जब 7 अरब लोगों को प्रचार करने का आंदोलन पूरी सक्रियता से चलाया जा रहा था, पतझड़ के पर्व आए, जो नरसिंगों के पर्व से शुरू किए जाते हैं। नरसिंगों का पर्व, प्रायश्चित्त का दिन और झोपड़ियों का पर्व तीन बार के सात पर्वों के तीसरे भाग में होते हैं, और उन्हें मनाने वालों से पापों की क्षमा और पिछली वर्षा के पवित्र आत्मा का वादा किया गया है। दुनिया भर के 2,500 चर्चों के सदस्यों ने परमेश्वर से प्रतिज्ञा किए गए पवित्र आत्मा की आशीष बहुतायत से पाकर संसार का उद्धार करने की आशा करते हुए पवित्रता से पर्व मनाए।
ⓒ 2016 WATV
नरसिंगों का पर्व: संसार के सभी लोगों की ओर फूंका गया पश्चाताप का नरसिंगानरसिंगों के पर्व की पवित्र सभा में जो 2 अक्टूबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का पहला दिन) को आयोजित की गई, माता ने प्रार्थना की कि उनकी संतान स्वर्ग और पृथ्वी पर किए गए अपने सभी पापों का सच्चे दिल से अंगीकार करें और पश्चाताप करें, ताकि वे प्रायश्चित्त का अनुग्रह पा सकें और आत्मिक अंधकार में भटक रही मानव जाति की पश्चाताप और उद्धार के मार्ग पर अगुवाई कर सकें।
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प्रधान पादरी किम जू चिअल ने नरसिंगों के पर्व की शुरुआत के बारे में बताया और कहा, “यीशु ने सुसमाचार का प्रचार करते हुए लोगों से पश्चाताप करने का आग्रह किया। इससे हम समझ सकते हैं कि पश्चाताप करने वाले लोगों को स्वर्ग की आशीष दी जाती है। आइए हम उन यीशु के बलिदान को स्मरण करें जिन्होंने पापियों के लिए क्रूस का दुख सहा, और प्रेरित पौलुस और योना की तरह पूरे मन से पश्चाताप करके सभी लोगों को पापों से छुड़ाएं।(लैव 23:23–24; मत 4:17; भजन 7:11; प्रक 3:16–19; प्रे 21:11–13; योना का दूसरा और तीसरा अध्याय)।”
नरसिंगों के पर्व की शाम से लेकर प्रायश्चित्त के दिन की भोर तक प्रार्थना अवधि जारी रही। सदस्यों ने अपनी इस गलती पर पश्चाताप किया कि उन्होंने पिछले दिनों परमेश्वर के अनुग्रह में रहते हुए भी अपने पापी स्वभाव को त्याग नहीं दिया था, और उन्होंने पापों की क्षमा की बड़ी आशीष देने के लिए प्रार्थना की।
प्रायश्चित्त का दिन: दुबारा पाप न करने के लिए परमेश्वर की शिक्षाओं को अपने मन में अंकित करेंदस दिनों तक पूरे संसार के सदस्यों ने भोर और शाम को परमेश्वर के सामने सिर झुकाकर पश्चातापी मन से पछतावे की प्रार्थना की और 11 अक्टूबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का दसवां दिन) को प्रायश्चित्त के दिन की पवित्र सभा रखी।
माता ने अपनी संतानों के पापों के प्रायश्चित्त की कामना की और बड़ी व्याकुलता से प्रार्थना की कि संतान जिन्होंने प्रायश्चित्त का अनुग्रह पाया है, फिर से पाप न करें और दृढ़ विश्वास के साथ अपने जीवन के मुकुट की रक्षा करें। सदस्यों ने माता की ईमानदार प्रार्थना पर “आमीन” कहा और अपने मनों पर माता की इच्छा को उकेर लिया।
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प्रधान पादरी किम जू चिअल ने परमेश्वर को अपनी संतानों के अक्षम्य पापों को क्षमा करने के लिए दुखदायी मार्ग पर चलने के लिए धन्यवाद दिया और जोर देकर कहा, “पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर ने कष्ट और बलिदान किया जब तक उनकी संतानों के सारे पाप शैतान पर सौंपे न गए और मिटाए न गए। हमारे मन और जीवन दोनों में परिवर्तन होना चाहिए ताकि हम पाप से बचे रह सकें। हमें पापों में फिर कभी नहीं फंसना चाहिए और परमेश्वर की इच्छा के योग्य जीवन जीना चाहिए(यूह 1:29; यश 53:4; लैव 4:27–31; प्रक 20:10; 2कुर 7:9–10; लूक 15:3–7)।”
सदस्यों ने पाप फिर न करने और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अच्छा और धार्मिक जीवन जीने का संकल्प किया और झोपड़ियों के पर्व की तैयारी की।
झोपड़ियों का पर्व और उसका अंतिम दिन: मानव जाति के उद्धार के लिए पिछली वर्षा का पवित्र आत्माप्रायश्चित्त के दिन के 5 दिन बाद झोपड़ियों के पर्व की पवित्र सभा हुई। पुराने नियम के समय इस्राएलियों ने परमेश्वर से प्राप्त की गई दस आज्ञाओं को रखने के लिए तम्बू बनाया था। इससे झोपड़ियों के पर्व की शुरुआत हुई। 16 अक्टूबर(पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का पंद्रहवा दिन) को दुनिया भर में सभी सदस्य पवित्र आत्मा की आशीष पाने को बहुत उत्सुक होते हुए अपने चर्चों की ओर चले।
