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बिना डर के प्रचार करना
हाल ही में, हमारे स्वर्गीय परिवार के बहुत से सदस्य सिय्योन में वापस लौट रहे हैं, और परमेश्वर हमें संसार की हर जगह में सिय्योन स्थापित करने की अनुमति दे रहे हैं। जैसे कि बाइबल में भविष्यवाणी की गई थी, पूरा संसार अब सुसमाचार की पुकार से भर गया है।(हब 2:14; मत 24:12)
इस वर्तमान समय में, जब पूरा संसार परमेश्वर के वचनों से भर रहा है, आइए हम इसके बारे में सोचें कि हम सुसमाचार का प्रचार करने के लिए कितने ऊंचे स्वर से पुकार रहे हैं। हमें सुसमाचार का प्रचार करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए; यदि हम हिचकनेवाले हैं, तो हमें सदा के लिए उसका अफसोस रहेगा। डर के साथ प्रचार करने में परमेश्वर के आशीर्वाद गंवाने का खतरा रहता है, लेकिन बिना किसी डर के प्रचार करने से बड़ा आशीर्वाद मिलता है। आइए हम बाइबल के वचनों से इसकी पुष्टि करें।
गिदोन के योद्धाओं का चुनाव करने का मानदंड
कहा जाता है कि कार्य ही सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। जो केवल सोचते हैं और कोई कार्य नहीं करते, वे सफल नहीं हो सकते। थोमस एडिसन के लिए भी वैसा ही था। सफलतापूर्वक बिजली के बल्ब का आविष्कार करने से पहले, वह कई बार असफल रहा था, लेकिन उसने कभी भी हार नहीं मानी और बार बार प्रयत्न करता ही रहा। जब लोगों ने उससे पूछा कि इतनी बार असफल होने के बावजूद वह बिजली के बल्ब को बनाने के लिए इतनी मेहनत क्यों कर रहा है, तो उसने कहा कि, “मैं एक बार भी असफल नहीं हुआ था। मैं ने तो केवल ऐसे 10,000 उपाय खोजे हैं जो काम नहीं करेंगे।”
हमारे लिए भी, कोई असफलता नहीं है। परमेश्वर में सब कुछ मुमकिन है। जब हम परमेश्वर पर निर्भर करते हैं और बिना डर के आगे बढ़ते हैं, तो अंत में हम सफलता पाएंगे और विजयी होंगे।
न्या 7:1–3 ... तब यहोवा ने गिदोन से कहा, “जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को उनके हाथ नहीं कर सकता, नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई मारने लगेंगे कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं। इसलिये तू जाकर लोगों में यह प्रचार करके सुना दे, ‘जो कोई डर के मारे थरथराता हो, वह गिलाद पहाड़ से लौटकर चला जाए’।” तब बाइस हजार लोग लौट गए, और केवल दस हजार रह गए।
जब इस्राएल मिद्यान के द्वारा उत्पीड़ित हो रहा था, तब परमेश्वर की इच्छा के अनुसार, गिदोन ने मिद्यानियों को बाहर निकालने के लिए उनके विरुद्ध युद्ध करने की तैयारी की। मिद्यानी दुश्मनों के पास 1,35,000 पुरुषों की संयुक्त सेना थी, और उनके पास हजारों ऊंट और बहुत से हथियार थे।(न्या 7:12; 8:10) गिदोन की सेना में केवल 32,000 पुरुष ही थे। उसके सैनिक मिद्यानी सैनिकों के सामने बहुत अधिक कम थे, लेकिन परमेश्वर उन सैनिकों में से उन लोगों को घर वापस भेज दिया जो डर से थरथराते थे। उसके परिणामस्वरूप, 22,000 पुरुष वापस घर लौट गए, और केवल 10,000 बचे रहे।
गिदोन की सेना को 13:1 के अनुपात से युद्ध करना था, लेकिन परमेश्वर ने कहा कि, “अभी भी बहुत ज्यादा पुरुष हैं,” और उनसे एक मजबूत विश्वास मांगा।
