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कोरिया

वर्ष 2015 नरसिंगों के पर्व, प्रायश्चित्त के दिन और झोपड़ियों के पर्व की पवित्र सभा

  • देश | कोरिया
  • तिथि | 14/सितंबर/2015

इस वर्ष के शरद् ऋतु के पर्व 14 सितंबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का पहला दिन) को नरसिंगों के पर्व की पवित्र सभा के साथ शुरू हुए और 5 अक्टूबर को झोपड़ियों के पर्व के अन्तिम दिन के साथ समाप्त हुए। शरद् ऋतु के पर्वों के दौरान पापों की क्षमा और पिछली बरसात के पवित्र आत्मा को मांगते हुए पूरी दुनिया में 2,500 से अधिक चर्चों के सदस्यों ने अच्छी आत्मिक फसलों की कटाई करने के पर्व के अर्थ को पूरा करने के लिए भरपूर जोश और उत्साह के साथ सुसमाचार का प्रचार किया।

नरसिंगों का पर्व: अस्थायी बदलाव के बदले सच्चा पश्चाताप

नरसिंगों का पर्व उस इतिहास से शुरू हुआ जहां इस्राएलियों ने प्रायश्चित्त के दिन से पहले पश्चाताप करने का आग्रह करने के लिए नरसिंगा फूंका था। शरद् ऋतु के पर्वों का द्वार खोलते हुए, माता ने आग्रहपूर्वक प्रार्थना की कि उनकी सभी संतान अपने हृदय की गहराई से पूर्णतया पश्चाताप करें, लोगों को पश्चाताप करने को प्रोत्साहित करने के लिए नरसिंगा फूंकें और संसार के सभी लोगों के साथ पापों की क्षमा की आशीष को बांटें।


ⓒ 2015 WATV
प्रधान पादरी किम जू चिअल ने नरसिंगों के पर्व की शुरुआत और अर्थ के बारे में बताया और कहा कि पूरी तरह से पश्चाताप करने और पापों की क्षमा पाने के लिए दृढ़ विश्वास पर आधारित प्रार्थना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “सच्चे पश्चाताप का मतलब अस्थायी बदलाव नहीं है। वह अपने पुराने मनुष्यत्व को पूरी तरह से उतारकर परमेश्वर के पास लौटने के लिए नए मनुष्यत्व को पहिनना और परमेश्वर की ओर अपना मन फिराना है। जैसे योना ने पश्चाताप किया और नीनवे के लोगों को पापों से फिरने के लिए परमेश्वर के वचन का प्रचार किया, ठीक वैसे ही आइए हम पश्चातापी मन से सुसमाचार का प्रचार करें और दुनिया भर में पापों की क्षमा और उद्धार के लिए कार्य करें(इब्र 7:22–25; लूक 18:1–8; 11:5–13; 15:3–24; हो 14:1–4; कुल 3:1; प्रे 14:22)।”

ⓒ 2015 WATV
नरसिंगों के पर्व की शाम से शुरू होकर प्रायश्चित्त के दिन की प्रार्थना अवधि दस दिनों तक जारी रही। “युवा वयस्कों के लिए2015 झोपड़ियों के पर्व का प्रचार समारोह” जो झोपड़ियों के पर्व के अंतिम दिन तक आयोजित था, उसी समय शुरू हुआ। सदस्यों ने भोर को और शाम को अपने पापों का अंगीकार करके पश्चाताप की प्रार्थनाएं अर्पित कीं। “आइए हम 700 करोड़ लोगों को उद्धार के सत्य का प्रचार करें,” इसी दृढ़ संकल्प के साथ सदस्यों ने, खासकर प्रचार समारोह में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाने वाले युवा वयस्कों ने पश्चाताप के योग्य फल उत्पन्न करने के लिए जल्दी–जल्दी बाहर गए और अपने आप को व्यस्त रखा।

प्रायश्चित्त का दिन: परमेश्वर के बलिदान की स्मृति में जिन्होंने हमें पापों से छुटकारा दिया है

प्रायश्चित्त के दिन की पवित्र सभा 23 सितंबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का दसवां दिन) को, यानी नरसिंगों के पर्व के दस दिन बाद आयोजित की गई। माता ने संतानों को पापों की क्षमा देने के लिए प्रायश्चित्त के दिन की अनुमति देने के लिए पिता को धन्यवाद दिया। माता ने प्रार्थना की कि दस दिनों तक बड़ी उत्सुकता से की गई उनकी प्रार्थनाएं धूप के धुएं के साथ स्वर्ग में परमेश्वर के सामने पहुंची गई हैं, तो उनकी आत्मा एं हिम–जैसे श्वेत और शुद्ध हो जाएं और विश्वास के साथ पवित्र और धर्मी जीवन जीएं।

