‘WATV Media Cast’जैसे हम विदेश जाने से पहले उस देश की भाषा का अभ्यास करते हैं, ठीक वैसे स्वर्ग के राज्य में लौटने के लिए हमें परमेश्वर की शिक्षाओं को कंपास के रूप में लेकर परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देने की स्वर्गीय भाषा बोलने में सक्षम होना चाहिए।
स्वर्गीय भाषा में कुड़कुड़ाने या परमेश्वर को परखने का कोई शब्द नहीं है, लेकिन वह आनन्द से भरी भाषा है।
(उदा: एक माता जिसके दो बेटे हैं: एक छाता बेचनेवाला और एक फूस के जूते बेचनेवाला)