न्या 7:4–7 फिर यहोवा ने गिदोन से कहा, “अब भी लोग अधिक हैं; उन्हें सोते के पास नीचे ले चल, वहां मैं उन्हें तेरे लिये परखूंगा... तब वह उनको सोते के पास नीचे ले गया; वहां यहोवा ने गिदोन से कहा, “जितने कुत्ते के समान जीभ से पानी चपड़ चपड़ करके पीएं उनको अलग रख; और वैसा ही उन्हें भी जो घुटने टेककर पीएं।” जिन्होंने मुंह में हाथ लगा चपड़ चपड़ करके पानी पिया उनकी तो गिनती तीन सौ ठहरी; और बाकी सब लोगों ने घुटने टेककर पानी पिया। तब यहोवा ने गिदोन से कहा, “इन तीन सौ चपड़ चपड़ करके पीनेवालों के द्वारा मैं तुम को छुड़ाऊंगा, और मिद्यानियों को तेरे हाथ में कर दूंगा; और अन्य सब लोग अपने अपने स्थान को लौट जाएं।”
इस सरल परीक्षा के द्वारा, अंत तक विश्वास रखकर युद्ध जीतने वाले लोगों को परमेश्वर ने उन लोगों से अलग किया जो युद्ध के लिए जाने के योग्य नहीं थे। 300 पुरुषों ने मुंह में हाथ लगा चपड़ चपड़ करके पानी पिया था, और बाकी सभी ने पानी पीने के लिए घुटने टेक दिए थे। परमेश्वर हृदयों को जांचते हैं और मनों को परखते हैं। केवल यह देखकर कि लोग किस मुद्रा में पानी पी रहे हैं, परमेश्वर उनके मनों को पढ़ लेते हैं। परमेश्वर ने उन लोगों को वापस घर भेज दिया जिन्होंने पानी पीने के लिए अपने घुटने टेक दिए थे क्योंकि कठिन परिस्थिति होने पर वे दुश्मनों के सामने घुटने टेक सकते थे, और केवल 300 पुरुषों को चुना जो कभी भी घुटने नहीं टेकेंगे।
अंत में, वे केवल 300 पुरुष ही थे जिन्होंने परमेश्वर की अंतिम कसौटी को पार किया था। वे सच में ऐसे योद्धा थे जिनके पास डर नहीं था। 300 योद्धाओं के द्वारा 1,35,000 की सेना को परास्त करना, यह ऐसा कार्य है जो केवल परमेश्वर ही कर सकते हैं। जिन्होंने परमेश्वर पर संपूर्ण रूप से विश्वास किया था और जो बिना किसी डर के युद्ध के लिए गए थे, परमेश्वर ने उन योद्धाओं को बड़ी विजय दिलाई थी।(न्या 7:8–8:12)
आत्मिक युद्ध में सुसमाचार के निडर योद्धाओं की विजय
इस्राएल के इतिहास के द्वारा, हमें यह महसूस करना चाहिए कि परमेश्वर आज हमसे क्या चाहते हैं। जब हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं, तो हमें भी निडर होना चाहिए। यदि हम बिना किसी डर के सुसमाचार का प्रचार करते हैं, तो चाहे कितने भी लोग सत्य की निंदा करते हों, हम विश्व सुसमाचार का मिशन पूरा कर सकते हैं।
आत्मिक दृष्टिकोण से, प्रचार को “अच्छी कुश्ती” कहा जाता है।(2तीम 4:7) इस युग में हम वे आत्मिक योद्धा हैं, जिनका मिशन स्वर्गीय यरूशलेम माता की महिमा पूरे संसार में फैलाना है। आत्मिक रूप से हम गिदोन के उन 300 योद्धाओं की सी अवस्था में हैं जिन्होंने 1,35,000 मिद्यानियों से युद्ध किया था। प्रकाशितवाक्य में, हम भविष्य में घटित होने वाले ऐसे दृश्य को देख सकते हैं जहां अजगर स्त्री की शेष सन्तान से लड़ने के लिए समुद्र की बालू के समान असंख्य लोगों पर शासन करता है।(प्रक 12:17) इस परिस्थिति में, परमेश्वर किस प्रकार के लोगों को सत्य के योद्धा के रूप में चुनेंगे?
