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परमेश्वर एकमात्र समाधान है

जब कभी हम किसी समस्या का सामना करते हैं, तब हम उससे मदद मिलने की उम्मीद करते हैं जो हमें ऐसा दिखता है कि वह समस्या को सुलझा देगा, और हम उस पर निर्भर हो जाते हैं। पृथ्वी की वस्तुएं स्वर्ग की वास्तविक वस्तुओं की छाया है।(इब्र 8:5) फिर भी, जब हम कुछ करते हैं, तो हम अक्सर छाया का पालन करने की कोशिश करते हैं।

छाया का पालन करना किसी काम का नहीं है। हमें वास्तविकता का पालन करना चाहिए। वह परमेश्वर हैं जो सुसमाचार के कार्य का नेतृत्व करते हैं और उसे पूरा करते हैं। इस पृथ्वी पर सब कुछ तभी हासिल किया जा सकता है जब परमेश्वर स्वर्ग में उसकी मंजूरी देते हैं।

कोई भी अपनी बुद्धि, काबिलियत या शक्ति से परमेश्वर का काम नहीं कर सकता या उसे रोक सकता है। इसलिए, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि सिर्फ परमेश्वर की ओर देखें और बाइबल की शिक्षाओं के अनुसार जीएं, जैसे कि भजनसंहिता के लेखक के द्वारा लिखा गया है: “मुझे सहायता कहां से मिलेगी? मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।”(भज 2:1–6; 121:1–2; 146:3–5)

परमेश्वर को स्मरण करो

हाल ही में, जनसंचार के विभिन्न माध्यम चर्च ऑफ गॉड के बारे में रिपोर्ट दे रहे हैं। कोरिया में कई प्रमुख समाचार पत्रों के द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिकाओं ने चर्च ऑफ गॉड की सच्चाई को पहचाना जो माता परमेश्वर पर विश्वास करता है और माता की शिक्षाओं के अनुसार जगत के नमक और ज्योति की भूमिका निभाता है, और रिपोर्ट दी है कि चर्च ऑफ गॉड एक अच्छा चर्च है। इसलिए बहुत से लोग हमारे चर्च में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और हमारी प्रशंसा कर रहे हैं। हालांकि जैसे ज्योति अधिक से अधिक उज्ज्वल चमकती है, शैतान क्रोधित होता है और सब प्रकार के झूठों से चर्च ऑफ गॉड को बदनाम करने की कोशिश करता है, क्योंकि अंधकार ज्योति से नफरत करता है।

इन सब के बावजूद, अभी हमारे पंजीकृत सदस्यों की संख्या बीस लाख से अधिक है। जबकि इस संसार में ईसाइयों की संख्या हाल ही में कम होती जा रही है, लाखों लोग हर साल चर्च ऑफ गॉड में सत्य को ग्रहण करते हैं; यह कोरिया में और दुनिया के अन्य सभी देशों में शायद एक दुर्लभ घटना है। बेशक, मेरा मतलब यह नहीं है कि चर्च जिसके पास बड़ी संख्या में सदस्य हैं, अच्छा चर्च है। मैंने सिर्फ इसलिए हमारे सदस्यों की संख्या बताई ताकि आप जान सकें कि इतने ज्यादा लोग चर्च ऑफ गॉड के बारे में सही तरह से जानते हैं और पिता और माता की महिमा देखकर पूरी दुनिया से हमारे चर्च आते हैं। यह सोचना अच्छा है कि चर्च ऑफ गॉड अच्छा चर्च है क्योंकि यह परमेश्वर के वचनों का पालन करता है। हालांकि, आपको चर्च का न्याय उसके बाहरी रूप या आकार से नहीं करना चाहिए।

कुछ चर्च अपने प्रसिद्ध सदस्यों के बारे में घमण्ड करते हैं और जगह–जगह बैनर लगाकर लोगों को उनके समारोह में आने के लिए कहते हैं। सिर्फ विशिष्ट लोगों को देखने या उनका पालन करने के लिए चर्च में आना गलत है। चर्च मनुष्य की नहीं, परमेश्वर की आराधना करने की जगह है। चर्च ऑफ गॉड परमेश्वर के अलावा कभी किसी और का घमण्ड नहीं करता, चाहे वह पादरी हो या एक प्रसिद्ध आदमी। यह इसलिए है कि हमारा चर्च वह चर्च है जो सिर्फ परमेश्वर का भय मानता है और उनकी आराधना करता है।

क्या इस पृथ्वी पर जी रहे सभी लोग स्वर्गदूत नहीं हैं जो पाप के कारण स्वर्ग से निकाल दिए गए? हम तभी उद्धार पा सकते हैं जब हम सिर्फ परमेश्वर की ओर देखें और उनका पालन करें। हमें परमेश्वर को भूलने का मूर्ख कार्य नहीं करना चाहिए।

1कुर 4:7 क्योंकि तुझ में और दूसरे में कौन भेद करता है? और तेरे पास क्या है जो तू ने (दूसरे से) नहीं पाया: और जब कि तू ने (दूसरे से) पाया है, तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है कि मानों नही पाया?

