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यरूशलेम से प्रेम रखनेवाले हे सब लोगो

एक एक वर्ष करके जैसे ­ जैसे विश्वास के जीवन का वक्त गुज़र रहा है, वैसे ­ वैसे पिता और माता के अनुग्रह के द्वारा सुन्दर स्वर्गदूतों की छवि में बदल जाने का क्षण निकट आ रहा है।

इस समय, सिय्योन की सन्तान को, जो प्रतिज्ञा की सन्तान के रूप में बुलाई गई है, यरूशलेम माता के प्रति, जो बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार, सुसमाचार के कार्य का नेतृत्व कर रही है, सही दृष्टिकोण रखना चाहिए। सिर्फ माता का बाह्य स्वरूप नहीं, बल्कि हमें माता का, जो हमारे लिए खुद को बलिदान कर रही है, अंतर्स्वरूप भी देखना चाहिए। तब हम ऐसा विश्वास रख सकेंगे जो परमेश्वर के उत्तराधिकारी, उद्धार पाने वाले के योग्य है।
आइए हम बाइबल की भविष्यवाणी के द्वारा यह देखें, अन्तिम सुसमाचार का कार्य, जिसका नेतृत्व स्वर्गीय माता करती है, किस परिस्थिति में किया जा रहा है, जिससे हम स्वर्गीय माता के महान बलिदान को महसूस कर सकें।


स्त्री और उसकी शेष सन्तान

प्रक 12:17 “और अजगर स्त्री पर क्रोधित हुआ, और उसकी शेष सन्तान से जो परमेश्वर की आज्ञा मानती है, और यीशु की गवाही पर स्थिर है, युद्ध करने निकला। और वह समुद्र की बालू पर जा खड़ा हुआ।”

जब हम ऊपर के वचन को देखते हैं, भविष्यवाणी की गई है कि अन्तिम दिन में, अजगर और स्त्री के बीच में उग्र युद्ध छिड़ेगा। तब वह स्त्री कौन है जो अजगर के विरुद्ध लड़ाई करेगी? आइए हम उत्पत्ति के इतिहास के द्वारा उस स्त्री को ढूंढ़ें जो शेष सन्तान की माता है।

उत 3:15 “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, तथा तेरे वंश और इसके वंश के बीच में, बैर उत्पन्न करूंगा: वह तेरे सिर को कुचलेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”


जब हम देखते हैं कि प्रकाशितवाक्य अध्याय 12 में स्त्री की शेष सन्तान का बैरी अजगर(सर्प), शैतान है, और उत्पत्ति अध्याय 3 में स्त्री के वंश का बैरी भी वह अजगर है, तब हम जान सकते हैं कि दो भविष्यवाणियां वास्तव में एक ही हैं।

अदन वाटिका से लेकर, सर्प और स्त्री के बीच का रिश्ता बैर का है। स्त्री आदम की पत्नी, हव्वा को संकेत करती है, जो उत्पत्ति 3 अध्याय के 1 पद में प्रकट होती है। आदम और हव्वा, जो 6 दिनों की सृष्टि के कार्य में, आख़िरी दिन, छठवें दिन में बनाए गए थे, वास्तव में, उस पवित्र आत्मा और दुल्हिन के बारे में भविष्यवाणी है जो आख़िरी युग में, जब 6 हज़ार वर्ष का उद्धार ­ कार्य समाप्त होता है, प्रकट होते हैं।

रो 5:12-14 “अत: जिस प्रकार एक मनुष्य के द्वारा पाप ने जगत में प्रवेश किया, तथा पाप के द्वारा मृत्यु आई, उसी प्रकार मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया,...आदम उसका प्रतीक था जो आने वाला था।”

आदम दूसरी बार आने वाले मसीह को दर्शाता है, और आदम की पत्नी, हव्वा दूसरी बार आने वाले यीशु की पत्नी को दर्शाती है जो प्रकाशितवाक्य में मेमने की पत्नी(दुल्हिन) है।

प्रक 19:6-7 “फिर मैंने मानो एक विशाल जनसमूह की आवाज़ तथा समुद्र की लहरों और बादल के घोर गर्जन को यह कहते सुना, “हल्लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर राज्य करता है। आओ, हम आनन्दित और हर्षित हों और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेमने का विवाह आ पहुंचा है और उस की दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।”

बाइबल कहती है, “मेमने का विवाह आ पहुंचा है।”, जैसे पहले मनुष्य, आदम के पास पत्नी, हव्वा थी, वैसे ही दूसरी बार आने वाले यीशु के पास भी, जो आदम से दर्शाया गया, आत्मिक पत्नी, दुल्हिन है।

