोड़ने की कोशिश करे, तो शरीर अपना संतुलन खो देगा और बिगड़ जाएगा। इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाने के लिए प्रेरित पौलुस ने यह कहा, “क्या सब प्रेरित हैं? क्या सब भविष्यद्वक्ता हैं? क्या सब उपदेशक हैं?”(1कुर 12:28–30)।
हमें शरीर की लालसाओं में फंसकर ऊंचे पद का पीछा नहीं करना चाहिए और उनका घमण्ड नहीं करना चाहिए, लेकिन हमें पवित्र आत्मा की लालसाओं के अनुसार बहुत से भाइयों और बहनों को परमेश्वर से आशीष दिलाने के लिए परमेश्वर के वचनों के द्वारा उनकी अगुवाई करनी चाहिए और पूरी तरह से उनकी सेवा करनी चाहिए। हर सदस्य परमेश्वर के द्वारा दी हुई जगह या पद में सुसमाचार का कार्य कर सकता है; कार्यकर्ता अपने कार्यस्थलों में, छात्र अपने स्कूलों में और गृहिणियां अपने पड़ोस में प्रचार कर सकते हैं। मैं चाहता हूं कि आप सभी मसीह की देह के अंगों के रूप में पवित्र आत्मा की लालसाएं रखें और एक दूसरे के साथ मेल–मिलाप करें, ताकि जहां कहीं परमेश्वर जाते हैं, आप उनके पीछे हो सकें।
घमण्ड न कीजिए। यदि आपका मन गर्व से फूल उठने लगेगा, तो शरीर की लालसाएं तुरन्त आपके मन पर कब्जा कर लेंगी और आप अपने आपको परमेश्वर के शत्रु बनाएंगे। आइए हम न भूलें कि हमने स्वर्ग में पाप किए थे, और लगातार खुद को नम्र बनाएं और हमें परमेश्वर की संतान बनाने के लिए और सिय्योन में रहने की अनुमति देने के लिए हमेशा परमेश्वर को धन्यवाद दें। आइए हम पूर्ण रूप से एकता के साथ मिलजुलकर रहें और मसीह की देह के अंगों के रूप में अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को पूरा करें। सिय्योन के भाइयो और बहनो! मेरा आपसे दृढ़तापूर्वक आग्रह है कि आप पवित्र आत्मा की लालसाएं रखें, ताकि आप हमेशा एक दूसरे का ख्याल रख सकें, एक दूसरे को क्षमा कर सकें, धीरज धर सकें, खोए हुओं को ढूंढ़ने में लगे रह सकें, और जो ढूंढ़े गए हैं उनकी अच्छी देखभाल कर सकें। ऐसा करते हुए, मैं आशा करता हूं कि आप सभी एक साथ उद्धार के मार्ग की ओर आगे बढ़ें।