हमारी प्रतिभा सहित सब कुछ जो हमारे पास है, वह परमेश्वर से आता है। इसलिए बाइबल हमें कहती है कि हमें अपनी किसी भी चीज का घमण्ड नहीं करना है जैसे वह हमारी ही हो। लेकिन, कभी–कभी हम सोचते हैं कि जो हमारे पास है वह हमारा है, और परमेश्वर को भूल जाते हैं। इसी कारण परमेश्वर हमारी आत्मिक सुरक्षा के लिए चिंता करते हैं।

व्य 8:11–18 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे... तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल लाया है, और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विषवाले सर्प और बिच्छू हैं और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्टान से जल निकाला, और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके अन्त में तेरा भला ही करे। और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पत्ति प्राप्त करने की सामर्थ्य इसलिये देता है...

परमेश्वर हर तरह से हमारी अगुवाई करते हैं ताकि हम अन्त में आशीष पा सकें। हमें सिर्फ परमेश्वर के बारे में सोचना चाहिए। हमारी सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान परमेश्वर हैं; वह सिर्फ परमेश्वर ही हैं जो सभी कठिन समस्याओं को सुलझा सकते हैं।

जब कोई चीज अच्छी तरह से की जाती है, तो हम सोच सकते हैं, “मैंने यह मेरी ही काबिलियत से किया है।” परमेश्वर ने हमें इसलिए नहीं चुना कि हमारे पास बहुत सारी काबिलियतें हैं। जो भी काबिलियत हमारे पास है वह परमेश्वर से आई है। इसलिए हमें अपनी काबिलियत पर घमण्ड नहीं करना चाहिए जैसे कि वह हमारी खुद की हो। चूंकि परमेश्वर ने हमें सभी चीजें दी हैं जो उनकी हैं, और अपने कार्य के लिए हमें चुना है, तो क्या हमें हर समय परमेश्वर को धन्यवाद नहीं देना चाहिए और नम्र मन से खुद को छोटा नहीं करना चाहिए?


सच्चे विश्वास के साथ सिर्फ परमेश्वर की ओर देखना

2,000 वर्ष पहले जब परमेश्वर इस पृथ्वी पर यीशु के नाम से आए, तब वह इस रूप में नहीं थे कि लोग उनकी आराधना करें, लेकिन उन्होंने दास का दीन–हीन रूप धारण किया। अगर वह अपने महिमामय रूप में आते ताकि वह संसार से प्रसिद्धि और लोकप्रियता पा सकें, तो सभी लोगों ने उन पर विश्वास किया होता। लेकिन, उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि लोग उसे देखते, और न उसका रूप या पारिवारिक पृष्ठभूमि या संपत्ति ऐसी थी कि लोग उसे चाहते। इसलिए लोगों ने मसीह को अच्छे से ग्रहण नहीं किया।(यश 53:1–2)

बाइबल में, यहूदियों ने कहा, “इसे बिन पढ़े विद्या कैसे आ गई?”(यूह 7:15) उन्होंने यह कहते हुए यीशु की निंदा भी की, “तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।”(यूह 10:33) उन्होंने बिना हिचक के उसे विधर्मी भी घोषित किया।

प्रे 24:1–5 पांच दिन के बाद हनन्याह महायाजक कई पुरनियों और तिरतुल्लुस नामक किसी वकील को साथ लेकर आया। उन्होंने हाकिम के सामने पौलुस पर नालिश की। जब वह बुलाया गया तो तिरतुल्लुस उन पर दोष लगाकर कहने लगा... क्योंकि हम ने इस मनुष्य को उपद्रवी और जगत के सारे यहूदियों में बलवा करानेवाला, और नासरियों के कुपन्थ का मुखिया है।