आत्मिक सन्तान, जो इस मेमने की दुल्हिन के द्वारा जन्म होती है, प्रकाशितवाक्य अध्याय 12 में स्त्री की शेष सन्तान है। इसका मतलब है, स्त्री की शेष सन्तान, जो प्रकाशितवाक्य अध्याय 12 और उत्पत्ति अध्याय 3 में लिखी गई है, दूसरी बार आने वाले यीशु की पत्नी, जो हव्वा से दर्शाई गई, हमारी माता के द्वारा पैदा होगी।


माता जो आत्मिक महायुद्ध में दुख पाती है

माता, जो हव्वा से दर्शाई गई है और सर्प से बैर रखती है, अब प्रकट हुई है, तब आइए हम अनुमान लगाएं, इस युग की आत्मिक हालत कैसी होती है?

प्रक 12:17 “और अजगर स्त्री पर क्रोधित हुआ, और उसकी शेष सन्तान से जो परमेश्वर की आज्ञा मानती है, और यीशु की गवाही पर स्थिर है, युद्ध करने निकला। और वह समुद्र की बालू पर जा खड़ा हुआ।”

भविष्यवाणी के द्वारा यदि हम देखें, शत्रु शैतान स्त्री, यानी हमारी माता और उसकी सन्तान के विरुद्ध लड़ाई करने के लिए अब समुद्र की बालू पर जा खड़ा हुआ है। हालाँकि हमारी शक्ति कम है, ऐसी हालत को सीधे ­ सीधे देख कर स्त्री की शेष सन्तान, हमें माता को, जो अकेले शैतान के विरुद्ध लड़ाई कर रही है, समर्थन देना चाहिए। ऐसी अत्यावश्यक स्थिति में, यदि हम छोटी बातों में भी एक दूसरे से एक नहीं होते, तब यह स्वर्गीय पिता और माता के विरुद्ध फिर से बड़ा पाप करने के बराबर हैं।

अब इस क्षण भी, माता शैतान के अनेक दुष्कर्म का सामना करती है और बहुत सवेरे से देर रात तक सन्तानों की सुरक्षा की चिंता करते हुए हमारी आत्माओं की देखभाल कर रही है। हम माता के ऐसे परिश्रम को समझेंगे, और माता के कंधे पर रखे अनेक बोझों को साथ में उठाते हुए एक दिल से माता की सहायता करेंगे।

यश 54:11-13 “हे पीड़ित, तू जो आंधी ­ तूफान की मारी है और जिसे शान्ति नहीं दी गई, देख, मैं तेरे पत्थरों को पच्चीकारी करके बैठाऊंगा और तेरी नींव नीलमणि से डालूंगा...तेरे सब वंशज यहोवा से शिक्षा पाएंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।”

जब बाइबल के वचन को देखते हैं, यरूशलेम हमारी स्वर्गीय माता को दर्शाती है।(गल 4:26) ऊपर के वचन में यरूशलेम माता के दुखों का चित्रण किया गया है। यदि इस वचन को ‘Good News Bible’ से देखें, ऐसा लिखा है, “ओह, यरूशलेम, तू, असहाय नगर, अत्यंत दुखी है, कोई भी तुझे शांति नहीं देता।” इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि माता की हालत कितनी मुश्किल है और वह कितनी परेशान है।

शत्रु शैतान जो गर्जने वाले सिंह की भांति इस ताक में रहता है कि किसको फाड़ खाए, उसका सामना करते हुए, माता दिन भर और रात भर सन्तानों की शांति के लिए परेशान हो रही है। फिर भी हम, सन्तान, माता के बलिदान का एहसास न करते हुए माता को शांति देने के बजाय, शिकायत और बड़बड़ाते हुए उसका दिल और ज्यादा दुखा रहे हैं। अब से हम नासमझ सन्तान नहीं बनेंगे, पर हम, जो यरूशलेम से प्रेम रखनेवाले हैं, माता के दुख ­ दर्द और दिल को समझते हुए दुख दूर करने की कोशिश करेंगे।


आशीष जो यरूशलेम से प्रेम रखनेवाली सन्तान को दी जाती है

यश 66:10-13 “ “यरूशलेम से प्रेम रखनेवाले हे सब लोगो, उसके साथ आनन्द मनाओ और उसके कारण मग्न होओ! उसके लिए विलाप करनेवाले हे सब लोगो, उसके साथ अत्यन्त हर्षित होओ, जिस से कि तुम उसके शान्ति ­ दायक स्तनों से दूध पीकर तृप्त हो सको, और उसकी उदार छाती से दूध पीकर आनन्दित हो सको।”...जैसे कोई अपनी मां से शान्ति पाता है वैसे ही तुम्हें भी मुझ से शान्ति मिलेगी, और तुम यरूशलेम में ही शान्ति पाओगे।”