परमेश्वर ने प्रायश्चित्त का दिन हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिए नियुक्त किया था। पुराने नियम के समय में महायाजक इस्राएलियों के सभी पापों के प्रायश्चित्त के लिए परम पवित्रस्थान में वर्ष में सिर्फ एक बार, यानी प्रायश्चित्त के दिन प्रवेश करता था। महायाजक उस बकरे के ऊपर जिसे चिट्ठी डालकर अजाजेल के रूप में चुना गया था, अपने दोनों हाथों को रखकर इस्राएलियों के सारे पापों को अंगीकार करता था और अजाजेल को किसी निर्जन मरुभूमि में मरने के लिए छोड़ देता था। यह दर्शाता है कि लोगों के पाप जो अस्थायी रूप से पवित्रस्थान में इकट्ठे होते हैं, आखिरकार अजाजेल के रूप में दर्शाए गए शैतान पर लादे जाते हैं और गायब होते हैं।

पादरी किम जू चिअल ने प्रायश्चित्त के दिन की विधि के द्वारा उस प्रक्रिया और सिद्धांत के बारे में बताया जिससे लोगों के पाप क्षमा होते हैं, और कहा, “हमारे पाप बिना किसी कीमत के गायब नहीं होते। वे परमेश्वर की कड़ी मेहनत और बलिदान के द्वारा स्थापित की गई जीवन की आत्मा की व्यवस्था(रो 8:1–2) के द्वारा क्षमा किए जाते हैं। उन परमेश्वर के अनुग्रह को कृतज्ञता से स्मरण करते हुए, जो हमारे गंभीर पापों को उठाने के लिए बलिदान हुए, आइए हम फिर कभी पाप न करें।” फिर उन्होंने कहा, “आइए हम सोचें कि हम परमेश्वर को क्या दे सकते हैं जिन्होंने हमें उद्धार, अनन्त जीवन और पापों की क्षमा समेत हजारों आशीषें दी हैं। परमेश्वर एक पापी के मन फिराने से सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। परमेश्वर के मन को समझकर आइए हम बहुत सी आत्माओं को उनके पापों की ओर से फेरने के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करें(लैव 23:26–31; 16:3–22; मत 9:13; रो 8:1–2; लूक 15:7)।”

ⓒ 2015 WATV

झोपड़ियों का पर्व और उसका अंतिम दिन: पवित्र आत्मा की शक्ति से प्रचुर मात्रा में बटोरी गई फसलेंझोपड़ियों का पर्व और उसका अंतिम दिन: पवित्र आत्मा की शक्ति से प्रचुर मात्रा में बटोरी गई फसलें


दुनिया भर में सदस्यों ने जो प्रायश्चित्त के अनुग्रह के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए झोपड़ियों के पर्व का इंतजार कर रहे थे, झरने के समान पिछली बरसात के पवित्र आत्मा की बाट जोहते हुए 28 सितंबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का पंद्रहवा दिन) को झोपड़ियों के पर्व की पवित्र सभा में भाग लिया। चूंकि नरसिंगों के पर्व से शुरू होकर सुसमाचार के प्रचार के प्रति उत्साह पहले से ही बहुत अधिक बढ़ गया, इसलिए झोपड़ियों के पर्व के बीच कोरिया के छुसक नामक राष्ट्रीय पर्व के आने के बावजूद लगातार अच्छे फल बहुतायत में उत्पन्न किए गए। तो सदस्यों के चेहरे जिन्होंने पर्व की आराधनाओं में भाग लिया, बहुत उज्ज्वल दिखे।

तीन बार के सात पर्वों की आखिरी पवित्र सभा भी माता की प्रार्थना के साथ शुरू हुई। माता ने प्रार्थना की कि झोपड़ियों का पर्व मना रही सभी संतान पवित्र आत्मा बहुतायत से पाएं जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने की है, और जैसे शरद् ऋतु में खलिहान में फसलें बटोरी जाती हैं, वैसे फसलों के रूप में दर्शाए गए पवित्र लोग सिय्योन में इकट्ठे किए जाएं ताकि सुसमाचार का काम जल्दी से समाप्त हो सके।


पादरी किम जू चिअल ने कहा, “जैसे लिखा है, ‘सातवें महीने के पंद्रहवें दिन से सात दिन तक यहोवा के लिए झोपड़ियों का पर्व रहा करे।’ (लैव 23:34), आइए हम सोचें कि झोपड़ियों के पर्व में जो परमेश्वर के लिए एक पर्व है, हमें क्या करना चाहिए। परमेश्वर हजारों मेढ़ों से या दसियों हजार तेल की नदियों से अधिक अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होते हैं। भले ही हम चुनौतीपूर्ण स्थितियों या बाधाओं का सामना करते हैं, लेकिन आइए हम विश्वास करें कि मूसा, यहोशू, गिदोन और दाऊद के समान जो परमेश्वर के साथ हैं उनके लिए कुछ असंभव नहीं है, और आइए हम वचनों पर आज्ञाकारी होकर लोगों को प्रचार करें फिर चाहे वे सुनें या न सुनें। यही उनका कर्तव्य है जिन्हें पहले क्षमा मिली है(जक 14:7–21; यूह 7:2–39; निर्ग 35:1–21; व्य 31:6; मत 28:18–20; यश 60:20–22)।”