परमेश्वर स्वयं इस पृथ्वी पर आए। लोग कैसे उन्हें “नासरी” बुलाकर कलंकित करने की हिम्मत कर सके? चूंकि लोगों ने यीशु को विधर्मी कहा, तो कुछ लोग सत्य से फिर गए और यीशु को त्याग दिया। लेकिन दूसरी तरफ, बहुत ही थोड़े लोग थे जिन्होंने लोगों को यीशु से नासरियों के कुपन्थ का नेता कहते हुए सुना पर शहीद होने को तैयार होकर अन्त तक यीशु का पालन किया। इस तरह मसीह की पीड़ाओं में स्वेच्छा से सहभागी होने वालों से परमेश्वर ने वादा किया: “तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूंगा...”(प्रक 3:10)

जैसे यीशु ने वादा किया, वैसे जिन्होंने अन्त तक विश्वास रखा, वे अभी परमेश्वर के सिंहासन के सामने शांति पा रहे हैं। यह सच्चा विश्वास है। अगर यीशु ने राजा हेरोदेस या रोमन सम्राट से अधिक प्रसिद्धि और लोकप्रियता पाई होती और सभी लोगों पर शासन किया होता, तो स्वर्ग के सच्चे लोगों को अलग करना मुश्किल होता। इसलिए लोगों से नासरी सुनने पर भी, यीशु ने निचले और नम्र रूप में होकर सुसमाचार का कार्य किया और सिर्फ उन्हें चुना जिन्होंने उन्हें सही तरह से पहचाना और उनका पालन किया।

परमेश्वर के द्वारा पूरा किया जानेवाला कार्य

बाइबल की शिक्षाओं का पालन करते हुए, हमें भी सिर्फ परमेश्वर की ओर देखना चाहिए और उद्धार की ओर आगे बढ़ना चाहिए। हमारे पास ऐसा कमजोर विश्वास नहीं होना चाहिए जो लोगों से अपमानित और बदनाम होने पर डगमगाता है।

भज 127:1 यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा। यदि नगर की रक्षा यहोवा न करे, तो रखवाले का जागना व्यर्थ ही होगा।


महान लोग वे हैं जिनके साथ हमेशा परमेश्वर हैं, चाहे वे घर बनाएं या नगर की रक्षा करें या कुछ भी करें। भले ही लोगों ने प्रथम चर्च के संतों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उन्हें “नासरी” भी कहा, लेकिन संतों ने सिर्फ परमेश्वर का पालन किया और सत्य को थामे रखा। उन संतों की तरह आज हम एलोहीम पर विश्वास करते हैं, जिनकी बाइबल गवाही देती है। इसलिए, हमें भी उनकी तरह निडरता से परमेश्वर की गवाही देने के लिए हर प्रयास करना चाहिए।

पूरे संसार में सुसमाचार का प्रचार होने तक और हमारे वह बनने तक जो आज के हम हैं, पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर हमेशा हमारे साथ रहते हैं। अगर परमेश्वर हमारी मदद करेंगे, तो हम हर बाधा को पार कर सकते हैं, चाहे वह कितनी ही बड़ी क्यों न हो। हम इस्राएल के इतिहास के द्वारा फिर से इसकी पुष्टि कर सकते हैं।


निर्ग 14:15–16 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है? इस्राएलियों को आज्ञा दे कि यहां से कूच करें। और तू अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्राएली समुद्र के बीच होकर स्थल ही स्थल पर चले जाएंगे।


जैसे ही इस्राएली मिस्र से बाहर निकले, उन्होंने एक बहुत बड़ी बाधा का सामना किया; मिस्र का राजा फिरौन और उसकी सेना उनका पीछा कर रही थी, और उनके सामने लाल समुद्र था। अगर उन्होंने कुछ नावों के द्वारा लोगों को समुद्र के उस पार ले जाने की कोशिश की होती, तो क्या पीछा कर रही मिस्री सेना उनके समुद्र पार करने तक इंतजार करती? वास्तव में वे निराशाजनक स्थिति अर्थात् बड़ी दुविधा में फंस गए।

अगर वे दुश्मनों के हाथ लग जाते, तो उन्हें पहले से अधिक कठोर कष्ट को सहन करना पड़ता था। इस संकट के समय में, मूसा ने परमेश्वर को पुकारा। तब परमेश्वर ने मूसा को समाधान बताया, “तू अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा।”

जैसे मूसा ने परमेश्वर के प्रस्तावित समाधान को लागू किया, तो चमत्कारिक चीजें घटित होने लगीं; समुद्र दो भागों में विभाजित हो गया, और इस्राएली सूखी भूमि से समुद्र को पार कर सके, और मिस्री सैनिक जिन्होंने इस्राएलियों का पीछा किया, वे समुद्र में दफनाए गए।


