한국어 English 日本語 中文简体 Deutsch Español Tiếng Việt Português Русский लॉग इनरजिस्टर

लॉग इन

आपका स्वागत है

Thank you for visiting the World Mission Society Church of God website.

You can log on to access the Members Only area of the website.
लॉग इन
आईडी
पासवर्ड

क्या पासवर्ड भूल गए है? / रजिस्टर

माता के प्रेम सहित एक कटोरा चावल सांत्वना और आशा बन गया

  • आपदा राहत
  • देश | कोरिया
  • तिथि | 19/सितंबर/2014
ⓒ 2014 WATV
16 अप्रैल को वह घटना हुई जिसे नहीं होना चाहिए था। कोरियाई तट पर सिवोल नौका पर घटी दुर्घटना से 300 लोग मारे गए या लापता हुए। जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया, वे दुख में चिल्लाए। छात्र जो हाईस्कूल अवकाश भ्रमण पर निकले थे, उनके माता–पिता अपने बच्चों को खोने के दुख से रोने लग गए। इस समाचार रिपोर्ट पर पूरे देश की जनता बेहद गुस्से में थी और निराशा के साथ रोई।

शोक संतप्त परिवारों के टूटे हुए दिल को सांत्वना:
पेंगमोक बंदरगाह पर(21–25 अप्रैल) और जीनदो व्यायामशाला पर(30 अप्रैल– 9 मई) प्रथम स्वयंसेवी सेवा


जिस तरह परमेश्वर जीवन को मूल्यवान और प्रिय महसूस करते हैं, चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों को भी जो आत्माओं को बचाने और परमेश्वर के प्रेम का अभ्यास करने का प्रयास कर रहे हैं, उसी तरह महसूस हुआ। जननाम सबू चर्च संघ के सदस्य जो जीनदो के पास स्थित चर्चों में शामिल हैं, 20 अप्रैल को पुनरुत्थान के दिन की आराधना समाप्त होते ही, तुरंत पेंगमोक बंदरगाह गए जहां लापता लोगों के परिवार बेसब्री से अपने बच्चों का इंतजार कर रहे थे, और वहां मुफ्त में भोजन देने के लिए मंडप स्थापित किया। उन्होंने अगले दिन से भोजन देना शुरू किया। चूंकि वहां पर पूरे देश से अधिक स्वयंसेवक आने के कारण पर्याप्त जगह नहीं थी, इसलिए सदस्य जीनदो व्यायामशाला में गए जो लापता लोगों के परिवारों के लिए अल्पकालिक निवास बन गया, और 30 अप्रैल से सेवा जारी रखी।

स्वयंसेवक महिला वयस्क सदस्य थीं और उनमें से ज्यादातर माताएं थीं। क्योंकि इस बात की चिंता की गई कि अगर लापताओं के परिवार अपने बच्चों की आयु में युवाओं को देखें, तो वे अधिक दुखी होंगे, इसलिए युवा वयस्क सदस्यों और छात्र सदस्यों को उसमें सिर्फ अपने मनों को लगाना पड़ा। जैसे माता सुबह जल्दी उठकर अपने बच्चों के लिए खाना बनाती है, ठीक वैसे मोकफो, नाजु, हेनाम, मुआन, ह्वासुन और यंग्वांग में रहनेवाले सदस्यों ने लापता लोगों के परिवारों के लिए नाश्ता बनाने के लिए रात दो बजे या भोर तीन बजे अपने घरों को छोड़ा। मोकफो से आए एक सदस्य ने रात दो बजे अपना घर छोड़ा। उसने कहा, “सब माताएं जिनके पास संतान है, एक समान महसूस करती हैं। मैं अत्यंत दुखी हूं। इस आशा के साथ कि लापता लोगों के परिवार माता के प्रेम से सांत्वना पाएं, मैं माता के मन से सेवा कर रही हूं।”

पुरुष वयस्क सदस्यों ने कुछ दिनों की छुट्टी ली या अपना व्यापार थोड़ी देर बन्द किया, और बारी–बारी से स्वयंसेवी सेवा का समर्थन किया। एक पुरुष वयस्क सदस्य ने जो वांडो में मत्स्य पालन और खेती करता है, सेवा में भाग लेकर कहा, “हम उनके दुखों को बांटते हैं और उनकी सेवा करते हैं क्योंकि हमारे पास माता का प्रेम है। संसार में कोई भी उन माता–पिताओं को सांत्वना नहीं दे सकता जिन्होंने अपने बच्चे खोए हैं, लेकिन मैं आशा करता हूं कि हमारे स्वर्गीय पिता और माता का महान प्रेम उन्हें प्रोत्साहित करे ताकि वे अपने पैरों पर फिर से खड़े हो सकें।”