यदि कोई व्यक्ति किसी युद्ध या प्रतियोगिता में अपने प्रतिद्वंद्वी से डरता है, तो वह पहले से हार के लिए हुए युद्ध या प्रतियोगिता में लड़ने से बिल्कुल भी अलग नहीं है। हिचकिचाहट, डर, थरथराना, चिंता, इत्यादि ऐसी चीजें हैं जो सुसमाचार के कार्य को रोकती हैं। परमेश्वर को ऐसे लोग नहीं चाहिए जो डर से थरथराते हों। परमेश्वर ने उन डरनेवाले लोगों से कहा था कि वे उनके महान कार्य में सहभागी होने के लिए योग्य नहीं हैं और वापस घर जाकर आराम करें। परमेश्वर उन लोगों को ढूंढ़ते हैं जो निडर विश्वास के साथ सुसमाचार का प्रचार करने के लिए तत्पर हैं।
क्या ऐसा कोई है जो किसी दूसरे को सोने या चांदी के जेवर तोहफे के रूप में देते समय डरता हो और ऐसा सोचता हो कि, ‘क्या होगा यदि वह इसे स्वीकार करने से इनकार करे तो?’ या फिर, ‘यदि वह कहेगा कि यह नकली है तो मैं क्या कहूंगा?’ वह निस्संदेह उसे वह सौंपते हुए कहेगा कि, “आप क्या सोचते हैं, इसका मूल्य कितना होगा?” हमारे पास वह सत्य है जो जेवर से भी बहुत ज्यादा मूल्यवान है। इसलिए जब कभी हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं तो हमें आश्वस्त और निडर होकर प्रचार करना चाहिए।
यदि हम केवल थोड़े ही समय के लिए अंधकार में ज्योति चमकाएं, तो वे लोग जो दूर से ज्योति को देखते हैं, ज्योति के पास नहीं आ सकते। ज्योति को चमकाने में हिचकिचाने के बजाय, हम सब को उठ खड़े होना चाहिए और हमारी यरूशलेम माता की महिमा की ज्योति को सामरिया और पृथ्वी की छोर तक चमकाना चाहिए। तब संसार के लोग यरूशलेम के प्रकाश के पास और उनके आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे।(यश 60:1–4)
इस वर्ष, आइए हम बिना डर के पूरे संसार में सुसमाचार का प्रचार करें। यह जीवन का सत्य है। इसलिए, यदि हम साहस के साथ इस सत्य का प्रचार करें, तो जो कोई इसे सुनेगा वह आत्मिक रूप से पुनर्जीवित होगा। परमेश्वर ने हमारी सहायता करने की प्रतिज्ञा की है। आइए हम बाइबल के एक और ऐतिहासिक दृश्य को देखें जहां परमेश्वर ने उस व्यक्ति को विजय दिलाई थी जो निडर होकर आगे बढ़ा था।
दाऊद की विजय जो निडर होकर आगे बढ़ा था
जब इस्राएलियों और पलिश्तियों के बीच में युद्ध हुआ था, तब पलिश्तियों की छावनी से गोलियत नामक एक वीर ने परमेश्वर की निन्दा की, और समस्त इस्राएल के लोग उसके सामने डर से थरथर कांपते थे। यहां तक कि इस्राएल के अनुभवी योद्धा भी उसके कद और सामर्थ्य से अभिभूत हो गए थे और डर से पीछे हट गए थे, लेकिन दाऊद जो एक लड़का था, धार्मिक क्रोध से भरकर, निडरता से उसके सामने लड़ने को चला गया।
1शम 17:32–40 तब दाऊद ने शाऊल से कहा, “किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “तू जाकर उस पलिश्ती के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।” दाऊद ने शाऊल से कहा, “तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था; और जब कोई सिंह या भालू झुण्ड में से मेम्ना उठा ले जाता, तब मैं उसका पीछा करके उसे मारता, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ा लेता; और जब वह मुझ पर हमला करता, तब मैं उसके केश को पकड़कर उसे मार डालता था। तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मारा