परमेश्वर द्वारा दिलाई गई जीत

जब भी मूसा समस्या का सामना करता था, वह परमेश्वर की ओर देखता था। “परमेश्वर, मैं समस्या का सामना कर रहा हूं। मैं क्या करूं?” “यह करो।” “लाल समुद्र हमारा मार्ग रोक रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?” “अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा।” “मेरे पास दूसरी समस्या है। मैं क्या करूं?” “तू उस चट्टान पर मारना।” परमेश्वर ने हमेशा उसे समस्याओं का हल बताया।

हमें भी हमेशा परमेश्वर की ओर देखकर, अपनी किसी भी समस्या का समाधान मांगना चाहिए। साथ ही, हमें हमेशा अपने ध्यान में यह रखते हुए कि सब कुछ जो हमारे पास है, परमेश्वर से आता है, ऐसा विश्वास का रवैया रखना चाहिए जो हमें हमेशा परमेश्वर को महिमा देने में सक्षम बनाता है।

निर्ग 17:10–13 मूसा की इस आज्ञा के अनुसार यहोशू अमालेकियों से लड़ने लगा; और मूसा, हारून, और हूर पहाड़ी की चोटी पर चढ़ गए। जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता था तब तक तो इस्राएल प्रबल होता था; परन्तु जब जब वह उसे नीचे करता तब तब अमालेक प्रबल होता था। पर जब मूसा के हाथ भर गए, तब उन्होंने एक पत्थर लेकर मूसा के नीचे रख दिया, और वह उस पर बैठ गया, और हारून और हूर एक एक अलंग में उसके हाथों को सम्भाले रहे; और उसके हाथ सूर्यास्त तक स्थिर रहे। और यहोशू ने अनुचरों समेत अमालेकियों को तलवार के बल से हरा दिया।


एक बार इस्राएलियों की अमालेकियों से लड़ाई छिड़ गई। उस समय परमेश्वर ने इस्राएलियों को जीतने दिया जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रखा। अवश्य, यहोशू सबसे आगे की पंक्ति में था, लेकिन चाहे वह कितना ही चतुर और बहादुर क्यों न हो, जब मूसा ने अपने हाथ को नीचे किया, इस्राएली जीत नहीं सके । हालांकि, जब मूसा ने अपना हाथ उठाए रखा, एक बहुत मजबूत पुरुष भी यहोशू का मुकाबला नहीं कर सका।

अगर आप अपने सामने आने वाली मुश्किल स्थिति को सुलझाना चाहते हैं, तो परमेश्वर के बारे में सोचिए। शायद आप सोच सकते हैं कि अगर आप झुगह कांग मिंग जैसे समझदार और बुद्धिमान सलाहकारों को एक साथ इकट्ठा करें, तो वे आपकी किसी भी समस्या को सुलझाएंगे। बिल्कुल नहीं। मूसा ने अपनी बुद्धि से समस्याओं को नहीं सुलझाया। सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वह है जो अदृश्य दुनिया में काम करनेवाले परमेश्वर की योजना को समझता है और परमेश्वर के बारे में सोचता है।

यहो 10:12–14 उस समय, अर्थात् जिस दिन यहोवा ने एमोरियों को इस्राएलियों के वश में कर दिया, उस दिन यहोशू ने यहोवा से इस्राएलियों के देखते इस प्रकार कहा, “हे सूर्य, तू गिबोन पर, और हे चन्द्रमा, तू अय्यालोन की तराई के ऊपर थमा रह।” और सूर्य उस समय तक थमा रहा, और चन्द्रमा उस समय तक ठहरा रहा, जब तक उस जाति के लोगों ने अपने शत्रुओं से बदला न लिया। क्या यह बात याशार नाम पुस्तक में नहीं लिखी है कि सूर्य आकाशमण्डल के बीचोंबीच ठहरा रहा, और लगभग चार पहर तक न डूबा? न तो उससे पहले कोई ऐसा दिन हुआ और न उसके बाद, जिस में यहोवा ने किसी पुरुष की सुनी हो; क्योंकि यहोवा तो इस्राएल की ओर से लड़ता था।


जब इस्राएलियों और एमोरियों के बीच युद्ध हुआ, युद्ध क्षेत्र की भौगोलिक हालात से वहां के स्थानीय वासी, यानी एमोरी अच्छी तरह परिचित थे, लेकिन इस्राएली उससे बिल्कुल ही अपरिचित थे। इसलिए जब अंधियारा हो गया और रात आई, इस्राएली परेशानी में हुए। तो, यहोशू ने परमेश्वर से सूर्य और चन्द्रमा को थामने के लिए कहा। उस क्षण सूर्य और चन्द्रमा थम गया। कक्ष में चल रहे ग्रह एक सेकंड के लिए भी नहीं रुक सकते; वे अपने पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत चलते रहते हैं। हालांकि, वे उस समय लगभग पूरे एक दिन तक रुके रहे।

