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चुनाव के द्वारा जीवन
अब¸ आइए हम समय निकालकर सोचें कि हम कितने आशीषित हैं कि हम अपने विश्वास के जीवन में परमेश्वर के वचन के अनुसार चुना हुआ जीवन जीते हैं¸ ताकि हम परमेश्वर के वचन का पालन करके और हर समय वह चुनाव करके जिससे पिता और माता प्रसन्न हों¸ स्वर्ग जा सकें।
मूसा¸ अब्राहम¸ नूह¸ आदम और हव्वा से लेकर पतरस¸ यूहन्ना और याकूब जैसे यीशु के चेलों तक¸ जब हम अपने विश्वास के पूर्वजों के जीवन को देखते हैं, तो उन सभों ने अपना जीवन चुनाव से जिया। जंगल की यात्रा के दौरान¸ इस्राएलियों ने अपने जीवन के हर समय में नकारात्मक चुनाव करके अपना समय व्यर्थ गंवाया।
हमारे जीवन के साथ भी ऐसा ही है। जीवन चुनावों की श्रृंखला है। हर पल¸ हर मिनट¸ हम जीवन के मोड़ पर खड़े होकर चुनाव करते हैं। बाइबल की शिक्षाओं के द्वारा¸ आइए हम सोचें कि क्या हम सही चुनाव करके सही जीवन जी रहे हैं या नहीं।
चेलों का जीवन जिन्होंने मसीह को चुना
हमारा जीवनकाल बहुत छोटा है। ऐसा लगता है कि कल ही दुनिया भर के लोग नए साल के जश्न में पटाके जलाते हुए उत्सव के मूड में थे। अभी वर्ष का अन्त बहुत ही नजदीक है। एक साल कितनी तेजी से गुजर जाता है। ऐसा हमारा जीवन है।
सभी मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर ने छह हजार वर्ष की योजना बनाई है और अपने उद्धार के कार्य के लिए छह हजार वर्षों को तीन युगों में विभाजित किया – पिता का युग¸ पुत्र का युग¸ और पवित्र आत्मा का युग। हम तभी उद्धार के मार्ग पर जा सकते हैं¸ जब हम बाइबल के वचन के अनुसार जीने का चुनाव करें। इसलिए परमेश्वर ने हम से कहा है कि हम हमेशा उनके वचन का पालन करें।
बाइबल के द्वारा¸ आइए हम देखें कि चेलों ने क्या चुनाव किया जब यीशु ने उन्हें उनका पालन करने के लिए बुलाया।
मत 4:17–22 उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया¸ “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।” गलील की झील के किनारे फिरते हुए उस ने दो भाइयों अथात् शमौन को जो पतरस कहलाता है¸ और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखाऌ क्योंकि वे मछवे थे। यीशु ने उन से कहा¸ “मेरे पीछे चले आओ¸ तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊंगा।” वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। वहां से आगे बढ़कर¸ यीशु ने और दो भाइयों अर्थात् जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को देखा। वे अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधार रहे थे। उसने उन्हें भी बुलाया। वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
पतरस¸ अन्द्रियास¸ याकूब और यूहन्ना अपनी जीविका चलाने के लिए हर दिन गलील की झील में मछलियों को पकड़ते थे। एक दिन¸ यीशु ने उनके पास जाकर कहा¸ “मेरे पीछे चले आओ¸ तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊंगा।” तब उन्होंने तुरंत सब कुछ छोड़कर यीशु की बुलाहट का जवाब दिया और उनके पीछे हो लिए।