गरमा–गरम नए पके चावल, एक दिन पहले बनाई गई कुरकुरी किमची, भोर से उबाले सूप और अन्य व्यंजनों से सदस्यों ने टेबल को माता के प्रेम के साथ भर दिया। भोजन के मेन्यू पर, जो प्रत्येक भोजन के समय बदला, सदस्यों का अधिक ध्यान दिया गया। उन्हें अपनी ताकत पुनप्र्राप्त करने में मदद करने के लिए, सदस्यों ने भूना हुआ मसालेदार गोमांस एवं चिकन, और जांगजोरिम(गोमांस को सोया सॉस में उबाल कर बनाया गया व्यंजन) परोसा, और अन्य व्यंजन जो कोरियाई लगभग हर रोज खाते हैं जैसे कि तला हुआ सोयाबीन का पनीर एवं एंकोवी और भूना हुआ समुद्री शैवाल परोसा गया। वे जिन्होंने उन्हें खाया, माता की भक्ति व प्रेम को महसूस कर सके। सदस्यों ने पीड़ितों के परिवारों के लिए जिन्हें खाना निगलना भी मुश्किल था, पोषक दलिया और सीबजनदेबोथांग(औषधीय जड़ी–बूटियों आदि को उबालकर बनाया हुआ काढ़ा) बनाया।

बहुत से लोग सुबह–सुबह चर्च ऑफ गॉड के मुफ्त भोजन सेवा मंडप में आए। वे दुर्घटना मामला निपटाने वाले कर्मचारी, और चिकित्सीय सेवाओं एवं सामान की आपूर्ति, लांड्री, सफाई इत्यादि की मदद के लिए देश भर से आए स्वयंसेवक थे। संवाददाताओं ने जो हमेशा सतर्क रहे, और राहत एवं बचाव कर्मियों ने जिन्हें पूरे दिन काम करने के कारण भोजन छोड़ना पड़ा, मंडप में अच्छे से भोजन किया।

स्वयंसेवकों ने जिन्होंने चर्च ऑफ गॉड के मंडप में भोजन किया, यह कहा, “मेहनत से काम करके मुझे जल्दी ही भूख लगती है। यहां भोजन सच में बहुत स्वादिष्ट है।” एक जर्मन संवाददाता, फेलीक्स लील ने मंडप में विभिन्न कोरियाई भोजनों का स्वाद लिया। उसने कहा, “मैंने सुना कि आपने पीड़ितों के परिवारों के लिए भोजन तैयार किया है। यह ताजा और पौष्टिक सामग्रियों से बना स्वास्थ्य भोजन दिख रहा है। मुझे लगता है कि इसे बनाने में बहुत समय लगा होगा।” वह कोरियाई स्वयंसेवकों से बड़ा प्रभावित हुआ, और उसने आशा की कि इस स्वयंसेवी सेवा से अपने प्रियजनों को खोने वाले शोक संतप्तए परिवारों को दिलासा मिले।

कभी–कभी लापता लोगों के कुछ परिजन अपने आसपास के लोगों के सहारे से मंडप में आए। वे थके–हारे दिख रहे थे, और सिर्फ उनकी पीठ देखकर ही कोई भी व्यक्ति आसानी से जान सकता था कि वे कौन हैं। सदस्यों ने खामोशी से उन्हें भोजन परोसा जो उन्होंने ईमानदारी से बनाया। सदस्य उन्हें सांत्वना देने के लिए कुछ शब्द नहीं कह सके, पर उन्होंने यह आशा की कि परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह पीड़ितों और उनके परिवारों पर आए।

उन परिवारों के लिए, जो व्यायामशाला में चटाई पर लेटकर थकान से चूर हो गए, सदस्यों ने दलिया और औषधीय काढ़ा दिया। उन्होंने परिवारों से पूछा कि उन्हें किस चीज की जरूरत है, और उन्हें गीले तौलिए दिए और शौचालय और उनके आसपास सफाई की। उन्होंने भोजन वितरण करते समय देखा कि कहां धूल–मिट्टी फैली रहती है, और जब परिवारों ने भोजन समाप्त किया, तब उन्होंने गीले कपड़ों से स्वयं फर्श को पोंछा।

आम तौर पर चर्च ऑफ गॉड के सदस्य स्वयंसेवी सेवा पर हमेशा मुस्कान के साथ काम करते हैं। लेकिन इस बार उनके लिए यह स्वयंसेवा करना मानसिक रूप से मुश्किल था क्योंकि वे हंस या मुस्कुरा नहीं सकते थे। मगर सदस्यों ने कहा, “हमने कृतज्ञ महसूस किया जब पीड़ितों के परिवारों ने भोजन किया और हमसे कहा कि उनके मुंह का स्वाद कड़वा हो गया इसलिए वे कुछ भी खाना नहीं चाहते थे, लेकिन उन्होंने भोजन का आनन्द लिया है।” कुछ परिवार उस समय मंडप में आए जब ज्यादा लोग नहीं थे, और उन्होंने अपने दिल की बातें कहीं और दर्द व्यक्त किया। तब जिन सदस्यों ने वह सुना, उनके साथ आंसू बहाए।