जब मूसा ने इस्राएलियों को दस आज्ञाओं को रखने के लिए तम्बू बनाने की परमेश्वर की आज्ञा की घोषणा की, तब जिनका मन उत्साहित हुआ वे सातवें महीने के पंद्रहवें दिन से शुरू करके सात दिनों तक तम्बू के निर्माण के लिए भेंट ले आए। यह झोपड़ियों के पर्व की शुरुआत है। पुराने नियम के समय में इस्राएली झोपड़ियां बनाकर आनन्द मनाते हुए सात दिनों तक वहां रहते थे, और नए नियम के समय में पर्व का अर्थ उन लोगों को इकट्ठा करने के द्वारा पूरा होता है जो स्वर्गीय मंदिर की सामग्रियों के रूप में दर्शाए गए हैं।

तदनुसार झोपड़ियों के पर्व के बाद झोपड़ियों के पर्व के प्रचार की सभा शुरू हुई। दुनिया के कोने–कोने से यह खबर आई कि नए सदस्यों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस खबर से गरमाए माहौल में 5 अक्टूबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का बाईसवां दिन) को झोपड़ियों के पर्व का अंतिम दिन मनाया गया।

पादरी किम जू चिअल ने झोपड़ियों के पर्व की शुरुआत और अर्थ के बारे में बताया। उन्होंने सुबह की आराधना में कहा, “पिछली बरसात का पवित्र आत्मा पाने की शर्त है, परमेश्वर को पूरी तरह से जानना। आइए हम सच्चे परमेश्वर का मेहनत से प्रचार करें ताकि हर नगर, शहर, देश और महाद्वीप में हर कोई पवित्र आत्मा के अनुग्रह में आ सके।”

दोपहर की आराधना में “जब तक परमेश्वर मिल सकते हैं तब तक उनकी खोज में रहो,” शीर्षक के साथ माता ने स्वयं उपदेश दिया। संसार की बहुत सी जगहों से लगातार फल उत्पन्न होने की खबर के आने से माता प्रसन्न थीं और अपनी संतानों को मेहनत व लगन से सुसमाचार का कार्य करने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। माता ने कहा, “चूंकि लोग ‘सत्य से प्रेम’ नहीं करते(2थिस 2:10), इसलिए संसार शैतान के वश में हुआ और दुष्टताओं से भर गया है। आज बहुत सी आत्माएं सत्य के वचनों के लिए मारे–मारे भटक रही हैं, तो आज का समय मनुष्यजाति के लिए परमेश्वर से मिलने का समय है। प्रेम जिसका आप परमेश्वर की संतानों को अभ्यास में लाने की जरूरत है, वह अपने पड़ोसियों और समुदायों को प्रेममय परमेश्वर का प्रचार करना है। जब आप परमेश्वर पर निर्भर रहें, जिन्होंने कहा, ‘मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं,’ और ईमानदारी से सत्य का प्रचार करें, तब वह दिन आएगा जब आप तारों के समान सदा के लिए चमकेंगे। इसलिए विश्वास कीजिए और हार न मानिए(यश 55:6; 2तीम 3:1–5; यश 24:1–5; यिर्म 6:17–19; आम 8:11–13; रोम 10:13–15; यश 43:1–2)।”

जैसे प्रथम चर्च के प्रेरितों ने पिन्तेकुस्त के दिन पहली बरसात का पवित्र आत्मा पाने के बाद निडरता से यीशु मसीह की गवाही दी और यरूशलेम की सीमा पार कर अन्यजातियों को भी सुसमाचार का प्रचार किया, वैसे शरद् ऋतु के पर्वों के दौरान पिछली बरसात के पवित्र आत्मा की शक्ति से दुनिया भर में सदस्यों ने सुसमाचार के अद्भुत परिणाम लाए। लेकिन सदस्यों ने कहा कि यह अन्त नहीं, लेकिन एक दूसरी शुरुआत है।

उन्होंने कहा, “भले ही झोपड़ियों के पर्व के प्रचार की सभा समाप्त हो गई, लेकिन जब तक पृथ्वी पर 700 करोड़ लोग नई वाचा के सत्य को न सुन लें, तब तक हम अपने स्वर्गीय परिवारवालों को खोजने के लिए इस आनन्दमय समारोह को जारी खेंगे। हम आशा करते हैं कि संसार में सिय्योन के सभी सदस्य एक पवित्र आत्मा में एक मन रखें और बहुत देर होने से पहले सभी पकी फसलों को स्वर्गीय खलिहान में इकट्ठा करें।”

चूंकि दुनिया भर में सदस्य अपने दृढ़ संकल्प को अभ्यास में ला रहे हैं और विभिन्न तरीकों से समाज के हर क्षेत्र के लोगों को सत्य का प्रचार कर रहे हैं, ऐसी अपेक्षा की जाती है कि जैसे–जैसे दिन बीतेगा, सुसमाचार सुनने वालों की संख्या व्यापक रूप से बढ़ जाएगी।




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