परमेश्वर इसलिए पृथ्वी पर नहीं आए कि उन्हें हमारी जरूरत है। उन्होंने हम¸ मनुष्य जाति पर दया की जो पापमय संसार में दुख सह रहे थे¸ और हमें बचाने के लिए आए। तो जब परमेश्वर हम से उन पर विश्वास करने के लिए कहते हैं या इस मार्ग पर चलने के लिए कहते हैं¸ तो यह इसलिए नहीं है कि वह हम से कुछ चाहते हैं।
चूंकि चेलों ने इसे महसूस किया¸ तो वे यीशु की आवाज सुनकर प्रसन्न थे जो उनसे उनके पीछे चलने के लिए कह रही थी। भले ही वह ऐसा कंटिला मार्ग था जिसमें महिमा से ज्यादा पीड़ाएं थीं¸ फिर भी उन्होंने परमेश्वर के साथ चलना चाहा और उस मार्ग पर चलने का चुनाव किया। उन्होंने अपनी नाव और जाल छोड़ दिए जो उनकी जीविका के लिए आवश्यक उपकरण थे¸ और यीशु की यह कहती हुई आवाज¸ “मेरे पीछे चले आओ¸” का पालन करने का चुनाव किया। उन्होंने पूरी तरह से सही चुनाव किया। वे बाइबल में सबसे आशीषित लोग हैं।
वे अपने जीवन में बहुत कठिनाइयों और विरोधों से गुजरे¸ लेकिन वे अभी कहां हैं? 2¸000 वर्ष के बाद¸ इसमें कोई संदेह नहीं है कि पतरस इस पल यीशु के साथ स्वर्ग के राज्य में है। वह परमेश्वर की बांहों में अवर्णनीय आराम का मजा लेते हुए और जो वह चाहता है वह जी भरकर करते हुए वहां पर बहुत खुश होगा।
जब हम यह सोचें¸ तो हम फिर से महसूस कर सकते हैं कि हमने इस युग में पिता और माता को ग्रहण करने का सचमुच योग्य और आशीषित चुनाव किया है। भले ही इस पृथ्वी पर एक व्यक्ति ऊंचा पद या पदवी प्राप्त करता है¸ लेकिन उसका जीवन सीमित है¸ वह ज्यादा समय तक नहीं टिकेगा। हालांकि¸ स्वर्ग की चीजें अनन्त हैं¸ वे हमेशा के लिए रहती हैं। मैं चाहता हूं कि आप सभी क्षणिक जीवन जीने का मूर्ख चुनाव करने के बदले¸ अनन्तकाल तक जीने का समझदार चुनाव करें।
यहूदा इस्करियोती का गलत चुनाव
हमारे लिए¸ चुनाव करने का क्षण लगातार आता है। अगर हम उस क्षण गलत चुनाव करें¸ तो हम ऐसे मार्ग पर जाएंगे जिसे हम लौटा नहीं सकते। यीशु के बारह चेलों में से सिर्फ एक था जिसने गलत चुनाव किया।
मत 26:14–16 तब यहूदा इस्करियोती ने¸ जो बारह चेलों में से एक था¸ प्रधान याजकों के पास जाकर कहा¸ “यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूं¸ तो मुझे क्या दोगे?” उन्होंने उसे तीस चांदी के सिक्के तौलकर दे दिए। और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूंढ़ने लगा।
यहूदा इस्करियोती ने यीशु के बदले 30 चांदी के सिक्के चुने¸ और यीशु को पकड़वाने का मौका ढूंढ़ा। विश्वास के मार्ग पर चलते हुए¸ कभी–कभी हम ऐसे मूर्ख¸ गरीब लोगों को देखते हैं जो ऐसा गलत चुनाव करते हैं जिससे वे अनन्त जीवन और अनन्त स्वर्ग के राज्य को खो देते हैं।
यीशु का चेला होना कितना महिमामय है! यहूदा इस्करियोती को सीधे यीशु ने सिखाया थाऌ उसने यीशु के एक नजदीकी चेले के रूप में यीशु ने जो कहा और किया¸ उसे सीखा और स्वीकार किया। फिर भी¸ उसने यीशु से ज्यादा पैसे से प्रेम किया। जिस पल से उसने पैसे को चुना¸ उसे परमेश्वर अलग लगने लगे। यूहन्ना और पतरस जैसे दूसरे चेलों के विपरीत¸ यहूदा इस्करियोती ने यीशु का पालन करते समय आनन्द महसूस नहीं कियाऌ क्योंकि न तो लोग उसका सम्मान करते थे और न ही वह लोगों के बीच लोकप्रिय होता था¸ लेकिन इसके बजाय लोग उस पर “विधर्म” का दोष मढ़ते थे और यह कहकर उसकी निंदा करते थे¸ “कैसे यह मनुष्य परमेश्वर हो सकता है?” अन्त में उसने गलत चुनाव किया¸ और बाद में उसे महसूस हुआ कि जो उसने किया था वह गलत था। हालांकि¸ उसने मन नहीं फिराया¸ लेकिन सिर्फ पछतावा किया। इसके परिणाम में¸ उसकी बुरी तरह से मृत्यु हो गई।