यशायाह अध्याय 66 की भविष्यवाणी यह बताती है कि स्वर्गीय माता यरूशलेम से प्रेम रखनेवाले बाद में माता के साथ मग्न और हर्षित होंगे। दूसरे शब्द में, यह हमें समझाती है कि हम, जो स्वर्गीय माता से प्रेम रखनेवाली सन्तान हैं, यदि हर परिस्थिति में माता के दिल को ख्याल में रखते हैं और समझते हैं, तब स्वर्गीय पिता की आशीष में सदा ­ सर्वदा रह सकते हैं।

यह बहुत साधारण बात है, जब आप किसी से पे्रम करते हैं, तब उसकी सब कुछ चीजों पर ध्यान देने लगते हैं और उसकी भावना भी और उसका मन भी टटोलने की कोशिश करते हैं, और उसे खुशी देने के लिए अपना पूरा मन लगाते हैं। इसी रीति से, यरूशलेम माता से प्रेम रखनेवाली सन्तान के रूप में, हमें हमेशा माता की इच्छा पर ध्यान देना है, और माता के दिल की बातों व बहुत सारे दुख ­ दर्द को जो वह सुसमाचार के खुरदरे मार्ग पर चलती हुई झेलती है, हमेशा ख्याल में रख कर विचार करना है कि हम माता को, जो हमारे उद्धार के लिए बेचैन रहती है और पूरा प्रयास कर रही है, कैसे प्रसन्न कर सकेंगे, और आइए हम जिससे माता प्रसन्न होती है उसे कार्य में लाएं।

जब कभी हम बाइबल के वचन पढ़ते हैं, ‘याकूब और एसाव’ की कहानी से अनेक सबक मिलते हैं। याकूब और एसाव एक माता के जुड़वां बच्चे थे। माता की हालत पर ध्यान देकर छोटे भाई याकूब को लगता था कि माता बहुत कठिन और मेहनत का काम कर रही है। इसलिए वह हमेशा माता के पक्ष में रहते हुए उसकी मदद करता था। लेकिन बड़े भाई, एसाव ने माता की हालत पर कभी ध्यान नहीं दिया था, वह सिर्फ अपनी पसंदगी के अनुसार शिकार खेलते हुए समय बिताता था।

ऐसा नहीं कि याकूब महिला के समान कोमल था, इसलिए उसने माता के काम में मदद की।
यब्बोक नदी के घाट पर याकूब ने इतना दुख पाया था कि उसकी जांघ की नर जोड़ से उखड़ गई, तो भी उसने परमेश्वर से आशीष मांगना नहीं छोड़ा। ऐसी बात को देखते हुए, हम समझ सकते हैं कि याकूब का स्वभाव न तो कोमल था और न ही दुर्बल था। सिर्फ उसमें माता की हालत को सोचने ­ समझने का मन मौजूद था। इसलिए वह माता के अदृश्य बलिदान और परिश्रम को समझ सका और चाहे छोटी सी चीज हो, उसने माता के काम में मदद करना चाहा।

याकूब, जिसने छोटी सी चीज में भी माता का मन टटोल कर मदद करना चाहा, परमेश्वर से बड़ी आशीष पाकर सुरक्षित रूप से अपने गांव में वापस गया, और आखिर में अपने पिता इसहाक का उत्तराधिकारी बना। परमेश्वर ने बाइबल में यह कहानी हमारे लिए क्यों लिखी जो आत्मिक स्वदेश, स्वर्ग में वापस जाने वाले हैं, और यरूशलेम माता से प्रेम करते हैं? परमेश्वर हम से यह चाहता है कि हम ऐसी सन्तान बनें जो याकूब के जैसे माता की हालत को अच्छी तरह से समझ लेती है और माता का मन टटोलती है।


प्रेम से एक होकर माता का शानदार सदाचार फैलाएं

जैसा लोग बताते हैं, “ऐसी माता को कभी विश्राम नहीं है जिसके बच्चे ज्ज्यादा हैं।” एक परिवार चलाने के लिए माता के पीछे बहुत सारी कठिनाइयां और समस्याएं रहती हैं, तब माता जो सुसमाचार का महान कार्य चला रही है, कितना ज्यादा मेहनत कर रही होगी? हमारे जैसा शरीर का वस्त्र पहिन कर, मनुष्य की तरह पूरे दुख और दर्द को झेल रही है, और स्वर्ग के सम्पूर्ण मनुष्य होने तक अपनी सन्तान का पालन ­ पोषण करने के लिए, दिन और रात भर कड़े तूफान सी परेशानी पा रही है। हम कौन से शब्द से स्वर्गीय माता के बलिदान को व्यक्त कर सकेंगे? माता सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, इसलिए उसमें सब कुछ करने की क्षमता है और जब जी चाहे, कुछ भी अपनी इच्छा के अनुसार करने की आजादी है। लेकिन माता अपनी सन्तान के लिए मनुष्य की छवि लेकर दुखी जीवन व्यतीत कर रही है।