है। और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।” फिर दाऊद ने कहा, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “जा, यहोवा तेरे साथ रहे।” तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया... दाऊद ने शाऊल से कहा, “इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने इन्हें नहीं परखा है।” और दाऊद ने उन्हें उतार दिया। तब उसने अपनी लाठी हाथ में ली, और नाले में से पांच चिकने पत्थर छांटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात् अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट गया।
जब दाऊद ने जो केवल एक चरवाहा लड़का था, कहा कि वह उस विशाल गोलियत के साथ लड़ेगा, तो राजा शाऊल दाऊद के उससे लड़ने के प्रस्ताव को स्वीकार करने से हिचकिचाया। तब दाऊद ने यह वर्णन करते हुए राजा को मना लिया कि कैसे उसने शेर और भालू को मार डाला था।
जब कोई शेर या भालू आता था और झुण्ड में से किसी मेम्ने को उठा ले जाता था, तो वह उससे बिल्कुल भी नहीं डरता था। बल्कि, वह उसका पीछा करता था, उस पर आक्रमण करता था और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ा लेता था; जब वह उस पर हमला करता था, तो वह उसके केश को पकड़कर उसे मार डालता था। दाऊद, जो सिर्फ एक छोटा लड़का था, कैसे एक शेर और भालू से लड़ सकता और उसे हरा सकता था? परमेश्वर ने पहले से ही शमूएल के हाथों से दाऊद का अभिषेक किया था। इसलिए, परमेश्वर के द्वारा अभिषिक्त व्यक्ति के समान, उसके पास ऐसा महान विश्वास था कि परमेश्वर हमेशा उसके साथ हैं। उसके विश्वास को देखकर, परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके सामने शेर और भालू को दुर्बल बना दिया था। ऐसा लगता था कि दाऊद ने खुद उन्हें मार डाला था, लेकिन वह इसलिए संभव था क्योंकि परमेश्वर ने उसकी सहायता की थी।
चाहे दाऊद झिलम और टोप पहिने बिना ही गोलियत के सामने चला गया था, फिर भी उसके पास हिम्मत थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि वह निश्चित रूप से विश्वास करता था कि परमेश्वर उसके साथ हैं।
1शम 17:42–51 जब पलिश्ती ने दृष्टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था। तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा। फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वनपशुओं को दे दूंगा।” दाऊद ने पलिश्ती से कहा, “तू तो तलवार और भाला और सांग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना के शव आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।” जब पलिश्ती उठकर दाऊद का सामना करने के लिए निकट आया, तब दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उसमें से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घूस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा... तब दाऊद दौड़कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हो गया, और उसकी तलवार पकड़कर म्यान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देखकर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए।