अभी¸ 2¸000 वर्ष के बाद¸ यहूदा इस्करियोती कहां है? वह अभी क्या कर रहा है? गंधक की जलती हुई झील में¸ वह अपने आपको यह कहते हुए बहुत पछताता होगा¸ ‘मैंने उस समय पर क्यों ऐसा किया? मैंने क्यों गलत चुनाव किया?’
एक बार जब चुनाव का समय बीत जाता है¸ तो हम उसे वापस नहीं ला सकते। लूका के 16 वें अध्याय में धनी मनुष्य और लाजर के दृष्टांत में¸ जब धनी मनुष्य मरा और नरक में गया¸ तब उसने पीड़ा में पछतावा किया¸ लेकिन वह बीते समय को वापस नहीं ला सका।
यहूदा इस्करियोती के द्वारा चुने हुए जीवन की तुलना पतरस और दूसरे चेलों के जीवन से कीजिए जिन्होंने अन्त तक मसीह का पालन किया। हमारे विश्वास का जीवन भी चुनावों की श्रृंखला है। सब्त के दिन का पालन करना भी हमारा एक चुनाव है। जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं और विश्वास रखते हैं, वे पतरस और यूहन्ना के समान हैं जो तुरंत यीशु के पीछे हो लिए जब यीशु ने उनसे कहा¸ “मेरे पीछे चले आओ।” हर कोई व्यस्त है और हर एक के पास महत्वपूर्ण चीजें हैं जो उन्हें करना चाहिए। हालांकि¸ हम उन सभी चीजों को पीछे छोड़कर¸ “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना।” परमेश्वर की इस आज्ञा के प्रति आज्ञाकारी बने हैं¸ और हमने परमेश्वर की आराधना करके परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीने के लिए और स्वर्ग की अनन्त आशीष और पवित्रता को पहनने के लिए चुनाव किया है। इसी के कारण हम सिय्योन में आते हैं और हर सप्ताह सब्त का दिन मनाते हैं।
आज¸ दूसरे दिनों की तरह¸ हम संसार की चीजों और परमेश्वर की चीजों में चुनाव करते हैं। हम नहीं जानते कि किस प्रकार की स्थिति, जिसमें हमें कोई चुनाव करना चाहिए, आगे हमारा इंतजार कर रही है¸ लेकिन किसी भी और हर स्थिति में हमें परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चुनाव करने की जरूरत है।
क्षणिक काल के लिए चुनाव और अनन्तकाल के लिए चुनाव
जब यीशु को क्रूस पर लटकाया गया था¸ तो उनके दाहिनी ओर और बाईं ओर, दो डाकुओं को भी क्रूस पर चढ़ाया गया था। आइए हम बाइबल के एक दृश्य के द्वारा देखें कि उन्होंने उस अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण में क्या चुनाव किया।
लूक 23:39–43 जो कुकर्मी वहां लटकाए गए थे¸ उनमें से एक ने उसकी निन्दा करके कहा¸ “क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपने आप को और हमें बचा!” इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा¸ “क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है¸ और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं¸ क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैंऌ पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।” तब उसने कहा¸ “हे यीशु¸ जब तू अपने राज्य में आए¸ तो मेरी सुधि लेना।” उसने उससे कहा¸ “मैं तुझ से सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।”