माता ने अधिक तीव्रता से प्रार्थना की कि सभी संतान जो शुद्ध की गई हैं, पिछली वर्षा का पवित्र आत्मा बहुतायत से पाएं, और उन्होंने आशा की कि उद्धार का कार्य जिसका मनुष्य की सामर्थ्य से पूरा होना असंभव है, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से पूरा हो। उन्होंने सदस्यों से निवेदन किया कि वे पवित्र आत्मा को न बुझाएं और एक मन होकर संसार के सभी लोगों को एक आवाज में सुसमाचार का प्रचार करें और जीवन का जल प्रदान करें।
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प्रधान पादरी किम जू चिअल ने इस्राएलियों की जंगल की यात्रा का इतिहास समझाया और जोर देकर कहा, “इस्राएली जिन्होंने पापों की क्षमा पाई थी और जिनके मन ने उन्हें प्रोत्साहित किया था, स्वेच्छा से तम्बू बनाने के लिए सामग्रियां ले आए। तम्बू की सामग्रियां स्वर्गीय संतानों को दर्शाती हैं। इसलिए हमारा मिशन प्रायश्चित्त के अनुग्रह के लिए धन्यवाद देते हुए समय या असमय वचन का प्रचार करना और परमेश्वर की संतानों की सिय्योन की ओर अगुवाई करना है।” उन्होंने आशा की कि सभी सदस्य सुसमाचार के कार्य में अपनी पूरी शक्ति लगाएं ताकि वे स्वर्ग में सदा तक तारों के समान चमकते रहें(यिर्म 5:14; इफ 2:22; निर्ग 35:4–26; 2तीम 4:1–5; मत 28:18–20; दान 12:1–3; 1थिस 2:3–4)।”
झोपड़ियों के पर्व की पवित्र सभा के समाप्त होने के बाद, एक सप्ताह तक झोपड़ियों के पर्व के प्रचार की सभा चली। जिस प्रकार इस्राएली पापों की क्षमा के अनुग्रह के लिए आभारी होते हुए स्वेच्छा से तम्बू की सामग्रियां ले आए थे, सदस्यों ने प्रायश्चित्त के अनुग्रह के लिए आभारी होते हुए प्रचार करने में अपनी सारी ताकत झोंक दी।
23 अक्टूबर को झोपड़ियों के पर्व के प्रचार की सभा समाप्त हुई, और झोपड़ियों के पर्व के अन्तिम दिन की आराधना शुरू हुई। माता ने उन सदस्यों को जिन्होंने सुसमाचार के प्रचार का मिशन पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया था, पिछली वर्षा के पवित्र आत्मा की आशीष दी। माता ने आशा की कि पूरे संसार में पवित्र आत्मा के आंदोलन की आग तीव्रता से जल उठे और पर्वों के दौरान संतानों के द्वारा की गई सारी प्रार्थनाएं पूरी की जाएं।
प्रधान पादरी किम जू चिअल ने सुबह की आराधना के दौरान तम्बू के निर्माण का इतिहास और उसका अर्थ समझाया और कहा, “पवित्रस्थान और परम पवित्रस्थान पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को दर्शाते हैं और उनके द्वारा ही जीवन का जल दिया जाता है और सभी जातियां पुनर्जीवित होती हैं। आइए हम भविष्यवाणी पर विश्वास करें और संसार के लोगों को साहसपूर्वक नई वाचा का प्रचार करें(इब्र 8:5; यूह 2:20–21; 1रा 6:14; प्रक 21:9–16; यहेज 47:1–12)।”
वर्ष 2016 के आखिरी वार्षिक पर्व की आराधना, यानी झोपड़ियों के पर्व के अन्तिम दिन की दोपहर की आराधना में माता ने “हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है” शीर्षक के अंतर्गत स्वयं उपदेश दिया। माता ने उन सदस्यों को जिन्होंने भोर और शाम को प्रार्थना करते हुए मेहनत से सुसमाचार का कार्य किया था, बहुतायत से पवित्र आत्मा की आशीष दी। उन्होंने यह कहते हुए कि, “वे सभी लोग जिन्हें परमेश्वर ने क्रूस पर बलिदान होकर उद्धार दिया है, स्वर्ग के नागरिक हैं,” उन सद्गुणों को सिखाया जो स्वर्ग के नागरिकों को अपनाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से प्रेम और भक्ति पर जोर दिया और सदस्यों को यह कहते हुए विश्वास बंधाया, “परमेश्वर प्रेम हैं, इसलिए परमेश्वर की संतानों को इस दुष्ट संसार के सदृश्य नहीं बनना चाहिए और भक्तिपूर्ण होने का अभ्यास करना चाहिए। जब सभी सदस्य प्रेमपूर्ण और भक्तिपूर्ण रूप में बदल जाएं और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से युक्त होकर उठ खड़े होंगे, तब स्वर्ग के सभी खोए हुए परिवार वालों को ढूंढ़ा जाएगा(फिलि 3:19–21; 1कुर 13:4–13; 1तीम 4:6–7; 2पत 3:6–14)।”
सदस्यों ने परमेश्वर को तीन बार के सात पर्वों के द्वारा आशीष और अनुग्रह देने के लिए गहराई से धन्यवाद दिया और संकल्प किया कि वे हर बात में पाप से दूर रहते हुए विश्वास का भक्तिपूर्ण जीवन जीएंगे और प्रेम एवं पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा 7 अरब लोगों को प्रचार करने का महान मिशन पूरा करेंगे।