हम कहते हैं, हम बाइबल की भविष्यवाणी को जानते हैं। लेकिन हमें शायद पछताना चाहिए, यदि हम ने एसाव के समान अपने ­ अपने कामकाज या सुख में जुटे रहते हुए भविष्यवाणी पर केंद्रित दृष्टि से इस युग को नहीं देखा। तब, हमारा मानस कैसा होना है जिससे हम माता को खुशी और समर्थन दे सकते हैं, और स्त्री की शेष सन्तान का, जो इस युग का याकूब है, आचारण कैसा होना चाहिए, आइए हम इसके बारे में बाइबल की शिक्षा का जांच करें।

यूह 13:34-35 “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो। जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि तुम आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।”

फिल 2:1-4 “अत: यदि तुम्हें मसीह में कुछ प्रोत्साहन, प्रेम की सान्त्वना, आत्मा की सहभागिता, प्रीति और सहानुभूति है, तो मेरा आनन्द पूर्ण करने के लिए एक ही मन, एक ही प्रेम, एक ही भावना और एक ही दृष्टिकोण रखो। स्वार्थ और मिथ्याभिमान से कोई काम न करो, परन्तु नम्रतापूर्वक अपनी अपेक्षा दूसरों को उत्तम समझो। तुम में से प्रत्येक अपना ही नहीं, परन्तु दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।”

माता इच्छा करती है कि सब सन्तान प्रेम से एक हो जाए। इसलिए माता स्वयं प्रेम का नमूना हमें दिखाती है। माता नम्रता और बलिदान के मार्ग पर हमारे आगे चलते हुए, हम से निवेदन करती है कि हम भी उसी मार्ग पर चलें। यरूशलेम से प्रेम रखनेवाली सन्तान, हमें माता की शिक्षा और उपदेश का अनुसरण करके स्वर्ग के सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में नया जन्म पाना है, जिससे हम माता के बोझ को उतार कर माता को दिन प्रतिदिन खुशी दे सकेंगे और अन्त तक माता के साथ ­ साथ चल सकेंगे।

यश 62:6-7 “हे यरूशलेम, मैंने तेरी शहरपनाह पर पहरेदार नियुक्त किए हैं, वे दिन ­ रात कभी चुप न बैठेंगे। हे यहोवा को स्मरण दिलानेवालो, तुम शान्त न रहना और जब तक वह यरूशलेम को स्थिर करके पृथ्वी पर उसकी प्रशंसा न फैलाए तब तक उसे भी शान्त न रहने देना।”

हम इस युग में यरूशलेम के पहरेदार के रूप में बुलाए गए हैं। यही हमारा कर्तव्य है कि जो सन्तान की आत्माओं का उद्धार करने के लिए बेचैन रहती है, उस यरूशलेम माता के मन को समझना है और माता के परिश्रम और बलिदान का एहसास करके माता के काम में मदद करनी है, और जब तक यरूशलेम पृथ्वी पर प्रशंसा न पाए तब तक हमें चुप न रहना है।

आज, सुसमाचार का उत्कृष्ट विकास प्राप्त करने तक, माता का भक्तिपूर्ण प्रयत्न और सेवा मौजूद थी। शैतान की सारी रुकावटों को स्वयं दूर करते हुए और हमारी सहायता करते हुए, माता का रूप दूसरे किसी भी आदमी से ज्ज्यादा बिगड़ा हुआ है। चाहे पेड़ की डालियां प्रचुर हों, तो भी यदि जड़ से पोषाहार या पानी प्रदान नहीं किया जाता, तो फल नहीं फलता। इसी रीति से, हम पर फल लगने के पीछे, माता का, जो अकेली होकर 144,000 सन्तानों को पैदा करती है और उन्हें पालने ­ पोसने के लिए अपना सब कुछ दे देती है, बलिदान मौजूद था। हमें इसका एहसास करना है कि अब भी हमारे उद्धार के लिए माता बिना आराम लिए दिन और रात भर प्रयत्न कर रही है।

अब, आइए हम ऐसी सन्तान बनें जो माता का शानदार सदाचार सारे लोगों को यत्नपूर्वक सुनाते हुए परमेश्वर का यह आदेश पूरा कर लेती है कि पूरे विश्व में जाकर लोगों को उद्धार का समाचार सुनाओ। आशा है कि आप याकूब के जैसे माता को खुशी दें और आज्ञाकारी रहें, और स्त्री की शेष सन्तान के रूप में, अनन्त स्वर्ग के उत्तराधिकारी बनें।