इन दो डाकुओं के संबंध में¸ पिता ने कहा कि डाकू जो यीशु के बार्इं ओर था, वह ऐसा व्यक्ति था जिसने क्षणिक काल के बारे में सोचा¸ और डाकू जो यीशु के दाहिनी ओर था, उसने अनन्तकाल के बारे में सोचा। यीशु के बाईं ओर जो डाकू था¸ उसने अपेक्षा की¸ कि अगर वह भीड़ की राय में खुद को शामिल कर दे और उनकी खुशामद करे¸ तो शायद वे उसे छोड़ देंगे। इसलिए उसने दूसरे लोगों की तरह यह कहते हुए यीशु का अपमान और निंदा की¸ “क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपने आप को और हमें बचा।”
जबकि यीशु के बाईं ओर वाले डाकू ने सिर्फ क्षणिक काल के बारे में सोचा¸ दाहिनी ओर वाले डाकू ने अनन्तकाल की ओर देखा। इसलिए उसने अपने पापों के लिए पश्चाताप किया और उसे बचाने के लिए यीशु से विनती की। चूंकि उसने अनन्तकाल को चुना¸ इसलिए उसने सीधे यीशु से स्वर्ग की आशीष प्राप्त की। यीशु ने उससे कहा¸ “आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।”
यीशु के ग्यारह चेलों ने मुश्किल स्थितियों में भी अनन्तकाल की ओर देखा। अगर उन्होंने क्षणिक काल को चुना होता, तो उन्होंने यहूदा इस्करियोती की तरह संसार से हाथ मिलाकर मसीह से विश्वासघात किया होता। हालांकि¸ उन्होंने अनन्तकाल को चुना¸ इसलिए उन खतरनाक स्थितियों में भी जब लोगों ने यीशु को नासरी का उपनाम दिया और यह कहकर¸ “तू मनुष्य होकर अपने आपको परमेश्वर बताता है¸” उन्हें पथराव करके मार डालने की कोशिश की¸ उन्होंने अन्त तक यीशु का पालन किया।
विश्वास का जीवन भी जिसे हम इस युग में जी रहे हैं¸ वह भी कुछ ऐसा है जो सिर्फ अनन्तकाल को चुनने वाले लोग ही जी सकते हैं। सिय्योन में ऐसा कोई नहीं है जिसने क्षणिक काल को चुना हो। हर किसी ने अनन्तकाल को चुना है और अनन्त दुनिया का इंतजार कर रहा है। भले ही अत्याचार हमारे सामने आते हैं और दूसरे लोग हमें नहीं समझते¸ फिर भी हम बलपूर्वक अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर दौड़ सकते हैं क्योंकि हमने अनन्तकाल चुना है।
2कुर 4:16–18 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़तेऌ यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्ट भी होता जाता है¸ तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता हैऌ और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैंऌ क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं¸ परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
दृश्यमान वस्तुएं थोडे. ही दिन की हैं। चूंकि हम ने जो अदृश्य एवं अनन्त है उसे चुना है¸ इसलिए हम अभी परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञाकारी होकर जीवन जीने का प्रयास कर रहे हैं। अगर हम क्षणिक काल चुनते¸ तो हम रविवार और क्रिसमस मनाते जो दुनिया के लोगों के बीच सर्वत्र स्वीकार किए जाते हैं। हालांकि¸ जो हम ने चुना है वह परमेश्वर का वचन है जो अनन्तकाल के लिए लिखा गया है। इसलिए जैसे बाइबल सिखाती है¸ हम मनुष्यों के नियमों के बदले परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं और विश्वास करते हैं कि पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर का अस्तित्व है।