जब सदस्यों ने प्रथम स्वयंसेवा शुरू की थी, लापता लोगों की संख्या 300 थी, और 9 मई को जब लापताओं की संख्या घटकर 30 हुई, चर्च ऑफ गॉड ने अधिकारिक सलाह से स्वयंसेवी सेवा रोकी। भले ही उन्हें मुफ्त भोजन सेवा मंडप बंद करना पड़ा जो 15 दिनों तक भोर से लेकर देर रात तक संचालित था, लेकिन सदस्यों ने शोकसंतप्त परिवारों और लापता लोगों के परिवारों की मदद करने के मार्ग खोजे और साथ ही उनके लिए प्रार्थना भी की।

सभी को आशा और साहस: जीनदो व्यायामशाला पर(13 अगस्त–19 सितंबर) द्वितीय स्वयंसेवी सेवा

लापताओं की खोज लंबे समय तक जारी रहने के कारण लापता लोगों के परिवार और स्वयंसेवक शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत थककर चूर हो गए थे। जब देश भर में केवल दुखी समाचार था, 12 अगस्त को जन्रानाम–डो स्वयंसेवा केंद्र ने चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों से निवेदन किया कि वे आकर फिर से स्वयंसेवा करें। चूंकि कोरियाई नैशनल रेड क्रोस ने भोजन सेवा प्रदान करना बन्द किया था, वे उस संगठन की खोज में थे जो 100 स्वयंसेवकों के लिए भोजन बना सके।

हमारे चर्च के सदस्यों ने एक मन होकर उस शाम से भोजन तैयार किया, और भोर से जीनदो व्यायामशाला में मुफ्त भोजन सेवा फिर से शुरू की। इस बार की स्वयंसेवा पिछली बार से काफी अलग थी। कर्मचारियों और स्वयंसेवकों की संख्या बहुत कम हुई, और चर्च ऑफ गॉड ही अकेला था जो लोगों को भोजन दे रहा था। संवाददाताओं को देखना भी मुश्किल था। माहौल शांत और सुनसान था, और वहां सदस्य लापताओं के परिवारों की चिंताओं को महसूस कर सके जो डर रहे थे कि कहीं उन्हें ऐसे ही न भूला जाए। लापताओं के परिवार और बचावकर्मी हौसला खोकर थक रहे थे।

गर्म भोजन से उनके मनोबलों में सुधार लाने के लिए और उन्हें आशा व साहस देने के लिए सभी सदस्यों ने एक मन होकर काम किया। सदस्य प्रथम स्वयंसेवी सेवा की तुलना में और अधिक चुस्त और उज्ज्वल दिख रहे थे। भले ही उनके लिए भोर को जल्दी मंडप में होना आसान नहीं था और इससे वे थक गए, लेकिन वे यह देखकर खुश थे कि बचावकर्मी और स्वयंसेवक नाश्ते का इंतजार करते हैं और अच्छे से खाना खाने के बाद पूरी ताकत के साथ काम पर लगते हैं।

स्वयंसेवकों ने जिन्होंने चर्च ऑफ गॉड के मुफ्त भोजन सेवा मंडप में खाया, सदस्यों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उनमें से एक ने कहा, “मैंने प्रेम से भरा स्वादिष्ट भोजन खाने का आनन्द उठाया और मैं चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों के कृपालु व्यवहार से मोहित हुआ। इस प्रकार की सेवा करना कभी संभव नहीं है यदि उन्होंने दिल से न किया हो।” हर एक स्वयंसेवक ने जिसने प्रत्येक बार मंडप में भोजन खाया, कहा, “भोजन स्वादिष्ट था, तो हम ताकत पाकर आनन्द के साथ काम कर सके।” ग्यंगी प्रांत के इलसान से आए एक स्वयंसेवक ने कहा, “चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों की मुस्कान और दयालु व्यवहार को देखकर, मुझे लगा कि उनमें से हर एक स्वर्गदूत के जैसा सुंदर है, और मुझ जैसे उदास व्यक्ति के लिए उनका चर्च एक अच्छा मोड़ होगा, इसलिए मैंने निश्चय किया है कि जब मैं इसे खत्म करके घर जाऊं तब अपने घर के पास चर्च ऑफ गॉड में जाऊंगा।”