क्या कोई ऐसी चीज थी जिसे यहोशू कर सकता था? वह परमेश्वर थे जिन्होंने यह सब किया। परमेश्वर समाधान हैं। दृश्य मनुष्य को देखने के बदले, आइए हम परमेश्वर की ओर देखें जो उसके साथ हैं और विश्वास के साथ हमेशा परमेश्वर का भय मानें।


परमेश्वर एकमात्र समाधान है

जब हम निर्गमन की ऐतिहासिक घटना पर नजर डालें, हम देख सकते हैं कि इस्राएली उस मिस्र देश से मुक्त हुए जहां उन्होंने 400 वर्षों तक गुलामी का जीवन जिया। यह मुक्ति ऐसी चीज नहीं थी जिसे मनुष्य की शक्ति से प्राप्त किया जा सकता था। भले ही वे लगभग छह लाख पुरुष थे, लेकिन यह उनकी काबिलियत या शक्ति के द्वारा नहीं हुआ कि वे मिस्र के दासत्व से छुटकारा पा सके। यह मूसा की शक्ति के द्वारा भी नहीं था।

परमेश्वर ने लगातार 10 विपत्तियां मिस्र पर भेजीं। उन्होंने फसह के पर्व को उस दिन के रूप में घोषित किया जब वह मिस्र में मनुष्य से लेकर पशु तक सब के पहिलौठों को मारेंगे, और उन्होंने उसे उस दिन के रूप में नियुक्त किया जब विपत्तियां इस्राएलियों के पास से पार हो जाएंगी। फसह की रात को, मिस्र के सभी पहिलौठे मारे गए थे। तब फिरोन ने मूसा और हारून को बुलाकर कहा, “अपने लोगों को लेकर मिस्र से निकल जाओ। हम तुम्हारे परमेश्वर की विपत्तियों को और अधिक बर्दाश्त नहीं कर सकते।” उसने मिस्रियों के सोने और चांदी के गहने देकर, इस्राएलियों को जाने दिया, ताकि वे खाली हाथ न जाएं। यह सब परमेश्वर का कार्य था, और परमेश्वर समाधान थे।

हमें परमेश्वर को कभी नहीं भूलना चाहिए जो हमेशा हमारे साथ हैं और उद्धार की ओर हमारी अगुवाई करते हैं। भले ही हमारे स्वर्ग के मार्ग पर लाखों बाधाएं और प्रलोभन हैं, लेकिन उन्हें पार करने में परमेश्वर हमारी मदद करते हैं; वह सिर्फ परमेश्वर हैं जो इन सब बाधाओं और प्रलोभनों को पार करने में हमारी मदद करते हैं।

जब आप मुसीबत और दुख में हों, जब आपका विश्वास कम हो, तब परमेश्वर के बारे में सोचिए और परमेश्वर से समाधान मांगिए। सिर्फ परमेश्वर ही हैं जो हमें हर समस्या का समाधान देते हैं, और परमेश्वर के पास हर दरवाजे को खोलने की चाबी है। क्या कुछ ऐसा है जो हमने परमेश्वर से नहीं पाया है? मुझे विश्वास है कि अगर हम हमेशा परमेश्वर की ओर देखें और परमेश्वर की इच्छा खोजें, तो हमारे पास यहोशू, मूसा, प्रेरित पौलुस और पतरस के विश्वास के जैसा एक महान विश्वास होगा।

ऐसी गंभीर स्थिति में भी जब इस्राएलियों के पीछे मिस्री सेना थी और आगे लाल समुद्र था, वह समस्या तभी सुलझ गई जब उन्होंने सिर्फ परमेश्वर के बारे में सोचा। भले ही वह विपत्ति आए जिसमें हमारे निकट हजार गिरेंगे और हमारी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे, लेकिन हमें समाधान सिर्फ तभी मिल सकता है जब हम परमेश्वर की ओर देखें। परमेश्वर ने हम से वादा किया है कि वह विपत्तियों को हमारे ऊपर से गुजर जाने देंगे और जल और आग से हमें बचाएंगे। हमारी समस्याओं का जवाब और समाधान सिर्फ परमेश्वर ही हैं। सिय्योन में भाइयो और बहनो! परमेश्वर के बारे में सोचकर और परमेश्वर की बहुमूल्य प्रतिज्ञा अपने हृदयों पर गहराई से अंकित करके, आइए हम परमेश्वर का भय मानें और उन्हें महिमा और प्रशंसा दें।