रोम 8:12–25 इसलिए हे भाइयो¸ हम शरीर के कर्ज़दार नहीं कि शरीर के अनुसार दिन काटें¸ क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे तो मरोगे¸ यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे तो जीवित रहोगे।।।आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है¸ कि हम परमेश्वर की सन्तान हैंऌ और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी¸ वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं¸ कि जब हम उसके साथ दुख उठाएं तो उसके साथ महिमा भी पाएं।।।इस आशा के द्वारा हमारा उद्धार हुआ हैऌ परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है¸ जब वह देखने में आए तो फिर आशा कहां रही? क्योकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा? परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते¸ यदि उसकी आशा रखते हैं¸ तो धीरज से उसकी बाट जाहते भी हैं।
अगर हम क्षणिक काल चुनें¸ तो हम यहूदा इस्करियोती के समान होंगे। अगर हम अनन्तकाल चुनें¸ तो हम यूहन्ना¸ पतरस¸ और याकूब के समान होंगे। भले ही हमें कुर्बान होना पड़े¸ फिर भी हमारे पास लगातार मसीह की शिक्षाओं का पालन करने के लिए मजबूत विश्वास हो सकेगा। जो सिर्फ थोड़े ही समय के लिए होती हैं और फिर नष्ट होती हैं¸ उन दुनिया की चीजों से जुडे. रहने के बदले¸ हमें अनन्तकाल तक जीने के लिए बुद्धि रखने की जरूरत है।
जिनके पास विश्वास है¸ वे अनन्तकाल चुनते हैं
हमारे विश्वास के जीवन में¸ कभी–कभी हम सोच सकते हैं¸ ‘हमें क्यों इस प्रकार का अत्याचार सहन करना पड़ता है?’ ‘संसार क्यों हमें इतना ज्यादा दर्द और परेशानी देता है?’ जब कभी हम उस तरह से सोचते हैं¸ तब परमेश्वर हम से पूछते हैं¸ “तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो? क्या तुम्हें लगता है कि अत्याचार रोकने के लिए मेरे पास कोई शक्ति नहीं है?”
परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं जो सब कुछ कर सकते हैं। वह हमें लोगों के बीच महिमा, आदर और लोकप्रियता हासिल करने और लोगों से सम्मान प्राप्त करने की अनुमति दे सकते हैं। हालांकि¸ परमेश्वर हमें थोड़े समय की खुशी और आनन्द के बजाय अनन्त खुशी और आनन्द देने के लिए¸ हमें इस संसार के लोगों से थोड़े समय की कठिनाई और दर्द के साथ ही ईष्र्या और अत्याचार पाने देते हैं। आसान शब्दों में कहें¸ तो परमेश्वर हमें अमर प्राणी बनाने के लिए इस संसार में थोड़े समय तक नम्र होने देते हैं।
जो इस तथ्य को महसूस नहीं करते¸ वे थोडे. दिन की कठिनाई के कारण¸ देमास की तरह परमेश्वर के मार्ग पर चलना आसानी से छोड़ देते हैं। पे्ररित पौलुस को बहुत ही चिंता और परेशानी महसूस हुई जब देमास ने¸ जो उसके साथ सुसमाचार का प्रचार कर रहा था, क्षणिक काल को चुना और इस संसार की ओर अपने जीवन की दिशा को बदला।(2तीम 4:10) विश्वास में बने रहने के लिए¸ हमें अनन्तकाल को चुनना चाहिए और अनन्तकाल की चीजों को देखना चाहिए।