दाऊद ने जब गोलियत के अत्यंत ऊंचे स्वर को सुना, तब भी वह नहीं डरा था। “तुम तलवार और भाला और सांग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं।” यह कहते हुए, दाऊद ने भयभीत कर देने वाले रूप–रंग के साथ उसके पास आ रहे भीमकाय गोलियत के सामने बिना किसी डर के लड़ाई की।
गोलियत एक अनुभवी योद्धा था, जो बड़ी ही आसानी से उस पर फेंके गए पत्थर से बच सकता था। हालांकि, दाऊद की गोफन से फेंका गया पत्थर दाऊद के द्वारा नहीं, बल्कि परमेश्वर के द्वारा फेंका गया था। इसलिए, गोलियत उस पत्थर से नहीं बच सकता था; वह सीधे उसके माथे पर जा लगा, और वह तुरन्त ही भूमि पर गिर गया। जब गोलियत, जिसने इस्राएलियों को डर से कंपा दिया था, मार डाला गया था, सभी पलिश्ती भाग गए। वह दाऊद की विजय थी, वह दाऊद के परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास की विजय थी।
आत्मिक रूप से अभिषिक्त किए हुओं का विश्वास
सब कुछ जो पहले घटित हो चुका है, हमें एक सबक देता है और हमारे विश्वास के जीवन के लिए वह एक दिशा–निर्देशन का काम करता है। जब हम पूरे संसार को स्वर्गीय यरूशलेम माता का प्रचार करते हैं, तब हमारे पास भी ऐसी ही बड़ी हिम्मत होनी चाहिए। ‘जब मैं लोगों को माता का प्रचार करूंगा तो वे मुझसे क्या कहेंगे? क्या वे ऐसा नहीं कहेंगे कि मैं अजीब हूं?’ इस प्रकार का डर हमारे भीतर उस सबसे पवित्र और महान मिशन को पूरा करने में, जिसे हमें अवश्य ही करना चाहिए, हिचकिचाहट पैदा करने का कारक बन सकता है।
जो डरते हैं वे कुछ भी नहीं कर सकते। हमारे आसपास की परिस्थितियों के डर से, यह बात भूलकर कि परमेश्वर हमारे साथ हैं, यदि हमारा हृदय पिघल जाता है, और हम प्रचार करने से हिचकिचाते हैं, तो चाहे हम मुश्किल से अपना मुंह खोलते हों और सुसमाचार का प्रचार करते हों, हम अच्छा फल कभी भी उत्पन्न नहीं करेंगे।
दाऊद शेर या भालू से नहीं डरा था, और यहां तक कि वह विशाल गोलियत से भी नहीं डरा था। बपतिस्मा के द्वारा आत्मिक रूप से परमेश्वर की सन्तान होने के लिए हमारा अभिषेक किया गया है। इसलिए तुच्छ समस्याओं के कारण हमें चिन्तित होना या डरना नहीं चाहिए। शाऊल और दाऊद दोनों का परमेश्वर के द्वारा अभिषेक किया गया था, लेकिन राजा शाऊल डर के मारे पीछे हट गया था। दाऊद उससे अलग था। उसने स्वयं से कहा, ‘परमेश्वर ने मेरा अभिषेक किया है, और वह हमेशा मेरे साथ हैं। चाहे वे कितने भी बड़े और बलवान हों, मेरे विरोध में कौन टिक सकता है?’ वास्तव में वह कोई अविचारी साहस या डींग नहीं थी। वह परमेश्वर के द्वारा दिए गए विश्वास की हिम्मत थी।
हमारी और लड़के दाऊद और गिदोन के 300 योद्धाओं की परिस्थिति एक जैसी है। ऐसी परिस्थिति में हम सुसमाचार का प्रचार करने और संसार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। हम ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जो आत्मिक रूप से गोलियत और 1,35,000 मिद्यानी सैनिकों के समान हैं। दाऊद ने कैसे इस्राएल को पलिश्तियों के हाथों से छुड़ाया था, और कैसे गिदोन के योद्धाओं ने इस्राएलियों को मिद्यानियों से बचाया था? क्या वे निडर विश्वास के द्वारा ही अपने दुश्मनों के सामने विजयी नहीं हुए थे और इ्रस्राएल के लोगों को उत्पीड़न से नहीं बचाया था?