द्वितीय स्वयंसेवी सेवा जन्रानाम–डो स्वयंसेवा केंद्र के द्वारा निर्धारित अवधि से अधिक अगस्त के बाद भी जारी रहीऌ यह शरद ऋतु के पर्व से ठीक पहले तक, यानी 19 सितंबर तक जारी रही। परमेश्वर के पर्वों को मनाने के लिए सदस्यों को भोजन सेवा बंद करनी पड़ी। 19 सितंबर को लोगों को नाश्ता देने के बाद, सदस्यों ने चर्च ऑफ गॉड की मुफ्त भोजन सेवा के समापन समारोह में भाग लिया। मोकफो के चर्च ऑफ गॉड के पादरी बेक उन सन, जननाम सबू चर्च संघ के प्रतिनिधि, समुद्री मामले और मछली पालन के मंत्री ली जु यंग, जीनदो के उप राज्यपाल सोन यंग हो, जन्रानाम–डो स्वयंसेवा केंद्र के महानिदेशक ली संग टे सहित 80 से अधिक स्वयंसेवकों और सरकारी अधिकारियों ने समारोह में भाग लिया।

मंत्री ली जु यंग अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए चर्च ऑफ गॉड के मुफ्त भोजन सेवा मंडप पर आए, और उन्होंने कहा, “चर्च ऑफ गॉड ने स्वयंसेवकों के लिए भोजन दिया, और हमें इससे बड़ी मदद मिली। अखिल सरकारी आपातकालीन मुख्यालय के प्रभारी व्यक्ति के रूप में मैं आपको अपना हार्दिक धन्यवाद देता हूं, और मैं अपने जीवनकाल में आपका मूल्यवान कार्य याद रखूंगा।”

समापन समारोह में उप राज्यपाल सोन यंग हो ने यह कहकर सदस्यों की प्रशंसा की, “जब मैंने आपको भोजन बनाते और उसे लोगों को परोसते हुए देखा, तब मैं महसूस कर सका कि आप कितने भक्तिपूर्ण लोग हैं। मुझे लगा कि आप सचमुच दूसरों की सेवा करने के लिए अभ्यस्त हैं। आप 44 दिनों तक अपने काम को एक तरफ रखकर यहां आए और प्रेम साझा किया, और मैं यह कह सकता हूं कि यह शायद संभव नहीं हो सकता था यदि आपको चर्च ऑफ गॉड के द्वारा उस प्रकार की मानसिकता प्राप्त नहीं होती। आपने वह सब कुछ किया जो देश के कार्यालय को करना चाहिए था।”

स्वयंसेवकों की टीम के नेता, जांग गिल ह्वान ने जिसने पीड़ितों के परिवारों की देखभाल की, परिवारों की ओर से सदस्यों को धन्यवाद दिया और कहा, “स्वयंसेवकों और पीड़ितों के परिवारों को ऐसी जगह की जरूरत थी जहां वे तनाव से उत्पन्न हुई स्वास्थ्य की समस्याओं या मानसिक आघात से बचने के लिए मुस्कुरा सके। चर्च ऑफ गॉड ने यहां आकर उन्हें बड़ा दिलास दिया है, और वे सांत्वना महसूस कर सके। उन्होंने मुझे आपको उनका धन्यवाद देने के लिए कहा। बहुत से पीड़ितों के परिवारों ने कहा कि वे यह कभी नहीं भूलेंगे कि जब वे अपने जीवन में सबसे मुश्किल समय से गुजरे तब आपने उनका साथ दिया, और वे आपके प्रति हमेशा आभारी रहेंगे।”

समापन समारोह के बाद चर्च ऑफ गॉड ने दोपहर का भोजन परोसा, और इससे मुफ्त भोजन सेवा को समाप्त किया गया, जिसमें 44 दिनों तक लगभग 15,000 लोगों को भोजन परोसा गया। सदस्यों ने कहा, “हमने सिर्फ परमेश्वर का प्रेम साझा किया जिसे हमने पाया था, लेकिन उनके साथ बहुत दिन बिताने पर वे हमें धन्यवाद देते हैं। उन्हें अपनी ताकत बटोरते हुए देखकर हम सभी प्रोत्साहित हुए। हम खुश हैं क्योंकि हम उनके लिए कुछ कर सकते हैं।” उन लोगों को अलविदा कहते हुए जो अपने परिवारजनों के जैसे उनके करीब थे, सदस्यों ने आशा की कि ऐसी दुखद घटना फिर से न हो, और पीड़ित लोग और उनके परिवार परमेश्वर के प्रेम से सांत्वना पाएं, नया जीवन जीएं और आशा रखें।
चर्च का परिचय वीडियो
CLOSE