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Q. सवाल: बाइबल कहती है कि जब यीशु दूसरी बार आएंगे तो वह “महिमा” के साथ आकाश के बादलों पर आएंगे। तो मैं इस सत्य को नहीं समझ सकता कि उनको साधारण मनुष्य के रूप में आना है।

A. जवाब: बाइबल भविष्यवाणी करती है कि यीशु दूसरी बार आएंगे, और यह भी कि उस समय परमेश्वर की महान महिमा प्रकट होगी।(मत 24:30) तब, यीशु ने जिस “महिमा” का वर्णन किया, क्या वह शारीरिक महिमा है जो एक उज्ज्वल प्रकाश देती है?

मसीह के पास जो महिमा है, वह शारीरिक महिमा नहीं है जैसे कि लोग कल्पना करते हैं। इसके बावजूद, आज संसार के लोगों ने यीशु के वचनों की सारभूत बातों को न समझते हुए शारीरिक दृष्टिकोण से आत्मिक महिमा और आशीष की व्याख्या की है और खुद ही निष्कर्ष किया है।


महिमा के साथ यीशु के आने की भविष्यवाणी और उनका वास्तविक रूप


जब आप यीशु के पहली बार आने की भविष्यवाणी और उसकी पूर्णता को सही तरह से समझेंगे, तब आप यीशु के दूसरी बार आने की भविष्यवाणी का सच्चा अर्थ भी समझ सकते हैं। यीशु के सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ आने की भविष्यवाणी भी ऐसी ही है। यीशु के प्रथम आगमन के विषय में, बाइबल ने भविष्यवाणी की कि परमेश्वर का तेज प्रकट होगा और परमेश्वर सामर्थ्य दिखाते हुए आएंगे।

यश 40:3–5 किसी की पुकार सुनाई देती है, “जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो... तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है।

यश 40:9–10 हे सिय्योन को शुभ समाचार सुनानेवाली, ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनानेवाली, बहुत ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, “अपने परमेश्वर को देखो!” देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ्य दिखाता हुआ आ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है।

अगर आप शारीरिक दृष्टिकोण से इन वचनों की व्याख्या करेंगे, इस प्रकार है: जब परमेश्वर पृथ्वी पर आएंगे तो उन्हें आश्चर्यजनक एवं बड़ी महिमा के साथ आना चाहिए ताकि सभी लोग उन्हें देख सकें। हालांकि, परमेश्वर उस तरह से नहीं आए। जैसे कि सभी ईसाई जानते हैं, ऊपर की भविष्यवाणियां यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले और यीशु के द्वारा पूरी हुईं।(मत 3:1–3) जंगल में एक पुकारने वाले की आवाज के रूप में, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने प्रभु यीशु के लिए मार्ग तैयार किया। और यीशु का जन्म एक शाही या कुलीन परिवार या याजक के परिवार में नहीं हुआ, परन्तु एक दीन बढ़ई के पुत्र के रूप में हुआ। इस भविष्यवाणी के विपरीत कि वह महिमा और सामर्थ्य के साथ आएंगे, यीशु का जन्म लोगों के घर के बदले गायों और घोड़ों के गौशाला में हुआ था और उन्हें एक चरनी में रखा गया था।(लूक 2:4–7) वह एक सीमांत इलाके, गलील के नासरत में जिसे यहूदी तुच्छ समझते थे, पाले–पोसे गए, और वह ऐसी जड़ के समान थे जो निर्जल भूमि में फूट निकले, और उनकी कुछ सुन्दरता नहीं थी कि लोग उन्हें देखते।(मत 13:55; यूह 7:52; यश 53:2)

इस तरह, यीशु दिखाई देनेवाली महिमा के साथ नहीं आए जिसकी लोगों ने अपेक्षा की थी। तब, बाइबल ने क्यों उनके सुसमाचार का प्रचार करने के बारे में ऐसी भविष्यवाणी की, “प्रभु का तेज प्रकट होगा,” और “वह सामर्थ्य दिखाता हुआ आएगा”? शारीरिक दृष्टिकोण से, हम कभी भी उसका जवाब ढूंढ़ नहीं सकते, क्योंकि मसीह की महिमा जिसके बारे में बाइबल भविष्यवाणी करती है, वह शारीरिक महिमा नहीं है जिसकी संसार के लोग अपेक्षा करते हैं।