यदि हम डर के कारण सुसमाचार का प्रचार करने से केवल हिचकिचाए होते, तो हमारा चर्च जो एक हाउस चर्च के रूप में शुरू हुआ था, केवल कोरिया के कुछ शहरों में ही स्थापित हुआ होता। हालांकि, चूंकि हमने परमेश्वर पर संपूर्ण विश्वास के साथ सुसमाचार का कार्य किया है, बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार, अब सुसमाचार संसार के 175 देशों में प्रचार किया गया है।
आइए हम सब साहसी बनें। पूरे संसार में यरूशलेम माता की महिमा की घोषणा करने से न हिचकिचाइए। जब हम बिना किसी प्रकार के संशय या हिचकिचाहट के निडर होकर प्रचार करते हैं, तो उससे सुसमाचार के फल उत्पन्न होते हैं।
माता ने 2014 को जुबली का वर्ष घोषित किया है और कहा है कि, “इस वर्ष में सुसमाचार का कार्य पिछले किसी वर्ष की तुलना में अधिक सफल होगा।” हमारे लिए, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि माता ने 2014 को जुबली के वर्ष के रूप में घोषित किया है। उन लोगों में साफ तौर पर अंतर है जो माता की कही बातों पर निर्भर होते हैं और जो यह सोचकर उनकी उपेक्षा करते हैं कि वह सिर्फ आशीष के वचन हैं जो माता हमेशा देती हैं।
देखिए कि पतरस ने यीशु के वचनों के अनुसार क्या किया था। एक दिन, पतरस जो एक मछुआ था, उस जगह पर अपना जाल डाल रहा था जहां मछलियां पकड़ी जा सकती थीं, लेकिन पूरी रात मेहनत करने पर भी उसने कुछ भी नहीं पकड़ा था। जब वह थक कर अपना काम समाप्त करने पर था, यीशु ने आकर उसे गहरे पानी में जाने और मछली पकड़ने के लिए जाल डालने को कहा। चाहे पतरस एक गरम मिजाज वाला व्यक्ति था, उसने एक नम्र मेम्ने की तरह यीशु का पालन किया और यीशु के वचनों के अनुसार जाल डाला। तब तालाब की सभी मछलियां इकट्ठी होने लगीं और जाल में आने के लिए प्रयास करने लगीं। जब पतरस और दूसरी नाव के उसके साथियों ने जाल को ऊपर खींचा, तो दो नाव मछलियों से यहां तक भर गई थीं कि वे डूबने लगीं।(लूक 5:1–7)
यह घटना बाइबल में क्यों लिखी गई है? यह हमारे लिए एक जीवित सबक के रूप में लिखी गई है, कि यदि हम भी परमेश्वर के वचनों पर निर्भर रहें तो हम भी ऐसे ही परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। चूंकि माता ने कहा है कि इस जुबली के वर्ष में सुसमाचार का कार्य और अधिक सफल होगा, आइए हम माता के वचनों पर निर्भर करें और निडरता के साथ उत्सुकता से सुसमाचार का प्रचार करें।
हमारा भी परमेश्वर ने अभिषेक किया है। किसकी हिम्मत है कि वह हमारा मार्ग रोक सके? हमारी स्वर्गीय माता हमारे साथ हैं। यदि हम में से कोई डरता है या माता का प्रचार करने से हिचकिचाता है, तो परमेश्वर उससे सुसमाचार की आगेवाली पंक्ति से हट कर घर वापस जाने को कहेंगे। आइए हम गिदोन के योद्धा और दाऊद के समान ही विश्वास धारण करके निडरता से सुसमाचार की घोषणा करें, ताकि हम शैतान की सभी ताकतों को परास्त कर सकें और स्त्री की शेष सन्तान के रूप में निस्संदेह खड़े रह सकें। सिय्योन के भाइयो और बहनो! मैं चाहता हूं कि आप सब बिना किसी डर के, प्रबलता के साथ सुसमाचार का प्रचार करके, अपने एलोहीम परमेश्वर, स्वर्गीय पिता और माता की बड़ाई करें।