इब्र 10:36–39 क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्यक है¸ ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ। “क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है¸ जब कि आनेवाला आएगा¸ और देर न करेगा।पर मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा¸ और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।” पर हम हटनेवाले नहीं कि नाश हो जाएं पर विश्वास करनेवाले हैं¸ कि प्राणों को बचाएं।
जो विश्वास करते हैं और बचाए गए हैं¸ उनमें कुछ समानता है: उन्होंने उन चीजों से न जुड़कर जो सिर्फ थोड़े से समय के लिए रहती हैं और नष्ट होती हैं¸ अनन्तकाल को चुना है। विश्वास से ही¸ मूसा ने फिरौन की पुत्री का बेटा कहलाने से इन्कार कर दिया। उसने पाप के क्षणिक सुख भोगों की अपेक्षा परमेश्वर के लोगों के साथ दुख झेलना ही चुना। ऐसा ही अब्राहम और नूह ने किया। अनन्तकाल के जीवन को चुनने से उन्हें बहुत अधिक आनन्द और खुशी महसूस हुई। जिन्होंने क्षणिक काल को चुना¸ उनके लिए उनका चुनाव समझ से परे था। हालांकि¸ जब अनन्त स्वर्ग का राज्य आएगा¸ तब सभी लोग यह कहते हुए उन्हें स्वीकार करेंगे¸ “वे वास्तव में वो लोग हैं जिन्होंने सही तरीके से जीवन जिया!” “वे वो लोग हैं जिन्होंने सही चुनाव किया!”
आत्मा और दुल्हिन¸ हमारे पिता और माता¸ दुनिया भर के सभी लोगों को बुला रहे हैं।(प्रक 22:17) चूंकि हम आत्मा और दुल्हिन के पास आए हैं¸ इसलिए हम ने बाइबल की शिक्षाओं के द्वारा क्षणिक काल के बजाय अनन्तकाल चुनने का ज्ञान पाया है। चाहे दूसरे लोग जो भी कहें¸ और चाहे वे किसी भी प्रकार का चुनाव करें¸ हमें यह विश्वास करने की जरूरत है कि जो चुनाव हम ने किया है वह पक्का और सबसे विश्वसनीय चुनाव है।(प्रक 22:18–19) ऐसे बहुत लोग हैं जो दूसरों को धोखा देने की कोशिश करते हैं¸ और दुनिया में हर जगह पर कई सारे जाल और फन्दे छिपे रहकर इंतजार करते हैं। हालांकि¸ बाइबल की शिक्षाएं हमेशा हमारी अगुवाई सही मार्ग की ओर करती हैं और अनन्तकाल की ओर आगे बढ़ने के लिए हमारी मदद करती हैं।
जो परमेश्वर के वचन से दूर होते हैं¸ वे लगातार अस्थायी और क्षणिक चीजों के द्वारा आकर्षित होते हैं। उन्हें पतरस का जीवन जिसने मसीह के लिए दुख सहा¸ अत्यंत निकम्मा लगता है¸ जबकि फरीसियों¸ शास्त्रियों और महायाजकों का जीवन जिन्होंने उन दिनों के लोगों का समर्थन और सम्मान जीता¸ बहुत खूबसूरत लगता है। हालांकि¸ हमें उनसे ईष्र्या करने की कोई जरूरत नहीं है। बाइबल कहती है कि परमेश्वर की दृष्टि में पृथ्वी एक बाल्टी में एक छोटी बूंद जैसी है और तराजू पर धूल के समान है।
हमें अनन्तकाल को चुननेवाले लोगों के रूप में खुद पर गर्व महसूस करना चाहिए। हमारे लिए एक बड़ी और अधिक सुंदर और शानदार दुनिया है। सिय्योन के भाइयो और बहनो! खुशी भरे पलों की कल्पना करते हुए¸ जब हम सदा के लिए पिता और माता के साथ हाथों में हाथ डालकर आज सप्तर्षि पर और कल मृगशिरा पर¸ पूरे ब्रह्मांड में एक तारे से दूसरे तारे तक स्वतंत्र रूप से यात्रा करेंगे¸ आइए हम एक साथ बलपूर्वक अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर दौड़ें।