परमेश्वर की महिमा सिर्फ वही देख सकते हैं जो विश्वास करते हैं


वह महिमा जिसे मसीह लाने वाले थे, लोगों की शारीरिक आंखों में अदृश्य थी। वह आत्मिक महिमा थी जो सिर्फ वे लोग देख सकते थे जिन्होंने भविष्यवाणियों के द्वारा मसीह को ग्रहण किया और मसीह के दिए हुए सत्य के मूल्य को महसूस किया। प्रेरितों ने, जिन्होंने सत्य की महिमा को महसूस किया, जो शारीरिक रूप से दिखाई देनेवाली महिमा नहीं थी, एक स्वर में गवाही दी कि उन्होंने यीशु की बड़ी महिमा देखी है, और परमेश्वर ने उनके हृदयों में ज्योति चमकाई कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो।

यूह 1:1–14 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था... और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।

2कुर 4:6 इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिसने कहा, “अन्धकार में से ज्योति चमके,” और वही हमारे हृदयों में चमका कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो।

“मसीह महिमा के साथ आएंगे” यह भविष्यवाणी बिना चूके पूरी हुई, लेकिन उन यहूदियों की आंखों को वह महिमा नहीं दिखी जिन्होंने बाइबल की भविष्यवाणियों पर विश्वास न करके अपने शारीरिक दृष्टिकोण से मसीह का न्याय किया। वह महिमा सिर्फ प्रेरितों की आंखों को दिखाई दी जिन्होंने मसीह को ग्रहण किया।

यदि “परमेश्वर महिमा के साथ आएंगे” इस भविष्यवाणी का मतलब ऐसा था, तो द्वितीय आगमन के समय जो महिमा यीशु लाएंगे, वह भी इस प्रकार है।


यीशु अन्तिम न्याय से पहले शरीर में दूसरी बार आते हैं


बहुत से लोग विश्वास करते हैं कि जब यीशु दूसरी बार आएंगे, तो वह न्यायी के रूप में दण्ड देने के लिए आएंगे, और वही उनका महिमा के साथ आना है। यह इसलिए है कि वे बाइबल की भविष्यवाणियों को सही तरह से नहीं जानते।

लूक 18:8 ... मैं तुम से कहता हूं; वह तुरन्त उनका न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?

बाइबल भविष्यवाणी करती है कि जब यीशु पृथ्वी पर दूसरी बार आएंगे तब उन्हें परमेश्वर पर सच्चा विश्वास करने वाला कोई व्यक्ति नहीं मिलेगा। विश्वास के बिना कोई भी बचाया नहीं जा सकता। अगर ऐसी स्थिति में परमेश्वर संसार का न्याय करेंगे, तो कोई नहीं बच सकता।

इसलिए अन्तिम न्याय के दिन से पहले परमेश्वर के चुने हुओं को उद्धार देने के लिए, यीशु शरीर में दूसरी बार आते हैं।(इब्र 9:28) इसलिए यीशु के दूसरी बार आने के दिन के बारे में ऐसा नहीं लिखा है, “यह छुटकारे का दिन है,” लेकिन ऐसा लिखा है, “तुम्हारा छुटकारा निकट है।”

लूक 21:27–28 तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।

अन्तिम न्याय से पहले यीशु के शरीर में दूसरी बार आने के दो उद्देश्य हैं, पहला उद्देश्य जीवन के सत्य को पुनर्स्थापित करके अपने लोगों को उद्धार देना है। तब यीशु के दूसरी बार आने से पहले की स्थिति कैसी है? जीवन का सत्य, जिसे यीशु ने 2,000 साल पहले स्थापित किया था, शैतान के द्वारा नष्ट किया गया और सभी मानव जाति के पास वह विश्वास नहीं है जो अनन्त जीवन ( उद्धार) में उनकी अगुवाई कर सकता है।(दान 7:25; प्रक 13:6–7) इसलिए, अन्तिम न्याय से पहले यीशु को दूसरी बार आना चाहिए और नई वाचा के सत्य को पुनर्स्थापित करने के लिए एक चरवाहे का मिशन पूरा करना चाहिए।(यूह 10:16) कोई भी नई वाचा के खोए हुए सत्य को पुनर्स्थापित नहीं कर सकता। सिर्फ जब दाऊद का मूल, यीशु दूसरी बार आते हैं, तब यह सत्य पुनर्स्थापित हो सकता है, और परमेश्वर के लोग बचाए जा सकते हैं।

प्रक 5:1–7 जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी। फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊंचे शब्द से यह प्रचार करता था “इस पुस्तक के खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?” परन्तु न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्टि डालने के योग्य निकला। तब मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने या उस पर दृष्टि डालने के योग्य कोई न मिला। इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा, “मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।”...

यीशु के दूसरी बार आने का दूसरा उद्देश्य अन्तिम न्याय से पहले, स्वयं वचनों से जीवन के सत्य की साक्षी देना है ताकि दुष्ट लोग अपने पापों के लिए बहाना न बना सकें। यह वही कार्य है जिसे यीशु ने 2,000 साल पहले शरीर में आकर किया; यीशु ने उन यहूदियों के पाप प्रकट किए जिन्होंने परमेश्वर के लोग होने का दावा किया, और फिर 70 ई। में रोमन सेना के द्वारा अधर्मी इस्राएल को नष्ट किया। इन अन्तिम दिनों में भी, यीशु स्वयं शरीर में आते हैं और उन दुष्टों को सत्य की साक्षी देते हैं जो परमेश्वर के लोग होने का दावा करते हुए, सत्य को सताते हैं और व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं, ताकि दुष्ट अपने पापों के लिए बहाना नहीं बना सकें।

यूह 15:22 यदि मैं न आता और उनसे बातें न करता, तो वे पापी न ठहरते; परन्तु अब उन्हें उनके पाप के लिये कोई बहाना नहीं।


मसीह गुप्त रूप में आते हैं


यीशु को इन दोनों उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पृथ्वी पर गुप्त रूप से आना है। कोरिया के जोसन राजवंश के समय में, गुप्त राजकीय निरीक्षक ने अपनी पहचान छिपाकर यह पता लगाया कि लोग कैसे रहते हैं, और प्रजाओं को परेशान करनेवाले अत्याचारियों और भ्रष्ट अधिकारियों को निष्कासित किया। इसी प्रकार के उद्देश्य के साथ, यीशु परमेश्वर की महिमा छिपाकर, एक साधारण एवं शारीरिक रूप में प्रकट होते हैं।

अगर यीशु वास्तव में दिखाई देनेवाली महिमा के साथ संसार में प्रकट होते, तो कौन उन्हें नकारने की हिम्मत करता? वे लोग भी जो ईमानदारी से परमेश्वर का भय नहीं मानते, अपनी असलियत छिपाते और यीशु का पालन करनेवालों के रूप में कार्य करते। इसलिए 2,000 वर्ष पहले यीशु बिना किसी सुन्दरता के दीन शरीर में आए और अपने चेलों से कहा कि किसी से न कहना कि मैं मसीह हूं।

मत 16:20 तब उसने चेलों को चिताया कि किसी से न कहना कि मैं मसीह हूं।

अन्तिम युग में भी ऐसा ही है। यीशु दूसरी बार गुप्त रूप से शरीर पहनकर आए हैं कि वह उन झूठे धार्मिक लोगों की असलियत उजागर कर सकें जो सिर्फ अपने मुंह से परमेश्वर का आदर करते हैं, और उन सच्चे लोगों को बचा सकें जो सत्य से प्रेम करते हैं और बाइबल की भविष्यवाणियों पर विश्वास करते हैं। वह दिखाई देनेवाली शारीरिक महिमा के साथ नहीं, पर आत्मिक महिमा के साथ प्रकट हुए हैं जो सिर्फ वे परमेश्वर के लोग पहचान सकते हैं जो दूसरी बार आनेवाले यीशु को स्वीकार करते हैं। परमेश्वर की महिमा सिर्फ वे लोग देख सकते हैं जो बाइबल की भविष्यवाणियों पर विश्वास करते हैं और मनुष्य के नियम के बदले सत्य, यानी परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना पसंद करते हैं।

इसलिए, हमें यीशु के वचनों का शारीरिक दृष्टिकोण से न्याय नहीं करना चाहिए, लेकिन बाइबल की भविष्यवाणियों के द्वारा दाऊद का मूल, यानी उन दूसरी बार आने वाले यीशु की महिमा को सही तरह से पहचानना चाहिए जो सभी सत्यों को पुनर्स्थापित करते हैं। प्रेरितों की तरह जिन्होंने अनन्त जीवन का सत्य देनेवाले मसीह की सच्ची महिमा को स्वीकारा, हमें भी सत्य के द्वारा दूसरी बार आने वाले यीशु को पहचानना चाहिए और उन्हें ग्रहण करना चाहिए।